
डॉ. संजीव मिश्र Dr. Sanjiv Mishra
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लेखक Bestseller बवाली कनपुरिया @PenguinIndia पत्रकार Ex @JagranNews । @PatrikaNews / @rpbreakingnews अनुवादक @PenguinIndia Fellow @Cornell । Fellow @SpeakTB
Kanpur / Delhi
Joined September 2009
बार-बार आभार सुबह अचानक बवाली कनपुरिया का लिंक क्लिक किया और पाया कि फिर बेस्ट सेलर। यह आपका स्नेह ही है कि आपकी प्रिय पुस्तक बवाली कनपुरिया लगातार #Bestseller है। एमेजॉन 52 प्रतिशत छूट भी दे रहा है। आपने अब तक नहीं पढ़ी है पुस्तक, तो अब पढ़ लीजिए। लिंकः https://t.co/chsqSvhjri
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एकहि साधे सब सधे सब साधे सब जाय दूध दही फल अन्न जल छोड़ पीजिए चाय। छोड़ पीजिए चाय अमृत बीसवीं सदी का जगप्रसिद्ध जैसे गंगाजल गंग नदी का। कहँ 'काका' इन उपदेशों का अर्थ जानिए बिना चाय के मानव-जीवन व्यर्थ मानिए। -प्रभुलाल गर्ग 'काका हाथरसी', जयंती व पुण्यतिथि पर नमन। #सुबहwithसंजीव
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बहुत आभार भाई। पढ़कर बताइए, कैसी लगी। आपके review की प्रतीक्षा रहेगी।
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पाठकों की सुविधा का ध्यान रखते हुए 'शब्दों के साथ-साथ' (भाग 1 और 2) पुस्तकों के नए जोड़े को #शब्दों_का_सौंदर्य नाम से एक संग्रहणीय और आकर्षक डिब्बे में कॉम्बो-पैक के रूप में प्रस्तुत किया गया है और अमेजॉन पर उपलब्ध है। https://t.co/QyzYX6Drdi
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मति अति नीच ऊँचि रुचि आछी। चहिअ अमिअ जग जुरइ न छाछी॥ -रामचरित मानस, बाल कांड गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं, बुद्धि तो अत्यन्त नीची है और चाह बड़ी ऊँची है। चाह तो अमृत पाने की है, पर जगत् में जुड़ती छाछ भी नहीं #सुबहwithसंजीव
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बहुत धन्यवाद @architsaini007 जी। आपको पुस्तक अच्छी लगी, यह मेरा सौभाग्य है। स्नेह बनाए रखें...
📚Early Morning Read! अभी-अभी ख़त्म की बवाली कनपुरिया। डॉ. संजीव मिश्रा ने जिस अंदाज़ में इस किताब को लिखा है, वो सचमुच लाजवाब है। शब्दों से बयान करना मुश्किल है। Must Read! #पढ़नाज़रूरीहै #बवालीकनपुरिया #BookRecommendation #Boltikitabe
@drsanjivkmishra @mathur_vaishali
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देख गतिविधि देश की मैं मौन मन से रो रहा हूँ आज चिंतित हो रहा हूँ बोलना जिनको न आता था वही अब बोलते हैं रस नहीं वह देश के उत्थान में विष घोलते हैं -श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' झंडा गीत के रचयिता, कानपुर के गौरव, स्वतंत्रता सेनानी कवि का जन्मदिन पर श्रद्धापूर्ण स्मरण। #सुबहwithसंजीव
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तुमसे अलग होकर लगता है अचानक मेरे पंख छोटे हो गए हैं, और मैं नीचे एक सीमाहीन सागर में गिरता जा रहा हूँ। अब कहीं कोई यात्रा नहीं है, न अर्थमय, न अर्थहीन; गिरने और उठने के बीच कोई अंतर नहीं। -सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, जयंती पर श्रद्धापूर्ण स्मरण #सुबहwithसंजी��
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#हिंदीदिवस की शुभकामनाओं के साथ-साथ इन पुस्तकों के लिए "हैप्पी रीडिंग" वाली शुभकामनाएँ आपको और आपके मित्र को।🌹 अवश्य बताइएगा की कैसी लगीं। @mathur_vaishali
@drsanjivkmishra
@suneetamehan @Hindinama2 @hindwiOfficial @chait_nagar @ChhotiKavita @shefaligemini @VandanaDave2 @hindisopan इसी विश्वास के साथ इस हिंदी दिवस पर मैंने गुरुदेव @drsureshpant की “शब्दों के साथ-साथ”, भाग १ व २, की दो दो प्रतियाँ मँगवायीं, एक अपने लिए और एक उस अधिकारी के लिए जो अच्छी हिंदी के प्रोत्साहन में सदैव आगे रहते हैं। हिंदी दिवस की शुभकामनायें। @JamwalNidhi @hridayeshjoshi ६/६
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आज हिंदी दिवस है। आज ही एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच भी है। मैने तय किया है कि मैं मैच नहीं देखूंगा। मैं शाम को सात बजे फेसबुक लाइव पर प्रसिद्ध भाषाविद @drsureshpant और @prabhatranjann के बीच संवाद का हिस्सा बनूंगा। आइए मिलते हैं... @mathur_vaishali @PenguinIndia
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निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिन निजभाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल अंग्रेजी पढ़िके जदपि सब गुन होत प्रवीन पै निजभाषा ज्ञान बिन रहत हीन के हीन -भारतेंदु हरिश्चंद्र माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी हिंदोस्ताँ के बाग की बहार है हिंदी -जगदीश व्योम #सुबहwithसंजीव #हिंदीदिवस
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हाल के वर्षों में वरिष्ठ भाषाविद् सुरेश पंत सर की पेंगुइन स्वदेश से प्रकाशित किताब 'शब्दों के साथ साथ' के दो खंडों ने हिन्दी जगत में भाषा चेतना का विस्तार किया है। आज सोशल मीडिया पर सुरेश पंत सर की उपस्थिति जीवंत विश्वकोश की तरह है। भाषा से जुड़ी हर समस्या का समाधान उनके पास होता
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निज भाषा बोलहु लिखहु पढ़हु गुनहु सब लोग। करहु सकल विषयन विषै निज भाषा उपजोग।। *** जय हिमशृंगा सुरसरि गंगा साधु समाज सुजन-सतसंगा जय जग-क्���ेश-प्रनाश-प्रसंगा सुमिरत भरत मोद मन भारी जय जय भारतभूमि हमारी -श्रीधर पाठक, खड़ी बोली के प्रथम समर्थ कवि का पुण्यतिथि पर नमन। #सुबहwithसंजीव
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गहन कालिमा के पट ओढ़े विकल विकल सी रात रो रही दूर क्षीण तारों में कोई टिमटिम करती बात हो रही भिन्न भिन्न हैं स्तर मानव की सत्ता के जिसमे सब चलते हैं एक मार्ग है जिस पर सबको चलने के अधिकार न मिलते -रांगेय राघव, हिंदी के शेक्सपीयर की पुण्यतिथि पर नमन। #सुबहwithसंजीव
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आज पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की जयंती पर यह घोषणा करते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है कि पेंगुइन स्वदेश जल्द ही ला रहा है उनका विशिष्ट काव्य संग्रह। इस संग्रह में होंगी सेठिया जी के रचना संसार से चुनिंदा कविताएँ।
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बहुत शानदार @divya_sabaa वही मिट्टी, वही ख़ाका, मगर हालात इंसाँ को कभी शीशा बनाते हैं, कभी पत्थर बनाते हैं
ghazal: कभी रहज़न बनाते हैं, कभी रहबर बनाते हैं मुसाफ़िर को शिकार अपना वो सब मिल कर बनाते हैं वो सूरत, क्या ख़बर कब ज़िंदगी में जल्वा-गर होगी ख़यालों के जहाँ में हम जिसे अक्सर बनाते हैं जब अरसे बाद भी बदला नहीं ये रंज का 'आलम तो हम ख़ुद इर्द-गिर्द अपने नया मंज़र बनाते हैं वही
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इन आँखों ने देखी न राह कहीं इन्हें धो गया नेह का नीर नहीं करती मिट जाने की साध कभी इन प्राणों को मूक अधीर नहीं अलि छोड़ो न जीवन की तरणी उस सागर में जहाँ तीर नहीं कभी देखा नहीं वह देश जहाँ प्रिय से कम मादक पीर नहीं -महादेवी वर्मा, आधुनिक मीरा को पुण्यतिथि पर नमन #सुबहwithसंजीव
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ओवर-थिंक करते हैं तो निक ट्रेंटन ये किताब ज़रूर पढ़ें।
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समय मुसकानों की सजीली किनारी, फाड़ देता है, और माथे पर चोटों के थीगड़े टाँक देता है, आँखों में जहाँ-तहाँ ठोक कर कीलें, उन पर सुखाने के लिए सपने उलटे कर टाँग देता है। *** अब रात ही ढलती है और रात ही उगती है अँधेरे की चादर अँधेरे को ढकती है -सुमन राजे #सुबहwithसंजीव
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श्रीलंका, बांग्लादेश... और अब #नेपाल : हमारा पड़ोस लगातार सुलग रहा है। सब जगह हमला संसद भवन पर हो रहा है... बिल्कुल एक तरह से। हमें सतर्क रहना होगा। अराजकता इस कदर कि मंत्री पिट रहे हैं, पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी ज़िंदा जला दी गईं। बेहद दुखद। #NepalGenZProtest
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निजभाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिन निजभाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल अंग्रेजी पढ़िके जदपि सब गुन होत प्रवीन पै निजभाषा ज्ञान बिन रहत हीन के हीन -भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयंती पर श्रद्धापूर्ण स्मरण आज ही 1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।
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