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Prabhat Ranjan

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writer of 'paltoo bohemian(पालतू बोहेमियन)', a widely appreciated memoir of manohar shyam joshi, moderator of and translator

delhi
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
कल पासपोर्ट के पुलिस वेरिफ़िकेशन के लिए पुलिस वाले आए। मैंने उन्हें कुछ देने की पेशकश की तो बोले कि आपका घर किताबों से भरा है। मुझे कुछ किताबें दे दीजिए। मैं इतना ख़ुश हुआ कि मैंने उनको आठ किताबें दे दी। आख़िर पहली बार किसी पुलिस वाले ने किताब माँगी थी।
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@prabhatranjann
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4 years
आज मैं अपने पुराने सैलून में बाल कटवाने गया था। वहाँ सब एनडीटीवी देख रहे थे। मैंने कहा कि और किसी चैनल पर भी न्यूज देखो तो क्या चल रहा है। बाल काटने वाले ना कहा कि सर अब कोई और चैनल देखा भी नहीं जाता। @umashankarsingh
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4 years
सब्ज़ी ख़रीदने निकला था चिकेन लेकर लौट आया। चिकेन अधिक सस्ता पड़ा।
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5 years
आपकी कमाई देखकर ही हिंदी में कवियों की बाढ़ आ गई है @DrKumarVishwas
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4 years
पत्रकार अपने पद से नहीं अपने साहस से बड़ा होता है! मनदीप पुनिया ने हमें यह याद दिला दिया है!
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3 years
लोकप्रिय होना आसान है, लोकतांत्रिक होना बहुत मुश्किल -ओम थानवी @omthanvi
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4 years
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि कुम्भ में माँ गंगा की कृपा से कोरोना नहीं फैलेगा। अब इस देश को माँ गंगा ही बचा सकती हैं।
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3 years
कल दो घटनाएँ एक साथ हुई। एक तुक्कड़ फ़िल्मी गीतकार ने तुलसीदास की कविता की बेहूदा पैरोडी लिखी। दूसरी घटना गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ का इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ की शॉर्ट लिस्ट में आना रहा। हिंदी की दुनिया में ज़्यादा हल्ला उस तुक्कड़ कवि की पैरोडी की रही बुकर की नहीं!
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4 years
हिंदुस्तान टाइम्स समूह की पत्रिकाएँ नंदन और कादम्बिनी बंद हो गई। बचपन में मैं नंदन का शौक़ीन था और पिताजी कादम्बिनी ज़रूर पढ़ते थे। उनको मेरे लेखक होने की उपलब्धि उस दिन समझ आई जिस दिन उन्होंने मेरी किताब की समीक्षा कादम्बिनी में पढ़ी। लगता है जैसे जीवन का एक हिस्सा खत्म हो गया।
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@prabhatranjann
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4 years
आज फ़ास्ट बोलर मुनाफ़ पटेल के बारे में पढ़ा कि कोरोना से लड़ाई में अपने गाँव में जागरूकता फैलाने के लिए वे किस तरह अप्रैल से काम कर रहे हैं। उनके बारे में कहीं कुछ नहीं छपता।
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@prabhatranjann
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5 years
चार दिन बाद दिल्ली में चुनाव है और आज टाइम्स नाऊ के सर्वे में @AamAadmiParty को 54-60 सीटें दी गई हैं। लगता है दिल्ली कि जनता नफ़रत को प्यार से हराने का फ़ैसला कर चुकी है।
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@prabhatranjann
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11 months
मध्य प्रदेश चुनाव के बाद के रुझानों से लग रहा है कि कांग्रेस को डेढ़ सौ से भी अधिक सीटें मिल सकती हैं। सबसे बुरा लगता है ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय और नरेंद्र तोमर के साथ होने वाला है। मुझे लगता है कि भाजपा नेतृत्व विधानसभा चुनाव के बहाने इनको निपटाना भी चाहता था।
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5 years
मूर्खता को राष्ट्रीय धर्म घोषित कर दिया जाना चाहिए!
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3 years
हिंदी वालों की मुश्किल यह है कि वे चाहते हैं कि उनकी भाषा में विश्वस्तरीय पुस्तकें आएं। लेकिन कीमत 100 रुपये से अधिक न हो। इतना सस्ता तो पॉप कॉर्न भी नहीं आता!
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4 years
बिहार में ‘सुशासन’ अपने उच्च रूप में जारी है।
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5 years
भारतीय समाज का विभाजन साफ़ दिख रहा है- एक वर्ग होम डेलिवेरी न होने से से परेशान है एक वर्ग भूखा प्यासा घर पहुँचने के लिए सड़कों पर चलता जा रहा है।
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@prabhatranjann
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5 years
आज पढ़ा कि सुरेश रैना @ImRaina ने राहत कोष मेन बावन लाख रुपए दिए। दूसरी तरफ़ विराट कोहली ने अपने हेयर कट की फ़ोटो जारी की है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
आजकल नितिन गडकरी को सुनना अच्छा लगने लगा है। बहुत उदारता से बात करते हैं। एनडीटीवी पर बातचीत में उन्होंने इंदिरा गांधी की 1971 की जीत का हवाला दिया जब तमाम विरोधियों को हराकर इंदिरा जी ने अपनी पार्टी को बहुमत दिलवाया था। भाजपा के मरुस्थल में वे मरूद्यान की तरह लगते हैं।
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@prabhatranjann
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4 years
आप अनुवादक होना तो चुन सकते हैं लेकिन अपनी पसंद की किताब का अनुवाद करना नहीं चुन सकते।
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@prabhatranjann
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3 years
पंजाब चुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी @AamAadmiParty के आलोचकों को सदा के लिए शांत कर देंगे।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
आज टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पढ़ा कि यूपी में हिंदी में लाखों बच्चों के फेल होने का कारण यह है कि वे हिंदी में अंग्रेज़ी शब्द लिखने लगे हैं। कोन्फ़िडेंस, डिजिज, गुड, रूल जैसे शब्द उनको याद थे लेकिन इनके हिंदी वे भूल चुके थे। क्या अंग्रेज़ी हिंदी को विस्थापित कर देगी?
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
जो लोग अभी भी सरकार के बचाव में लिख रहे हैं उनके साहस और बेशर्मी की दाद देता हूँ।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
इसने साफ़ कह दिया कि कमजोर लोग मीडिया पर हमला करते हैं जबकि मजबूत लोग उसका इस्तेमाल करते हैं। और कितनी साफ़गोई चाहिए!
@AadeshRawal
Aadesh Rawal
3 years
यो भाई किसे दिन टीवी ते बैहर कूद जेगा 😀
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@prabhatranjann
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5 years
हिन्दू चला गया न मुसलमाँ चला गया इंसाँ की जुस्तुजू में इक इंसाँ चला गया -मजाज़ ने गाँधी की मृत्यु पर लिखा था
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@prabhatranjann
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4 years
कल तक सूर्य दक्षिणपंथी था आज से वामपंथी हो गया है!
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@prabhatranjann
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4 years
धीरे धीरे हिंदी अख़बार इतवार के दिन साहित्य शून्य होते जा रहे हैं। एक जमाने तक @omthanvi जी ने जनसत्ता को साहित्यिक बहसों के केंद्र में बनाए रखा था। अब वह भी साहित्य शून्य हो गया है। हिंदी अख़बार राजनीतिक खबरों और मनोरंजन में सिमट चुके हैं। विचार ग़ायब हो रहा है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
आगरा में हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम को वापस लिए जाने की खबर अंग्रेज़ी अख़बारों में प्रमुखता से छपी है। हिंदी अख़बारों में छपी भी है तो पीछे के पन्ने पर। यह हिंदी पत्रकारिता का वर्तमान है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
प्रेम नहीं रहेगा बस देशप्रेम रह जाएगा!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
नन्हा मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ/ बोलो मेरे संग जय हिंद जय हिंद जय हिंद!
@HardikPatel_
Hardik Patel
2 years
राष्ट्रहित, प्रदेशहित, जनहित एवं समाज हित की भावनाओं के साथ आज से नए अध्याय का प्रारंभ करने जा रहा हूँ। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूँगा।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
यह गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करने का समय है। आज पत्रकार समाज में वैमनस्य फैलाने में लगे हैं।जबकि गणेश शंकर विद्यार्थी ने साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए अपनी जान दे दी। सादर नमन
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
जसप्रीत बुमरा नरेंद्र मोदी स्टेडियम में अडानी एंड से बॉलिंग कर रहे हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
11 months
गांधी बनाम सावरकर की बहस ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि सावरकर का क़द बही उतना बड़ा था ही नहीं। यह बहस गांधी के क़द को गिराने के लिए की जाती है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
जिस किताब को आप दो घंटे में पढ़ सकते हैं जब उसमें आप 11 घंटे लगाते हैं तो उसको ऑडियो बुक कहते हैं
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
आज रवीश कुमार का पूरा व्याख्यान सुना। अंत में जब उन्होंने जय हिंद के साथ अपना व्याख्यान समाप्त किया तो उनकी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर जय हिंद कहने का मन हुआ। प्रायोजित राष्ट्रवाद के दौर में सच्चा राष्ट्रवादी वही है जो जनजन की आवाज़ बन गया है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
मुज़फ़्फ़रपुर में कंप्लीट लॉकडाउन है!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
कभी कभी मुझे लगता है कि प्रेमचंद साहित्य के गांधी हैं। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है उनकी व्याप्ति बढ़ती जा रही है। न गांधी को मिटाया जा सकता है न प्रेमचंद को। दोनों भारत के अमर प्रतीक हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
लॉक डाउन ने यह सिखा दिया है कि जीने के लिए कितने कम चीज़ों की ज़रूरत होती है। हम बेकार के तामझाम जुटाते रहते हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
हिंदी पट्टी में चाकर वृत्ति प्रधान है। आप अगर स्वतंत्र रूप से कोई कामकाज करते हैं, फ्रीलांसिंग करते हैं तो लोग आपको खाली समझते हैं। हमारे यहाँ नौकरी करने को ही काम समझा जाता है। स्वतंत्र होने को नहीं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
कल मुझे किसी संपादक ने टोका कि आपके लिखे में उर्दू के शब्द अधिक हैं। हिंदी के पाठक समझ नहीं पाएँगे। मैं अवाक रह गया।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
बारिश तेज हो रही है और मैं अपने घर के पास नोएडा बॉर्डर पर बैठे किसानों के बारे में सोच रहा हूँ। सरकार को जिनकी कोई चिंता नहीं
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
जिस उपन्यास का फ़्रेंच अनुवाद भी एक प्रमुख पुरस्कार की सूची में रहा, अंग्रेज़ी अनुवाद इंटरनेशनल बुकर की शॉर्ट लिस्ट में है, उस उपन्यास को उसकी मूल भाषा हिंदी में क्या मिला? यह घटना अपने आप में यह बताती है कि हिंदी में बौद्धिकता का कितना क्षरण हुआ है!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
6 years
दस पंद्रह साल पहले जिस एकाग्रता के साथ किताबें पढ़ लेता था अब उस एकाग्रता को पाना मुश्किल होता है। सोशल मीडिया, फ़ोन एक अच्छी किताब की रीडिंग को बार-बार बाधित करते हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
तुमको सुनकर ही लग रहा है किताब तुमने कभी उठाई ही नहीं है!
@shubhankrmishra
Shubhankar Mishra
2 years
My take on ‘किताब उठाएंगे तो कांवड’ उठाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। #AlZawahiri
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
आज सुबह टहलते हुए एक आदमी को फ़ोन पर बात करते सुना- ‘घर में दो सिलेंडर ऑक्सिजन रखवा लिए हैं। चिंता की कोई बात नहीं।’ ऑक्सिजन की क़िल्लत का एक कारण यह भी है। लोग स्वस्थ हैं लेकिन ऑक्सिजन ख़रीद कर जमा कर रहे हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
हिन्दू चला गया न मुसलमाँ चला गया इंसाँ की जुस्तुजू में इक इंसाँ चला गया -मजाज़ ने गाँधी की मृत्यु पर लिखा था
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
जब घटियापन का राज हो तो श्रेष्ठता का स्वप्न देखना राजद्रोह है! -मनोहर श्याम जोशी
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
यूपी में बाक़ी सब चुनाव जीतने के लिए लड़ रहे हैं लेकिन प्रियंका गांधी जी दिल जीतने के लिए लड़ रही हैं!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
'पत्रकारिता में अगर एक तथ्य भी गलत हो तो वह पूरे लेख को संदिग्ध बना देता है. इसके विपरीत उपन्यास में अगर एक तथ्य भी सही हो तो वह पूरी कृति को वैध बना देता है.' -गैब्रियल गार्सिया मार्केज़ (जयंती पर नमन)
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
अगर आप हर कहीं हाँ करते जाते हैं तो आपको कोई बहुत गम्भीरता से नहीं लेता। आपका रुतबा तब बनता है जब आप न कहना सीख जाते हैं। नए साल में यही सीखना है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
नींद खुली तो प्रसिद्ध लेखक मंज़ूर एहतेशाम साहब के निधन की खबर सुनी। एक बड़े किस्सागो को अंतिम प्रणाम!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
1 year
मैं यह सोचकर सिहर जाता हूँ कि जो पीढ़ी आज धर्म के नाम पर पगलाई हुई है वह कभी साहित्य की ओर लौट भी पाएगी!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
एक दफ़ा जब लेखन आपका बहुत बड़ा व्यसन और सबसे बड़ा सुख हो जाता है तो बस केवल मृत्यु ही आपको उससे दूर कर सकती है! -अर्नेस्ट हेमिंग्वे
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान -निदा फ़ाज़ली जयंती पर उनकी स्मृति को प्रणाम
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
लोकप्रियता किसी को इम्तियाज़ अली या पंकज त्रिपाठी जैसा विनम्र बनाती है तो किसी को कुमार विश्वास या मनोज मुंतशिर जैसा अहंकारी।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
हर इंसान तीन तरह की जिंदगी जीता है- सार्वजनिक, निजी और गुप्त! -गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
देश में ग़ज़ब शिक्षा विरोधी माहौल बनता जा रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों को बूढ़े विद्यार्थी कहा जा रहा है। यह बात लोगों के अंदर बिठाई जा रही है कि शिक्षा वहीं तक होनी चाहिए जिससे नौकरी मिल जाए। बाक़ी पढ़ाई लिखाई करके लोग अर्बन नक्सल बन जाते हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
महीने भर हीटर चलाने के बाद जब बिजली का बिल आता है तो उस दिन से ठं�� लगना अपने आप बंद हो जाती है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
लग रहा है इस बार तेजस्वी यादव @yadavtejashwi का राजयोग है?
@yadavtejashwi
Tejashwi Yadav
4 years
बोधगया में उमड़ा जनसैलाब। बिहार इस बार अच्छी शिक्षा, उत्कृष्ट स्वास्थ्य, प्रभावशाली विधि व्यवस्था, चहुँमुखी विकास, महिला सशक्तिकरण, नौकरी और रोजगार के लिए मतदान करेगा। हार देख कुछ लोग अब मुद्दों को भटकाने का असफल प्रयास करेंगे लेकिन युवाओं-महिलाओं को नौकरी और सुरक्षा चाहिए।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
गीतांजलि श्री की जगह अगर किसी भारतीय अंग्रेज़ी लेखक की किताब बुकर अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट होती तो आज ट्विटर पर ट्रेंड कर रही होती। यही सच्चाई है। हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल जाए तब भी अपने देश में उसका दर्जा वही का वही रहना है!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
7 years
आज इंदौर में राहत इंदौरी साहब से मुलाकात हुई। मित्र चित्रकार सीरज सक्सेना की चित्र प्रदर्शनी का उन्होंने उदघाटन किया। आज पता चला कि राहत साहब बड़े अच्छे चित्रकार भी हैं। @rahatindori
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
मुझे हमेशा से लगता रहा है कि मैं बहुत ज्ञानी हूँ क्योंकि मुझे पता है कि आज 1 अप्रैल है और आज अप्रैल फूल मनाया जाता है!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
हम हिंदी वालों की एक आदत है कि हम किसी को बड़ा बनाकर खुद को छोटा समझने का सुख उठाते हैं। हम अपने आपको बड़ा बनाने के बारे में सोचते ही नहीं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
टीआरपी के लिए सभी न्यूज़ चैनल गिरने की होड़ में थे। रिपब्लिक भारत ने पतन का ऐसा पैमाना सेट कर दिया है जिसको पार कर पाना मुश्किल होगा।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
अनुवाद एजेंसियाँ अनुवादकों को रोबोट समझती हैं। कल एक एजेंसी से फ़ोन आया, बोले साठ पेज है कल शाम तक दे देना। मैंने कहा, भाई गूगल से करवा लो। उसके अलावा एक दिन में साठ पेज अनुवाद कोई और नहीं कर सकता। आपके पैसे भी बच जाएँगे। उन्होंने कहा- आप जैसे बहुत मिल जाएँगे! :)
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
तुम्हारी मृत्यु में प्रतिबिंबित है हम सबकी मृत्यु— कवि कहीं अकेला मरता है -सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
सरकार से ज़्यादा रोज़गार तो यूट्यूब पैदा कर रहा है
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
‘शांत समुद्र कभी कुशल तैराक नहीं बनाते’- फ़्रैंक्लिन रूज़वेल्ट
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
एक ही पृथ्वी पर कितने बनारस
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
केशवदास तुलसीदास के समकालीन थे. तुलसी ने 'रामचरितमानस' तो उन्होंने 'रामचंद्रिका' लिखी। बादशाह अकबर ने केशवदास को दरबार में बुलाकर पूछा मेरे राज्य का सर्वश्रेष्ठ कवि कौन है? केशवदास- मैं. बादशाह बोले कि सब कहते हैं तुलसीदास और तुम अपना नाम ले रहे? केशवदास - वह भक्त है मैं कवि!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
‘भरी सर्दी में जाकर मुझे यह समझ आया कि मेरे भीतर एक अभेद्य ग्रीष्म है’ -आलबेयर कामू
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
7 years
मेरे एक मित्र ने ध्यान दिलाया कि पत्रकार मित्र लोग नीरव मोदी-नरेन्द्र मोदी का अनुप्रास तो मिला रहे हैं लेकिन मुकेश अम्बानी-विपुल अम्बानी के अनुप्रास को मिलाने से कतरा रहे हैं. कुछ मतलब समझ में आया क्या? :)
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
एक दुख ये कि तू मिलने नही आया मुझसे एक दुख ये है उस दिन मेरा घर खाली था -तहज़ीब हाफ़ी
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
जो बात सबसे दुखद है वह यह कि मुज़फ़्फ़रपुर में मर रहे बच्चों को लेकर देश के अलग अलग हिस्सों में लोग दुखी हैं, सोशल मीडिया पर आक्रोश दिखा रहे हैं लेकिन मुज़फ़्फ़रपुर में कहीं कोई प्रतिरोध नहीं है। यह डराने वाली बात है। बिहार का एक ऐतिहासिक शहर मर रहा है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
5 years
बर्तिल फाक की लिखी 'दि फ़ॉर्गोटेन गांधी' फ़िरोज़ गांधी की जीवनी है जिसमें फ़िरोज़ गांधी की तमाम बुराइयों की चर्चा है लेकिन यह कहीं नहीं है कि उन्होंने गांधी उपनाम बाद में अपनाया, कि वे खान थे। बहुत शोधपूर्ण किताब है। लेकिन संघी लोग ज्ञान के नहीं अज्ञान के पुजारी हैं।
@oneindiaHindi
Oneindia Hindi
5 years
स्वार्थ के लिए फिरोज ने अपने नाम संग 'गांधी' सरनेम जोड़ा, उमा भारती का कांग्रेस पर बड़ा हमला #loksabhaelections2019 #umabharti #bjp
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
आज से 73 साल पहले आज के दिन महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। इन 73 सालों में उनको मिटाने की बार बार कोशिश हुई लेकिन वे उतनी ही मज़बूती से उभरे। विद्वान पुरूषोत्तम अग्रवाल @puru_ag ने सही ही कहा है- मज़बूती का नाम महात्मा गांधी।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
आपके जीवन के दो सबसे महत्वपूर्ण दिन होते हैं, एक वह दिन जब आप पैदा होते हैं और दूसर वह जिस दिन आपको यह पता चल जाता है कि आप क्यों पैदा हुए हैं’- मार्क ट्वेन।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
मुज़फ़्फ़रपुर से एक युवा ने फोन पर बताया कि आपको लोग मुज़फ़्फ़रपुर का लेखक नहीं मानते, 'कोठागोई' लिखने के बावजूद, जो वहाँ की संगीत परम्परा पर है। मैंने कहा कि मुझे सीतामढ़ी के लोग भी अपना लेखक नहीं मानते और मुझे दिल्ली का लेखक भी नहीं माना जाता। आख़िर कोई लेखक कहाँ का होता है?
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
3 years
सब्ज़ियों की क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं। इसके ऊपर कोई चर्चा नहीं कर रहा। कुछ दिवालिया दिमाग वाले पत्रकार हिंदी और उर्दू पर चर्चा कर रहे हैं।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
2 years
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर के बारे में लिखा है कि वे ज्ञान के हाथी पर सवार थे। आज कल कतिपय विद्वान ज्ञान के कुत्ते पर सवार होकर सब पर भौंकते रहते हैं!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
वे ‘चिराग़’ को शमा समझ रहे थे वह तो परवाने की तरह जल गया!
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
#कंगना_को_दिलजीत_पेल_रहा_है ट्विटर पर नंबर वन पर ट्रेंड कर रहा है । क़रीब चालीस हज़ार ट्वीट हुए हैं।सोच रहा हूँ कि क्या हिंदी इसी तरह की भाषा में नंबर वन बन पाती है।
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@prabhatranjann
Prabhat Ranjan
4 years
मेरे घर के पास तीन सब्ज़ी वाले आते थे कल दो आए, आज एक। आज जो आया वह पूरा मोदीभक्त है। लेकिन जब मैं सब्ज़ी लेने गया तो बोला, 'सर मोदी जी को अब थोड़ा झुक जाना चाहिए। हमारे रोज़गार पर असर पड़ रहा है।' पुरानी कहावत याद आ गई- पीठ पर लात मारो पेट पर नहीं!
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5 years
मन करता है एक महीने के लिए पहाड़ पर जाकर कोई किताब लिखूँ। लेकिन हिंदी का लेखक हूँ, अगर फुल टाइम लेखक बनने का रिस्क लिया तो सड़क पर आ जाऊँगा। हिंदी में इसी कारण तात्कालिक लेखन अधिक और सार्वकालिक लेखन कम होता है क्योंकि वह पहले कमाता है फिर लेखन करता है। लिखकर कमाने की नहीं सोचता।
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5 years
बहुत तटस्थ होकर देखें तो नरेंद्र मोदी ने प्रेस कोनफ़्रेंस में चुप रहकर जितनी चर्चा बटोर ली राहुल गांधी बोलकर नहीं बटोर पाए। मीडिया का सारा ध्यान मोदी पर लग गया। राहुल जी ने क्या कहा किसी को याद नहीं मोदी का चुप रहना याद रह गया। मीडिया वार में तो मोदी जीत गए।
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2 years
आज सुबह ग़ालिब जयंती पर उनकी हवेली गया और आशीर्वाद माँगा
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3 years
दुख की बात ये है कि लड़ाई अतीत बनाम अतीत की चल रही है। भविष्य की किसी को चिंता भी है
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5 years
बेटी ने एक नया ज्ञान दिया कि नौंवी कक्षा में जब स्कूल में फ़्रेंच और हिंदी में एक भाषा चुनने का मौक़ा आता है तो अधिकतर बच्चे इसलिए फ़्रेंच चुन लेते हैं क्योंकि हिंदी बहुत डिफिकल्ट भाषा है। राहत की बात यह रही कि उसने हिंदी भाषा चुनने का फ़ैसला लिया क्योंकि पापा से पढ़ लेगी।
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2 years
दस साल बाद मेरी कहानियों का संग्रह आया है- ‘एक्स वाई का जेड’। दस साल पहले मेरा संग्रह प्रकाशित किया था मित्र लेखक गिरिराज किराड़ू के प्रतिलिपि बुक्स ने। इस संग्रह को प्रकाशित किया है मित्र लेखक पंकज सुबीर ने शिवना प्रकाशन से। @subeerin
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2 years
वचन कोई नहीं दे रहा। जिसे देखिए प्रवचन दे रहा है!
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4 years
अज्ञेय मुझे आज इसलिए भी ज्यादा प्रासंगिक लगते हैं क्योंकि वे मौन की महत्ता की बात करते थे। इतने शोरगुल भरे दौर में उनका मौन विद्रोह की तरह लगता है!
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4 years
धीरे धीरे यह स्थापित कर दिया गया है कि जो बौद्धिक, है तार्किक है वह वामपंथी है। चूँकि वामपंथी है इसलिए देशद्रोही भी है।
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5 years
नंदकिशोर आचार्य को हिंदी में साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है। वे आज भी उतने ही सक्रिय हैं जितने 50 साल पहले थे। प्रचार प्रसार से दूर वे लेखन में लगे रहते हैं। यह उनकी साधना को मिला पुरस्कार है।
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Prabhat Ranjan
2 years
देश में अभी ज़मीर की सुनने वाले लोग हैं!
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2 years
हिंदी में राजकमल और वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर बहुत भीड़ है लेकिन असली भीड़ पेंगुइन इंगलिश में दिखती है। लोग अंदर जाने के लिए लाइन लगाकर खड़े दिखे। हर साल मेले में इस दुःख को समझना पड़ता है कि अंग्रेज़ी की किताबें हिंदी की किताबों से कई गुना अधिक बिकती हैं।
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3 years
इंटरनेट ने हमें अच्छे पाठक से अधिक अच्छा संग्रहकर्ता बना दिया है। हम पढ़ते कम हैं संग्रह अधिक करते हैं!
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2 years
@ajitanjum सर, डीयू के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से भी पढ़ी है। हमारे विश्व विद्यालय का क्रेडिट आप क्यों गोल कर रहे हैं?
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3 years
कुछ किताबें पढ़ी नहीं जाती इतिहास की तरह आपके दिलो-दिमाग़ पर दर्ज हो जाती हैं। विनोद कापड़ी ⁦ @vinodkapri ⁩ की किताब ‘1232 km: कोरोना काल में एक असम्भव सफ़र’ एक ऐसी त्रासदी की बयानी है जिसे न याद रखा जाता है न भुलाया जाता है!
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6 years
मुझे साँप से डर नहीं लगता अंधेरे से डर नहीं लगता काँटों से बुझती लालटेन से डर नहीं लगता पर सज्जनो, मुझे क्षमा करना मुझे सज्जनता से डर लगता है! -केदारनाथ सिंह
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4 years
दिल्ली में अब सुबह ठंड जैसा महसूस होने लगा है। सुबह सुबह चिड़ियों का कलरव कम हो रहा है। कौवे तो बिलकुल नहीं बोलते। गिलहरी अब सुबह सुबह नहीं, धूप निकलने पर आती है। बदलाव की हल्की बयार बहने लगी है।
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@prabhatranjann
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4 years
आज ... की दुकान पर इतनी भीड़ थी कि मैं देश के राजस्व में अपना योगदान किए बग़ैर वापस आ गया।
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202