Yunus Khan
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RJ. विविध भारती। Poet, Columnist, translator, writer an Film & Film Music Enthusiast. हम तो आवाज़ हैं दीवारों से छन जाते हैं। Retweets are not endorsements.
Mumbai
Joined June 2009
फिल्म श्री 420 का ये दृश्य सिनेमा में मानवीय मूल्यों का बेमिसाल दस्तावेज है। अपनी कल्पनाशीलता, यथार्थ और लेखन में बेजोड़। जितनी बार इसे देखें, मन भीग जाता है। ये सिनेमा के परदे पर जीवन को धड़काता है। . ऐसे और कौन कौन से दृश्य आपको याद आते हैं?.#Shri420.#KhwajaAhmedAbbas
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पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपणिया का स्वर किसी और ही दुनिया में ले जाता है। निर्गुणी रचनाओं का संसार जहां "अहं" की जगह सब "वयं" है। .#PrahlaSinghTipaniya
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कव्वाली में कन्हैया की याद। फरीद अयाज़ क़व्वाल मुंशी रज़ीउद्दीन के बेटे हैं। ये "क़व्वाल बच्चों का घराना" कहलाता है। इसका ताल्लुक दिल्ली के दरबार से रहा है। फ़रीद अयाज़ कबीर भी गाते हैं और उनकी क़व्वाली में कन्हैया भी आते हैं। .#FaridAyaz.#KanhaiyaYaadHai
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स्वानंद किरकिरे का नया गाना आया है। ये किसी आम प्रेमगीत से अलग है। इसमें मेहबूब या मेहबूबा की कोरी तारीफ़ नहीं है। @swanandkirkire कहते हैं कि ये गाना असल में एक दूसरे को उसकी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करने का गीत है। मुझे ये गाना इस मायने में बहुत अनमोल लगता है।
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जरूरी नहीं कि अच्छे शायर अपने अशआर की अच्छी अदायगी भी करें। फ़ैज़ को ज़िया मोहिउद्दीन ने जितनी अच्छी तरह पढ़ा, उतना तो ख़ुद फ़ैज़ ने भी नहीं पढ़ा। "मुझसे पहली मुहब्बत मेरे मेहबूब ना मांग" की एक लाइन है "तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है"।.#faiz .#ziyamohiuddin
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बीते दिनों ये जादुई लम्हा घटते देखा।.म्यूजिशियन निर्मल मुखर्जी की याद में आयोजित एक कंसर्ट में (लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल की जोड़ी के) प्यारेलाल जी और राजेश रोशन मौजूद थे। किशोर सोढा ट्रंपेट लेकर पहली कतार में आ गए और उन्होंने कुछ इस तरह प्यारेलाल जी को सलाम किया। . #Kisoresodha
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बारिश में भीगा था मुंबई शहर उस दिन। दोस्तों के साथ "सत्या" देखने की योजना बनी। ये फ़िल्म आज तक ज़ेहन पर छाई है।.कुछ पटकथाएं समय से परे जाने की ताक़त रखती हैं। "सत्या" में वो जादू था. कितने करियर बने। बधाई @BajpayeeManoj @RGVzoomin @VishalBhardwaj @Apurvasrani @anuragkashyap72
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दिलीप कुमार ऐसे इकलौते अदाकार रहे हैं, जिन्हें कई ज़बानों में महारत हासिल थी। उर्दू बोलते तो ऐसी शाइस्ता की दिल अश-अश कर उठे। हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी या पश्तो बोलते तो लगता कि कोई झरना बह रहा है। पढ़ने का ऐसा शौक़ के क्लासि��� साहित्य पर घंटों बोल सकते थे। .#urdu.#DilipKumar
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पंचम के दीवाने सारी दुनिया में फैले हैं।.जबलपुर का श्याम बैंड खासा मशहूर है। .जरा देखिए सुनिए, ऐसा बैंड और ऐसी बारात होगी तो भला कोई क्यों ना थिरकेगा। .@p1j @irfaniyat @Raaggiri .#pancham.#RDBurman.#DuniyaMein
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गीतकार शैलेंद्र को केवल फिल्मी गीतों के लिए नहीं जाना जाये। उन्हें उनकी कविताओं के लिए भी याद किया जाना चाहिए। इप्टा मुम्बई ने कभी उनका यह जनगीत रिकॉर्ड किया था। संगीत सलिल चौधरी का था। पूरे देश में इप्टा की टोलियां इसे गाती रही हैं। .#IPTA.#शैलेन्द्र.#shailendra.#TuZindaHai
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दो दिसंबर की रात जब सोए, तो अंदाजा नहीं था कि अचानक आधी रात को दुनिया बदल जाएगी। तकरीबन किशोर वय. वो वक्त था साइकिल, क्रिकेट, गिल्ली डंडा, कॉमिक्स और सपनों की दुनिया का। तब जल्दी यानी रात नौ बजे सुला दिया जाता था, सुबह स्कूल जाना होता था। #BhopalGasTragedy . /2
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खुमार बाराबंकवी बेमिसाल शायर थे। उनका तरन्नुम में पढ़ने का वो अंदाज़। मुझे याद है दूरदर्शन पर जब मुशायरे आते थे, उन्हें खूब सुना। . दुश्मनों से प्यार होता जाएगा.दोस्तों को आजमाते जाइए।. वही फिर मुझे याद आने लगे हैं.जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं।.#khumar #खुमार
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दिल बैठा जा रहा है, लोग बिछड़ते जा रहे हैं। लोकेंद्र जी और शरद दत्त के बाद अब ये दिल चीरने वाली ख़बर आई है। आवाज़ की दुनिया में हमारे लिए रोशनी, हमारे आदर्श ज़िया मोहिउद्दीन नहीं रहे। . उनकी आवाज़ में फ़ैज़ को सुनिए "अब यहां कोई नहीं आएगा".#ZiyaMohiuddin
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ज़ोहरा सहगल एक रोशनी हैं।.एक बिंदास रचनात्मक जीवन। सोने पर सुहागा तब हुआ जब उन्होंने फ़ैज़ को पढ़ा। "मुझसे पहली सी मोहब्बत" ज़ोहरा से सुनने का मतलब है जज़्बात की बौछार। ख़ास तौर पर तब जब आप फ़ैज़ और ज़ोहरा दोनों के शैदाई हों। तो सुनिएगा:. #faiz .#zohrasehgal
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बशीर बद्र बहुत ही अज़ीज़ शायर हैं। उन्हें मुशायरों में पढ़ते देखा सुना है। मुंबई के कुछ random videos शूट किए थे। उन्हें इस्तेमाल करके बशीर साहब के अशआर जोड़ दिए हैं, अपनी आवाज़ में। . #bashirbadr
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कुछ तस्वीरों के बारे में कहा जा सकता है कि ये दुनिया की सबसे खूबसूरत तस्वीरें हैं। ऐसी तस्वीरों को बचाकर रखा जाना चाहिए। अगर ऐसी तस्वीरों की फेहरिस्त मैं बनाऊं तो उसमें यह तस्वीर ज़रूर आएगी। मुझे इस तस्वीर पर बड़ा प्यार आता है। इस आवाज़ को सलाम। इस तस्वीर के सदक़े। #JagjitSingh
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आज विश्व पुस्तक दिवस है। किताबों से मुहब्बत के नाम गुलज़ार साहब की ये नज़्म:. #gulzar.#WorldBookDay .#WorldBookDay2023
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अस्सी का दशक बड़ा प्यारा था। भोपाल शहर था और टीन-एज। 1984 का वो दौर रहा होगा। 1983 में क्रिकेट विश्व विजेता बनी थी भारतीय टीम। उसके बाद एक बदहवासी थी। दीवानगी थी क्रिकेट को लेकर। . @sachin_rt @rohangava9 .@cricketwallah .@imVkohli
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कुछ तस्वीरों के बारे में कहा जा सकता है कि ये दुनिया की सबसे खूबसूरत तस्वीरें हैं। ऐसी तस्वीरों को बचाकर रखा जाना चाहिए। मुझे इस तस्वीर पर बड़ा प्यार आता है। . Rinnkie K Gill जी की इस तस्वीर में हमारे जगजीत साइकिल चला रहे हैं। .इस आवाज़ को सलाम। इस तस्वीर के सदक़े।. #JagjitSingh
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बशीर बद्र से बेइंतिहा मुहब्बत रही है। उनके बहुत सारे शेर ज़बान पर रहते हैं। .एक मिनट के इस वीडियो में उनके कुछ बेमिसाल चुनिंदा अशआर हैं। . #bashirbadr @kavitaseth
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कबीर—1.कबीर गायकों पर मैं आज से एक श्रृंखला लिख रहा हूं। आज युवा गायक नीरज आर्या का जिक्र। नई पीढ़ी तक अपने "कबीर कैफे" के जरिए कबीर गायकी का विस्तार करने वाले नीरज की ऊर्जा और उनका संयम कमाल है। ये रचना सुनिए. मत कर माया को अहंकार,.मत कर काया को अभिमान .काया गार से कांची.#kabir
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जानेमाने सैक्सोफोन वादक मनोहारी सिंह मेटल फ्लूट भी बजाते थे और कम लोग जानते हैं कि फिल्मों में उन्होंने whistling भी की है। उनकी बजाई सीटी से कई गीत सज गए हैं। ये वीडियो @p1j के यूट्यूब चैनल से। .#ManohariSingh
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बेमिसाल गायिका वाणी जयराम का निधन हो गया है। वसंत देसाई ने उनसे 1971 में गुड्डी में "बोले रे पपीहरा" गवाया था। 1978 में पंडित रविशंकर के संगीत निर्देशन में उन्होंने गुलज़ार की फिल्म मीरा के सारे गाने गाए थे। ये मेरा पसंदीदा भजन। विनम्र नमन.#VaniJayaram
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आज प्राण का जन्मदिन है। उन पर @Archana__AIR ने फेसबुक पर एक दिलचस्प लेख लिखा है। उसका अनुवाद: . लता मंगेशकर ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि कभी कभी किशोर कुमार के साथ गाना रिकॉर्ड क��वाना बड़ा मुश्किल हो जाता था। उन्होंने फिल्म "हाफ टिकट" की बात कर रही थीं। #Pran #HalfTicket
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वे हिंदी सिनेमा में सौम्यता, शराफत, बौद्धिकता और असीम प्रतिभा की नज़ीर हैं। एक खानदान जो प्रतिभाओं की उर्वर जमीन बना। जहां से बलराज, भीष्म और फिर अजय यानी परीक्षित जैसे नगीने निकले।. #balrajsahni
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दूरदर्शन का वो दौर तिलस्मी था। और तब एक मासूम सा धारावाहिक आता था, (आज के संदर्भों में बेहद मासूम) "फिर वही तलाश"। .सबको मुहब्बत वाली इस कहानी से मुहब्बत थी। जाहिर है इसके जरिए भी मुहब्बत परवान चढ़ी होंगी। इसका टाइटल गीत चंदन दास ने गाया था। #phirwohitalash
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निदा फ़ाज़ली ने जब ये कहा, "दुनिया जिसे कहते हैं मिट्टी का खिलौना है" तो वो ज़िंदगी का निचोड़ लिख रहे थे। इसे जगजीत ने क्या ख़ूब गाया है। पर यहां किसी शाम शूट किए एक वीडियो पर हमने इस ग़ज़ल के कुछ शेर पढ़ दिए हैं और इस तरह एक शाम की याद को संजो लिया है। . #nidafazli.#निदाफ़ाज़ली
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आज फणीश्वर नाथ रेणु का जन्मदिन है।."मैला आंचल" के रचनाकर को हमारा नमन।.1954 में आया था यह उपन्यास। .और ये है पहले संस्करण की भूमिका. #renu.#phanishwarnathrenu .#फणीश्वरनाथरेणु
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आज मन्नू भंडारी की याद का दिन है। बासु दा ने "यही सच है" पर फिल्म बनाई थी "रजनीगंधा"। और फिल्म की कितनी कितनी बातें हैं जो बहुत प्रिय रही हैं। . ये फिल्म एक मिसाल है साहित्यिक कृतियों पर किस तरह सटीक फिल्में बनाई जा सकती हैं। नमन.#MannuBhandari #rajanigandha
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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं। .आज एक ऐसा गीत, जो कम लोगों ने सुना है। 1949 में किशोर कुमार ने ये गीत रिकॉर्ड किया था। यह एक ग़ैर फिल्मी गीत है, इसे लिखा है केशव त्रिवेदी ने जिन्होंने उस दौर में कई फिल्मों के गाने रचे थे। और संगीतकार हैं, बाला सिंह। .#IndependenceDay2022
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विविध भारती की सालगिरह सबको मुबारक। सन 1957 से आज तक गूंज रही है "विविध भारती". #vividhbharati #विविधभारती
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निर्मल वर्मा के जन्मदिन पर "लाल टीन की छत" के एक अंश का पाठ। मेरे पास इस उपन्यास का पहला संस्करण है, 1974 में प्रकाशित। निर्मल जी की लेखनी से बहुत लगाव सदा से रहा है। एक नशे के तहत एक के बाद एक उनकी रचनाएं पढ़ी थीं। आज ये अंश उन्हें नमन करते हुए।.#nirmalverma
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वसीम बरेलवी को दूरदर्शन के ज़माने में मुशायरों में सुनते तो उनके अशआर डायरी में उतार लेते थे। ऑडियो रिकॉर्ड भी कर लेते थे। आज ये ग़ज़ब के शेर सुने तो क्या क्या याद आ गया। #waseemBarelvi.#वसीमबरेलवी
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‘मेरी समझ में नहीं आया, कल तक आप लगती थीं चालीस साल की एक औरत, जो ज़िंदगी की हर ख़ुशी, हर उमंग, हर उम्मीद पीछे कहीं रास्ते में खो आयी है और आज लगती हैं सोलह साल की बच्ची. भोली, नादान, बचपन की शरारत से भरपूर. ’ .रोज़ी एक रिबेल है। #waheedarehman
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आज बाल दिवस है।.हिंदी के कुछ प्रसिद्ध कवियों ने बाल कविताएं रची हैं। ये है सुमित्रानंदन पंत की कविता "चांद का कुर्ता". @SrBachchan @satya_nirupam @Hindi_Kavitaa
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कबीर 2. कबीर गायकी की श्रृंखला में आज हमारे मध्यप्रदेश का वो स्वर, जिसे बचपन से सुना है, प्रहलाद सिंह टिपानिया। उनके स्वर की गूंज सात समंदर पार तक गई है। जब वो कबीर को गाते हैं तो अलग ही कैफियत हो जाती है। .#Kabir.#PrahladSinghTipania
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शहंशाह की इन बेहिसाब बख्शिशों के बदले ये कनीज़ ज़िल्ले इलाही जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को अपना खून माफ करती है. दुनिया की तमाम खूबसूरत नायिकाओं की जिंदगी पर किसी अभिशाप का साया रहा है। . Remembering #Madhubala
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