,,,,,’जीवन भवसागर है’ "प्राणी का एक नाम है"
,,,,,’प्रत्येक प्राणी एक यात्री है’ "जीवन यापन एक यात्रा है"
,,,,, नाविक सृष्टि का रचयिता (ईश्वर ) है जो स्वयं अदृश्य रहकर भी इस पूरी सृष्टि को चला रहा है
,,,,, परिवार, रिश्तेदार, मित्र, संबंधी, और समग्र समाज इस यात्रा के सहयात्री