पाटल की रौनक, पाटल की दीप ज्योति हूँ
सागर की गहराई, पर्वत की ऊँचाई हूँ
अमरावती की कुंज गली का, मैं अनुपम दृश्य हूँ
शांतिबोध की अर्चना का, मैं शंखनाद हूँ
कृष्ण की मुरली की तान, राम की धारणा हूँ
गौतम की अहिंसा, विवेकानंद का दर्शन हूँ
शंकर का अभिमान, हर्षवर्धन का स्वाभिमान हूँ