जिनके ऊँचे भाल से गगन रहा शरमाय,
अमर शहीदों को करें वंदन शीश झुकाय,
अपने खूँ से सींचते चमन देश का रोज,
सारा देश पखारता उन के चरण सरोज
मन कैसे कविता लिखे शब्द हो गये मूक,
मूल्य चुकाना जो पड़ा थी अपनी ही चूक,
शहीद नखतसिह भाटी अमर रहे है 🙏💐💐💐
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