सर्दियों को सुनूँ, धूप की छाँव में
गुनगुनी हो उठूँ, धूप की छाँव में
छाँव की छाँव में, जान जाने लगी
तन ने पाया सुकूँ, धूप की छाँव में
जिनके जाने से हैं सर्द ये सर्दियाँ
उनकी यादें बुनूँ, धूप की छाँव में
मत करो ज़िक्र उनका 'किरण'हर घड़ी
मैं दहकने लगूँ,धूप की छाँव में
-कविता"K"