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Hemant Sharma

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देश के सबसे बड़े न्यूज नेटवर्क TV9 में News Director। बाबरी ध्वंस के वक्त विवादित इमारत से कोई सौ गज दूर था। कारसेवा, शिलान्यास, विवादित ढांचा खुलने का चश्मदीद

Noida, India
Joined August 2018
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@hemantsharma360
Hemant Sharma
5 years
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके।आज अयोध्या जीत गयी।यह आस्था की जीत है।आभार @narendramodi ji.
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Hemant Sharma
3 months
आभार @PiyushGoyal जी देश के सबसे बड़े ने समाचार नेटवर्क @Tv9Network के कार्यक्रम में पधारने के लिए।
@PiyushGoyal
Piyush Goyal
3 months
जो महा विनाश अघाड़ी जनता को गरीबी के दलदल में ही देखना चाहती है, उसे हराने के लिए सब एकजुट होकर वोट करने वाले हैं
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Hemant Sharma
3 months
आभार @Dev_Fadnavis जी देश के सबसे बड़े समाचार नेटवर्क @Tv9Network पर पधारने के लिए।
@Dev_Fadnavis
Devendra Fadnavis
3 months
My complete interaction at Tv9 Bharatvarsh - What India Thinks Today (WITT) - Satta Sammelan Maharashtra. @TV9Bharatvarsh @hemantsharma360 #Maharashtra #Mumbai #MaharashtraElection202
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Hemant Sharma
3 months
RT @Dev_Fadnavis: My complete interaction at Tv9 Bharatvarsh - What India Thinks Today (WITT) - Satta Sammelan Maharashtra. @TV9Bharatvarsh
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Hemant Sharma
4 months
BIG BOSS में नहीं , अब @TV9Bharatvarsh पर रोज मिलेंगे @shrianiruddhaji जी महराज। सुबह 7.20 पर ।महाराज का मंत्र में । #maharajkamantra
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Hemant Sharma
5 months
गणपति बप्पा मोरिया।
@TV9Bharatvarsh
TV9 Bharatvarsh
5 months
गणपति से जुड़े मिथकों में छिपे गूढ़ अर्थों को समझना है जरूरी #GaneshChaturthi #LordGanesha | @hemantsharma360
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Hemant Sharma
7 months
@mausamii2u विनम्र श्रद्धांजलि
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Hemant Sharma
9 months
क्या चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया है? क्या प्रधानमंत्री @narendramodi ने वॉर रुकवा दिया था ? TV9 भारतवर्ष के खास शो में विदेश मंत्री @DrSJaishankar ने दिया सभी सवालों का जवाब देखिए एस जयशंकर & 5 एडिटर्स कल सुबह 9.55 बजे l
@TV9Bharatvarsh
TV9 Bharatvarsh
9 months
DU और JNU में कौन बेहतर? बेहतर विदेश मंत्री कौन? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया जवाब देखिए @DrSJaishankar & 5 एडिटर्स कल सुबह 9.55 बजे #TV9Bharatvarsh पर @nishantchat के साथ
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Hemant Sharma
9 months
प्रधानमंत्री @narendramodi ने पहली बार चुनाव बाद की राजनीति के पत्ते खोले।@tv9Network के इन्टरव्यू में कहा “ आज मैं पत्ते खोल ही देता हूँ।” देश के सबसे बडे न्यूज़ नेटवर्क पर अब तक का सबसे बड़ा इंटरव्यू। देखिए आज रात 8 बजे से लगातार। @TV9Bharatvarsh सहित@Tv9Network की सभी सात भाषाओं में।  धन्यवाद @narendramodi जी इन्टरव्यू के लिए और टीवी 9 समूह को देश सबसे बड़ा नेटवर्क मानने के लिए। #PMModiOnTV9 | #LokSabhaElections2024
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@hemantsharma360
Hemant Sharma
10 months
पंडित जी नाद की उपासना से अनहद की खोज में चले गए।उनके जाने से ख़्याल गायकी का वह शिखर शून्य हो गया जिससे बनारस घराने की ऊँचाई नापी जाती थी।वे बनारस घराने के वैश्विक प्रतिनिधि थे।उनके असमय अवसान से समूची दुनिया में ख़्याल गायकी का परचम लहराने वाली उनकी संगीत यात्रा  ‘भैरव से भैरवी‘ तक ठहर गयी। पंडित जी मानते थे संगीत जीवन की आत्मा है ,भक्ति है ,शक्ति है।इसी पर सवार होकर अनंत की दौड़ लगायी जा सकती है। तो इसी संगीत को साध वो अनंत में लीन हो गए।  वे भुलाए नहीं जा सकते। उनकी स्मृति को प्रणाम।
@richaanirudh
richa anirudh
10 months
आज 3 साल हो गए पं राजन मिश्र को गए हुए..लेकिन यकीन ही नहीं होता कि वो नहीं हैं... बहुत याद आते हैं तो उनका गायन सुन लेती हूं.. उनका संगीत और उनका आशीर्वाद तो हमेशा हमारे साथ रहेगा 🙏 @maliniawasthi @hemantsharma360 @Raaggiri @YRDeshmukh @Shivendrak @AalokTweet
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@hemantsharma360
Hemant Sharma
11 months
महाभारत को पॉंचवा वेद कहा जाता है।पर इस पांचवे वेद का नायक कौन है यह सवाल बड़ा है।इसलिए कहा गया है  यन्‍न भारतस्‍य तन्‍न भारतस्‍य .. जो महाभारत में नहीं वह कहीं नहीं है. इस अद्भुत और ��िश्व के अनोखे ग्रंथ का नायक हम किसे मानें भीष्‍म को, अर्जुन को, युध‍िष्‍ठ‍िर को, कृष्‍ण को या स्‍वयं महाभारतकार द्वैपायन व्‍यास को जो महाभारत के प्रत्‍येक महत्‍वपूर्ण प्रसंग में स्‍वयं एक पात्र रहे हैं। असंख्‍य आख्‍यानों उपाख्‍यानों से सजी इस महान ग्रन्थ के पूर्वार्ध में हमे भीष्‍म के नायक होने का बोध होता है फिर अचानक व्‍यास का नायकत्‍व उभरता है. मध्‍य में युध‍िष्‍ठ‍िर नायक बनते दिखते हैं फिर अर्जुन का नायकत्‍व प्रकट होता है फ‍िर अचानक वासुदेव कृष्‍ण पूरी युद्ध लीला के केंद्र में आ जाते हैं।कथा बढती है तो नायक बदलते जाते हैं पर खलनायक एक ही है।महाभारत के खलनायक दुर्धर्ष दुर्योंधन पर कोई विवाद नहीं।जिस दुर्योधन के कारण इतना बड़ा विनाश हुआ  उसे और शकुनि छोड़कर पूरे महाभारत को कोई यह नहीं चाहता था कि यह महायुद्ध रचा जाए।महाभारत काल से जिस खलनायक की ऐसी प्रतिष्ठा हो उसमें नायकत्व ढूँ���ना प्रो डॉ संदीपा दास का भगीरथ प्रयास है।महाभारत की कथा को आधुनिक सन्दर्भों में देखने और  इतिहास के एक क्रूर खलनायक में ‘नायकत्व’ के गुण ढूंढना निश्चित रूप से डॉ संदीपा बधाई की पात्र है।डॉ संदीपा दास अंग्रेज़ी साहित्य की प्रोफ़ेसर हैं।उनकी भाषा,सहज सरल और प्रवाहमयी है। उनकी नई किताब #Duryodhana : Revising the legacy महाभारत की कथा को नए सिरे से देखती है।   दुर्योधन भारतीय इतिहास का एक ऐसा चरित्र है। जिसने केवल दो गलती की, एक द्रौपदी का चीरहरण और दूसरे लाक्षागृह में पांडवों को छल से मारने का षड्यंत्र करना।इन दो गलतियों के कारण वह हमेशा कलंकित रहा। उसकी वीरता, उसका रणकौशल, दोस्ती के लिए किसी भी हद तक जाने का उसका गुण और उसका गदा कौशल इन सबकी कोईख़ास चर्चा नहीं हुई। जीवन की सिर्फ दो गलतियाँ उसके सारे गुण पर भारी पड़ी।   महाभारत के युद्ध में सत्य और नैतिकता की मर्यादा सिर्फ कौरवों ने ही नहीं, पांडवों ने भी तोड़ी। किसी ने ज्यादा किसी ने कम।दुर्योधन का अंत जिस तरह कृष्ण की देखरेख में छल के साथ किया जाता है। कृष्ण के इशारे पर भीम उसकी जांघ पर प्रहार करते हैं। जबकि युद्ध के नियमों के तहत कमर के नीचे वार प्रतिबंधित था।अठारहवें दिन युद्ध के अंतिम दृश्य में वह कुरुक्षेत्र में कराह रहा होता है। यहीं से सही और गलत के बीच एक बहस छिड़ जाती है। दुर्योधन के प्रति सहानुभूति पनपती है। उसके ‘नायकत्व’ की शुरुआत होती है। अधर्म के जरिए मारे जाने के बावजूद दुर्योधन ऐसा खलनायक बनता है। जिसमें जनता नायकत्व ढूंढती है। महाभारत काल से पहले हमारे यहां आदर्श राज्य व्यवस्था और उसे हासिल करने की एक एक आदर्श और नैतिक नीति थी।लेकिन महाभारत काल में राज्य व्यवस्था में ‘साम’, ‘दाम’,‘दंड’, ‘भेद’ राजनीति के मूल्य बन गए। इसमें छल कपट भी जुड़ गया। कृष्ण और शकुनी दो चरित्र ऐसे आमने-सामने खड़े हो गए जिनकी धर्म की अपनी व्याख्या है। इसी प्रतिशोध, बदले और महत्वाकांक्षा की आग में दुर्योधन राजनीति के अपने औजार गढ़ता है। दुर्योधन की मौत से पहले ‘शल्यपर्व’ में कृष्ण और दुर्योधन के बीच संवाद है।उसमें दुर्योधन की मनोव्यथा है। जिसमें उसके व्यक्तित्व को पढ़ा जा सकता है। दुर्योधन ने मरते समय कहा, “कृष्ण ने कुरुकुल का अधर्म से नाश किया। जबकि उनका दावा था कि यह धर्मयुद्ध है।” दुर्योधन अगर ये दो गलतियाँ न करता तो इतिहास उसे ‘सुयोधन’ कहता. संदीपा जी की किताब महाभारत कथा की नई जमीन जोड़ती है।अनछुए पक्ष को उजागर करने के लिए फिर उन्हें बधाई।दुर्योधन के साथ जो अन्याय हुआ उसे डॉ दास ने न्याय दिलाने  की चेष्टा की है। @justbarundas
@justbarundas
Barun Das
11 months
Hemant Sharma @hemantsharma360 and his wife Veena ji joined us in the presence of friends and family to unveil the book 'Duryodhana: Revisiting the Legacy' authored by my wife Sandipa.
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Hemant Sharma
11 months
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के फ़ौरन बाद रामलला के दर्शन के लिए जाने वाले मुख्यमंत्रियों में @ArvindKejriwal पहले थे।मैने अपनी किताब ‘राम फिर लौटे’ उन्हें भेंट की।इस फ़ोटो के ठीक पीछे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर है। अंबेडकर ने राम को राजा नहीं व्यक्तित्व का शिखर माना।तुलसी भी कहते हैं कि राम राजा होते हुए भी साम्राज्यवादी नहीं हैं।राम जातिवादी नहीं हैं।राम न क्षेत्रवादी हैं न विस्तारवादी।राम न सामंतवादी हैं न जातिवादी।राम अंत्योदय से सर्वोदय का मार्ग हैं । यही मार्ग महात्मा गांधी से लेकर बाबा साहेब ने दिखाया।राम राजा होकर भी लोकतंत्र के रक्षक हैं ।अरविंद केजरीवाल ने जिस पूर्ण स्वराज के संघर्ष का नारा दिया वो नारा सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने दिया था।जिसे बाद में गांधी ने भी अपनाया।लेकिन उस स्वराज के सपने के मूल में राम थे, राम की अयोध्या थी।राम विचारधाराओं से नहीं बंधे बल्कि राम खुद एक विचार हैं।आज की राजनीति में राम का दर्शन पूर्णत: प्रासंगिक है। #ramphirlaute
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Hemant Sharma
11 months
��ांधी के बिना भारत का वैश्विक विमर्श अधूरा है।गांधी को समझने के सूत्र में राम हैं।राम का नाम लेकर ही गॉंधी ने आज़ादी की लड़ाई को रफ़्तार दिया।गांधी के विचार राम राज्य के विचार थे।इस लिहाज़ से आज़ादी का आन्दोलन भी रामाश्रयी चेतना का आन्दोलन था। यह संयोग ही था कि गॉंधी की तस्वीर के नीचे मैनें कांग्रेस अध्यक्ष @kharge मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी किताब ‘राम फिर लौटे’भेंट की।कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है।रामजन्मभूमि मामले में जाने अनजाने उसका भी योगदान रहा पर इस सवाल पर वह हमेशा दुविधा में रही ।१९४९ में जब उस विवादित इमारत में मूर्तियाँ रखी गयी तो देश और प्रदेश में कांग्रेस का राज था।जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री और गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।जब ताला खुला और रामलला को ज़ंजीरों से ���ुक्ति दी गयी तो भी दोनों जगह कॉंग्रेस का राज था।राजीव गांधी प्रधानमंत्री और वीरबहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।जब अयोध्या में प्रस्तावित मंदिर का शिलान्यास हुआ तो राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री और नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। जब ढाँचा गिरा तो देश के प्रधानमंत्री नरसिंह राव थे। और ढॉंचे के गिरने के बाद जब वहॉं अस्थायी मंदिर बन रहा था तो उतर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन यानी केन्द्र का राज्य था।पर कॉंग्रेस इस पूरे मामले में हमेशा इस भ्रम और दुविधा में रही कि इसका श्रेय लिया जाए या नहीं।वो एक कदम आगे चल दो कदम पीछे लौटती रही।इसका उसे नुक़सान हुआ। राम राज्य़ की भावना हमारे संविधान में निहित है।गांधी का राम राज्य लोकमंगल से जुड़ता है।अयोध्या उसी लोकमंगल की जननी है।जिसका ज़िक्र मैंने अपनी पुस्तक में किया है।राम की कहानी त्याग और संघर्ष की कहानी है।संघर्ष की तपिश ही सफलता को जन्म देती है।राम का नाम लेकर ही हाड़-मांस से बना हुआ गांधी अंग्रेजी साम्राज्य से लड़ गया था।गांधी के रामराज्य के सपने को देखकर ही देश आजाद हुआ था।कांग्रेस संघर्ष के दौर में है।संघर्ष का रास्ता ‘राम’ ने भी दिखाया है और ‘मोहन’ ने भी। #ramphirlaute
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Hemant Sharma
11 months
मित्रवर @asadowaisi मानते हैं कि बाबरी मस्जिद अभी ज़िन्दा है।उन्हे यह बताने के लिए कि इस देश की पहचान राम से है न की बाबर से मैंने अपनी किताब ‘राम फिर लौटे’ उन्हें भेंट की ।बहुत से लोगों को इस तस्वीर पर ताज्जुब हुआ।मुझे ताज्जुब इस बात पर हुआ कि इसमें ताज्जुब की क्या बात है।जिन्हें ताज्जुब हुआ वो शायद ओवैसी साहब को सिर्फ टीवी के जरिए जानते हैं।मेरी और ओवैसी साहब की दोस्ती में टीवी का पर्दा नहीं है।राम का सम्मान जितना मेरे दिल में है, उतना ही जनाब ओवैसी के दिल में भी है।संसद में ओवैसी ने इसका ऐलान भी किया था।फैजाबाद के मौलाना अमीर अली और बाबा चरणदास की दोस्ती की कहानी भी सुनाई थी। मैंने अपनी किताब में कहा है कि भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यवत्ता और संयम का नाम ही राम है।अयोध्या सिर्फ़ एक शहर नहीं एक समदर्शी विचार है।अगर आप इस तस्वीर को राजनीति के चश्मे से नहीं देखेंगे,तो इसकी तासीर में मौलाना अमीर अली और बाबा चरणदास दिखाई देंगे।कवितावली में “धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।माँगि कै खैबो, मसीत में सोईबो, लैबो को, एकु न दैबे को दोऊ॥ “ लिखने वाले मस्जिद की सीढ़ी पर बैठे बाबा तुलसी दिखाई देंगे।तुलसी और रसखान की मित्रता दिखाई देगी।कबीर की वाणी दिखेगी।राम सबके हैं।मेरे अलग हो सकते हैं।आपके अलग हो सकते हैं।असदुद्दीन ओवैसी के भी अलग ।आख़िर तुलसी,कबीर,भवभूति, बाल्मिकी,रैदास सबके राम अलग अलग हैं न। #ramphirlaute
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Hemant Sharma
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किताबें ज्ञान का सबसे सशक्त ज़रिया है।गृहमंत्री @AmitShahOffice का पुस्तक प्रेम जगज़ाहिर है वे गजब के पढाकू हैं।आर्ष ग्रन्थों के वे गहन अध्येता हैं।2006 के बाद से अब तक वे कभी विदेश यात्रा पर नहीं गये हैं।काम के बाद का समय पढ़ने में जाता है।इतिहास के अध्ययन में उनकी खास रुचि है।अध्यात्म चिंतन में उनका नजरिया साफ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा किसी स्कूल में नहीं गायकवाड़ स्टेट के प्रमुख शास्त्रियों की देख रेख में 'भारतीय मूल्य परंपरा' के अनुसार आठवें साल में शुरू हो गयी थी ।भारतीय शास्त्रों, ऐतिहासिक ग्रंथों, व्याकरण तथा महाकाव्यों का अध्ययन उन्हें बचपन में कराया गया।इसलिए किताबों से उन्हें अपार प्रेम है। अमित शाह खुद तो पढ़ते ही हैं।कार्यकर्ताओं में पढ़ने की रुचि पैदा करने के लिए किताबों का अक्सर सन्दर्भ लेते हैं। इसीलिए उन्होंने भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में एक बड़ा आधुनिक पुस्तकालय बनवाया है। पिछले दिनों जब मैने अमित शाह को ‘राम फिर लौटे’ भेंट की तो सोच रहा था कि इस पुस्तक का गंतव्य क्या होगा।फिर सोचा,न विचार का कोई गंतव्य ��ै न राम का।दोनों असीम हैं।दोनों सीमाओं से मुक्त हैं।मैं सौभाग्यशाली हूं कि अयोध्या की गलियों से,सत्ता के शीर्ष तक इस पुस्तक को अपने पाठक मिल गए।वैसे भी पुस्तक की पहचान पाठक से होती है।तस्वीरों में मेरे पाठक की मुस्कान ही मेरा लेखकीय श्रम सार्थक करती है। @prabhatbooks #TV9BharatvarshSattaSammelan #ramphirlaute
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Hemant Sharma
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टीवी 9 What India Thinks Today सम्मेलन के ऊर्जा केंद्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे।ये तस्वीरें उसी ऊर्जा की चश्मदीद है।कार्यक्रम स्थल पर आते ही हमने प्रधानमंत्री जी का स्वागत किया और मैनें अपनी पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ उन्हें भेंट की।फिर क्या बात हुई वो क़िस्सा इसी हंसी में छिपा है ।वैसे भी जब तस्वीर बोलती हो तो शब्दों का क्या काम ? #TV9WhatIndiaThinksToday #TV9BharatvarshSattaSammelan #WITT2024 #NarendraModi
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