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खाली वक़्त
@duniyakasach
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राजनीति और ब्यूरोक्रेसी भारत में रोज़ नये जूते बदलती है जनता का काम सिर्फ चाटकर चमकाना है
Joined July 2024
#बज़्म #नित दिन टूट जाता है इक ख्वाब #रोज़ एक नया फिर ख्वाब बुनते है #हमेशा की तरह रूठ जाता है फिर #सदा के जैसे फिर बस हम मनाते है इन अठखेलियों में गुजर जाता है दिन हर उदास रात में वो फिर हमें जगाते है
#बज़्म_काव्य_मंच में आज 13/2/2025 का दैनिक शब्द - #नित कवितायें, कहानियाँ, शेर, ग़ज़ल, गीत, नज़्म क��छ भी लिखा जा सकता है , #बज़्म 👈 लगाना अनिवार्य है।
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#बज़्म दिल #रोज़ एक नयी बगावत चाहे है इश्क में रस्मो रिवाज की बाते न होती गम भी वही खुशी की वजह वही #नित दिन तडपे मुलाकात न होती ऐसे जिद करता जैसे जाने #हमेशा से कैसे जीता मन जो ये सौगात न होती #सदा के लिये रूह लगती है बेफिक्र सी अश्क बहते है रुक रुक बरसात न होती
#बज़्म_काव्य_मंच में आज 13/2/2025 का दैनिक शब्द - #नित कवितायें, कहानियाँ, शेर, ग़ज़ल, गीत, नज़्म कुछ भी लिखा जा सकता है , #बज़्म 👈 लगाना अनिवार्य है।
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@rajkr1975 अभी जिंदगी को बड़ी मुश्किल से फुर्सत दी है जिम्मेदार होने की. आपको जो भी पठन सामग्री जिस विषय पर चाहिये आप लिख दें, मिल जायेगी. कब मिलेगी इसके लिये आप प्रश्न नहीं करेंगे.
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@_sayema इंसानों में इंसानों से ज्यादा आबादी जानवरो की खुदा ने कुछ रूहे बख्शी होगी नाराज होकर भी
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#बज़्म दिलो के रूहो से बंधे जो बंधन यें इतने सच्चे के जैसे दिन रात! वक़्त लाख इम्तिहाँ लें मगर फिर भी न जज्बा हल्का हो न आये कोई #आँच! जीने की हर आरजू को सींचती है कुदरत फूल खिलते अरमानों में जैसे कोई सौगात!!
#बज़्म_काव्य_मंच में आज 12/2/2025 का दैनिक शब्द - #आँच कवितायें, कहानियाँ, शेर, ग़ज़ल, गीत, नज़्म कुछ भी लिखा जा सकता है , #बज़्म 👈 लगाना अनिवार्य है।
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@EchoNests @SahityaPankti @KavyaKutir @iamAshwiniyadav @prashnt_chandel @poet_savan @shabdsahity @saurabh_s28 @YadavAnvi72085 @imanu_priya @mukeshdeshka प्रेम कभी अलविदा नहीं होता, रूह इसे अपने भीतर संजो कर रखती है, यें यात्रा करता है रूह के साथ साथ, जिसका रूह से संपर्क नहीं वह कभी प्रेम को जान ही नहीं सकता.
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@_sayema आप गीत ध्यान से सुने एक बार,आपसे गुज़ारिश है यें गीत प्रेम पुजारी में लिखने के 12 साल बाद इस्तेमाल हुआ था. आप नीरज के साहित्य को पढ़े,आपको बेहतर लगेगा कवि सिर्फ उड़ने की कल्पना नहीं लिखता है वह ज़मीन की गहराई में भी उतर जाता है आपकी प्रस्तुति मन भावन होती है आपकाे शुभकामनायें
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@_sayema गीत में कुदरत के नशे की बात है मिट्टी और फूल की खुशबू का नशा, आप सही हो, मेरी भी यहीं कामना है पर सराब शब्द इक़बाल की देन है साहित्य में. यें कश्मीरी शब्द है जिसे कई गीतकारों और शायरों ने इस्तेमाल किया है
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