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The Poetic House

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India
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आधुनिकता वह है जिस पर अतीत अपना दावा न कर सके। — धूमिल
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रहा देखेंगे तेरी...
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मैं जा रही हूँ – उसने कहा जाओ – मैंने उत्तर दिया यह जानते हुए कि जाना हिंदी की सबसे खौफनाक क्रिया है। — केदारनाथ सिंह
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7 hours
अपने भीतर जाओ और एक नमी को छुओ देखो वह बची है या नहीं इस निर्मम समय में — मंगलेश डबराल
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— वेंडेल बेरी
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दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं, देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन। — परवीन शाकिर
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जब सल्तनत से दिल की ही रानी चली गई, फिर क्या मलाल तख्त गया या किला गया।। — स्वयं श्रीवास्तव
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रात आ कर गुज़र भी जाती है इक हमारी सहर नहीं होती — इब्न-ए-इंशा
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अमृत और मृत्यु दोनों इस शरीर में ही स्थित हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है। — वेद व्यास
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एक बूढ़ी स्त्री ने जब अपनी दवा की पर्ची के साथ अपने बेटे की तरफ एक मुड़ा-तुड़ा नोट भी बढ़ाया तो अहसास हुआ कि ये दुनिया वाक़ई बीमार है। — मणि मोहन
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"दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे साथ चलने को जानते थे। — विनोद कुमार शुक्ल
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गिरे को उठाना कितने ऊँचे का काम है; जिसे सब नफ़रत करते हैं उसे प्यार करने के लिए कितनी हिम्मत चाहिए; — हरिवंशराय बच्चन
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ज़रा सा वक़्त तो दे ज़िंदगी मुझ को सँभलने का बुरा हो वक़्त तो कुछ वक़्त लगता है सँभलने में — शिवकुमार बिलग्रामी
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तेरा मिलना ऐसे होता है जैसे कोई हथेली पर एक वक़्त की रोजी रख दे — अमृता प्रीतम
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जिस तबाही से लोग बचते थे वो सर-ए-आम हो रही है अब — दुष्यंत कुमार
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साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय।। — कबीरदास
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इसलिए नहीं डरते कि मरना बहुत खराब होता है, इसलिए डरते है जीना अच्छा लगता है। — अज्ञेय
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दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट में प्राण! — तुलसीदास
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