![चाय, इश्क और राजनीति। Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1606714096875098112/7PCNRilO_x96.jpg)
चाय, इश्क और राजनीति।
@chayisquerajnit
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गांधीवादी/क्रिकेट/मूवी/राजनीति/इश्क/इतिहास/विचार/अमृता प्रीतम/परवीन शाक़िर और ख़त लिखने वाला।
india
Joined October 2022
मेरे प्यारे वरुण। @varungrover एक गाना मेरे प्लेलिस्ट में वर्षों से बज रही थी। इन वर्षों का कोई हिसाब मांगे तो ये कहना कि तकरीबन 7 साल से। इन 7 सालों में वो गाना, मैं शराब पीते हुए, सड़क पर चलते हुए कानों में हेडफोन डाले हुए,और जीम में 120kg का डेडलिफ्ट मारते हुए, मेरे कानों से तकरीबन 500 बार होकर गुजरी होगी। जब साहित्य और मोहब्बत के प्रति मेरा झुकाव ज्यादा हुआ तो जानना जरूरी हुआ कि ये गाना किसने लिखा है, क्योंकि छोटा मोटा ही सही एक लेखक तो हूं ही, और उससे भी बढ़कर एक बहुत बड़ा पाठक हूं मैं। पाठकों का रुचि हमेशा शब्दों पे होता है। जब शब्दों का झुकाव इतना ज्यादा हो गया कि मैं उस गाने को संभालने के काबिल नहीं रहा तो मैंने गूगल किया , " मोह -मोह के धागे गाने को लिखने वाला लेखक का क्या नाम है?" जवाब आया "वरुण।" मैंने यू ट्यूब पे सर्च किया "वरुण।" फिर वरुण धवन के सारे गाने आ गए। हाथों में संतुष्टि नहीं हुई। मन में आया कि इतने बड़े गाने लिखने वाले का नाम सबसे ऊपर क्यों नहीं है।? फिर गूगल से मैंने तुम्हारा पूरा नाम ढूंढा और पता चला कि वरुण, कोई ग्रोवर भी है। वरुण फिर मैंने तुम्हें इन 4 दिनों में खूब ढूंढा, तुम कहीं माइक लेके स्टेज पर "स्टैंड अप कॉमेडी " करते नज़र आए, तो कभी तुम "आज तक" न्यूज चैनल का पोल खोलते हुए। इन 4 दिनों के रिसर्च ने मुझे तुम्हारे बहुत करीब ला दिया। इतना करीब की लगा वरूण ग्रोवर की पहचान सिर्फ " मोह - मोह के धागे" से नहीं है। मेरे वरूण इस प्रकृति ने हर चीज परफेस्ट बनाया है, इस बनाने और बिगाड़ने के बीच की दुनिया को जब मैं समझा, तो समझ आया कि शायद प्राकृति ने मुझे तुम्हारे करीब लाने के लिए ही इस चैनल का नाम " चाय इश्क और राजनीति" रखने के लिए ही मेरे मन में ख्याल लाया। वरुण तुम मेरे 4 दिनों का जोरदार रिसर्च हो, फिर भी देखो ना!, ये रिसर्च इस पत्र के माध्यम से कितना खोखला प्रतीत होता है। वो कुछ भी मैं नहीं लिख पा रहा हूं जो इन 4 दिनों में तुमसे प्राप्त किया है। बस लिख पा रहा हूं तो भावनाएं। इन भावनाओं को बहने दो! ये भावनाएं आज इस खत के द्वारा बह रही है। 4 दिनों के अंदर पाया गया सबसे कीमती चीज हो तुम मेरे लिए। पा लेने और महसूस कर लेने के बीच की दुनिया को लोग क्या कहते है? पता नहीं! लेकिन आज से मैं उसे वरुण ग्रोवर कहूंगा। वरुण! कलम से निकलने वाली किलों और मोहब्बत की स्याहियों के बीच के अंतर का तो नहीं पता, लेकिन 4 दिनों में इतना तो जरूर पता चल गया कि वो तुम्हारे ही कलम है, जो कीलें ठोकती है तो साहित्य आज तक से बड़े -बड़े विचारधारा हिल जाते है, और जब मोहब्बत की स्याहियां निकलती है तो " मोह -मोह के धागे" गूंजने लगती है। गुंजवाने और गूंजने के बीच बहुत अंतर है, वरुण। डंका गुंजवाना पड़ता है, जबकि " गृहण " के गाने गूंजते है। इन गूंजते हुए गानों से मेरा कमरा कितना प्यारा लगता है, तुम कल्पना नहीं कर सकते। मैं भी कितना बेवकूफ हूं कि एक लेखक को कल्पना करने की चुनौती दे रहा हूं, जबकि मुझे पता है कि लेखकों के कल्पनाओं से ही ये दुनिया कुछ अधिक सुंदर है। इस अधिक सुंदर से थोड़ा आगे तुम्हारे गानों के मोहब्बत का एक हाट लगता है वरुण! उस हाट को मैं, बाजार बना��े सबसे नसों में भर देना चाहता हूं। इन मोहब्बत से भरी दुनिया में, मुझे तुम कुछ अधिक पसन्द आए। शायद तुम भी इस खत को पढ़कर यहीं कहोगे कि " तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना।" वरुण तुम जहां भी रहो, पागल रहो इन कलमों के पीछे। तुम फ़राज़ हो वरुण, मेरे जैसे जावेद के लिए। और तुम जावेद हो इस दुनिया के लिए, लेकिन तुम वरुण हो इस बेंच पर पड़ी किताब के लिए। इन किताबों से थोड़ा हट कर मैंने अपना चौथा पैग गटक लिया है, और मेरे फोन में एक गाना बज रहा है, जिसकी लाइन है " जैसे सरकारी कागज़ात सब, आ ही जाते हैं जी, सही पते में।" तुम्हें 4 दिन में भरपूर जीने वाला एक लड़का। चाय इश्क और राजनीति।
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इस आदमी को कोई बहुत सारा प्यार देके आओ यार❤️
AIIMS के बाहर नरक! देशभर से आए ग़रीब मरीज और उनके परिवार AIIMS के बाहर ठंड, गंदगी और भूख के बीच सोने को मजबूर हैं। उनके पास न छत है, न खाना, न शौचालय और न पीने का पानी। बड़े-बड़े दावे करने वाली केंद्र और दिल्ली सरकार ने इस मानवीय संकट पर आंखें क्यों मूंद ली हैं?
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@deepakkitabi पता नहीं दीपक भाई। जो सुना वो शेयर किया Spg साहब के अनुसार, वाजपेई साहब से उनकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी। अब राम जाने।
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जिंदाबाद सर ❤️
प्रिय सलाहकार बोर्ड के सदस्य और सचिवालय कलिंगा साहित्य महोत्सव मुझे अपनी पुस्तक ‘मिथकों से विज्ञान तक' को पुरस्कारों की सूची में नामांकित देखकर ताज्जुब हुआ । मैं समर्थकों के बीच प्रमुखता से प्रदर्शित अडानी के नाम से जुड़े किसी भी पुरस्कार से अपना नाम वाबसता नहीं करना चाहता। गौहर रजा
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@_Vikas_Gond @SurajKrBauddh @AnilYadavmedia1 @Profdilipmandal @BhimArmyChief @SandeepVoice_ @HansrajMeena @kamandaldilip चमार मतलब शोषित कब से हो गया है?
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