"सूरज के रथ हम चढ़ेंगे ज़रूर, हाथ जो बढ़ाएंगे तो चंदा नहीं दूर।
तेरी मेरी सबकी बात लिखेंगे, हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।"
@authornilotpal
आपकी यह रचना गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में आपसे सुनी थी, तभी से यह चंद लाइनें कंठस्थ हो गईं। पूरी कविता कहां मिलेगी?