Vijay Singh Kanpur 🇮🇳
10 months
राम रामेति रामेति,रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं,रामनाम वरानने ॥
अर्थात् हे पार्वती!प्रभु श्रीराम नाम के मुख में विराजमान होने से मेरा मन इस संसार में स्थिर रहता है।
राम,राम,राम इसी द्व्यक्षर नाम का जाग्रत,स्वप्न,सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं में जप करो।
🌻जय श्री राम🌻