![k l soni Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1873624337489723392/Ec-bOTSk_x96.jpg)
k l soni
@Soni94148
Followers
16K
Following
326K
Statuses
113K
विवेकानंद राजस्थान के एक रजवाड़े में मेहमान थे। खेतरी के महाराजा के मेहमान थे। अमरीका जाने के पहले। अब महाराज तो महाराजा! अब विवेकानंद का स्वागत कैसे करें? और अमरीका जाता है संन्यासी, पहला संन्यासी, स्वागत से विदा होनी चाहिए! तो हर एक की अपनी भाषा होती है, अपने सोचने का ढंग होता है, महाराजा और क्या करता, उसने देश की सबसे बड़ी जो खयातिनाम वेश्या थी, उसको बुलावा भेजा। बड़ा जलसा मनाया। वेश्या का नाच रखा। ��ह भूल ही गए कि किसके लिए यह स्वागत-समारोह हो रहा है। विवेकानंद के लिए! और जब विवेकानंद को आखिरी घड़ी पता चला--सब साज बैठ गए, वेश्या नाचने को तत्पर है, दरबार भर गया, तब विवेकानंद को बुलाया गया कि अब आप आएं, अब उन्हें पता चला कि एक वेश्या का नृत्य हो रहा है उनके स्वागत में! विवेकानंद की दशा समझ सकते हो! बड़े मन को चोट लगी कि यह कोई बात हुई! संन्यासी के स्वागत में वेश्या! इंकार कर दिया जाने से। साधारण भारतीय संन्यासी की धारणा यही है! इंकार कर दिया जाने से। अपमानित किया अपने को अनुभव। यह तो असम्मानजनक है। वेश्या बड़ी तैयार होकर आयी थी। संन्यासी का स्वागत करना था, कभी किया नहीं था संन्यासी के स्वागत में कोई नाच-गान, बहुत तैयार होकर आयी थी, बहुत पद याद करके आयी थी-- कबीर के, मीरा के, नरसी मेहता के। बहुत दुखी हुई कि संन्यासी नहीं आएंगे। मगर उसने एक गीत नरसी मेहता का गाया--बहुत भाव से गाया, खूब रोकर गाया, आंखों में झर-झर आंसू बहे और गाया। उस भजन की कड़ियां विवेकानंद के कमरे तक आने लगी। और विवेकानंद के हृदय पर ऐसी चोट पड़ने लगी जैसे सागर की लहरें किनारे से टकराएं, पछाड़ खाए। फिर मन में बड़ा पश्चात्ताप हुआ। नरसी मेहता का भजन है कि एक लोहे का टुकड़ा तो पूजागृह में रखते हैं, एक लोहे का टुकड़ा बधिक के घर होता है, लेकिन पारस पत्थर को थोड़े ही कोई भेद होता है। चाह��� बधिक के घर का लोहा ले आओ। जिससे काटता रहा हो जानवरों को, और चाहे पूजागृह का लोहा ले आओ, जिससे पूजा होती रही हो, पारस पत्थर तो दोनों को छूकर सोना कर देता है। यह बात बहुत चोट कर गयी, घाव कर गयी। यह विवेकानंद के जीवन में बड़ी क्रांति की घटना थी। मेरे अपने देखे, रामकृष्ण जो नहीं कर सके थे, उस वेश्या ने किया। विवेकानंद रोक न सके, आंख से आंसू गिरने लगे--यह तो चोट भारी हो गयी! अगर तुम पारस पत्थर हो, तो यह भेद कैसा? पारस पत्थर को वेश्या दिखाई पड़ेगी, सती दिखाई पड़ेगी? पारस पत्थर को क्या फर्क पड़ता है-- कौन सती, कौन वेश्या! लोहा कहां से आता है, इससे क्या अंतर पड़ता है, पारस पत्थर के तो स्पर्श मात्र से सभी लोहे सोना हो जाते हैं। रोक न सके अपने को। पहुंच गए दरबार में। सम्राट भी चौंका। लोग भी चौंके कि पहले मना किया, अब आ गए! और आए तो आंख से आंसू झर रहे थे। और उन्होंने कहा, मुझे क्षमा करना, उस वेश्या से कहा, मुझे क्षमा करना, मैं अभी कच्चा हूं, इसलिए आने से डरा। कहीं न कहीं मेरे मन में अभी भी वासना छिपी होगी, इसीलिए आने से डरा। नहीं तो डर की क्या बात थी? लेकिन तूने ठीक किया, तेरी वाणी ने मुझे चौंकाया और जगाया। विवेकानंद उस घटना का बहुत स्मरण करते थे कि एक वेश्या ने मुझे उपदेश दिया। यह भेद! सच्चे ज्ञानी के पास अभेद है। पापी जाए तो, पुण्यात्मा जाए तो, दोनों को छूता है, दोनों को स्वर्ण कर देता है। उसकी आंखों का जादू ऐसा है, उसके हृदय का जादू ऐसा है।
2
2
7
वृद्ध करदाता ठीक समय पर पहुंच गया,अपने वकील के साथ... 😀 आयकर अधिकारी:-आप तो रिटायर हो चुके हैं,हमें पता चला है कि आप बड़े ठाट बाट से रहते हैं, इसके लिए पैसे कहां से आते हैं....? 😎 वृद्ध करदाता:- जुगाड़ में जीतता हूं... 😀 आयकर अधिकारी:- हमें यकीन नहीं !😎 वृद्ध करदाता:- मैं साबित कर सकता हूं ! क्या आप एक नमूना देखना चाहोगे....? 😀 आयकर अधिकारी:-अच्छी बात है,जरा हम भी तो देखें... शुरू हो जाइए !😎 वृद्ध करदाता:- एक हज़ार रुपए की शर्त लगाने के लिए क्या आप तैयार हैं....? मैं यह दावा कर रहा हूं कि मैं अपनी ही एक आंख को अपने दांतों से काट सकता हूं😀 आयकर अधिकारी:- क्या......? 🤔 नामुमकिन,लग गई शर्त!😎 वृद्ध करदाता अपनी शीशे की एक कृत्रिम आंख निकालकर अपने दांतों से काटता है..... !😀 आयकर अधिकारी ने हार मान ली और एक हज़ार रुपये उस वृद्ध करदाता को दे दिए !😎 करदाता:- अब दो हज़ार की शर्त लगाने के लिए तैयार हो.....? 😀 मैं अपनी दूसरी आंख को भी काट सकता हूं !😂 आयकर अधिकारी ने सोचा🥱 जाहिर है कि यह अंधा तो नहीं है..... 😎उसकी दूसरी आंख शीशे की नहीं हो सकती🥱 कैसे कर पाएगा.....? देखते हैं !😎 और बोला:- लग गई शर्त..... !😎 करदाता ने अपने नकली दांत मुंह से निकालकर अपनी आंख को हलके से काटा.. 😀 आयकर अधिकारी हैरान हुआ पर कुछ कह नहीं सका.. और चुपचाप दो हज़ार रुपये अदा कर दिए !😂 करदाता ने आगे कहा:- चलो एक और मौका देता हूं आपको......😀 क्या आप दस हज़ार की शर्त लगाने के लिए तैयार हो.....? 😀 आयकर अधिकारी ने कहा:-अब कौन सी बहादुरी का प्रदर्शन करोगे....? 😎 वृद्ध करदाता ने कहा:- आपके कमरे में कोने में जो कूड़े का डिब्बा है.... मेरा दावा है कि मैं यहां आपकी मेज के सामने खड़े होकर सीधे उस डिब्बे के अंदर सीधे थूक "विसर्जन" कर सकता हूं...... 😀 और आपकी टेबल पर एक बूंद भी नहीं गिरेगी.... 😂 तभी वृद्ध के वकील ने जोर से चिल्लाया:- मत लगाओ, शर्त मत लगाओ.....! 😩😩 लेकिन आयकर अधिकारी नहीं माना... 😀 उसने देखा कि दूरी 15 फुट से भी ज्यादा है और कोई भी यह काम नहीं कर सकता......!😎 और इस बुड्ढे से तो ये बिल्कुल भी नहीं हो सकेगा...😎 इस तरह बहुत सोच समझकर अपने खोए हुए पैसे को वापस जीतने की उम्मीद से वह शर्त लगाने के लिए तैयार हो गया !😎 वृद्ध के वकील ने माथा ठोक लिया !😎 वृद्ध मुंह नीचे करके शुरू हो गया पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही....!😀 उसने आयकर अधिकारी की टेबल को थूक से लबालब कर दिया........😂लेकिन आयकर अधिकारी बहुत खुश हुआ !😂 उसने देखा वृद्ध का वकील रो रहा है ! और वह शर्त जीत ��या है।😎 उसने पूछा:- क्या बात है, वकील साहब......? 😀 वृद्ध के वकील ने कहा:-आज सुबह इस शैतान ने मुझसे पचास हज़ार की शर्त लगाई थी...... 😂 कि वह इनकम टैक्स वालों की टेबल पर थूकेगा और वो बजाए नाराज होने के उल्टे इससे खुश होंगे...... ! 😂😂😂😃😃😃
3
3
12
*हनुमान ने भीम को क्यों दिए अपने तीन बाल..* एक बार पांडवों के पास नारद मुनि आए और उन्होंने युधिष्ठर से कहा की स्वर्ग में आपके पिता पांडु दुखी हैं। कारण पूछने पर उन्होंने कहा की पांडु अपने जीते जी राजसूय यज्ञ करना चाहते थे जो न कर सके ऐसे में आपको ऐसा कर उनकी आत्मा को शांति पहुंचना चाहिए। तब पांडवो ने राजसूय यज्ञ आयोजित किया, आयोजन को भव्य बनाने के लिए युधिष्ठर ने यज्ञ में भगवान शिव के परम भक्त ऋषि पुरुष मृगा को आमंत्रित करने का फैसला किया। ऋषि पुरुष मृगा जन्म से ही अपने नाम के जैसे थे। उनका आधा शरीर पुरुष का था और पैर मृग के समान थे। उन्हें ढूंढने और बुलाने का जिम्मा भीम को सौंपा गया। जब भीम, पुरुषमृगा की खोज में निकलने लगे तो श्री कृष्ण ने भीम को चेताया की यदि तुम पुरुषमृगा की गति का मुकाबला नहीं कर पाए तो वो तुम्हें मार देगा। इस बात से भयभीत भीम, पुरुषमृगा की खोज में हिमालय की ओर चल दिए। जंगल से गुजरते वक़्त उन्हें हनुमान जी मिले। हनुमान जी ने भीम से उसके चिंतित होने का कारण पूछा। भीम ने हनुमान को पूरी कहानी बताई। हनुमान ने कहा यह सच है कि पुरुषमृगा की गति बहुत तेज है और उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उसकी गति मंद करने का एक ही उपाय है। चूँकि वो शिवजी का परम भक्त है इसलिए यदि हम उसके रास्ते में शिवलिंग बना दे तो वो उनकी पूजा करने अवश्य रुकेगा। हनुमान ने ऐसा कहकर भीम को अपने 3 केश* दिए और कहा की जब भी लगे कि पुरुषमृगा तुम्हें पकड़ने वाले है तो तुम एक बाल वहां गिरा देना। यह एक बाल 1000 शिवलिंगों में परिवर्तित हो जाएगा। पुरुषमृगा अपने स्वाभाव अनुसार हर शिवलिंग की पूजा करेंगे और तुम आगे निकल जाना। उसके बाद भीम आज्ञा लेकर आगे बढ़े. कुछ दूर जाकर ही भीम को पुरुष मृगा मिल गए जो को भगवान महादेव की स्तुति कर रहे थे। भीम ने उन्हें प्रणाम किया और अपने आने का कारण बताया, इस पर ऋषि ने सशर्त जाने के लिए हां कर दी। शर्त ये थी की भीम को उनसे पहले हस्तिनापुर पहुंचाना था और अगर वो ऐसा न कर सके तो ऋषि पुरुष मृगा भीम को खा जाएंगे. भीम ने भाई की इच्छा को ध्यान में रखते हुए हां कर दी और हस्तिनापुर की तरफ पुरे बल से दौड़ पड़े। काफी दौड़ने के बाद भीम ने भागते भागते ही पलट कर देखा की पुरुषमृगा पीछे आ रहे है या नहीं, तो चौंक गए की पुरुषमृगा उसे बस पकड़ने वाले ही हैं। तभी भीम को हनुमान के बाल याद आए और उनमे से एक को गिरा दिया, गिरा हुआ बाल हज़ार शिवलिंगो में बदल गया। शिव के परमभक्त होने के नाते पुरुषुमृगा हर शिवलिंग को प्रणाम करने लगे और भीम भागता रहा।ऐसा भीम ने तीन बार क��या और जब वो हस्तिनापुर के द्वार में घुसने ही वाला था तो पुरुषमृगा ने भीम को पकड़ लिया,हालांकि भीम ने छलांग लगाई थी पर उसके पैर दरवाजे के बाहर ही रह गए। इस पर पुरुषमृगा ने भीम को खाना चाहा,इसी दौरान कृष्णा और युधिष्ठर द्वार पर पहुंच गए।दोनों को देख कर भीम ने भी बहस शुरू कर दी,तब युधिष्ठर से पुरुषमृगा ने न्याय करने को कहा।तब युधिष्ठर ने कहा की भीम के पांव द्वार के बाहर रह गए थे।इसलिए आप सिर्फ भीम के पैर ही खाने के हक़दार है,युधिष्ठर के न्याय से पुरुषमृगा प्रसन्न हुए और भीम को बक्श दिया।उन्होंने राजसूय यज्ञ में भाग लिया और सबको आशीर्वाद भी दिया..!! *🙏🏻🙏🏿🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🏼🙏🙏🏽
5
6
14