I was born as a slave of brahman dharma, but I will die as a follower of Buddha, Ashoka, Phule couple, Baba saheb and Manywar.
Founder of
@bahujan_sahitya
किरदार का नाम अशोकन है, और उसके हाथ में बुद्ध का कटा हुआ सिर है। फिल्म का नाम Thangalaan है। यह दृश्य मेरे लिए अत्यधिक भावुक कर देने वाला है। इससे पहले कभी किसी ने मेरे पूर्वजों के इतिहास को बड़े पर्दे पर लाने की कोशिश तक नहीं की थी। लेकिन आज, जब
@beemji
ने इस प्रयास को अंजाम
तंगलान को अगर आप एक आम फिल्म की तरह देख रहे हैं तो बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। फिल्म का मज़ा आप तब ही उठा पाओगे जब आपको बुद्धिज़्म के इतिहास की समझ होगी। इस फिल्म के वाओ मोमेंट इतिहास की समझ रखने वालों को चौंका देते है��� और उनके हाथ अपने आप ताली बजाने के लिए उठा जाते हैं। मुँह से
शुक्रिया,
@RJDforIndia
और
@yadavtejashwi
ने अपना रुख साफ कर दिया है। जब OBC आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू की गई थी, तभी इसे रोका जाना चाहिए था। पर कोई बात नहीं, अभी भी वक्त है कि सभी लोग साथ आएं और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
#SaveReservation
भारत में चमारों की जनसंख्या 6 करोड़ से अधिक है, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 2 करोड़ हैं। महाराष्ट्र में भी महारों की जनसंख्या महत्वपूर्ण है। यदि ये दोनों जातियां अपने मूल धर्म, बौद्ध धर्म, में वापसी करती हैं, तो भारत में बौद्ध धर्म का पुनर्जीवन संभव हो सकता है। इससे न
तंगलान फिल्म देश के भटके हुए नागवंशियों के साथ सीधा संवाद स्थापित करती है, मानो उन्हें एक जोरदार झटका देकर उनकी गहरी नींद से जगाने का प्रयास कर रही हो। यह फिल्म उनके सामने आंखों में आंखें डालकर कहती है, "तुम नागवंशी हो, तुम्हारी जिम्मेदारी है अपनी विरासत की रक्षा करने की।" सदियों
पूर्व डिप्टी PM जगजीवन राम को चमार किस आधार पर कहा गया था—आर्थिक आधार पर या जातीय आधार पर? जिस मूर्ति का उद्घाटन करने के लिए वे गए थे, उसे गंगाजल से किस आधार पर शुद्ध किया गया था—गरीबों के छूने से या चमारों के छूने से?
भारत में PVR INOX के पास 1747 स्क्रीन हैं, जो कि सबसे अधिक है, फिर भी
#Thangalaan
जैसी महत्वपूर्ण फिल्म को उत्तर भारत में 1% भी स्क्रीन नहीं दी गई। सालों बाद जो फिल्म फिर से रिलीज हो रही है, उनके दो-दो शो हैं, लेकिन Thangalaan को कोई जगह नहीं मिली। यह सवाल उठाता है कि क्या PVR
खौफ की वजह साफ़ है—अगर जनगणना हो गई, तो सच सामने आ जाएगा कि ब्राह्मण परिवारों की संख्या कितनी है और जो सालों से सत्ता की मलाई चाट रहे हैं, उन्होंने कैसे गरीब ब्राह्मण परिवारों के बच्चों के हिस्से का निवाला छीन-छीन कर अपनी तोंदें बढ़ाई हैं। ये भी पता चलेगा कि कितने गरीब ब्राह्मण
अगर आप डरेंगे, तो वे आपको और डराने की कोशिश करेंगे। लेकिन जब आप मजबूती से खड़े हो जाएंगे, तो वे पीछे हटते नजर आएंगे। Thangalaan जैसी फिल्म को PVR में स्क्रीन मिलनी चाहिए—दलित-बौद्ध समाज के खिलाफ आर्थिक बहिष्कार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। बहुजन समाज इस देश का सबसे बड़ा
लड़की ने अपने आखिरी समय में बयान दिया कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। कहा जाता है कि मरते वक्त इंसान झूठ नहीं बोलता, और कानून में भी किसी व्यक्ति के आखिरी बयान को महत्वपूर्ण माना जाता है। (मेरी जानकारी के अनुसार) फिर भी कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर दिया और एक को गैर इरादतन
If you're watching "Tangalan" like an ordinary movie, you're making a big mistake. You'll only truly enjoy the film if you have an understanding of the history of Buddhism. The film's "wow" moments will surprise those with historical knowledge, and you'll find yourself clapping
चिराग पासवान की पार्टी से सांसद सम्भवी चौधरी ने भी SC-ST आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
इस तरह का स्पस्ट रुख की उम्मीद मुझे बाकी दलित आदिवासी नेताओं से भी थी।
जिनको बसपा पसंद नहीं आरही वो असपा को वोट दे सकता है, पर एक अंबेडकरवादी पार्टी का विकल्प समाजवादी कांग्रेस या बीजेपी नहीं हो सकती।
महाराष्ट्र में VBA को वोट दीजिये।
किसी भी कीमत पर अंबेडकरवादी राजनीति जिंदा रहे और तरक्की करे।
दबदबा था, दबदबा है, और दबदबा बना रहेगा। 🔥
बाबा साहेब ने कहा था कि अपना घर जलाकर दूसरों के महल में नहीं जाना चाहिए। लेकिन खुद को बड़े आंबेडकरवादी मानने वाले दलितों ने क्या किया? संविधान बचाने के नाम पर सपा, कांग्रेस, आप, शिवसेना और न जाने किन-किन को वोट दे दिया। जो इस चाल को
#Thqngalaan
is getting rave reviews from North India and yet this movie is not being played in almost 90% of the theatres in North India
@beemji
has made an outstanding film but why theatre owners not showing?
@AjeyPPatel
ईश्वर की सपथ और जय भीम का नारा एक साथ नहीं चल सकता लोगों ने संविधान और बाबा साहेब की फोटो दिखा कर जनता को बेवकूप तो बना दिया पर अपना किरदार कैसे छोड़ पाते।
@BhimArmyChief
भाई इस लोक सभा मे एक मात्र अंबेडकरवादी है। आपको मंगल कामनाएं।
नमो बुद्धाय जय भीम।
इन बहन ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है, इसके लिए उन्हें हार्दिक बधाई। लेकिन सिर्फ इसलिए उन्हें आंबेडकरवादी घोषित करना कि उन्होंने गोल्ड मेडल जीता है, समझ से परे है। ये लोग पूरी विचारधारा को बदनाम कर रहे हैं। बाबा साहेब ने जो लिखा और सिखाया, उ�� पर अमल करने के बजाय, समाज का एक
#Thangalaan
फिल्म का यह किरदार देश के 90-95% दलितों का प्रतिनिधित्व करता है। शरीर पर वैष्णव पंथ के चिह्न और जनेऊ धारण किए हुए, लेकिन यह ब्राह्मण नहीं, दलित है। फिर भी यह खुद को ब्राह्मण समझने की भूल करता है। वह दलित बस्ती के बच्चों को वैष्णव पंथ की ओर ले जाता है, उन्हें जनेऊ
इस बहस को ध्यान से सुनिए,
@nitinmeshram_
जी बता रहे हैं कि SC/ST आरक्षण आर्टिकल 335 से मिला है, न कि आर्टिकल 16 से। जज कह रहे हैं कि अगर इस तर्क को मान लिया जाए, तो आरक्षण से जुड़े बड़े फैसले रद्द हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपने फैसले ज़्यादा प्यारे हैं, संविधान नहीं। 1
तो अब यह मान लिया जाए कि ब्राह्मण जन्म से होते हैं, कर्म-वर्म सब बकवास है। अब अगर कोई मेरे पास यह कहने आता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र जन्म से नहीं बल्कि कर्म से होते हैं, तो उसे दौड़ा-दौड़ा कर मारूंगा।
दरिंदगी की तीन घटनाएं हुईं:
1. बंगाल में एक डॉक्टर लड़की के साथ।
2. उत्तर प्रदेश में एक दलित बच्ची के साथ।
3. बिहार में एक दलित बच्ची के साथ।
गौर करने वाली बात यह है कि बंगाल की लड़की के लिए सभी लोग न्याय की मांग कर रहे हैं, जैसे
@therantinggola
,
@ms_medusssa
,
@dhruv_rathee
,
हिंदू दलितों के 'घर वापसी' से भय को एक उदाहरण से समझें। जब कोई दलित इस्लाम धर्म अपनाता है, तो हिंदू समाज उसे ताने नहीं मारता या उसका मज़ाक नहीं बनाता। यही बात ईसाई या सिख धर्म के लिए भी लागू होती है। लेकिन जब कोई दलित बौद्ध धर्म अपनाता है और अपनी जड़ों की ओर लौटता है, तो उसे 'नव
कोई इसे बताओ की गप्पो से बामनों का पेट भर सकता इतिहास नहीं बदलता। तथागत के समय कोई क्षत्रिय नहीं था खत्तीय हुआ करते थे। सम्राट अशोक के किसी शिलालेख पर क्षत्रिय शब्द नहीं मिला, पूरे देश को इतिहास के नाम पर कहानियाँ पढ़ा रहे है।
मैंने यह वीडियो समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से बनाया था। मेरी कोशिश थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कमियों और उनके नकारात्मक प्रभाव को आसान भाषा में समझा सकूं। लेकिन यह वीडियो केवल 3800 लोगों तक ही पहुंच पाया है, जबकि इसे लाखों लोगों तक पहुंचना चाहिए था। इसलिए मैं इसे X
तिरुपति बालाजी पर मुसलमानों ने कब्जा किया है या ब्राह्मणों ने? बोध गया में मुसलमानों ने कब्जा जमाया या ब्राह्मणों ने? बद्रीनाथ पर किसका कब्जा है, ब्राह्मणों का या मुसलमानों का?
पशुपति नाथ मंदिर पर किसका नियंत्रण है, मुसलमानों का या ब्राह्मणों का? जगन्नाथ मंदिर पर किसका अधिकार है,
"चापरी" एक जातिवादी और वर्गवादी अपशब्द है, जिसे आमतौर पर ऊँची जाति और ऊँचे वर्ग के लोग दूसरों को नीचा दिखाने के लिए उपयोग करते हैं। यह शब्द उन लोगों की मानसिकता को दर्शाता है जो समाज में भेदभाव और असमानता को बनाए रखना चाहते हैं।
#casteism
#classism
#socialdiscrimination
हम आप सभी से आग्रह करते हैं कि सोशल मीडिया या किसी अन्य मंच के माध्यम से, बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (CHT) में बौद्ध समुदाय के खिलाफ हो रही गंभीर हिंसा की कड़ी निंदा करें और इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें।
ये क्रूरतापूर्ण कृत्य न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि
तुम्हारे बाप-दादा और पूर्वजों ने जाति बनाई, उसी के आधार पर शोषण किया। शोषित लोगों की पहचान के लिए जाति प्रमाण पत्र बनता है, ताकि उन्हें कुछ सुविधाएं मिल सकें। लेकिन इस हरामखोर
@abhinav_blogger
को जाति से कोई समस्या नहीं है, पर जाति प्रमाण पत्र से है। इस देशद्रोही का समर्थन करने
बिना जाति के चीन कहाँ पहुँच गया और भारत के कुछ नियोगी बच्चे जाति की अच्छाई बताते हैं। खुद को गया का मुत पीने से और गया का गोबर खाने से फुर्सत नहीं है, आ जाते हैं आरक्षण पर ज्ञान देने।
वाल्मीकि स��ाज का एक बड़ा हिस्सा बाबा साहेब को नहीं मानता है। आरएसएस ने आज़ादी के समय से ही भंगी समाज को महर्षि वाल्मीकि से जोड़ना शुरू कर दिया था। इस कारण से वाल्मीकि समाज का अधिकांश युवा बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, और गौ रक्षा समिति जैसे संगठनों से जुड़ा रहा और शिक्षा से दूर
ये सख्स बहुत खतरनाक है बाबा साहेब की बात करके भीड़ जमा की अब हिंदू धर्म का लॉलीपॉप छटा रहा है।
ये जाती का विरोध करते है पर धर्म परिवर्तन की खिलाफत, ये हिंदू सुधारवादी हैं जो अंबेडकरवाद का लबादा ओढ़ कर हमारे सामने आते हैं।
अंबेडकरवादी मोवमेंट का बहुत नुकसान किया है इन्होंने।
सुप्रीम कोर्ट ने मानो एक विस्फोटक स्थिति में माचिस की तीली फेंक दी है; खुद सुप्रीम कोर्ट भी इस धमाके को नहीं रोक पाएगा। समाज पहले से ही गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और जातिवाद जैसी समस्याओं से जूझ रहा था, और अब उसे विभाजित करने की एक नई चाल चली गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन
"भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि 10 वर्षों में आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए"
◆ आरक्षण पर मचे बवाल पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा
@ManjhiHAM
|
#Reservation
| Cabinet Minister
कहाँ मुह काला कराके छिप गए हो, दलितों से झूठ बोलकर वोट लिए और अब हरामखोरी कर रहे हो। जब संविधान वाकई खतरे में आएगा, तो तुम लोग भाग जाओगे। शर्म करो, मक्कार नेताओं
@RahulGandhi
@yadavakhilesh
, इन्होंने जिस थाली में खाया उसी में छेद कर रहे हैं।
बहन जी ने दमदारी से अपने समाज के
हमारे नेताओं ने हमेशा वंचित समाज और महिलाओं की बात की, लेकिन फिर भी वे केवल दलितों के नेता रहे। वहीं, अगर कोई ब्राह्मण या वैश्य हो, तो वह देश का नेता बन गया। संसद में विनेश के लिए आवाज़ उठाते
@BhimArmyChief
भाई। जय भीम।
जब मैं यह वीडियो बना रहा था, तभी सोच लिया था कि अगर यह 1000 लोगों तक भी पहुँच गया, तो मेरी मेहनत सफल हो जाएगी। इस तरह के काम में बहुत मेहनत और समय लगता है—10-10 सेकंड के इफेक्ट्स में घंटों लग जाते हैं। घंटों तक पढ़ाई करनी पड़ती है, और जो लिखते हैं, उसमें भी ध्यान रखना पड़ता है कि
मैं एक विस्तृत वीडियो बनाने की कोशिश कर रहा हूँ जिसमें बहन
@Mayawati
जी और BSP के कार्यकाल के दौरान किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को शामिल किया जाएगा। वह चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं और अपने कार्यकाल में उन्होंने कई अहम कदम उठाए, जिनका पर्याप्त प्रचार नहीं हो पाया।
बाबा साहब की प्रतिज्ञा
2. मैं राम और कृष्ण में आस्था नहीं रखूंगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। मैं इनकी पूजा नहीं करूंगा।
जैसे जमीन और आसमां एक साथ नहीं आ सकते वैसे ही जय भीम और जय श्री राम एक साथ नहीं आ सकते। हमारे समाज को अपनी वैचारिकी को मजबूत करना चाहिए।
#JaiBhim
ये खोफ और ये सिसकियां अंदाजा लगाया जा सकता है की यूपी में दलितों की स्थिति क्या है?
@myogioffice
आप इस्तीफा देदो अगर आप बर्दि वाले गुंडों से आम जनता की रक्षा नहीं कर सकते तो आपको CM पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।
#cm_
योगी_इस्तीफा_दो
#up
फूट डालो और राज करो। SC/ST को बांटने के लिए यह फैसला लिया गया है। अब देखना यह है कि अंबेडकरवादी राजनीति करने वालों का इस पर क्या रुख होगा। जिस फैसले से ब्राह्मण, बनिया और क्षत्रिय खुश होते हैं, वह SC/ST के लिए निश्चित रूप से हानिकारक साबित होगा।
#BlackDay
तुम्हारी औकात नहीं है कि तुम वहाँ के पंडों से सवाल कर सको या उनके गिरेबान को पकड़ सको। तुम्हारी औकात नहीं है अपने भगवान से सवाल करने की, की तुम्हारी मौजूदगी में तुम्हारे ही मंदिर (जो वास्तव में बौद्ध स्तूप था) के प्रसाद में गाय, सुअर और मछली की चर्बी कैसे मिल गई, इस पर सवाल उठाने
सही बात बोलने वालों से ज़्यादा समझदार वो होता है जिसे ये पता हो कि कहाँ चुप रहना है।
@BhimArmyChief
द्वारा आयोजित यह रैली या सभा, जो भी कहो, SC-ST के आरक्षण के समर्थन और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ है। इसका जो भी फ़ायदा होगा, वह पूरे समाज का होगा। पर
@bspindia
के कुछ कथित
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत गलत है। केंद्र को चाहिए कि वह इस फैसले को अध्यादेश लाकर 9वीं सूची में डाल दे, ताकि आरक्षण से जुड़े विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाएं। इस निर्णय का फायदा उठाकर राज्य सरकारें आरक्षण को निष्प्रभावी बना सकती हैं। बीजेपी, कांग्रेस, और समाजवादी पार्टी,
इस वीडियो पर नाराजगी जताते हुए एक व्यक्ति ने इस नंबर +916203866464 से कॉल किया, और कहने लगा कि आप हिंदुओं के बारे में झूठ क्यों फैला रहे हैं? मैंने जवाब दिया अगर आपको लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ, तो मेरे ऊपर केस कर दीजिए। वह कहता है अगर हमारा संविधान होता, तो आप ये सब नहीं कर
आपने सुना होगा कि पहली बार एक दलित को रेलवे का चेयरमैन बनाया गया है। लेकिन क्या ये वास्तव में दलित हैं? 1931 में जब अनुसूचित जाति की सूची तैयार की जा रही थी, तो इसके लिए कुछ शर्तें थीं। मैं उनमें से दो का जिक्र कर रहा हूँ:
1. क्या उस जाति या वर्ग की सेवा स्वच्छ ब्राह्मण कर सकते
एक बार कांशीराम साहब को संसद में बोलने नहीं दिया गया था, तो उन्होंने कहा कि हम अपनी बात लोगों के बीच रखेंगे। इसी तरह, बहन
@Mayawati
जी को भी बीजेपी के जातिवादी लोगों ने संसद में बोलने से रोका था। तब मायावती जी ने कहा था कि जब मैं इस संसद में अपने लोगों की बात नहीं रख सकती, तो
मुझे हमेशा दुख होता है जब आंबेडकरवादी खुद को "प्राउड चमार" कहते हैं। याद रखो, "चमार" एक छोटी पहचान है। जब हमारे पास बड़ा सागर है, तो हम छोटे कुएं पर क्यों रुकें? बौद्ध पहचान सागर जैसी है, जबकि "चमार" सिर्फ एक कुआं है। बड़ी और सबको साथ लेने वाली पहचान अपनाने से बहुत सी नई
अखिलेश यादव हमेशा से दलित विरो��ी रहे हैं। बाबा साहब के नाम से कई योजनाएं बंद कर दीं, और जब जरूरत पड़ी तो उन्हीं बाबा साहब के नाम पर वोट मांग लिया। ताज्जुब की बात तो यह है कि दलितों ने उन्हें वोट भी दे दिया।
धन्य है मेरा समाज।
शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और उनकी गाड़ियों को तोड़ना पूरी तरह से निंदनीय है।
@NitishKumar
, क्या ऐसी क्रूरता के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी, या आप चुप ही रहेंगे?
डॉली चाय वाले को पिछले दिनों खूब सर पर चढ़ाया गया वो खुद भी जय भीम के नारे लगा रहे थे।
इनको हिंदू सुधारवादिओं ने खूब प्रोमोट किया
पर किसी भी ऐसे व्यक्ति को बढ़ावा देना जिसकी वैचारिक समझ शून्य है, वैचारिक यूद्ध को कमजोर करना होता है।
चाहे रोहिणी हो या डॉली चाय वाला दोनों गलत हैं।
सम्राट अशोक कोई कल्पनिक व्यक्ति नहीं हैं। उनका इतिहास जमीन का सीना फाड़ कर बहार आरहा है आप सब से निवेदन है कार्टून जैसे फोटो का इसत्माल ना करे उनकी मूर्तियों का इसत्माल करें और दुनियाँ को बताये हमारे पुरखे वस्तिविक हैं। हम मोर्यों के वंसज हैं।
#सम्राट_अशोक
मनुस्मृति में लिखा है की वेद पड़ने पर शुद्रो की जीभ काट लेना चाहिए। में दलित / बुद्धिस्ट हूँ वेद पढ़ भी रहा हूँ सुन भी रहा सुना भी रहा हूँ।
ये सब अधिकार मुझे संविधान ने दिये है।
नालंदा विश्वविद्यालय को ब्राह्मणों ने जलाया था।
तारानाथ जी द्वारा लिखी किताब भारत में बुद्धिज़्म का इतिहास इस किताब मे इसका संधर्भ मिलता है।
एक मुस्लिम आक्रांत विश्वविद्यालय को क्यों जलायेगा, वह तो सोना चांदी जवाहरात लूटेगा भाई।
सच ज्यादा दिन तक नहीं छुपा रह सकता।
The movie thangalaan directly engages with the lost Nagavanshi community of this country, delivering a powerful blow to awaken them from their deep slumber. It looks them in the eye and reminds them, "You are Nagavanshis; it is your responsibility to protect your heritage." Over
भारत में PVR INOX के पास 1747 स्क्रीन हैं, जो कि सबसे अधिक है, फिर भी
#Thangalaan
जैसी महत्वपूर्ण फिल्म को उत्तर भारत में 1% भी स्क्रीन नहीं दी गई। सालों बाद जो फिल्म फिर से रिलीज हो रही है, उनके दो-दो शो हैं, लेकिन Thangalaan को कोई जगह नहीं मिली। यह सवाल उठाता है कि क्या PVR
इस संसार में सबसे अधिक उत्पीड़न सहने वाला धर्म अगर कोई है, तो वह बुद्ध धर्म है। तथागत बुद्ध को अपमानित किया गया, जब इससे बात नहीं बनी, तो उन्हें विष्णु का अवतार बना दिया गया। बुद्ध विहारों और स्तूपों को ध्वस्त किया गया, बुद्ध की मूर्तियों को तोड़कर हिंदू देवी-देवताओं में
चंद्रशेखर आजाद ने एक गंभीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि आरक्षण के नाम पर SC/ST के बच्चे अक्सर गालियों का सामना करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी SC/ST के बच्चों को मौका मिलना चाहिए, क्योंकि निजीकरण तेजी से बढ़ रहा है।संसद में अपनी बात रखते हुए, उन्होंने सवाल
वाल्मीकि ब्राह्मण था, जो भी व्यक्ति हकीकत जानते हुए भी लोगो को भ्रमित करता है वो सिर्फ अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करता है। उसकी नियत समाज को धोका देने की ही होती है।
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ये तस्वीर आपकी वैचारिक और सामाजिक पहचान को बखूबी दरसाती है। एक समय मुझे हिंदू होने की खुशफहमी थी, फिर एहसास हुआ कि मैं अछूत हूँ। वहीं से मेरी वैचारिक और सामाजिक पहचान में परिवर्तन का सफर शुरू हुआ।
2018 का वह समय, जब मेरा समाज सड़कों पर था, मैं अपने फ्लैट की बालकनी में खड़ा था।
दलितों की सबसे बड़ी पार्टी
@bspindia
और सबसे बड़ी नेत्री
@Mayawati
हैं, लेकिन इनका ढीला रवैया देखकर दुख हो रहा है। क्या इतने गंभीर मसले को सिर्फ एक ट्वीट से हल किया जा सकता है?
क्या
@AnandAkash_BSP
को इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलना चाहिए? जब इस मुद्दे की सुनवाई हो रही थी, तब
नागपुर से पूरे भारत को संदेश दिया जाता है। एक बार फिर नागपुर के लोगों ने साबित किया क्यों ये क्रांति की भूमि है। नागपुर के युवाओं द्वारा Social Influencer Award की सुरुवात की गयी है, इसका स्वागत होना चाहिए।
शुक्तिया SIA शुक्रिया नागपुर।
मध्य प्रदेश में जो हो रहा है, क्या इसे सभ्यता कहा जा सकता है?
@PMOIndia
@CMMadhyaPradesh
क्या किसी सीएम या पीएम के बच्चे ऐसा काम करेंगे? 99% संभावना है कि यह काम एक दलित कर रहा होगा। अगर दलित नहीं भी है, तो भी क्या सरकार इन्हें जरूरी उपकरण नहीं दे सकती? कहाँ हैं वो लोग जो
I am ready to sacrifice myself to establish Buddhism in India.
I need the support of my community to create a documentary series on the rich history of Buddhism.
ये प्रकाश अंबेडकर, बाबा साहेब अंबेडकर के परिवार से हैं। पिछले कुछ दिनों से वे महाराष्ट्र में "आरक्षण बचाओ यात्रा" कर रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के लगभग सभी लोगों को निमंत्रण भेजा जो आरक्षण बचाने का दावा कर रहे थे, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार उनसे कोई भी नहीं आया। महाराष्ट्र
दलितों में एक खास प्रवृत्ति है कि उन्हें हर बात में ब्राह्मणों से मान्यता चाहिए होती है।
@tishasaroyan
ने कोई नई बात नहीं कही है, और वे खुद भी यह बात भली-भांति जानती हैं।
चाणक्य एक मिथक के सिवाय कुछ भी नहीं है, Dr. Otto Stein ने 1921 में अपनी किताब "Megasthenes und Kautilya" में
जब हम पैदा नहीं हुए थे तब
@Mayawati
समाज के लिए आवाज़ उठा रहीं थी, तो अदब से उनका नाम लो तुम्हारी औकात नहीं है उनसे हिसाब मांगने की।
जहाँ संभव होता है
@BhimArmyChief
पहुँच जाते हैं समाज के हर इंसान को अपना समझते हैं।
दोनों स��ाज के नेता हैं। दोनों का सम्मान कीजिये।
कोई चाहे कुछ भी कहे,
@BhimArmyChief
भाई अपनो के लिए हमेसा खड़े रहते हैं।
@AnandAkash_BSP
अगर आप भी वहाँ जाए तो अच्छा रहेगा।
जिंदा हो तो जिंदा नज़र आना भी जरूरी है।
ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध क्षत्रिय थे, हालांकि उस समय जाति की अवधारणा नहीं थी। उत्तर भारत में कई चमारों के घरों में बुद्ध की मूर्तियाँ मिल जाएँगी। कबीर, जो कि जुलाहा थे, उन्हें भी चमारों के घरों में आदर प्राप्त है। रैदास, जो कि चमार थे, उन्हें चमार समुदाय में विशेष सम्मान प्राप्त
सबरकांठा के इदर में 9 सितंबर को 30 लोगों ने आज बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण कर, बाबासाहेब आंबेडकर के बौद्ध भारत के स्वप्न को साकार करने की ओर एक और कदम बढ़ाया है। यह परिवर्तन सिर्फ एक आस्था परिवर्तन नहीं, बल्कि एक नई चेतना और सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है। सभी
इस देश में सबसे कम IQ वाले लोग स्वर्ण समाज के हैं। इन स्व-घोषित "मेरिटधारियों" को एक बात समझ में नहीं आ रही है कि SC/ST को आरक्षण इसलिए नहीं मिला कि वे गरीब हैं, बल्कि इसलिए मिला है क्योंकि तुम्हारे पूर्वजों ने SC/ST का जाति के आधार पर शोषण किया था और आज भी कर रहे हैं।
जब बात