"जब जब भारत में वीरों की गाथा सुनाई जाएगी, वीर अहीरों की गौरवगाथा सबसे पहले आयेगी"
देश को जब जब जरूरत हुई है वीर अहीरों ने अपने अतुल्य शौर्य का प्रदर्शन किया है, वह चाहे रेज़ांग ला में चीनियों को धूल चटाना हो, 1971 में कराची पोर्ट का जलाना या कारगिल में मेजर योगेंद्र की वीरता हो।