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Aman Kamble
@AmanKumarKamble
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Aman Kamble, From Nagpur (INDIA) , Founder Lord BUDDHA TV 2011 & Awaaz India TV 2013 Ex ETV, News 18, TV9 https://t.co/DznDFZTFhN
Nagpur
Joined April 2011
भारत जातिप्रधान देश है, समय-समय पर इसका एहसास हो जाता है. दरिंदों को कड़ी सजा मिलें लेकिन क्या देश के जातिवादी इंसानियत के लिए खतरा नहीं है? सरकार और सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले. एट्रोसिटी एक्ट और मजबूत करने की जरूरत है.
पहले घोड़े पर चढ़ने से दिक्कत था, अब Bullet पर चढ़ने से दिक्कत है! जातिवादियों ने एक 21 वर्षीय दलित छात्र का हाथ काट दिया और घोषणा की “केवल “ऊँची” जाति के हिंदुओं को महंगी बाइक चलाने का अधिकार है, दलित बुलेट पर नहीं बैठ सकते” इतना ही नहीं छात्र ने ये भी बताया की अगर वो वहाँ से नहीं भागता तो उसकी हत्या हो जाती। समय बदल गया, संविधान लागू है, लेकिन इनकी सोंच कभी नहीं बदलेगी! ये पाषाण युग के पत्थर हैं, इनके भीतर हृदय नहीं है, ये मृत हैं। मृत लोगों में इंसानियत नहीं होती। इन मरे हुए लोगों का इलाज कैसे संभव है?
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This is the State Sponsored Casteism that forced Bahujan Youths stay away from such premier Institutes.
द्रोणाचार्य अभी भी आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में सक्रिय हैं, संसद के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 5 वर्षों में 25,000 से अधिक एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों ने आईआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़ दिया है। वे मनुवादी व्यवस्था के तहत हमारे बच्चों को मार रहे हैं।
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He is speaking like a RSS Stooge
बीबीसी पत्रकार और पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के बीच एक वार्तालाप: ● पत्रकार: क्या भारत की न्यायपालिका केवल हिंदू अपर कास्ट पुरुषों के इलीट परिवारों द्वारा संचालित की जा रही है? ● चंद्रचूड़: नहीं, ऐसा कहना गलत होगा। मैं अपने पिता के रिटायर होने के बाद न्यायपालिका में आया, इसलिए परिवारवाद का कोई सवाल नहीं उठता। ● पत्रकार: लेकिन आपके अलावा भी कई जज ऐसे हैं जिनके पिता या परिवार न्यायपालिका में ऊंचे पदों पर रहे हैं। इसे परिवारवाद न कहें तो क्या कहें? ● चंद्रचूड़: देखिए, योग्यता और अनुभव के आधार पर नियुक्तियाँ होती हैं। ●पत्रकार: अच्छा, तो न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इतना कम क्यों है? ● चंद्रचूड़: महिलाओं की भागीदारी निचले न्यायालयों में काफी अच्छी है। ● पत्रकार: लेकिन उच्चतम न्यायालयों और हाई कोर्ट में उनकी संख्या बहुत कम क्यों है? क्या उनकी योग्यता पर भी संदेह है? ● चंद्रचूड़: (थोड़ा असहज होकर) चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं, और हमें उम्मीद करनी चाहिए कि भविष्य में और महिलाएँ न्यायपालिका में आएँगी। ● पत्रकार: जाति के संदर्भ में क्या कहेंगे? न्यायपालिका में बहुजन समुदाय का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। ● चंद्रचूड़: (मौन...) ● पत्रकार: मिलॉर्ड, आप जवाब नहीं देना चाहते? ● चंद्रचूड़: (विषय बदलते हुए) देखिए, हमें न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखना है, और यह सुनिश्चित करना है कि न्यायपालिका किसी भी राजनीतिक या सामाजिक दबाव से मुक्त रहे। ● पत्रकार: तो न्यायपालिका में जाति एक मुद्दा नहीं है? ● चंद्रचूड़: (मुस्कुराते हुए) हमें संविधान के सिद्धांतों पर भरोसा रखना चाहिए। ● पत्रकार: संविधान के सिद्धांत तो सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन न्यायपालिका का ढांचा उसी सामाजिक न्याय से परे क्यों दिखता है? ● चंद्रचूड़: (कोई जवाब नहीं...) ● पत्रकार: धन्यवाद, मिलॉर्ड! #Casteist_Collegium
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Pro RSS Policy @Profdilipmandal
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RT @HistoryCell: "सावरकर ही थे जिन्होंने गोडसे-आप्टे गिरोह को दिल्ली में बापू की हत्या करने के लिए पहली बार आशीर्वाद दिया था।" -तुषार गां…
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Centre for Brahmin Studies till Protection of Brahmanism ! This is Your Journey
Understanding the Enigma Called “Dilip Mandal” I have built a vast body of work: around 50,000 tweets, over 1 lakh Facebook posts across two accounts, five books, more than 2,000 articles, hundreds of editorials, blogs, chapters in several books, reviews on films, art, and literature, speeches at hundreds of events, and over 500 videos, podcasts, and interviews. Each of these demands a certain methodology to read, watch, and understand. On top of this, the content written and spoken about me is far greater and almost impossible to fully grasp. If you notice contradictions or shifts in my views, consider what I said or wrote later as my current stance. My thoughts are constantly evolving, as they should. The key to understanding me lies in Ambedkarite pragmatism. I suggest everyone read and understand Pratityasamutpada, or “Dependent Origination.” Buddha teaches that all phenomena arise and cease due to interdependent causes and conditions, emphasizing the impermanence of existence. This applies equally to people and ideas. Only after my death should my views be considered final, fixed, or unchanging. Thirty years from now, when I retire, I will formally declare an end to the evolution of my thoughts. After that, nothing will change. Everything will be over. Fixed.
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सही बात है देश में मंडली जैसे कई गद्दार भी मनुवादियों की गोद में बैठ गए है और देश को तबाही के तरह ले जाने के लिए आमदा है.
सुनिए आचार्य प्रशांत जी को हिंदुओं को एक बहुत वैज्ञानिक समाज बनना पड़ेगा। चीन 6th जेनरेशन का लड़ाकू विमान से हमपर आक्रमण करने आयेगा तब ये जादू टोना अंधविश्वास हमे बचाएगा क्या..?
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