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Manish Tripathi
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@jpsin1 धूर्त तो तुम हो , तुम्हारे डाले वीडियो से यह कहा साबित हो रहा है कि वह CAG पर सवाल उठा रहा है ,वह कह रहा है ऐसा कब हुआ कि मीडिया में खबर पहले आती है और फिर CAG ऑडिट होता है,ऐसा यदि केस के पहले हुआ है तो वह सामने ले आओ ।
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@jpsin1 यहां सब सरकारीचीजें बेच कर ऐश किया जा रहा है!सभीकुछ एक दो व्यापारियों को गिफ्ट किया जारहा है!दस सालों में एकभी कंपनी फैक्ट्री उद्योग नहीं लगा!कांग्रेस की बनाई कंपनियों में करोड़ोंलोगों को जाब मिला है और सरकार को भी अरबोंखरबों राजस्व मिलता है!अगर ये कंपनियां नहीं रहती तो क्याहोता?
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@suryapsingh_IAS @diljitdosanjh @narendramodi दिलजीत दोसांझ पलटूराम नहीं है,लेकिन आप हो यह दुनिया ने देखा है
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@jpsin1 आज आप को यह ट्वीट करते समय आँखो में आँसू तो नहीं आए। अभी १० दिनों पहले और कुछ बोल रहे थे दिलजीत दोसाँझ के बारे में
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@Profdilipmandal @AdarshAhee60358 @narendramodi मणिपुर के लोगो से भी मिल लेते,लद्दाख के लोगो से मिल लेते , प्रदर्शन कारी किसानो से मिल लेते, BPSC के छात्रो से मिल लेते
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@jpsin1 तुमको भी पता है कि मोदी जी और उनकी सरकार के पास कुछ काम करने का औक़ात नहीं है ,नहीं तो नाम बदलने की बजाय सरकार से कहते कि बाबा अंबेडकर के नाम पर भारत के अग्रणी यूनिवर्सिटी का निर्माण करते ना कि बने बनते संस्थान का नाम बदलें
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2024 का लोकसभा चुनाव भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हुआ क्योंकि इसने विपक्ष के लिए बीजेपी के दबदबे को चुनौती देने की उम्मीदें जगाईं। बेशक बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाना में कामयाब रही लेकिन वह साधारण बहुमत भी न ला सकी और उसे सरकार बनाने के लिए तेलुगुदेशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ रणनीतिक साझेदारी करनी पड़ी। विपक्ष के प्रदर्शन ने भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए उम्मीदों को जन्म दिया है
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बीता हुआ साल संविधान वर्ष के रूप में याद किया जाएगा। इसलिए नहीं कि इस वर्ष संविधान निर्माण की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसलिए भी नहीं कि इस पर संसद में दो दिन की विशेष चर्चा हुई। इतिहास गवाह है कि इन सरकारी रस्मों और संसद की बहसों से समाज के मानस पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर यह साल संविधान वर्ष बना तो इसलिए कि पहली बाहर संविधान राजनीति का मुद्दा बना। संविधान पर राजनीति होना भारत गणराज्य के लिए एक शुभ घटना है। उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले वर्ष में यह बहस थमेगी नहीं, संविधान को लेकर हो रही राजनीति और गहरी होगी।
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@jpsin1 अपने काम के प्रति ईमानदार थी,उस समय वह पत्रकार का काम कर रही थे आज पार्टी कार्यकर्ता का, ऐसे लोग तो इस देश को चाहिए ।
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@shauryabjym यह गुगली आपको मुबारक ! प्रियंका गांधी ने पहले ही माँग की है कि यदि सरकार के पास कोई ज़मीन नहीं है डॉ. साहब के लिए तो वह शक्ति स्थल या वीर भूमि से ही जगह निकाल कर दे दे ।
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पहली तस्वीर आप ध्यान से देखिए आपको बस ये नार्मल दुकान लग रहा होगा लेकिन इसके पीछे की सच्चाई जान आप चौंक जाएंगे। ये महाराजा कचौड़ी की दुकान प्रयागराज महाकुंभ में लगी है इस दुकान के मालिक ने योगी सरकार को दुकान लगाने के लिए 92 लाख रुपया दिया है। अब सोचिए जब इसने 92 लाख रुपया दिया है तो कमाएगा कितना और फिर इसके कचौड़ी और समोसे का स्वाद कैसे होगा? खैर वो तो गंगा मईया जाने। लेकिन वो एक कहावत इस पर सूट करता है, "धर्म का धंधा था हर कोई उसमें अंधा था, जब रोशनी हुई तो पता चला आधा देश भूखा आधा देश नंगा था"...
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@Prakharshri78 इन बातो का कोई सोर्स नहीं केवल मनोहर कहानियाँ सुनाते रहना ,कुलदीप नैय्यर ख़ुद ही कह रहे है इंदिरा गांधी का बस चलता ,इसका मतलब उस समय गांधी परिवार का सत्ता में नहीं था, इससे आपका यह दावा भी फुस्स हो गया कि सरकार में हमेशा गांधी परिवार का नहीं चलता है
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