ये मदमस्त बेबाक़ बदन तेरा,
ये झील सी गहरी आँखें और सुर्ख़ गुलाबी होंठ तेरे,
सुराही सी पतली कमर, भरे हुए वक्ष, और ये सुडौल नितंब
सभी प्रयास में हैं इस सुंदर शाम को अलविदा कहने को,
और कर रहें हैं इंतज़ार तेरे तंज बदन पर
एक भी वस्त्र न रहने को,
मेरे कठोर हाथों के स्पर्श का।