संभाषण - एक वार्तालाप
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भगवान भास्कर :
सूर्य देव का वर्णन ऋग्वेद में एक अत्यंत उपकारी शक्ति के रूप में आया है जो ऋग्वेद १.५०.६, १.११५.१, १.१५५.३, १.१६४.११, १.१६४.१३, १.१९१.८, १.१९१.९, १०.८८.११, १०.१३९.३ आदि ऋचाओं में दृष्टव्य है।
आदित्यह्रदयम्, वाल्मीकिरामायण, युद्धकाण्ड, सर्ग १०५.८,९ में कहा गया है -