![s kumar Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1857032614214877184/w0BCaLcl_x96.jpg)
s kumar
@s_lahoti69107
Followers
73
Following
3K
Statuses
9K
Joined July 2023
RT @RebornManish: हिन्दू धर्म से बाहर जाने के अनेक रास्ते है.. आमिष भोजन किया, धर्म भ्रष्ट। अछूत के हाथ का पानी पिया, तो धर्म भ्रष्ट.. स…
0
195
0
@jyotirmathah धर्म संसद का यही काम रह गया है!आज भी धर्म घुटनों तक पाखंड से भरा है,इसको दूर करने के कुछ प्रयास भी आपने किए क्या पूज्य गुरूजी.!अपनी शक्तियों को धर्म के नेक कार्यों में लगाइए और राजनीति से दूर ही रहिए,इस में ही धर्म का हित है
0
0
0
100% agree dost..!
I’ve always been strongly against abusive and vulgar language. In the 1000+ videos, shorts and reels that I have made, you won’t find a single abusive word for anyone. What is being done today in the name of dank comedy is pure nonsense. The only purpose is to shock and disgust audiences for views, which is having a disastrous impact on the moral development of our youth. However, calling for any govt bans for this is not the solution as it may usher in a harsh censorship regime. Instead, we need to pressurize content creators to make better content. Shows like India’s Got Latent have the same impact on moral decay of society as films like Animal and they need to be called out for it in strong words.
0
0
0
ये तो बड़ी रोचक जानकारी दी है भाई।कहां से जुटा लेते हो नई नई बातें..?
बात 1845 की है। आर्कटिक सर्कल होकर अमेरिका पहुचने के नए रास्तों की खोज चल रही थी। तीन शिप में श्रीमान जॉन फ्रेंकलिन खोज पर निकले। ध्रुवीय रास्तों में खोजते खोजते एक जगह फंस गए। खो गए, कुछ पता न चला। ●● कोई 150 लोग और जॉन फ्रेंकलिन मारे गए। बरसों बाद मिली लाशों के एग्जामिनेशन ने बताया कि ये लोग तुरन्त नही मरे। बड़ी धीमी, पेनफुल, स्लो डेथ थी। वे भूख, ठंड और विटामिन डेफिशिएंसी से मरे। खोजी शिप, बर्फ के बीच लावारिस खड़े थे। व्हेल का शिकार करने वालो इन्हें 1855 में खोजा। ●● वह शिप, हर मेजेस्टि शिप रिजोल्यूट ( HMS रिजोल्यूट) को अमेरिकन्स ने ठीक ठाक किया, और ब्रिटेन को एक गुडविल जेस्चर के रूप में लौटा दिया। यह शिप 30 साल और चला। फिर 1880 के आसपास डी-कमीशन कर दिया गया। ●● शिप शानदार ओक की लकड़ी का बना हुआ था। डॉक, जहां इसे तोड़ा गया, वहाँ एक बढई ने ये लकड़ियां इकट्ठा की। फिर इस लकड़ी की शहतीरों को इकट्ठा कर कुछ फर्नीचर बनाया गया। हैवी डेस्क बनी। एक नही, 2.. रानी साहिबा को गिफ्ट कर दिया। ●● क्वीन विक्टोरिया ने एक डेस्क अपने बकिंघम पैलेस में रखी। दूसरी, अमेरिका के राष्ट्रपति को गिफ्ट कर दिया। तब प्रेजिडेंट हेज, व्हाइट हाउस में थे। उन्होंने इसे ओवल ऑफिस में लगाया। HMS रिजोल्यूट से बना होने के कारण इसे रिजोल्यूट डेस्क कहते। प्रेजिडेंट हेज की डेस्क होने के कारण हेज डेस्क भी कहते हैं। ●● फिर जब व्हाइट हाउस में रिनोवेशन हुआ, ऑफिस से डेस्क हटाकर अन्यत्र रख दी गयी। जब केनेडी ऑफिस में आये, तो उनकी पत्नी में इस डेस्क को नोटिस किया। उसे वापस ओवल ऑफिस में रखवाया। एक बड़ी मशहूर तस्वीर है, जिसमे राष्ट्रपति काम कर रहे हैं, और उनका बेटा इस डेस्क में नीचे घुसा खेल रहा है। अमेरिका में लोग पत्नी के साथ कैम्पेन करते हैं। परिवार का प्रदर्शन करते हैं। हमारे यहां डौकीछोडवा निस्संतान निकम्मे भगोड़ों को खुदा मानने की परंपरा है। अमेरिकी वोटर, परिवार वाले और सहृदयी लोगो को अपना नेता बनाते हैं। शायद इसलिए वे विश्वगुरु हैं। बहरहाल, ऑफिस में प्रेजिडेंट के बच्चे की खेलती हुई तस्वीर ने केनेडी के जादू में औऱ इजाफा किया। वे दोबारा जीतकर आये। ●● इस बार दुर्भाग्यपूर्ण एससिनेशन के शिकार हुए। उनका सामान, इस रिजोल्यूट डेस्क के साथ उनके मेमोरियल का हिस्सा बना दिया गया। लेकिन जिमी कार्टर वहां से उठाकर वापस ओवल ऑफिस ले आये। तब से वहीं है।निक्सन, रीगन, क्लिंटन, ओबामा, बुश सबने इस डेस्क पर काम किया। ये डेस्क अमेरिकन प्रेजिडेंट की शक्ति का सिम्बल है। ●● एक त्रासदी का सबूत, नई खोज के लिए जीवन का त्याग, एक ऐसे देश का गिफ्ट, जिससे आजाद होकर वे अलग देश बने। लेकिन रिश्ते मित्रतापूर्ण बनाये। यह डेस्क जिंदा इतिहास है। इस पर बैठने वाला, अपने आप को अमेरिकन इतिहास का एक हिस्सा पाता है। गौरवान्वित होता है। ●● इतिहास हमारा, उनसे कहीं लम्बा है, समृद्ध है। लेकिन अहसास ए कमतरी हावी है। मुगलिया, इस्लामी, हिंदुस्तानी मोन्यूमेंट से शर्म आती है। खुद के बाजूबल से कुछ हासिल न किया, तो इतिहास में गर्व खोजने की हुनक है। तो शर्म से अपनी संसद ही त्याग दी। जहां भगतसिंह ने बहरों को सुनाने धमाका किया। जहां आधी रात को हिंदुस्तान अपनी डेस्टिनी से मिला। जहां सम्विधान बना। जहां देश के सबसे ऊंचे प्रधानमंत्री बैठे। जहां युद्ध जीते हारे गए। जहां दुश्मन देश के दो टुकड़े करने वाली दूर्गा दहाड़ी। वह भवन, उम्मीद करता हूँ एक दिन रिजोल्यूट डेस्क की तरह वापस हमारे लोकतंत्र का केंद्रबिंदु बनेगा। हेकड़ी, छल, तानाशाही, हो हल्ले का तिकोना भवन.. हमारे लोकतांत्रिक इतिहास के दाग के सबूत के रूप में अकेला छोड़ दिया जाएगा। ●● टाइम ने रिजोल्यूट डेस्क पर बैठें मस्क की तस्वीर लगाई है। अमेरिका में ताबड़तोड एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से, व्यवस्था की जड़ खोदी जा रही है। टाइम का सन्देश है कि लोकतंत्र, पर्दे के पीछे से निहित स्वार्थ के हाथों में पड़ गया है, डिक्टेटरशिप की ओर बढ़ रहे भारत मे भी गद्दी पर एक धनपशु बैठा है।हमने उसे इलेक्ट ��ही किया, परन्तु सारा देश उसके धन को बढाने के लिए पेट काटकर, मेहनत कर रहा है। ●● दुनिया भर में लोकतंत्र कमजोर हो रहे है, धन, तकनीक, डेटा, फेक न्यूज के हथियारों से विनाशकारी, विभाजनकारी नीतियां हावी है। मुट्ठी भर लोग, दुनिया को अपने तरीके से हांकना चाहते हैं। और दुनिया अमेरिका की ओर देख रही है। वहां जनता, कैसा रिस्पांड करेगी। क्या सँघर्ष होगा, क्या नतीजे होंगे। वह हमारी पीढ़ी, और मानवता की दिशा तय करेगी। ●● और हम, तथाकथित विश्वगुरु, इस सँघर्ष के मूक दर्शक होंगे। अपने देश मे बैठ, गालियां बकेंगे। समान हालात में, बस.. गर्व गर्व का खेल खेलेंगे।
0
0
0
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद एक भी चुनाव ईमानदारी से और निष्पक्ष नहीं हुआ।विपक्ष वो ही चुनाव जीता है जहां धांधली संभव नहीं हो सकी। यमुना भी भारत के लोकतंत्र से ज्यादा स्वच्छ है।
छत्तीसगढ़ में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं। आज तक ये बैलेट पेपर से होते थे। ●● चौराहे पर चल रही स्क्रीन से पता चला कि यह भी ईवीएम से होना है। ध्यान रहे, की नगरीय और पंचायत चुनाव को केंद्रीय चुनाव आयोग नही कराता, राज्य का चुनाव आयोग कराता है। राज्य का इलेक्शन कमीशन अमूमन किसी आईएएस के अंडर होता है, जो स्टेट गवर्मेंट के लगभग अंडर होता है। याने देश कब 28 राज्यो के 28 चुनाव आयोग हैं। जो अपने अपने तरीके से काम करते हैं। गुजरात मे पहली बार, 2008-08 में इसके लिए ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था। ये मशीनें तब केंद्रीय चुनाव आयोग से सप्लाई, या ऑथराइज्ड नही थी। धांधली का काफी शोर हुआ। पर बात आई गयी हो गई। लिंक ये रहा (1) (2) ●● तो छत्तीसगढ़ में भी राज्य चुनाव आयोग, अपनी मशीनों का इस्तेमाल कर रहा है। इन्हें किसने बनाया, सप्लाई कहाँ से है, क्या सॉफ्टवेयर है, क्या कोडिंग है, क्या प्रक्रिया अपनाई गई, यह पब्लिक डोमेन में नही है। यह भी जानकारी नही की क्या ये मशीन केंद्रीय चुनाव आयोग से वेरिफाइड है। अगर है, तो क्या चुनाव आयोग ने अन्य स्रोतों से प्राप्त मशीनों के वेरिफिकेशन का धंधा भी शुरू किया? कब से? वह केवल भारत में मशीन वेरिफाई कर रहा है, या विदेशों में भी अन्य श्रोत की मशीन पर अपना एगमार्क लगाकर बेचता है? ●● तमाम चुनाव मशीन से होने के बीच स्थानीय चुनाव मतपत्र से होने से एक अलग गलिम्प्स मिलता है। कई बार विधानसभा या लोकसभा से एकदम उलट नतीजे भी आते हैं। इससे मशीनों पर शुबहा पैदा होता है। अब यहां भी मशीनों का उपयोग, उस रास्ते को भी बंद करता है।
0
0
0
@mudit_aggarwal दो चार आप जैसे चेहरे जरूर फाइट करते नजर आ रहे थे,बाकी दिल्ली में कांग्रेस कहीं से चुनाव लड़ती नजर नहीं आ रही थी।दिल्ली के कुछ कांग्रेस नेताओं ने पार्टी का बड़ा नुकसान किया है,दिल बहुत रोता है...किसे कहें..?कौन सुनने वाला है?
0
1
9
रावण, कंस,जरासंध,दुर्योधन सब राजा थे।रावण तो त्रिलोक विजेता था।राम और कृष्ण जैसे आदर्शवादी आत्माओं को तो सारा जीवन तमाम चुनौतियों से निपटने में ही व्यतीत करना पड़ा।ये धरती पर राजा बनने का कैसा नियम है।आदर्शवादी ज्यादा दिन टिकते क्यों नहीं @BJP4India @INCIndia @RebornManish
0
0
0
मेरा खड़गे जी और राहुल गांधी जी से निवेदन है कि @INCDelhi को भंग करके दिल्ली में कांग्रेस की युवा और जोश से भरी नई टीम खड़ी करे। @kharge @RahulGandhi
0
0
0
@NayakRagini ये ज्ञान समर्पित कार्यकर्ता को कांटे की तरह चुभता है,भले ही कार्यकर्ता देश के किसी भी कोने में बैठा हो!
0
0
0
गंगा हो या यमुना ये नदिया��� कयामत तक मैली रहनी है। क्यों नेताओं के बहकावे में आते हैं लोग..? हां, नदियों के किनारे बसने वाले नागरिक अगर थोड़े सभ्य राष्ट्र भक्त बन जाएं और बड़े उद्योगपति अपने लालच पर नियंत्रण कर ले तो फिर कुछ सुधार हो सकता है @BJP4India @INCIndia
0
0
0