मन की थकन जो उतार दे,
वो अवकाश चाहिए..
इस भागती सी जिंदगी में,
फुरसत की सांस चाहिए...
चेहरों को नहीं दिल को भी,
पढ़ने का वक्त हो...
मुखौटों से कुछ पल,
संन्यास चाहिए...
बहुत मन भर गया
झूठी आन बान शान से...
बन जाऊं परिंदा कोई,
वो आभास चाहिए
मन की थकन जो उतार दे,
वो अवकाश चाहिए