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Dushyant Kumar Profile
Dushyant Kumar

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This account is mainly dedicated to one of the greatest poets of all time, Dushyant Kumar. ( 1/09/1933 - 30/12/1975 )

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Dushyant Kumar
3 years
कौन शासन से कहेगा, कौन समझेगा, एक चिड़िया इन धमाकों से सिहरती है।🥺🙏
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Dushyant Kumar
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पांचाली के तन पर लिपटी साड़ी खींच रहे थे वो, दोषी वो भी उतने ही है जबड़ा भींच रहे थे जो। घर की इज्जत तड़प रही कोई दो टूक नही बोले, पौत्र बहू को नग्न देखकर गंगा पुत्र नही खौले। - अमित शर्मा
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आदमी जब गिरना शुरू करता है तो ढाल से लुढ़कते हुए पत्थर की तरह कोई नहीं कह सकता कि उसका अंत कहाँ होगा - दुष्यंत कुमार
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जिस तबाही से लोग बचते थे, वो सरे आम हो रही है अब। - दुष्यंत कुमार
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रक्त वर्षों से नसों में खौलता है, आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है । - दुष्यंत कुमार
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कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, इस देश में राजा कौरव हो या पांडव। जनता तो बेचारी द्रौपदी है। कौरव राजा हुए तो चीर हरण के काम आएगी और पांडव राजा हुए तो जुए में हार दी जाएगी। - सुरेंद्र शर्मा
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तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं - दुष्यंत कुमार
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तू न समझेगा सियासत तू अभी नादान है..!!! - दुष्यंत कुमार
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मजबूरी में हमें उन लोगों की याद आती है जिनकी सूरत भी विस्मृत हो चुकी होती है। विदेश में हमें अपने मोहल्ले का नाई या कहार भी मिल जाए, तो हम उसके गले मिल जाते हैं, चाहे देश में उससे कभी सीधी मुंह बात भी ना की हो। - प्रेमचंद
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तमाशा करने वालों को क्या खबर, हमने कितने तूफानों को पार कर, दीया जलाया है ! - अज्ञात
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10 days
पत्थर की चमक है ना नगीने की चमक है, चेहरे पर सीना तान के जीने की चमक है। पुरखों से विरासत में हमें कुछ नहीं मिला, जो दिख रही है खून पसीने की चमक है। - स्वयं श्रीवास्तव
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कभी कभी उदासी भी थक जाती है । - धर्मवीर भारती
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ईश्वर भी शायद स्वेच्छाचारी नहीं है - उसे भी सृष्टि करनी ही है, क्योंकि उन्माद से बचने के लिए सृजन अनिवार्य है। वह सृष्टि नहीं करेगा तो पागल हो जायेगा। - अज्ञेय
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आंखों से मेरे नींद की आहट चली गई, वो घर से गया घर की सजावट चली गई। - स्वयं श्रीवास्तव
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देश का आधा बजट तो सरकारी अफ़सरों के पेट में जाता है। - शरद जोशी
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दुकानदार तो मेले में लुट गए यारों, तमाशबीन दुकानें लगा के बैठ गए । - दुष्यंत कुमार
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आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख, घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख। - दुष्यंत कुमार
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13 days
जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं । - दुष्यंत कुमार
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डरना नहीं किसी के भी पैरों की नाप से आखिर में पुण्य जीत ही जाएगा पाप से गीता में कृष्ण ने कहा अर्ज���न से बस यही पहली लड़ाई जीतनी है अपने आप से -स्वयं श्रीवास्तव
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मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता, हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे। - दुष्यंत कुमार
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Dushyant Kumar
15 days
तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चरण धरो रे! जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे!🔥 - दिनकर
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