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Prakash K Ray
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let’s live life, don’t be angry and afraid. let’s build something good.
Delhi. India.
Joined July 2009
आर्थिक महाशक्तियां चिल्लर नहीं रखतीं राष्ट्रपति @POTUS ने अमेरिकी ट्रेज़री से पेनी/सेंट के सिक्के ढालना बंद करने को कहा है. उन्होंने कहा है कि एक सेंट ढालने में दो सेंट से ज़्यादा ख़र्च होता है. ख़ैर, पेनीज़ फ़्रॉम हेवेन जैसे गीत और टू सेंट्स जैसे मुहावरे रहेंगे. वह कहानी याद आती है, जिसमें कहा जाता है कि एक भारतीय युवा ने यमन के चाँदी के रियाल को चलन से बाहर कर दिया था. यह कहानी उस किताब में है, जो भारत में शायद प्रतिबंधित है. वह युवा बाद में भारत का सबसे बड़ा उद्योगपति बना और उसके द्वारा स्थापित समूह आज भारत का सबसे बड़ा कारोबारी समूह है. हालाँकि परिवार इस कहानी को मनगढ़ंत बताता है. कहानी के अनुसार, उस युवा ने पाया कि रियाल में चाँदी की जितनी मात्रा है, उसकी क़ीमत विनिमय बाज़ार में रियाल से कहीं ज़्यादा है. वह युवा यमन के हर हिस्से से रियाल ख़रीदने लगा. उसे पिघलाकर निकाली गयी चाँदी लंदन के बुलियन बाज़ार को भेजी जाती थी. हमारे देश में 2011 में चवन्नी ढालना बंद करने का फ़ैसला लिया गया था क्योंकि उसमें ख़र्च ज़्यादा होता था. तब मैंने एक टिप्पणी लिखी थी, जिसका एक संपादित अंश यहाँ चिपका रहा हूँ: आर्थिक महाशक्तियां चिल्लर नहीं रखतीं 30 जून 2011 सुबह मैंने एक मित्र से थोड़ा सैड-सेंटी भाव में चवन्नी की विदाई की चर्चा की. तपाक से उनका जवाब था- तुम्हारे जैसे सिनिकल लोगों की यही दिक़्क़त है. देश बढ़ रहा है, देश के बढ़ने की दर बढ़ रही है और तुम चवन्नी के फेर में पड़े हो. बात सही भी है. जहाँ हज़ार करोड़ से नीचे बात करने का फ़ैशन ना हो, वहाँ चवन्नी को लेकर सीरियस होना फ़िज़ूल है. आख़िर कब तक आदमी अपने होने का मतलब यादों के इडियट बॉक्स में ढूंढें! ख़ैर, चवन्नी का चलन आज से बंद हो जायेगा. सरकार का कहना है कि ऐसा स्टील की क़ीमतों के बढ़ने और मुद्रा��्फीति की मजबूती के कारण किया जा रहा है. यह बात और है कि प्रशांत भूषण बताते हैं कि चवन्नी तो छोड़िये, सरकार ख़ुद ही लोहे को कौड़ियों के दाम में बेच रही है. बहरहाल, चवन्नी तो विदा हो रही है, लेकिन हमारी संस्कृति के नुक्कड़ों पर उसकी मौजूदगी बनी रहेगी. चवन्नी नहीं रहेगी, लेकिन चवन्नी-छाप रहेंगे. राजनीति के बारे में चर्चा होगी, तो आज़ादी की लड़ाई में चवन्निया मेम्बरी के ज़रिये लोगों को कॉंग्रेस के बैनर तले इकठ्ठा करने की जुगत की चर्चा ज़रूर होगी. चवन्नी बचा-बचा कर सिनेमा जाने का भगत सिंह का जुगाड़ भी बार-बार याद आयेगा. बचपन के गुल्लकों में गिरती चवन्नी की झन की आवाज़ इस अपव्ययी समय में भी बची हुई है. और, वह चुटकुला भी तो रहेगा, जिसमें कहा जाता है कि हद है, यहाँ लोग ऐसे थूकते हैं कि चवन्नी का भ्रम होता है. जावेद अख्तर और अजय ब्रह्मात्मज की चिंताओं में तो कम-से-कम चवन्निया दर्शक बचा रहेगा. मित्र प्रशांत राज फ़ेसबुक पर लिखते हैं कि ‘दे दे मेरा पांच रुपैया बारह आना…’ अब बस एक गाना भर रह जायेगा. क्या करें, आना, सवैया, पहाड़े में ज़िंदगी का हिसाब लगाने वाला समाज भी तो नहीं रहा. अब तो डिजिटल का ज़माना है, जहाँ ‘शून्य’ और ‘एक’ हैं. और, फिर हमारी सरकार की ऑफ़िशियल ज़िद्द है, जितना जल्दी हो सके, देश की अस्सी प्रतिशत आबादी को शहरी बना देना है. अब शहर में चवन्नी का मतलब क्या है! वो तो हिसाब-किताब की मज़बूरी है, नहीं तो अट्ठन्नी भी कभी की ग़ायब हो गयी होती. वैसे उसके दिन भी गिनती के हैं. आर्थिक महाशक्तियां चिल्लर नहीं रखतीं. खुल्ले के फेर में इस दूकान से उस दूकान चक्कर नहीं लगातीं. खुलेपन के दौर में खुल्ले की उम्मीद ना करें. यह बात और है कि आज भी बड़ी आबादी का निपटान खुले में ही होता है. खुलापन एक व्यापक और विचित्र फ़ेनोमेना है. कैसा रहा होगा वह समाज, जो कौड़ियों से अपने धन का हिसाब लगा लेता था! चवन्नी का जाना बचे-खुचे का जाना है. हम आज कुछ और ग़रीब हुए हैं. बस एक चवन्नी-छाप उम्मीद है, सो है…
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ट्रेड वॉर अपडेट: ट्रम्प ने अमेरिका में आयात होने वाले स��टील और एल्मुनियम पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है. इसका विवरण आज आयेगा. इसका असर भारतीय कंपनियों के शेयरों पर पड़ा है. ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि वह शुल्क घटाने का अनुरोध करेगा. चीन ने अमेरिकी कोयले और लिक्विड नेचुरल गैस पर 15% तथा कच्चे तेल, कृषि मशीनरी और बड़े इंजन वाली कारों पर 10% आयात शुल्क लगाने की जो घोषणा की थी, वह 10 फ़रवरी से लागू हो रही है. चीन विश्व व्यापार संगठन में भी अमेरिका के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने जा रहा है. कनाडा और मैक्सिको से होने वाली आयात पर लगाया गया शुल्क अभी स्थगित है, पर ट्रम्प ने संकेत दिया है कि वे इन देशों पर भी शुल्क लगायेंगे. यह स्थगन उन देशों द्वारा सीमा पर चौकसी बढ़ाने के बदले किया गया है.
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@barua_ashish अमेरिका में भारत की तरह सब कुछ नहीं होता. वहाँ ज़्यादातर लोग कांट्रैक्ट पर कम करते हैं. बहुत से अधिकारी और जज चुनाव से तय होते हैं. कई पदों पर निर्वाचित लोग अपने स्तर पर नियुक्ति करते हैं. इसलिए भारत के हिसाब से अमेरिका का हिसाब नहीं लगाया जाना चाहिए.
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत की है. यह भी @POTUS ने कहा कि वे यह नहीं बता सकते कि उनकी राष्ट्रपति ��ुतिन से कितनी बार बात हुई है. यह जानकारी @nypost ने दी है. अख़बार ने कहा है कि @realDonaldTrump ने यह बात एयर फ़ोर्स वन जहाज़ पर इंटरव्यू में कही. लेकिन रूसी राष्ट्रपति कार्यालय @KremlinRussia_E के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने रूस के सरकारी समाचार एजेंसी @tassagency_en को कहा है कि वे न तो ऐसी बातचीत की न पुष्टि कर सकते हैं और न ही इनकार कर सकते हैं. बहरहाल, अगर बात हुई है, तो तीन साल में दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के बीच पहली बातचीत है. ऐसी बातचीत होते रहना आवश्यक है.
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@A14111889 देश को नुक़सान नहीं होगा. इसके द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों से अपनी जेब गर्म करने वाले कुछ लोगों को होगा.
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सेवा क्षेत्र में 2024 में चीन का व्यापार (आयात एवं निर्यात) लगभग 1.05 ट्रिलियन डॉलर (7.5 ट्रिलियन युआन) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया, जो अब तक का सर्वाधिक है. यह 2023 की तुलना में 14.4% अधिक है. सेवा निर्यात में 18.2% और आयात में 11.8% की वार्षिक वृद्धि हुई. इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह डिजिटलीकरण, स्मार्ट तकनीक विकास और हरित विकास बताया जा रहा है. कई देशों के लोगों के लिए वीज़ा हटाने की नीति से पर्यटन क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है. साथ ही, चीन को अंतरराष्ट्रीय सहभागिता बढ़ाने का लाभ भी हो रहा है.
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@DeepakSuneja वहाँ कुछ रास्ता निकाल लेगा प्रशासन. भारत में तो भ्रष्टाचार ही नहीं है. यहाँ सब कुछ संविधान से चलता है.😎
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ट्रम्प ने अमेरिका के पूर्व विदेश सचिव टोनी ब्लिंकेन और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवान समेत बाइडेन प्रशासन के अनेक बड़े अधिकारियों का सिक्योरिटी क्लियरेंस हटा दिया है. अब इन्हें गोपनीय सूचनाएँ नहीं मिलेंगी और फ़ेडरल सरकार के कार्यालयों में प्रवेश नहीं कर सकेंगे. ब्लिंकेन और सुलीवान ग़ाज़ा जनसंहार के प्रमुख प्रायोजक थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का सिक्योरिटी क्लियरेंस हटा दिया है. अब उन्हें गोपनीय सूचनाएँ नहीं मिलेंगी. ट्रम्प ने कहा है कि बाइडेन की यादाश्त ठीक नहीं है और उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. बाइडेन ने ऐसा ही ट्रम्प के साथ किया था.
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