दिनभर के इंतजार के बाद तुमसे बात करने के लिए, दौड़ते हुए घर पहुंचना, फिर छत पर एक कोना लिए, इयरफोन लगा तुम्हे फोन लगाना, थोड़ा सा बोलना, फिर तुम्हे सुनना, फिर दोनों का खामोश हो जाना, उस खामोशी के क्षणों में तुम्हारी सांसों को सुनना,खैर!... वो भी एक अलग दौर था...!