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manish bhargava
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Mentor, author (कचहरीनामा) (बेरंग लिफ़ाफ़े -उपन्यास),(नल दमयंती -उपन्यास) Being Navodayan,Legal and financial Adviser
New Delhi, India
Joined May 2010
***ऑफिस का मनोविज्ञान**** मनोहर ने देखा इस महीने के पोस्टपेड मोबाइल के बिल में 39/- का अतिरिक्त चार्ज है, इसे देखकर वह गुस्से में मोबाइल कंपनी को भला बुरा कहते हुए बड़बड़ाया "पोस्टपेड लेने से अच्छा था प्रीपेड ही चलाता,कम से कम बिल में कुछ जोड़ तो नहीं सकते थे,इनकी हिम्मत कैसे हुई,अभी देखता हूं" उसने अपना पुराना स्कूटर स्टार्ट किया और दौड़ा दौड़ा गुस्से में मोबाइल कंपनी के सेंटर पर जा पहुंचा, गहराती हुई धुंध और सर्दी में उसने कई कपड़े और ऊपर से मफलर पहन रखा था,जैसे ही वह अंदर पहुंचा तो बढ़े हुए टेंपरेचर के साथ साथ मुस्कराते हुए एक व्यक्ति ने नमस्कार कर कहा "सर आपकी क्या मदद कर सकते हैं?, यह सुनते ही मनोहर गुस्से में बोल बैठा "क्या मनमानी चल रही है,39- 39 रुपए जोड़कर करोड़ों कमा रहे हो, जनता का खून चूस रहे हो" मुस्कराकर वह कर्मचारी बोला "सर मैं आपकी प्रॉब्लम समझ सकता हूं, कृपया अपना नंबर बताएं" इतने में मनोहर को गर्मी महसूस होने लगी,उसने मफलर निकाला,आंखे दिखाते हुए गुस्से में सबको देखा और अपना नंबर बोल दिया। थोड़ी देर बाद मनोहर को अंदर केबिन में किसी मोहतरमा की ओर इशारा कर भेज दिया गया, और उसके कुछ समय बाद वह खुश होता हुआ वापस निकला, उसके 39 रुपए हटा दिए गए थे, बाहर निकलते ही मनोहर अपनी तारीफ करता हुआ पूरे सेंटर को फिर से भला बुरा कह कर और भविष्य में ऐसा न हो इसकी धमकी देकर निकल गया । बाहर निकलते ही उसे याद आया आज उसके बेटे का ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट भी था जिसमें 12 बजे पहुंचना था वह, दौड़ा भागा 12:15 पर जा पहुंचा । पहुंचने पर उसे गार्ड ने रोक दिया और देर से आने पर अंदर नहीं जाने दिया, बड़ी रिक्वेस्ट और हाथ जोड़ने के बाद गार्ड ने अधिकारी के इशारे पर अंदर भेज दिया, अंदर पहुंचते ही मनोहर को देख एक पहलवान जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने कड़कती आवाज में कहा "तुम्हारा टेस्ट है क्या?" "नहीं साहब बेटे का है" "तुम अंदर कैसे आए, यहां आना एलाऊ नहीं है, चारों तरफ कैमरे लगे हैं,बाहर निकलो यहां से" मनोहर को ऐसा महसूस कराया गया जैसे वह कोई जुर्म कर रहा है, और उसे बाहर निकाल दिया गया, अब उसका 19 वर्षीय बेटा अकेला अंदर था, उसे भी गाड़ी में ही बैठे रहने के निर्देश दिए गए और बाहर निकलने से मना किया गया साथ ही कड़क आवाज में लाइसेंस टेस्ट के कागज मांगे गए। यह पूरी प्रकिया उस दफ्तर का मनोविज्ञान था जिसके मारे सभी दम तोड़ देते थे । उस मनोविज्ञान को तोड़ना फ्राइड के बस की बात भी नहीं थी। इधर मनोहर बाहर खड़ा हो गया, बाहर उसे एक दलाल ने पकड़ा और कहा" टेस्ट पास करना बहुत मुश्किल होता है मैं तो नहीं कर पाया, जबकि मैं लद्दाख तक गाड़ी चला कर ले गया लेकिन इनका टेस्ट पास नहीं कर पाया" आखिर मनोहर पहले ही दवाब में था, उसे पता था यह सरकारी ऑफिस है यहां चिल्लाना भी ठीक नहीं है, यदि कोई प्राइवेट ऑफिस होता तो उसके मालिक को भी गरिया सकता था,भले ही वह मालिक लाखों करोड़ का मालिक हो, पर सरकारी ऑफिस के चपरासी से भी तेज बोलने में डर लगता है,पता नहीं क्या बिगाड़ दे, उसे पता नहीं था आगे क्या होगा, वह चुपचाप खड़ा रहा,अंदर से आए हुए लोगों के टेस्ट फैल हो��े के कारण, बुझे चेहरे उसे और मजबूर कर थे थे थोड़ी देर बाद दलाल फिर बोला "सिर्फ 10000 लगेंगे, दोनो टेस्ट पास हो जायेगा, कहो तो करवाऊं" "इतना पैसा! पहले तो 500 ही लगते थे" मनोहर बोला " यह अधिकारी ईमानदार हैं, पहले प्रोफेसर की फिर तहसीलदार की नौकरी छोड़कर RTO में इंस्पेक्टर बना है,कोई देश की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने तो बना तो नहीं होगा,और फिर आजकल सब कुछ डिजिटल है,कैमरे लगे हैं, तो रिस्क ज्यादा मतलब फीस ज्यादा" कुछ देर बाद उसका बेटा मुंह लटकाए हुए बाहर आ चुका था,मनोहर ने दलाल से बात की, अगला स्लॉट का समय लेकर आने को कहा और चला गया । उसने गाड़ी में बैठकर खुद ड्राइविंग सम्हाली,और गाड़ी स्टार्ट करते हुए शायरी गुनगुनाने लगा ' हर एक दिन हम ऐसे दफ्तर काटते हैं फाइल भौंकती है और अफसर काटते हैं' मनीष भार्गव #कचहरीनामा #बेरंगलिफाफे #प्रशासन #ऑफिस
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****बड़ा नशा***** उसने तीसरा पैग खत्म किया और आएं बाएं बोलने लगा, किसी को गाली दी तो किसी को भाई बोला,जैसे ही चौथा पैग खत्म हुआ तो और भी तेज आवाज हो गई, उसकी बदतमीज़ी देखकर पास खड़े एक पहलवान ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा ही था कि वह लड़खड़ाते हुए शांत खड़ा हो गया और बोला "आप मेरे बड़े भाई हो,आप मुझमें 4 थप्पड़ मारोगे" यह सुनते ही वह बड़ा भाई दूर हट गया और कहता गया "ज्यादा चढ़ गई है" नशे की यह खूबी थी कि वह इंसान देखकर समझ जाता था किसे भाई बोलना है और किसे गाली देना है, उसका दूसरा दोस्त मनोहर, नशेड़ी न था वह पीने की बात तो दूर पीने का विचार भी न करता था लेकिन वह वहां उल्टा व्यवहार कर रहा था वह हर किसी को धमका रहा था, बार के कर्मचारियों से कह रहा था " लाइसेंस कैंसल करा दूंगा तुम्हारा, इनकम टैक्स का छापा पड़वा दूंगा" इसी तरीके की बातें सभी से किए जा रहा था, उसे देखकर सभी सोच रहे थे इसने नशा नहीं किया फिर यह क्यों नशेड़ियों से बढ़कर व्यवहार कर रहा है थोड़ी देर बाद पता चला वह कानून की किताबें पढ़कर आया था और उसका नशा शराब से भी ज्यादा था, आखिर में उसे दो लोगों ने उठाया और बार के बाहर फैंक दिया 🤣🤣🤣🤣 सत्ता,पद,धन और ज्ञान इनका नशा नशे से बड़ा होता है मनीष भार्गव
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यदि आप अपमान,हानि,हार और धोखा मुस्कराते हुए पेशेंस के साथ सहन कर सकते हैं तो यकीन मानिए आपकी हार को जीत में और हानि को लाभ में अपमान को सम्मान में धोखे को विश्वास में बदलने से कोई नहीं रोक सकता सिर्फ समय का इंतजार करें वह भी पेशेंस के साथ मुस्कराते हुए यहां सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर समय और पेशेंस है और कुछ नहीं मनीष भार्गव
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क्या आप सोच सकते हैं कि किसी व्यक्ति का नाम ही "26 जनवरी" हो सकता है? एमपी के मंदसौर के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में एक ऐसे शासकीय कर्मचारी हैं, जिनका नाम है "26 जनवरी टेलर"। जब भी वह अपना नाम किसी को बताते हैं, तो लोग हैरान हो जाते हैं। 26 जनवरी टेलर का कहना है कि उन्हें अपने नाम पर गर्व है, हालांकि इसे लेकर उन्हें कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। एक बार उनके नाम की वजह से उनकी सैलरी भी रुक गई थी। बाद में कई सत्यापन के बाद ही उन्हें वेतन मिल पाया। #RepublicDay #26January #UniqueName #MadhyaPradesh
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UPS भी इन्हीं के संघर्षों की देन है, उम्मीद है 8 वें वेतन आयोग का भी यह ऐसा ही हाल करवाएंगे
*प्रिय साथियों*, *हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय हमारे सभी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आपके मेहनत और समर्पण को मान्यता देता है।* *हम जानते हैं कि यह समय आपके लिए कई चुनौतियों का सामना करने का रहा है, और हम इस नए वेतन आयोग से उम्मीद करते हैं कि यह आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगा। हम सभी कर्मचारियों से अपील करते हैं कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय भाग लें और अपने सुझावों एवं विचारों को साझा करें।* *आपका समर्पण और मेहनत हमारे देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, हम मिलकर इस नए अध्याय की शुरुआत करें और अपने अधिकारों के लिए एकजुट रहें।* *AIRF जिंदाबाद NCJA जिंदाबाद*।।👍👍👍🚩🚩🚩🚩*@AshwiniVaishnaw @AshwiniVaishnaw @RailMinIndia @ShivaGopalMish1
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सिस्टम किस तरह से काम करता है यह इस राजपत्र से आसानी से समझा जा सकता है,कई वर्षों की मेहनत और आंदोलन के बाद सरकार ने UPS पेंशन का प्रारूप तैयार किया है,इसमें दिखाया गया है कि सरकार आपका कितना ख्याल रखती है,इतनी मेहरबानी के लिए कर्मचारी शायद ही सरकार का कर्ज उतार पाएंगे, यदि कोई इस पेंशन को लेना चाहता है तो,आप पर दया दिखाते हुए आपकी जीवन भर की जमा पूंजी सरकार रख लेगी,साथ ही सरकार ने कर्मचारियों की स्पेशल व्यवस्था के तहत यह प्रबंधन किया है कि VRS लेने के बाद भी पेंशन के लिए 60 वर्ष की उम्र तक इंतजार करना पड़ेगा यह प्रारूप भी ऐसे ही नहीं बना इसके लिए सरकार ने वर्षों की मेहनत की है,कई IAS अधिकारियों ने अपनी बुद्धि लगाई है कई बाबुओं ने अपना अनुभव लगाया है तब जाकर इस अमृत की खोज की है इस अमृत से नेता और माननीय जज दूर रखे गए हैं यह अफसोस की बात है,उन्हें भला इतनी लाभकारी चीज से दूर क्यों रखा जाए,क्या देश उनके लिए इतना भी नहीं कर सकता
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लोकप्रियता का नशा भी पैसे की ही तरह है, जिसे गलत तरीके से पैसे कमाने की आदत पड़ जाती है,तो वह एक समय बाद पैसे न मिलने पर वैचेन रहता है वैसे ही गलत तरीके से लोकप्रियता हासिल करने वाला व्यक्ति कुछ समय बाद वैचेन दिखता है,क्योंकि हर समय उसे वह मेन्टेन नहीं कर पाता शॉर्टकट से तय की गई मंजिल भी शार्ट टर्म ही होती है मनीष भार्गव
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कोई व्यक्ति मूर्ति पूजा नहीं करता या उसका मूर्ति पूजा में भरोसा नहीं है तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह मूर्ति पूजा करने वाले का विरोध करे, कोई व्यक्ति मूर्ति पूजा करता है तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह नास्तिक को मूर्ति पूजने के लिए मजबूर करे, किसी व्यक्ति को विवाह न करने या आजीवन अविवाहित रहने के कारण सफलता मिले या जीवन बेहतर लगे तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह विवाह करने वालों को अपमानित करे या उन्हें विवाह न करने के लिए बाध्य करे, यदि कोई जनेऊ पहनता है तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह जनेऊ न पहनने वाले को जबरदस्ती जनेऊ पहनने के लिए कहे यदि कोई जनेऊ नहीं पहनता तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह जनेऊ पहनने वाले का अपमान करे, भारत की भूमि परंपराओं का सिर्फ सम्मान नहीं करती अपितु उसे समाहित भी करती है, धर्म वह बिल्कुल नहीं है जो दूसरों को स्वीकार न करे स्वयं चिंतन करें और दूसरों के नजर से दुनिया देखने से बचें मनीष भार्गव
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पी एच डी होल्डर या इंजीनियर से ज्यादा काम का होता है, डिप्लोमा आईटीआई,पॉलीटेक्निक किया हुआ कोई टेक्नीशियन प्रोफेसर से ज्यादा काम आता है डी एड धारी कोई प्राइमरी टीचर जिले में सर्जन या ह्रदय रोग विशेषज्ञ से ज्यादा काम का होता है ब्लॉक पर पोस्टेड कंपाउंडर स्त्री रोग विशेषज्ञ से ज्यादा काम आती है एक नर्स कलेक्टर से ज्यादा काम का है तहसीलदार तहसीलदार से ज्यादा काम का है पटवारी अधिकतर सभी फील्ड में यही प्रक्रिया है, छोटे में बड़ा समाहित है लेकिन बड़े में छोटा नहीं लेकिन जो काम का नहीं है वह जीवन भर इसी भ्रम में रहता है कि मैं ही सब कुछ कर रहा हूं मनीष भार्गव
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*******बदला और इंसान****** 2010 में सिविल की तैयारी के दौरान एक स्ट��डेंट से मुलाकात हुई जिसने उस वर्ष इंटरव्यू दिया था,उसकी पहली प्राथमिकता IAS न होकर IPS थी, उससे जब भी यह पूछा जाता कि ऐसा क्यों? तो उसका यही जवाब रहता "किसी से हिसाब बराबर करना है उसी के कारण आई पी एस बनना है,"(हिसाब से मतलब उसने अपने गांव के एक दबंग से प्रताड़ित होने की कहानी सुनी थी) उसके कमरे में अशोक स्तंभ की वर्दी और रिवॉल्वर लगी हुई ड्रेस जगह जगह दीवालों पर लगी हुई दिखती थी। कुछ दिन पहले पढ़ा था कि किसी सांप/नाग द्वारा अपना बदला लेने के लिए 6 साल तक प्रयास किए गए और आखिर कर उसने अपना बदला पूरा किया। बदले की यह प्रवृत्ति आम तौर पर इंसानों में और जानवरों में दोनों में ही देखने को मिलती है, बदला एक ऐसी प्रक्रिया है जो जब हावी हो जाती है तो व्यक्ति को ऊर्जा से भर देती है, किसी समय की खबर थी कि 70 वर्षीय व्यक्ति ने अपने बेटे के ब���ले के लिए दिल्ली एनसीआर की एक पाश सोसायटी में 3 साल गार्ड का काम किया और अपना बदला पूरा कर पुलिस को सरेंडर कर दिया, 4 साल पहले मुंबई में एक अधिकारी को रंगे हाथों पकड़वाया गया,बाद में पता चला उस अधिकारी के पिताजी ने जिसे पकड़ा था उसी के बेटे ने 25 साल बाद हिसाब बराबर किया। जानवरों में यह प्रवृत्ति इंसान से पहुंची है या इंसान में जानवर से कहना मुश्किल है, लेकिन कर्म सिद्धांत कहता है जो कर्म हुआ है उसका परिणाम जरूर होगा,हालांकि जो कर्म सिद्धांत नहीं जानते या नहीं मानते वह आइंस्टीन या न्यूटन थ्योरी मान कर कहते हैं ऊर्जा नष्ट नहीं हो सकती यह परिवर्तित होती है एक रूप से दूसरे में, या प्रत्येक एक्शन का रिएक्शन होता है । कर्म सिद्धांत भी यही बता रहा है अंतर इतना है कर्म सिद्धांत का दायरा जीवन और जीवन से परे भी है, कर्म सिद्धांत के अनुसार इस ऊर्जा को रोका जा सकता है समझ और प्रज्ञा के जरिए। बदला भी उसी तरह ऊर्जा के रूप में काम करता है यह लोगों के मन में गहरी तरह से बैठा है, बदलापुर, दृश्यम, वेडनेसडे, शादी में जरूर आना(ठुकरा के मेरा प्यार,मेरा इंतकाम देखेगी) जैसी मूवी जब भी आती है तो लोग इन्हें लंबे समय तक देखना पसंद करते हैं,ऐसी मूवी लोगों के बदले की अभिव्यक्ति ही है, साहित्य हो या कला इसकी अभिव्यक्ति से भरी पड़ी है,कई साहित्यकार या कलाकार सिर्फ बदला लेने की अभिव्यक्ति के लिए ही रचना करते हैं। इसलिए व्यक्ति को अपने कर्म का हिसाब रखना चाहिए, वह लौटकर जरूर आता है,और तब आता है जब आप मुकाबला करने लायक नहीं होते,जब आप खुद उसे भूल चुके होते हैं,यह आपकी पीढ़ियों तक पीछा करता है मनीष भार्गव
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आप का बहुत बहुत धन्यवाद ,कहीं यह OPS/UPS/NPS जैसा न बन जाए इसलिए आप इस मामले से दूरी बनाए रखें तो ज्यादा उचित निर्णय होगा
पूरा किया एक वादा प्रिय रेलवे परिवार के साथियों, आज हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने वादे को निभाते हुए आपके हितों की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लंबे संघर्ष और अथक प्रयासों के बाद, हमने भारत सरकार से 8वें वेतन आयोग का गठन करवाने में सफलता प्राप्त की है। यह उपलब्धि आपकी मेहनत, आपके समर्थन, और आपकी एकता का प्रमाण है। रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने की हमारी यह लड़ाई हमेशा जारी रहेगी। आपके समर्पण और कड़ी मेहनत के बिना यह संभव नहीं था। 8वें वेतन आयोग का गठन न केवल एक नई शुरुआत है, बल्कि आपकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। 8वें वेतन आयोग का गठन करने के लिए हम माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हैं। हम आप सभी का भी आभार व्यक्त करते हैं कि आपने हम पर विश्वास किया और इस महत्वपूर्ण प्रयास में हमारा साथ दिया। आने वाले समय में भी, हम सभी एकजुट होकर अपने रेलवे परिवार के अधिकारों की रक्षा और उनके हितों के लिए संघर्ष करते रहेंगे। शिव गोपाल मिश्रा महामंत्री AIRF/NRMU @AshwiniVaishnaw @ITFglobalunion @RailMinIndia @PMOIndia
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इस तरीके से लिस्ट द्वारा कोई अधिकारी फाइल तैयार नहीं करता,यह सब झूठ है , यह हो सकता है कि कई लेखपाल भ्रष्ट हों लेकिन इस तरीके से नाम के साथ दस्तावेज शेयर करना उचित नहीं है,यदि यह भ्रष्ट हैं तो इनके खिलाफ सबूत दें और शिकायत करें ऐसी कोई फाइल कोई इतना बड़ा अधिकारी नहीं बनाता
हरियाणा राज्य में 370 भ्रष्ट लेखपाल हैं। खुद एडिशनल चीफ सेक्रेट्री ने इनकी लिस्ट जारी की है। इन लेखपालों ने अपने नीचे 170 प्राइवेट व्यक्ति रखे हुए हैं, जो काम के बदले लोगों से पैसा वसूलते हैं। संभवतः ऐसा पहली बार है, जब किसी सरकार के अफसर ने घूसखोरी की बात कुबूली है।
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ऐसे पद जहां जनता से डायरेक्ट संवाद होता है या जहां हर प्रकार के समूह को डील करना होता है, वहां कम उम्र के लोगों को भेजना अधिकतर गलत सिद्ध होता है UPSC जैसे एग्जाम को निकालने के कारण भले ही उनकी रीजनिंग बेहतर हो लेकिन लोगों के समझने के लिए जिस अनुभव और भावनाओं के पुंज की जरूरत होती है वह उनके पास नहीं होता वह अधिकतर युवा, अहंकार ,बदले और बदलाव में ही ऊर्जा बेकार कर देते हैं, और खुद तो कुछ करने में सक्षम नहीं होते, पर दूसरों को परेशान जरूर कर देते हैं, चाहे वह किसी जिला स्तर का अधिकारी का पद हो या किसी विभाग का सहायक संचालक अनुभव की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उम्र और समय से ही आता है इसे पढ़ कर हासिल नहीं किया जा सकता पढ़कर एप्टीट्यूट तो बढ़ाया जा सकता है पर एटिट्यूड नहीं, पढ़कर संख्या की क्षमता तो बढ़ाई जा सकती है लेकिन समन्वय नहीं एग्जाम पास कर अहंकार तो सीखा जा सकता है लेकिन नम्रता नहीं एग्जाम में टॉप कर जीतना तो सीखा जा सकता है लेकिन हारना सीखने के लिए अनुभव ही चाहिए एग्जाम में जीतकर सहानुभूति दिखाना सीख सकते हैं पर समानुभूति देखने के लिए जिंदगी को जीना पड़ेगा कुछ संस्थाएं भी ऐसी हैं कि जहां से हमेशा अधिकारी ही निकलते हैं, उन्हें भी समझने की जरूरत है कि उनके यहां से अधिकारी नहीं इंसान निकलें जो दूसरों को समझ सकें और सच में सेवा करने की भावना रख सकें UPSC इस मामले में सबसे ऊपर है,यहां से अधिकतर अधिकारी ही निकलते हैं मनीष भार्गव #प्रशासन #कचहरीनामा
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कितने लोग नहाए ? महाकुंभ में गिनती कैसे हो रही है ? ये कहा जा रहा है कि महाकुंभ में 45 करोड़ लोग स्नान करेंगे । मकर संक्रांति के दिन ही 3.5 करोड़ लोगों ने स्नान किया था । ये सारे आंकड़े देखकर जिहादियों और कम्युनिस्टों के सीने में काफी जलन हो रही है । हाल ही में अपने एक कार्यक्रम में रवीश कुमार ने एक सवाल खड़ा किया है कि यूपी सरकार ने ये कह दिया कि 45 करोड़ लोग स्नान करेंगे तो किसी ने इस आंकड़े पर प्रश्न क्यों नहीं खड़ा किया । आखिर कैसे ये मान लिया जाए कि इतने लोग आ रहे हैं । क्या गिनती का कोई तरीका है । महाकुंभ के वैभव से चिढ़ रहे जिहादी और कम्यूनिस्ट लिबरल भी काफी जल रहे हैं और अपने आस पास मौजूद हिंदुओं से सवाल पूछ रहे हैं कि बताओ गिनती कैसे हो रही है । तो ऐसे सभी लोगों को और जलाने के लिए ये लेख जरूर भेजें । दरअसल कोई भी आराम से घर बैठे गिनती कर सकता है । मैं बताता हूं कैसे । देखिए 3 हजार स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं और सब फुल हो चुकी हैं टिकट तो मिलना बड़ा ही मुश्किल हो रहा है । अब एक ट्रेन में 20 डिब्बे होते हैं और हर डिब्बे में औसतन 100 यात्री होते हैं अगर एक ट्रेन एक बार में 2000 लोगों को लेकर आ रही है तो इस हिसाब से 3000 ट्रेनों से हर दिन 60 लाख लोग कुंभ पहुंच रहे हैं । महाकुंभ की पार्किंग में 5 लाख गाड़ियों को रोके जाने की व्यवस्था है । अगर अगर मान लीजिए न्यूनतम एक गाड़ी में 4 लोग भी बैठें तो भी 20 लाख लोग हर रोज गाड़ियों से आ रहे हैं और ये सबको पता है कि पार्किंग भी फुल है 7000 स्पेशल बसें चल रही हैं अगर हर बस में कम से कम 60 लोग मानें तो भी 4 लाख से ज्यादा लोग हर दिन बस से आ रहे हैं और सबसे बड़ी बात कि ये स्पेशल बस और ट्रेनों की बात हो रही है सामान्य ट्रेनों और बसों से भी इतने ही लोग आ रहे हैं । यानी अगर स्पेशल ट्रेन बसें और गाड़ियां की पार्किंग को ही देख लें तो 60 लाख प्लस 20 लाख प्लस 4 लाख... यानी करीब 85 लाख तो यही हो गए । करीब एक करोड़ का हिसाब तो आप घर बैठे ही लगा सकते हैं । बाकी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कुंभ में आने वाले लोगों की गिनती की व्यवस्था कर ली है । ड्रोन से कैमरे की फोटो अत्याधुनिक तरीके से बता सकती है कि कितने लोग इतने किलोमीटर में मौजूद है । और दूसरी तरफ रात में थर्मल काउंटिंग होती है यानी ह्यूमन हीट को मापने वाली मशीन लगाकर भी थर्मल तरीके से काउंटिंग हो रही है । महाकुंभ में स्नान का क्षेत्र पूरे 20 किलोमीटर में फैला हुआ है करीब डेढ़ लाख तो टायलेट ही बनवाए गए हैं । इस बार पानी भी बहुत साफ है । बहुत अच्छी व्यवस्था है पूरी दुनिया इतना बड़ा मेला देखकर दांतों तले अंगुली दबा रही है लेकिन हमारे देश में रवीश कुमार जैसे लोग हिंदू धर्म और कुंभ के खिलाफ नकारात्मक बातें फैलाने में लगे हुए हैं ऐसे लोगों को जवाब दीजिए और ये लेख वायरल करवाइए । धन्यवाद शेयर
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बेइज्जती कराना भी एक कला है, कई राजनीतिक व्यक्ति या पत्रकारिता जैसे क्षेत्र के अच्छे लोग इसमें महारत हासिल कर लेते हैं, उन्हें तब तक चैन नहीं पड़ता जब तक उनका अपमान, उनके घर परिवार के लोग टी वी या किसी प्लेटफार्म पर न देख लें यह भी एक सुख है जिसे हर कोई नहीं समझ सकता,जैसे एंटीबायोटिक का असर कम होने से डोज बढ़ा देते हैं वैसे ही यह यह अटेंशन सीकर प्रो प्लस है मनीष भार्गव
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जो लोग आपके धर्म और आपकी आस्था के साथ हर समय खिलवाड़ करते हैं या विरोध करते हैं, इन सबके मन में आपके और आपके धर्म के प्रति,आपके परिवार के प्रति नफरत भरा हुआ है,यह भले ही आपसे सामने मित्र बनकर मिलते हों,लेकिन यह आपके प्रति दया भाव नहीं रखते,यह सिर्फ घात लगाए बैठे हैं। इनसे सतर्क रहें, इनका विरोध धर्म से नहीं आपकी संपत्ति और आपके ज्ञान से है,यह आपके साथ कभी भी धोखा कर सकते हैं इन्हें पहचानें और सतर्क रहें भला हो सोशल मीडिया का, जिसकी वजह से यह एक्सपोज हो रहे हैं,अन्यथा आप कभी नहीं जान पाते मनीष भार्गव #religious #कुंभ_प्रयागराज #KumbhMela2025
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