ये बात विचारणीय है..
हिंदुओं के करोड़ो साधु संत, पंडित, शंकराचार्य, जगतगुरु आचार्य, कथावाचक, भगवाधारी हैं उसके बावजूद चुटकी भर मौलाना ने सनातन की रीढ़ को ध्वस्त कैसे कर दिया?
क्योंकि वो अपने मजहब के प्रति वफादार हैं और हमारे वाले चर्बी के गोले बस पैसों के पुजारी बनकर रह गए हैं।