वो मिले किसी मोड़ पे तो कर दूँगा शिकायत उससे की….
सारी रात सताती हो तुम मुझे याद बनकर,
सुबह की लाल हुई ये अँखिया फिर भी,
तुम्हारे ही एक दीदार को तरसता रहता दिन सारे ही,
ढल जाती हे शाम तो हो जाती हे नम ये,
कैसे बताऊँ तुम्हें की अधूरा हूँ तुम्हारे बिना!!