इस साल का KDP
#PenToPublish2019
कॉन्टेस्ट आ गया है।आपको दुनियाभर में लाखों पाठकों तक पहुँचने का मौका मिल सकता है। इसमें भाग लेकर आप न केवल 20 लाख तक के कैश प्राइज़ बल्कि और भी बहुत कुछ जीत सकते हैं। अपने दोस्तों को टैग करना न भूलें। क्लिक करें:
एक जुलाई वो तारीख़ थी जिसको खिसकाने की लाख कोशिश के बावजूद भी आज स्कूल खुल जाता था। हाथ को क्रिकेट वाला बैट पकड़ने की इतनी आदत हो चुकी होती थी कि पेन की ग्रिप बनने में जुलाई बीत जाता। ज़िन्दगी में एक जुलाई से सब कुछ नया हो जाना चाहिये किताबें, क्लास, जगह, बातें.....सबकुछ।
भगत सिंह ने 23 साल की उम्र में जितना पढ़ लिया था। उतना मैं पूरी उम्र में पाया तो अपने आप को धन्य मानूँगा। असल में भगत सिंह का जन्म दिन मनाने का ये भी एक अच्छा तरीका हो सकता है कि हम आज एक नई किताब उठाएं।
धोनी को रिटायर हुए आज दो साल हो गए।
धोनी ने हमें सपने देखने का शऊर सिखाया। जो लोग भी छोटे शहर से बड़े शहर पहुँचे, उन सबके मन में कहीं न कहीं अपनी फील्ड का धोनी होने का सपना था । धोनी ने हमें वो ट्रेन पकड़ने की हिम्मत दी जो जेब में टिकट होते हुए भी हर बार छूट जाती थी
@msdhoni
प्रिय बेटा,
चिट्ठी इसीलिए लिख रहा हूँ क्यूँकि हर बात फ़ोन पर नहीं बोल सकते। हम लोग कुछ बातें बस लिख के ही बोल सकते हैं।
फ़ोन पे जब तुमसे रोज़ पूछता हूँ कि पढ़ाई सही से हो रही है न और तुम एक ही टोन में रोज़ बताते हो कि हाँ पापा अच्छे से हो रही है, तब मन करता है कि बोलूँ तुमको कि
कुछ लोग बहुत अदब से मिलते हैं, लेकिन दो दिन बाद ही वे अपना इश्क हथेली पर रखकर पेश कर देते हैं, जैसे कोई इलायची पेश करे। मुझे उस इश्क से नफ़रत है, जो इलायची की तरह पेश किया जाये।
- अमृता प्रीतम ( किताब - मेरे साक्षात्कार)
जो कोशिश करते तो ‘कविता’ लिख सकते थे, थोड़ी और कोशिश करते तो ‘कविता’ हो भी सकते थे। वो अब मीम बना रहे हैं। कभी कभी सोशल मीडिया पर युवाओं को ऐसे बर्बाद होते हुए देखता हूँ तो दुःख होता है।
अब कहाँ लोगबाग हाथ से चिट्ठी लिखते हैं। हाथ से लिखी चिट्ठियाँ मिलती हैं तो इस बात की तसल्ली होती है कि ये दुनिया अब भी कितनी अच्छी है,
@Hindinama2
इस चिट्ठी के लिए प्यार और ज़िन्दाबाद।
मुझे उम्मीद है कि एक दिन हिन्दी दिवस की बधाई नए साल की बधाई जैसी हो जाए।
#हिन्दीदिवस
#HindiDiwas
अगर आपके पास 18000 करोड़ हों तो आपका अगला बड़ा सपना क्या होगा?
तमिलनाडू के एक गाँव में गरीब बच्चों को पढ़ाना, उनको दो समय खिलाना। बच्चों के साथ क्रिकेट खेलना और चाय पीना।
तस्वीर श्रीधर वेम्बू की है। (फाउंडर ज़ोहो कॉर्प)। श्रीधर जैसे लोग हमें नए सपने देखना सिखाते हैं।
बस दो तरह के लोग गलतियाँ नहीं करते,
एक जो पैदा नहीं हुए,
दूसरे जो मर गए।
बाक़ी तो भगवान ने भी जब -जब धरती पर अवतार लिया है तो गलतियाँ की हैं।
@puru_ag
(Purushottam Agrawal) सर
हमारे संस्कार में हैं कि मरने के बाद किसी की बुराई नहीं करते क्योंकि सामने वाला अब आपकी बात का जवाब नहीं दे सकता. मरने के बाद किसी की बुराई करके अपना बौद्धिक दिवालियापन दिखा कर, अपने आप को शर्मिंदा न करें.
बात को सरल और सपाट तरीके से कैसे कहना चाहिए। यह लाल बाग स्थित कचौरी वाले के यहाँ लगे पोस्टर से समझा जा सकता है।
" सब्जी थोड़ी सी न माँगें, कम से कम पाँच रुपये की माँगे"
कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी फ़िल्म में मणि रत्नम सर के लिए डायलॉग लिखने का मौक़ा मिलेगा। कई बार जीवन में हमारे वो सपने भी सच होते हैं जिनको देखने, सोचने, छूने तक में डर लगता है। आभार। 🙏
@MadrasTalkies_
@LycaProductions
#ManiRatnam
किताबें हमें इसलिए भी पढ़नी चाहिए क्यूँकि जितनी देर हम किताब पढ़ रहे होते हैं कम से कम उतनी देर तो हम 'इंटरनेट' से दूर रहते हैं ।
@NayiWaliHindi
@Hindinama2
लिखने के बहुत दिन बाद समझ आता है कि जो हिस्सा सबको प���ंद आ रहा है वो असल में आपने नहीं आपके अन्दर के ईश्वर ने लिखा था.ये वही हिस्सा था जिसमें आपने ख़ुद को ऐसे छोड़ दिया था जैसे बच्चा लुढ़कती हुई बॉल के पीछे अपने आप को छोड़ देता है, फिर बॉल जहाँ चाहे वहाँ ले जाये.
#Ibnebatuti
अगर आपको अपनी नौकरी बुरी लगती है तो एक मिनट के लिए उस रिपोर्टर का सोचिए जिसको सलमान खान के बिस्तर, नाश्ते और नहाने का के बारे में लगातार खबर देनी पड़ रही है। जिसको अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई करते हुए लगता था कि वो एक दिन दुनिया बदलेगा।
@bhak_sala
@GabbbarSingh
क़रीब दस साल पहले मेरी पहली किताब आयी थी। जब लिखना शुरू किया था तब उम्मीद नहीं थी कि इतना स्नेह इतना प्यार मिलेगा कि मैं नौकरी छोड़ कर लिखने लगूँगा। आया। सातवीं किताब अब आपके हवाले।
With love, peace & Hope
दिव्य प्रकाश दुबे
PS- यार पापा ऑनलाइन उपलब्ध है
#YaarPapa
आनंद फिल्म को कल रिलीज़ (12 मार्च 1971) हुए 49 साल हो गए। जितनी बार देखो उतनी बार रोना आ जाता है। ऐसी फिल्म जिसमें एक भी विलेन नहीं था। कोई कैरक्टर निगेटिवे नहीं था। अपने आप में एक फिल्म स्कूल है ये फिल्म।
आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं।
शेखर चौरसिया जी ने लखनऊ यूनिवर्सल कपूरथला की तस्वीर भेजी है। इब्नेबतूती यहाँ आ पहुँच चुकी है। इब्नेबतूती के लिए न भी जाएं तो इस किताब की दुकान के लिए ज़रूर जाएं। हिन्दुस्तान भर में हिन्दी किताबों की इससे अच्छी दुकान मेरी जानकारी में नहीं है।
#Ibnebatuti
लौटते हुए देखता हूँ
बच्चे,
चिड़िया,
सूरज,
मदारी,
बन्दर,
बरसात,
पतझड़,
तूफ़ान,
कोई इतना उदास नहीं लौटता,
जितना कि दिन भर 'यस सर, हो जाएगा' बोलता हुआ लड़का,
जिसकी जेब में कुछ छुट्टे पैसे और कुछ फुटकर सपने हैं।
कुछ महीने पहले मुझे प्रणव का मैसेज आया था कि वो
#UPSC
का इंटरव्यू देने वाले हैं और नयी वाली हिन्दी के बारे में समझना चाहते हैं। ये प्रणव की मोडेस्टी है कि उन्होंने UPSC के इंटरव्यू के एक सवाल के जवाब में में मेरा नाम लिया। प्रणव को 166 रैंक मुबारक।
@bhak_sala
@GabbbarSingh
बाकी सब ठीक है लेकिन बहुत मार्केटिंग करते हैं यार ये नयी हिन्दी वाले। बहुत ज़्यादा गलत है ये। आपने किताब लिख दी ठीक है। आप किताब बेचने का भी सोच रहे हैं तो ये तो पाप है पाप, आप साहित्यकार हो ही नहीं सकते। आप सेल्समैन हैं।
@Hindi_panktiyan
अच्छा सुनो ये ऑफर बस दो दिन के लिए है।
जिनका भी IIT में हुआ है। उनको बहुत बधाई । सफर लम्बा है पहला कदम पार हुआ। जिनका नहीं हुआ वो ये जान लें कि सफर लम्बा है और बस 'एक' कदम ही तो पार नहीं हुआ है।
धोनी मोहल्ले का वो लड़का है जिसने सपने देखने का शऊर सिखाया।हमारे समय में जो लोग भी छोटे शहर से बड़े शहर पहुँचे, उनके मन में कहीं न कहीं अपनी फील्ड का धोनी होने का सपना था धोनी ने हमें वो ट्रेन पकड़ने की हिम्मत दी जो जेब में टिकट होते हुए भी हर बार छूट जाती थी
#DhoniRetires
कुछ ही घण्टों में इतना प्यार देने के लिए आप सभी का बहुत आभार। यह तस्वीर इतनी उम्मीद भरी है। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हिन्दी किताबों के यह दृश्य आम होगा। 🙏
अगर आपने किताब बुक कर ली है तो आज से किताब मिलना शुरू हो जाएगी।
एक 6 साल की बच्ची से मैंने पूछा,"कहाँ तक गिनती आती है?".
वो बोली,"जहाँ तक गिनती होती है"
मैंने पूछा कि गिनतियाँ कहाँ तक होती हैं।
वो बोली '100 तक'.
इस मासूमियत की खातिर ही सही सौ के बाद की गिनतियों को आत्म हत्या कर लेनी चाहिए।
जब भी मुम्बई आता हूँ , कुछ दूर तक गाँव खींचता है, रोकता है।
@TripathiiPankaj
भईया को सुनते हुए, एक भीतर की यात्रा पर चला जाता हूँ। उनको सुनते हुए विश्वास और पक्का होता है कि दिशा अगर सही हो तो फ़र्क़ नहीं पड़ता कि हम मंज़िल से कितनी दूरी पर हैं।
@richaanirudh
इंटर्व्यू 🌻
काशी कबहु ना छोड़िये
विश्वनाथ का धाम
मरने पर गंगा मिले.
जियते लंगड़ा आम.
आपका पसंदीदा शहर कौन सा हैं, जहाँ आप रिटायर होकर रहना चाहते है।
* तस्वीर पुरानी है।
#Banaras
#Kashi
# FavouriteCity
अपने कॉलेज में हमतुम्हारे दादा जी की चिट्ठी का बहुत इन्तज़ार किए लेकिन कभी वो चिट्ठी आयी नहीं । हमने जो इन्तज़ार किया वो तुम्हें न करना पड़ेइसलिए लिख दिए आज।
जवाब भेजने की ज़रूरत समझना तो भेज देना नहीं तो कोई बात नहीं।
आशीर्वाद,
पापा
तुम्हें देखकर,
पहला चित्र बना,
तुम्हें छूकर,
पहली भाषा,
तुम्हें लिखकर,
पहली कविता,
तुम्हें भूलकर,
पहली कहानी,
तुम्हें पता भी नहीं,
तुमसे ये दुनिया रहने लायक हुई!
किताब के कुछ पन्ने तीन बार नम होते हैं। एक बार लिखते हुए। एक बार पढ़ते हुए। एक बार जब सालों बाद कोई उनकी धूल झाड़ता है। दुनिया की ज़्यादातर चीज़ों के साथ भी कुछ ऐसा ही है।
तुम्हे जवाब लिखकर कॉपी भरने की इतनी आदत है कि तुम भूल ही गए हो कि तुम्हारे पास किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं है। खाली पन्ना छोड़ने का यह मतलब है कि तुम सही जवाब के इंतज़ार में हो। चुप हो जाना नकली जवाब देने से बेहतर है।
@TripathiiPankaj
भइया की फ़िल्म आती है तो लगता है जैसे घर में किसी की फ़िल्म आ रही है। लगता है कि हम ही हीरो हो गए हैं। मन करता है कि पूरा हॉल बुक कर के दोस्तों को पूरे मोहल्ले को फ़िल्म दिखाने ले जाएं।
इतना सहज, सरल बने रहने के लिए ज़िन्दाबाद। 🙏
#GunjanSaxena
@NetflixIndia
वर्ल्ड बुक डे पर बस यही कामना है कि ईश्वर आपको न केवल किताब पढ़ने बल्कि उसमें लिखी बात को समझने की शक्ति दे और कुछ नहीं तो कम से कम इतनी समझ तो दे ही कि लेखक से उसकी किताब का PDF माँगकर आपको शर्मिंदा न होना पड़े।
#WorldBookDay
सालों पहले कॉलेज में हमने धुआँधार क्लास बंक किये। अब बच्चों के साथ बैठकर ऑनलाइन क्लास करने पड़ रहे हैं। शास्त्रों में इसी को ऊपरवाले की लाठी कहा गया है।
आप सोशल मीडिया पर कितना भी लड़ लें लेकिन अगर वो बंदा या बन्दी कहीं रियल लाइफ(वो भी एक सच है) में टकरा जाए तो उसके साथ बैठकर चाय/ कॉफ़ी/ दारू ( हाँ, वो भी एक सच है) पीने में ऑकवर्ड न हो, बस इतना बना रहे तो ये दुनिया ख़त्म नहीं होगी। चियर्स !
ईशान किशन दिल खुश कर दिए यार। पहले इंटरनेशनल मैच में मचाने के लिए ज़िन्दाबाद। कोहली जिस तरीके से ईशान और ऋषभ पंत को मोटिवेट कर रहे हैं। इतना सुन्दर लग रहा है।
हर फील्ड में नये लोगों का स्वागत ऐसे ही होना चाहिए। 💐
मैं इस देश की हर लड़की से अपील करना चाहता हूँ कि वो अपने बर्थडे पर हिन्दी किताब गिफ़्ट मांगे और गिफ़्ट करें। क्रान्ति ऐसे ही आएगी, ये लड़के ऐसे नहीं मानेंगे |
#हिन्दीदिवस
#hindidiwas
#Repost
"वे सारे इतिहास जो इस दुनिया को जीने लायक़ बनाते हैं वे उन चिट्ठियों में खो जाते हैं जो कभी लिखी ही नहीं जातीं। और अगर लिखी भी जाती हैं तो वो बिना पते के खो जाती हैं।"
~दिव्य प्रकाश दुबे |
@divyapdubey
(इब्नेबतूती से)
इंदौर स्टेशन के पास के चाय की दुकान। कमाल की बात ये थी कि दुकानदार को ये बात पता थी कि ये क���ताब का कवर है।
ऐसा लग रहा है जैसे लॉटरी लग गयी हो। ऐसा कुछ भी होता है तो आसमान में देखकर तेंदुलकर स्टाइल में धन्यवाद देने का मन करता है।
#masalachai
हम पुरूष सभी बच्चियों, लड़कियों और महिलाओं के लिए सुरक्षित और स्वतंत्र माहौल बना पाएं, वही सही मायनों में नवरात्रि मनाना होगा।
आप सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं।
1 जुलाई वो तारीख़ थी जिसको खिसकाने की लाख कोशिश के बावजूद भी आज स्कूल खुल जाता था।3 महीने की छुट्टी के बाद हाथ को क्रिकेट वाला बैट पकड़ने की इतनी आदत हो चुकी होती कि पेन की ग्रिप बनने में महीना लग जाता। एक जुलाई से सब कुछ नया हो जाना चाहिये किताबें, कपड़े, क्लास, बातें.....सबकुछ।
बात को सरल, सपाट और असरदार तरीके से कैसे कहना चाहिए। यह लाल बाग(लखनऊ) स्थित कचौरी वाले के यहाँ लगे पोस्टर से समझा जा सकता है।
" सब्जी थोड़ी सी न माँगें, कम से कम पाँच रुपये की माँगे"
सारा नगर तो ख्वाबों की मैयत लेकर शमशान गया ,
दिल की दुकानें बंद पड़ीं हैं , पर ये दुकानें खोले कौन ?
लोग अपने खूँ में नहा कर गीता और कुरआन पढ़ें ,
प्यार की बोली याद है किसको ,प्यार की बोली बोले कौन ? –
-राही मासूम रज़ा
पुष्पेश पन्त जी से अच्छी कम्पनी हो ही नहीं सकती। दुनिया जहान की बातें, बातों से निकलती हुई बातें, बातों से बातें बनाती हुई बातें। कुछ मिनट मिलकर लगता है कि कई किताबों से एक साथ बात हो गयी।
@PushpeshPant
🙏
तस्वीर चार साल पहले गुजरात के लिटफ़ेस्ट की है।
UPSC का प्रीलिम्स देने वाले सभी दोस्तों को शुभकामनाएं।
जिसको बीते का शोक नहीं जो वर्तमान में जीता है,
वो पाता अपनी मंजिल को उसका जीवन एक गीता है
जो जीवन दुख में पका नहीं कच्चे घर से ढ़ह जाता है।
जो दिया हवा से लड़ा नहीं वो जलना सीख न पाता है।
जब हारा, इन पंक्तियों ने थाम लिया।
आप फ़िल्म देखो रिव्यु लिखो। अच्छा लिखो खराब लिखो कोई टेंशन नहीं है। मेरी समस्या उन लोगों से हैं जो इस दुनिया की पूरी मासूमियत समेटे हुए कमेंट करते हैं।
"धन्यवाद, आपने समय बचा लिया"
तुम जो भी हो लेकिन तुम साले को फेसबुक पे टाइम किल कर रहे हो और नक्शेबाज़ी ये है कि समय बच गया।
Mummy: कुछ अच्छा दिखाओ, यूट्यूब पर
Me: इन दो लोगों
@neeleshmisra
&
@TripathiiPankaj
की बातचीत सुनो
Mummy: बड़ा अच्छा बोल रहे हैं।
गुरुदेव , हमें आपके गाँव आकर डेरा डालना है। रिटायरमेंट प्लान बन गया है।
PS:अगर आपने अभी तक ये वीडियो नहीं देखा हैं तो तुरन्त से पहले देख डालें।