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Awesh Tiwari
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Journalist, Colunmist, 22 yr Exp, EX CFJ Fellow, Ex state head Swaraj Express, Rajasthan patrika, Dainik jagran, Nai Dunia, Hindustan, DNA
India
Joined November 2009
अभी अभी विश्व पुस्तक मेले से लौट रहा हूँ।नफ़रत की आँधी यहाँ भी पहुँच गई है। इस बार मेले में थोक के भाव धार्मिक किताबें बिकीं सर्वाधिक भीड़ भी धार्मिक किताबों के स्टॉल पर रही। इनमें सर्वाधिक संख्या युवाओं की थी। ग़ज़ब यह देखने को मिला कि वाणी प्रकाशन के स्टॉल के बाहर यह भाईसाहब चिल्ला चिल्ला कर जिहाद जिहाद चिल्ला रहे थे और देश पर लव जिहाद के खतरे और मुसलमानों द्वारा देश की आर्थिक सत्ता पर कब्जा करने की कथित साजिश पर प्रवचन दे रहे थे। जहाँ यह सज्जन ज्ञान दे रहे थे उससे थोड़ी दूर मोदी जी का बड़ा सा कर आउट लगा था जिसमे मोदी जी संविधान की किताब लिए हैं। इस बार किताब मेले का थीम भी हम भारत के लोग था। भाई के किताबों के नाम पर निगाह डालें
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परिवार तो आपका भी है छोटे गुरुजी। वंदना तो आपकी पार्टी भी कर रही है आपकी। आप भी खूब मजे काट रहे हैं, आपका बेटा भी लेकिन सभी खामोश हैं। खैर, कांग्रेस को छोड़कर आपको इस बात पर कंसंट्रेट करना चाहिए कि मोदी जी के बाद सत्ता आपके हाथ में रहे जिसे हथियाने की कोशिश योगी जी द्वारा पूरे जोर शोर से की जा रही है। देखिए यह सच्चाई है कि आप को जनता ने इस बार देश की सत्ता संभालने नहीं भेजा है यकीनन कांग्रेस को भिन्नहीं भेजा। यह तो भला हो नायडू, नीतीश का नहीं तो आपके भी अच्छे दिन लौट चुके हैं।
एक पार्टी जब परिवार वंदन में लग जाए, तब उसकी क्या दुर्दशा होती है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस है। जिस दिल्ली में आज से एक दशक पहले कांग्रेस की 15 साल सरकार रही, वहाँ 2014 से हुए 6 चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है। इस विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई है। राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को अगर कहीं स्थायित्व मिला है, तो वह शून्य (0) में मिला है। यह एक परिवार की सेवा में समर्पित कांग्रेस की देशभर में स्थिति को दर्शाता है।
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दिल्ली में भाजपा जीती जरूर है लेकिन राज अडानी करेगा जल्द आप इसे "अडानी दिल्ली" कह सकेंगे। आप देखते जाइए जल्द से जल्द अडानी को यमुना की सफाई का काम दे दीजियेगा। गौरतलब है कि अडानी ने यमुना अथॉरिटी से 1,000 एकड़ जमीन की मांग की है। इस जमीन पर समूह एक यूनिवर्सिटी और लॉजिस्टिक्स हब का विकास करेगा। यमुना प्राधिकरण ने भूमि आवंटन करने के लिए प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा था। राज्य सरकार ने इस भूमि आवंटन को मंजूरी भी दे दी है। इसके अलावा भी नोएडा और दिल्ली में अडानी की निगाहें पावर सिस्टम से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट्स पर हैं।
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विदर्भ की चीख, विदर्भ का रुदन कई दशकों से अनसुना रहा है। पिछले वर्ष पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के 1051 किसानों ने अपने ही हाथों मौत को गले लगाते हुए अपनी जान दी है यानी रोजाना औसतन तीन किसानों द्वारा आत्महत्या की जा रही है। अकेले यवतमाल जिले में विगत एक वर्ष के दौरान 344 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है। इन सामूहिक आत्महत्या के मामले में सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ है, मीडिया खामोश, विपक्ष जय पराजय के भंवरजाल के उलझा हुआ है। @KotaNeelima ने उन किसानों के परिजनों, और उनकी स्त्रियों के दर्द को समझा है जो अपनी चौपट होती खेती किसानी के ग़म में इस दुनिया को छोड़कर चले गए। इन स्त्रियों का गहरा दर्द अब तक अकथ था। किसी के पास समय नहीं था जो सुनता। गहन शोध के बाद लिखी गई उनकी किताब ऑक्सफोर्ड प्रेस के माध्यम से अब जनता के बीच है। आज पुस्तक मेले में जा रहे हों तो वहां से लें। सिर्फ किताब न खरीदें जो पढ़ें उसपर अपने विचार भी लिखें। मत भूलिएगा नफरत के इस दौर में जिन्हें सबसे ज्यादा बेचारगी सहनी पड़ी है वह हमारे किसान हैं। इन छुपी हुई सच्ची कहानियों को सामने लाने के लिए शुक्रिया नीलिमा जी।
Tears and pain of women farmers left behind by #FarmerSuicides. It took me several years to write my book, Widows of Vidarbha. The draft was reviewed by the widows themselves. The ‘subject’ peer-reviewed stories are truth of how widows survive amidst the intense rural distress that killed their husbands. Published by Oxford University Press, Widows of Vidarbha is a difficult book to read, and I am happy the world now knows about #WomenFarmers, who were invisible and unacknowledged by the state. I am signing books, and meeting readers. Today, February 7, 2025, at 3 pm to 3.30 pm, in Hall 5, Stall A-09, Bharat Mandapam, Delhi @OUPAcademic
#NDWBF #ndwbf25 #WidowsOfVidarbha #WorldBookFair2025 #booklovers #OxfordUniversityPress
#OxfordatWBF2025
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1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी को 295 और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस @INCIndia को 154 सीटें मिली थीं। इंदिरा जी सत्ता से बाहर हो गईं। कांग्रेस विरोधी सारी ताकतें एक साथ आ गई थीं। लगा अब कांग्रेस इतिहास बन जाएगी। लेकिन हुआ उल्टा जनता पार्टी का अस्तित्व ही खत्म हो गया। कांग्रेस के विरोध को लेकर बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल अस्तित्व में आए थे। यह सब अस्तित्वहीन हो गई जबकि इन पार्टियों ने देश को मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक दिए। इस देश की राजनीति का पहिया उसी तरह से घूमेगा और अन्ततः फिर से उसी बिंदु पर आएगा जिसका नाम लोकतंत्र है, संविधान है, कांग्रेस है। अब आप सोच सकते हैं किसकी बारी है।
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अचूक संघर्ष @AchookSangharsh ने खुल्लमखुल्ला चुनाव आयोग का कपड़ा उतार उसे नंगा कर दिया है। अगर आयोग खुद में सुधार नहीं लाता और पूर्व की गलतियों पर श्वेत पत्र जारी नहीं करता तो विपक्ष को अदालतों से लेकर सड़क तक हल्ला बोलना ही पड़ेगा। खूब अचूक संघर्ष।
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मुझसे तमाम साथी टैग करके पूछ रहे कि आज अपने बताया नहीं कांग्रेस @INCIndia का क्या हुआ? यकीनन बताना चाहिए। 1 -कांग्रेस चुनाव हार गई है। कांग्रेस चुनाव इसलिए हारी क्योंकि वह जीत हासिल करने के लिए नहीं लड़ रही थी। वह नफरती राजनीति को देश में लाने वाले स्तंभ को तोड़ना चाहती थी, तोड़ दिया। 2 - कांग्रेस ने यह काम कुछ दिनों के प्रयासों में ही कर दिखाया जबकि भाजपा के गर्भ से निकली 'आप' 10 सालों से सत्ता में थी। भाजपा नहीं जीती है आप हारी है। 3- अब कांग्रेस को जीतना भी सीखना होगा। क्योंकि अब वक्त नहीं है। दिल्ली के कांग्रेस पार्टी का कोई नेता नहीं है यह यथार्थ है। 4- देवेंद्र यादव को छोड़ दिया ज्यादातर नेता जबरदस्ती चुनाव लड़ते दिखाई दिए। वह निस्तेज थे वह लड़ने से पहले ही हार मान चुके थे वह अलका लांबा हो अरीब खान हों या फिर मुदित अग्रवाल। 5 -कांग्रेस को समझना होगा कि नेताओं के भरोसे चुनाव जीते जाते हैं। कांग्रेस के पास पवन खेड़ा जैसे नेता था प्रियंका गांधी थीं जिनका समय से उपयोग किया जा सकता था। जिन्हें दिल्ली की समझ थी पूरा चुनाव उनके हाथ में देना था। 6- नेताओं के बच्चों उनके परिजनों से कुछ दिन परहेज करने की जरूरत है।जनता की नजर में यह अच्छा नहीं होता वह चुनाव भी अंततः हार जाते हैं। 7- सिर्फ राहुल गांधी @RahulGandhi क्यों? सारी जिम्मेदारी राहुल की तो आप क्या कर रहे हैं? पार्टी में सैकड़ों राहुल खड़े होने चाहिए उन्हें जिम्मेदारी दें। अपने स्थापित नेताओं को खाली न बैठाएं उनका उपयोग करें। 8- इस साल के बिहार चुनाव की तैयारी और अगले साल के असम चुनाव की तैयारी अभी से शुरू करें। बिहार में प्रदेश अध्यक्ष तत्काल बदलें और संगठन को पुनःसंयोजित करें।
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आपको लग रहा होगा भाजपा आ रही है। नहीं, निहित स्वार्थ के लिए और कांग्रेस के विरोध से अस्तित्व में आए क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व खत्म हो रहा है। रालोद, शिवसेना, एनसीपी के बाद अब आप भी खत्म हो रही। अगली बारी जेडीयू और टीएमसी की है। आने वाले वर्षों में चुनाव बाइपोलर होंगे। यह कड़वा सच है पर है।
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