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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن Profile
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن

@_BazamESukhan

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ग़ज़ल शायरी
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
मुफ्त में मिल जाया करूँ. वो राय थोड़ी हूँ… हर शख्सियत को पसन्द आ जाऊ.. मैं चाय थोड़ी हूँ....!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
1 month
जब ताक़त बंधी हुई हों तो हुनर की कोई क़ीमत नहीं होती!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
सिवाय सब्र, हमारे कुछ और बस में न था सो जितना हो सका, परवरदिगार! हमने किया!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
फंस गया हूं ज़िन्दगी के कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु की तरह बचाने कोई आने वाला नहीं और मैदान मैं छोडूंगा नहीं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
मंज़िल तो खुशनसीबों में बंट गई________ हम ख़ुश ख़्याल लोग अभी तक सफर में हैं!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
पसंदीदा शख्स की आवाज़ सारे गमों को भुला देती है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
22 days
हक़ीक़तों से वाक़िफ हूं मैं सब की झूठ सुनने के लिए ख़ामोश रहता हूं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
कहां कहां से इकठ्ठा करूं तुझे ऐ ज़िन्दगी जहां भी देखता हूं, तू बस बिखरी नज़र आती है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
ताक में दुश्मन भी थे और दोस्त ए अजीज़ भी पहला तीर किसने मारा ये कहानी फिर कभी!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
मैं और कितना आऊं तेरी तरफ तू है कि आसमां हुआ जाता है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
सुकून तलाश करके थक जाओ तो बता देना.... हमारे पास एक किताब है जो जन्नत का पता देती....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
जिस ज़मीं पर मैं खड़ा हूं वो मेरी पहचान है आप आंधी हैं तो क्या मुझको उड़ा ले जाएंगे!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
जो भी जाता है वापस नहीं आता शायद ज़मीन के नीचे आराम बहुत है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
कहानी से कोई भी ख़ुश नहीं है मैं किरदारों से मिल कर आ रहा हूं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
3 months
लिखता हूं जिसके लिए उसे ख़बर तक नहीं पढ़ते हैं वह लोग जो हमें जानते तक नहीं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
हटाकर खाक को दाना उठाना सीख लेता है परिंदा चार दिन में फड़फड़ाना सीख लेता है गरीबी ला के देती है बिन मांगे हुनर ऐसा कि नाजुक जिस्म भी बोरे उठाना सीख लेता है....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
कूदना पड़ा हमें समंदर में हम अपनी ही नाव में बोझ बन चुके थे!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
दफ़न हो जाऊंगा चुप-चाप अपने गांव में ,, वो कहां वक्त पर शहर से आ पाएगी....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
हम अपनी ज़ात में, इक सल्तनत के मालिक हैं सो हम को हुक्म नहीं , राय पेश की जाए !!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
मौला उदास रख, मगर इतनी बेबसी ना दे कोई कहे खुदा हूं मैं, और मुझे मानना पड़े!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
रुखसत-ए-यार का मंज़र भी क्या मंज़र था मैंने खुद को ख़ुद से बिछड़ते हुए देखा....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
बहुत तेज़ हो गई है ये भाग-दौड़ भरी दुनियाँ, लोग क़ब्रिस्तान पहुंच जाते हैं जनाज़ा से पहले!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
मैं वो क़िस्सा हूं जो दर्ज है पुरानी किताबों में मेरी कहानी ढूंढने में लोगों को वक़्त लगेगा!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
अपने हिस्से की चाल तुम चल बैठे हमारे मुन्तज़िर रहना, कहानी ख़त्म करनी है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
ज़िन्दगी एक खेल है..... जिसमें आप खिलाड़ी भी हो सकते हैं और खिलौना भी!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
मैं सिर्फ उस बात का ज़िम्मेदार हूं जो मैंने कहा उस बात का नहीं जो आपने समझा!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
अपने भी तुझको अपनों में अब गिन नहीं रहे फ़क़ीरा मान जा , अब तेरे दिन नहीं रहे!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
एक क़तरा ही सही मुझे ऐसी सिफ़त दे मौला कोई प्यासा जो देखूं तो दरिया बन जाऊं !!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
1 year
"ना जाने कितनी कहानियाँ होंगी उसके पास" "वो शख्स जो किसी से कुछ नहीं कहता"!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
1 year
इस बार बरस जाए "ईमान" की बारिश.... कि लोगों के "ज़मीर" पर धूल बहुत है....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
हमारे साथ कोई बैठ कर नहीं रोया सभी ने जान छुड़ाई, दुआएं देते हुए!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
आदम से चल रहा है खताओं का सिलसिला इंसान अपने बाप के नकशे क़दम पे है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
मुद्दतें गुज़र गईं हिसाब नहीं किया न जाने किस के दिल में कितने रह गए हम!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में साथ बैठ कर हंस गये,और पीठ पीछे डस गये!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
तेरी उलझनों समेत छोड़ कर तुझे ऐ ज़िन्दगी निकल जाएंगे किसी रोज़ जन्नत की खोज में!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
ज़िन्दगी ढेर तकाज़ों का भरम रखती है मैं गुज़ारूं, न गुज़ारूं, ये गुज़र जाएगी!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
बड़े महंगे होते हैं सांवले रंग वाले लोग , ये हर किसी की पसंद नहीं होते....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
किसी के पास बहुत कुछ है ख़ुदा का दिया हुआ किसी के पास सिवाय ख़ुदा के कुछ भी नहीं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
ज़िन्दगी और चाय एक जैसी है जब मज़ा आने लगता है तो ख़त्म हो जाती है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
यह सुकून की अदम दस्तयाबी का दौर है जिसे नींद आ गई वह खुशनसीब है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
लफ़्ज़ कह रहे थे ________आएगा वापस लहज़ा उसका आख़री मुलाक़ात जैसा था!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
3 months
बे फ़िक्र हैं, आईने सा किरदार रखते हैं फ़िक्र वो करें जो चेहरे दो चार रखते हैं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
मेरे लफ़्ज़ों को कम ही पढ़ा करें मैं लहज़ा हूं,,,,उदास लोगों का!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
एक आँख जो ज़िन्दगी चाहती है और दूसरी आँख ज़िन्दगी को अलविदा कर रही है.... यही दुनियां की हक़ीक़त है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
ज़ायका अलग है हमारी बातों का कोई समझ नहीं पाता, कोई भुला नहीं पाता!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
दोनों के दरमियाँ एक गज़ और 70 साल का फासला है मगर तबियत और मिजाज़ों में दोनों एक जैसे हैं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
हम समझते हैं ख़ुदा हमें ऊपर से देखता है पर असल में वह हमें अंदर से देखता है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
थक चुका हूं और सोना चाहता हूं नींद से कहो कुछ एहसान करे मुझ पर!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
तुमको रक़बे मिले हैं विरासत में तुम न समझोगे बेघरों के दुख़!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
3 months
मुझे भी मिले थे कुछ रिश्ते फूलों के जैसे आप तो वाकिफ हो, फूलों की उम्र ज़्यादा नहीं होती!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
तूने देखा ही नहीं मंज़र मेरी तन्हाई का एक क़यामत है जो हर शाम गुज़र जाती है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
झुठ कि डाल पर नहीं बैठता,मैं सच का परिंदा हूं जिन हालातों में लोग मर गए, मैं उन्हीं हालातों में ज़िंन्दा हूं !!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
जल जाओ ख़ामोशी से कड़ी धूप में लेकिन अपनों से कभी साया-ए-दीवार न मांगो!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
हर कोई परेशान है मेरे कम बोलने से और मैं तंग हूं अपने अंदर के शोर से!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
फिर यूं हुआ कि ज�� भी ज़रूरत पड़ी मुझे हर शख्स इत्तेफ़ाक़ से मसरुफ हो गया!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
मंज़िलें कभी किसी के घर जा कर हाजरी नहीं देती, रास्तों पर चलने से ही रास्ते निकलते हैं!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
तहज़ीब देखी मैंने ग़रीब के घर पर फटा सा दुपट्टा था, मगर था सर पर!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 days
ज़िन्दगी ढेर तकाज़ों का भ्रम रखती है मैं गुज़ारूं, ना गुज़ारूं, ये गुज़र जाएगी!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
जीवन का आधा सफर यूं हीं तन्हा गुज़र गया और कहने को कदम कदम पर अपने थे!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
संबंध उतनी ही रखें जो क़ाबिल ए बर्दाश्त हो क्यूंकि इंसान उकताते बहुत जल्दी हैं !!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
होना तो चाहिए, कि ये मेरा ही अक़्स हो लेकिन ये आईने में, मेरे रूबरू है कौन ??
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
छुपाता था वो गरीब अपनी भूख को गुरबत में.. अब वो भी फक्र से कहेगा मेरा रोज़ा है...! आने वाला रमजान मुबारक 🌙
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
3 months
अब के सावन में भी ज़र्दी न गई चेहरों की ऐसे मौसम में तो जंगल भी हरा लगता है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
जिन्हें सलीक़ा है तहज़ीब ए ग़म समझने का उन्हीं के रोने में____ आंसू नज़र नहीं आते!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
इंसान मुश्किलों से लड़ लड़ कर बच तो जाता है मगर उसके अंदर बहुत कुछ मर जाता है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
गुनगुनाता जा रहा था एक फक़ीर धूप रहती है, न साया देर तक!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
वक़्त........ आदतें और ख्वाहिशें दोनों बदल देता है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
खाक मुट्ठी में लिए क़ब्र की ये सोच रहा हूं इंसान जब मरता है तो ग़ुरूर कहां जाता है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
मैं उठ गया हूँ मुसल्ले से कुछ भी मांगे बग़ैर मुझे लगा कि ये आंसू दुआ से बेहतर हैं....!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
थकन पैरों से उठ कर दिल से आ लिपटी है सफर भी अब..... कोई ठिकाना चाहता है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
दुनियां की सबसे बड़ी कमज़ोरी शराफत है जिसका फायदा अक्सर घटिया लोग उठाते हैं!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 months
मिट्टी से मिट्टी के सफर के दरमियान जो वक़्त है वह मोहलत है और वही ज़िन्दगी का है!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
मदद कर मेरे दो जहानों के मालिक, मुसीबत में मैनें पुकारा है तुझको....!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
ज़िन्दगी इतनी मशक्कत से गुज़ारी है के अब मैं जो आराम से बैठूं तो थकन होती है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
अच्छे दिनों के इंतजार में हमारी सारी उम्र गुज़र जाती है और फिर पता चलता है कि जो दिन गुज़र गए वही अच्छे थे!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
1 month
हम खुद ही उतर आए तेरे दस्त ए तलब पर हम जैसे परिंदों ने किधर जाना था आखिर!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
जब ईद होगी... तो क्या पहनेंगे हम, चांद से कह दो.. अभी तैयार नहीं है !! 😞
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
सुना है हश्र में कोई किसी का नहीं होगा मगर ये सिलसिला तो अभी से उरुज पर है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
अंदर कोई झाँके तो टुकड़ों में मिलूंगा हंसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
हम तेरी गली के फ़क़ीर भी बने तेरे इक दीदार की ख़ातिर!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
मैं किसी शाम चला जाऊंगा मंज़र से लोग बहल जाएंगे कुछ रोज़ परेशां हो कर!!
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बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
घमंड न कर ज़िन्दगी में, तक़दीर बदलती रहती है शीशा वही रहता है तस्वीर बदलती रहती है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
मोमबत्ती को आखिर में पता चला कि मुझे उसी धागे ने बर्बाद किया जिसको मैंने सीने में छुपाया हुआ था!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
4 months
साफ दामन का दौर अब ख़त्म हुआ लोग अपने धब्बों पे ग़ुरूर करने लगे!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 months
सब परिंदे उड़ गए हैं धीरे धीरे छोड़ कर बागबां अब है अकेला उम्र के इस मोड़ पर!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
11 months
वह दिन, वह महफ़िलें, वह शगुफ्ता मिजाज़ ए यार फ़िक्र ए रिज़्क़ ले गई किस को कहां कहां!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
अब आवाज़ नहीं निकलती रोने की अब तो बस सिसकियों पे गुज़ारा है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
मेरे लफ़्ज़ चुराने वालों मेरे दर्द भी चुरा लो !!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
1 year
बहुत संभल कर फक़ीरों से गुफ़्तगू करना ये लोग सूखी नदी से पानी मांग लेते हैं....!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
2 years
अता कर दे हर बहन को भाई की नेमत या रब मुझसे बहनों की मशक्कत देखी नहीं जाती....!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
महशर में वही रात पड़ेगी तुम्हें भारी जो रात तेरे हमसाए ने फाक़े में गुज़ारी!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
अगर बेटी का नसीब किसी बाज़ार में बिकता तो सबसे पहले उसे खरीदने वाला उसका बाप होता!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 days
हल्के हल्के बढ़ रही है चेहरे की लकीरें नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
हालात के सहमे हुए लोगों को बता दो हालात बदल जाते हैं, ठहरा नहीं करते!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
7 months
ज़िन्दगी तुझ पे बड़ा ग़ौर किया है मैंने तू फ़क़त रंग है, रंगों के सिवा कुछ भी नहीं!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
8 months
वो सब मासूम से चेहरे तलाश ए रिज़्क़ में गुम हैं जिन्हें तितली पकड़ना था, जिन्हें बागों में होना था!!
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31
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
10 months
ऐ फरिश्तों...........महशर में हिमायत करना ज़िन्दगी भर तुम्हें कंधों पर उठाए रखा हमने!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
9 months
खुदाया___ फिर से बना मुझे अब मैं अपना ख़्याल रखूँगा!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
6 months
कहीं मैं देर से पहुंचूं तो याद आता है कहीं मैं वक़्त से पहले भी जाया करता था!!
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@_BazamESukhan
बज़्म-ए सुख़न بزمِ سخن
5 months
मेरी जगह पे कोई और हो तो चीख उठे मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूं!!
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