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Vijeta Choudhary
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Wish me on 12 oct Taken by choudhary sahab♥️ BANASTHALI VIDHYAPITH student https://t.co/VFzmLCjDLT. in statistics
Jaipur
Joined November 2023
RT @smileyboyoff_: This morning will never ever come back in your life again. Get up and make the most of it. Happy Morning mate's https:/…
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1972 में भी घटी थी 1821 जैसी घटना कहते हैं कि 1821 के बाद से साल 1972 में एक ऐसी ही त्रासदीपूर्ण और घटना घटी थी उरुग्वयन एअर फोर्स की फ्लाइट संख्या-571 में. जिसमें एंडीज पहाड़ों पर लोगों को उतरना पड़ा था. उन जिंदा बचे लोगों ने 71 दिन जंगलों में बिताए थे. और तब भी उन लोगों के सामने अपनों को कत्ल करके उनकी लाशों का मांस खाकर खुद को जिंदा रखने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था.
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इन सब जानलेवा झंझावतों के बीच तारीख आ गई 5 अप्रैल 1821. वो तारीख कि तब तक उस जहाज के तबाह होने के बाद से, नावों पर जिंदा बचे 8 में से सात नाव सवार साथियों को, एक दूसरे ने खुद को जिंदा रखने के लिए कत्ल करके खा लिया था. हां, 5 अप्रैल 1821 को अब नाव पर इकलौता नाविक जिंदा बचा था. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके बाद फिर कभी वैसी समुद्री दुर्घटना की कोई सच्ची और खौफनाक कहानी जल्दी सामने नहीं आई. हां, उस घटना के कुछ महीनों बाद 16 अक्टूबर 1821 को एक जहाज पर बिजली गिर गई. उस जहाज में लदे विस्फोटकों में हुए जबरदस्त धमाकों में, चालक दल के अधिकांश लोग तीन सप्ताह तक समुद्र में लाइफबोट में भ���कते रहे. उनमें से भी कई की लाशों को कहते हैं कि उनके साथियों ने जिंदा रहने के लिए खा लिया था.
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लाश को खाकर जिंदा रहे बाकी नाविक उन पर्चियों में बदकिस्मत नाविक निकला 18 साल का ओवेन कॉफिन. जो द एक्सेस (व्हेल मछली के हमले में तबाह हो चुके जहाज के कप्तान का चचेरा भाई) जहाज के कप्तान जॉर्ज पोलार्ड का चचेरा भाई था. जब मरने के लिए पोलार्ड मिल गया तो सवाल यह था कि उसे अब कत्ल कौन करेगा? इसके लिए भी लॉटरी निकाली गई. जिसके बाद कॉफिन पोलॉर्ड के ही करीबी दोस्त चार्ल्स रैम्सडेल ने अपने साथी को गोली मारकर कत्ल कर दिया. बाद में उसकी लाश को खाकर बाकी सब नाविक जिंदा रहे. एक सप्ताह बाद उन सबकी किस्मत और खुद की बदकिस्मती से, नाविक बर्जिल्लै रे खुद ही मर गया. नावों पर जिंदा बचे लोगों ने, बर्जिल्लै रे की पहले तो लाश के गोश्त को नोचकर खाया. फिर उन्होने (जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे नाविकों ने) काफी समय तक साथी, रे की लाश की हड्डियों को कुतर कर अपना गुजारा किया.
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उन लोगों ने इसहाक की लाश से नोचकर गुर्दे और उसका जिगर खा लिया. बाकी बची लाश का मांस खाने की भी कोशिश की. ताकि किसी तरह से खुद की भूख मिटाकर वे सब जिंदा रह सकें. एक इसहाक की लाश मगर नावों पर बाकी बचे नाविकों की जिंदगी बचा पाने के लिए काफी नहीं थी. तब सबने आपस में एक दूसरे से सवाल किया कि, अब बाकी साथियों को जिंदा रखने के लिए अगला कौन सा नाविक साथी खुद को मारेगा. ताकि उसकी लाश खाकर जिंदा बचे लोग जीवित रहकर किसी तरह से खुद को सुरक्षित समुद्र के बाहर ले जाकर. समुद्र में गुजरी खौफनाक कहानी बयान कर सकें. इस सवाल के जवाब के लिए ‘द एक्सेस’ की लॉगबुक के एक पन्ने को फाड़कर उसकी उतनी ही पर्चियां बनाई गईं, जितने लोग नावों पर जिंदा बचे थे. उन टुकड़ों को टोपियों में अंदर रखा गया.
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यात्रा के दौरान दो नाविकों की हो गई थी मौत दो सप्ताह बाद उनके पास मौजूद भोजन-पानी खत्म हो गया. उस यात्रा के दौरान दो नाविकों की मौत हो गई. उनकी लाशों को समुद्र में फेंक कर दफना दिया गया. मगर जब तीसरा साथी इसहाक मरा तो, भूख प्यास से हताश और मरणासन्न हालत में पहुंच चुके उसके साथियों ने खुद की भूख मिटाकर जिंदा रहने के लालच में उसकी लाश को ही नोच-नोचकर खाना शुरु कर दिया.
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