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Durgesh kumar

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हस्तिनापुर से राजधानी को मगध के पाटलिपुत्र ले जाने के लिए इस युग का एकमात्र चाणक्य हूँ

Patna, India
Joined May 2020
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Durgesh kumar
1 year
इलाका अहीर का, कोयरी का, कुर्मी का, कहार का, चमार का.. मगर दवाई की दुकान से लेकर मेडिकल कालेज तक ठाकुर का, ब्राह्मण का, अगड़े बनिया का.. भूमिहार का... बिहार में 12 करोड़ आबादी है.. मेडिकल इंडस्ट्री के लिए भारत के बड़े बाजारों में एक है. अकेले दवा का घरेलु बाजार प्रति वर्ष डेढ़ लाख करोड़ का है. डॉक्टरों की फी... अस्पतालों के खर्च संबंधी टर्नओवर अलग से है.. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 तक हेल्थकेयर इंडस्ट्री का टर्नओवर 8.6 ख़रब रूपये होने का अनुमान है.. मेडिकल इंडस्ट्री प्रति वर्ष 14-16% की दर से आगे बढ़ रही है. बारह करोड़ की आबादी वाले बिहार के हिस्सेदारी का अनुमान लगा लीजिये.. आंकड़े फिर कभी देंगे! बिहार की मेडिकल इंडस्ट्री में डायवर्सिटी बिलकुल भी नहीं है. फर्मास्यूटिकल मार्केट में भूमिहार, ब्राम्हण, राजपूत, बनिया का दबदबा है. बिहार में दवा कंपनियों के लगभग पचास हजार सेल्स रिप्रजेंटेटिव काम कर रहे है. अनुमानित एक लाख के आसपास दवा की दुकानें होगी... जांच घरों की भी बड़ी संख्या है... बिहार में कुछ दशक पहले मार्केटिंग में बंगालियों का दबदबा था, फिर कायस्थों का दबदबा हुआ, कायस्थों को भी अब भूमिहार ओवरटेक कर चुके है.. राजपूत भी इन तीन जातियों के सामने पिछड़ रहा है. दरअसल दवा कंपनियों में सेल्स में नौकरी किसको मिलेगा इसका एंटीना जोनल मैनेजर से जुडा हुआ है. जोनल मैनेजर अमूमन अपनी जाति का रीजनल मैनेजर नियुक्त करता है. फिर रीजनल मैनेजर सेल्स की टीम को जाति के हिसाब से ही बहाल करता है. मगध प्रमंडल के एक बड़े शहर में फर्मास्यूटिकल मार्केट में काम करने वाले साथी बताते है कि की उनके शहर में लगभग एक हजार मेडिकल की दुकाने होंगी. जिनमे से बैकवर्ड की दो-चार दुकानें ही नजर आती है. यदि आप भूमिहार, ब्राम्हण है तो कई ऐसे घाघ डॉक्टर है जहाँ आपको जाकर पैर छूकर प्रणाम करना होता है.. फिर गाँव का नाम पूछा जाएगा... गाँव का नाम बताते ही डॉक्टर आपकी जाति का अनुमान लगा लेंगे.. और आपको पूर्ण सहयोग शुरू हो जाता है. सेल्स से जुड़े भूमिहार और ब्राम्हण जातियों के युवाओं में आधे से अधिक ऐसे है जिनके पास शिक्षा का भी मानदंड पूरा नहीं करते है. हालत यह है कि फर्मास्यूटिकल कंपनियों के सेल्समैनों के असोशिएशन में भी इन उच्च जातियों के आधार पर ही कई फाड़ हो चुके है. वर्चस्व की इस लड़ाई में 5-7 प्रतिशत वाले बैकवर्ड जातियों की औकात शून्य है.. इस बाजार में कोई दलित दिख जाए तो समझिएगा कि गधे के सिंग के दर्शन हो गये है. अब सवाल उठता है कि भारत में प्रति व्यक्ति मेडिकल पर सरकारी खर्च 1657 रुपये है.. निजी स्तर पर यह खर्च लगभग 4500 रुपया प्रति वर्ष है....और इतने बड़े बाजार में पिछड़े दलितों की भागीदारी नगण्य है. बिहार में अकेले यह इंडस्ट्री सरकार के बराबर रोजगार सृजित कर रही है. जिसमे पिछड़े-दलितों की हिस्सेदारी न के बराबर है. मरीज अहीर का, कोयरी का, कुर्मी का, कहार का, कुम्हार का, लोहार का, चमार का, मुसहर का, अनगिनत बिहार की सैकड़ो जातियों का.. लेकिन मेडिकल इंडस्ट्री ठाकुर का, ब्राह्मण का, अगड़े बनिया का.. भूमिहार का... अब बताओ हर जगह सरकार ही आपको संभालेगी? इस इंडस्ट्री में अहीर-कोयरी-कुर्मी डॉक्टर भी है.. भले ही आंकड़ा कम है.. लेकिन ये अपने लोगों को सपोर्ट नहीं करते है. ये डरते है.. इन्हें दवा कंपनियों की स्थापना कर इस सेक्टर में डायवर्सिटी कायम करने से कौन रोकता है? पिछड़ों की सरकार आती है तो ये उम्मीद करते है कि इन्हें मदद मिले, मरीज मिले, लेकिन इस सेक्टर में वंचितों के लिए इनकी कोई महत्वकांक्षा का आपको पता चला है? या ये ओबीसी सिर्फ मेडिकल की पढाई करने भर के लिए रहते है. इन्हें बुलाओ सेमिनारों में....... जातीय सम्मेलनों में.. बड़े-बड़े आदर्श भरी बातें कहेंगे.. दूसरों के घरों में भगत सिंह खोजेंगे.... लेकिन मेडिकल इंडस्ट्री में स्थापित इस नेक्सस को तोड़ने के लिए ये क्या कर रहे है...? प्रैक्टिस शुरू करने के लिए फारवर्ड हो या बैकवर्ड, सबको अपनी जाति याद आती है... लेकिन जब ये सफल होते है.. तब ये अपनी जाति के लिए क्या करते है? सुनिए... ये ठीक से सेल्स रिप्रजेंटेटिव को सपोर्ट भी नही कर पाते है..! हम यह नहीं कर रहे है कि इनपर सामाजिक जिम्मेदारी है.. इनसे क्रांति की उम्मीद है.. लेकिन जो जिस सेक्टर में होता है वो वहां अपने लोगों को सपोर्ट तो करता ही है. दलित अफसर, ओबीसी अफसर काफी हद तक अपने लोगों का समर्थन करते है... लेकिन इन डॉक्टरों को क्या हो जाता है.. भाई? आप समाज के लिए अपनी ही दवा कंपनी बनायें.. धन की कमी हो तो बैकवर्ड समाज से ही निवेश ले लीजिये.. कुछ तो करिए..! 1/2 शेष कॉमेंट बॉक्स में
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Durgesh kumar
11 hours
RT @ManishKvermaJDU: बिहार के सुनहरे भविष्य के लिए नीतीश कुमार जरूरी हैं.. माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार ने…
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Durgesh kumar
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Durgesh kumar
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@RailwaySeva यह मामला आप रोज देख रहे है। PNBE और DDU रेलवे स्टेशन पर। NDTV ने कैप्शन मांगा है। आप इसे माननीय रेल मंत्री जी से अनुरोध कर यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए बोलिए। यह रोज स्टेशन पर हर एक्सप्रेस ट्रेन हो रहा है। मैं क्यों र��िस्टर कराऊं? आप संज्ञान लीजिए।
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Durgesh kumar
2 days
इस फ्रॉड को यह सिस्टम बिहार में ही दिखाई देता है? मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड से लेकर किस राज्य में यह स्थिति नहीं है? किंतु अपनी महत्वकांक्षा के लिए यह लोगों को कितना बरगलायेगा?
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Durgesh kumar
4 days
युवा नेता की शर्मनाक करतूत।
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Durgesh kumar
4 days
राजा बनने के लिए आदमी में क्या क्वालिटी होनी चाहिए? 😀
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Durgesh kumar
5 days
यदि 4 में आपका 1 बच्चे बीमार हो तो क्या करेंगे? डायग्नोसिस,मेडिसिन,फूड सप्लीमेंट देंगे। यदि बिहार गरीब है तो केंद्र स्पेशल पॉलिसी क्यों नहीं बना रहा? बिहार में स्किल डेवलेपमेंट का अंतराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी, साइंस रिसर्च प्रोजेक्ट, टेक्नोलॉजी आधारित इनोवेशन सेंटर्स की जरूरत है।
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Durgesh kumar
5 days
शीश महल में कौन रहेगा?
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Durgesh kumar
6 days
यदि ट्रंप ने कनाडा और ग्रीनलैंड को पुनः अमेरिका में मिलाने का आह्वान कर दिया है तो हमें भी चूकना नहीं चाहिए। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार पर हमला कर अखंड भारत का गठन कर लेना चाहिए। यह सही समय है पूरे विश्व में भारत का डंका बजाने का। क्यों रे भक्तों!
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Durgesh kumar
7 days
टेक्सटाइल पार्क क्यों नहीं खुला?
@girirajsinghbjp
Shandilya Giriraj Singh
8 days
News from Begusarai locals:- ••बेगूसराय में रेडीमेड टेक्सटाइल हब किया जाएगा विकसित। ••बिहार को बड़े बदलाव की ओर ले जाएगा केंद्र का बजट। ••बिहार को मिला डबल इंजन सरकार का फायदा। ••देश के अमलोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला है बजट।
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Durgesh kumar
8 days
क्या इन भारतीयों ने विश्व मंच पर देश को शर्मिंदा किया है। नहीं, बिल्कुल नहीं। इस मुल्क के सम्मानित वासी है। गुजराती - 33 हरियाणवी - 33 पंजाबी - 30 लेकिन याद रखें कि जंग ए आजादी में सबसे ज्यादा कुर्बानी देने वाले बिहारी भी सम्मान के पात्र हैं।
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Durgesh kumar
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क्या इन भारतीयों ने विश्व मंच पर देश को शर्मिंदा किया है। नहीं, बिल्कुल नहीं। इस मुल्क के सम्मानित वासी है। गुजराती - 33 हरियाणवी - 33 पंजाबी - 30 लेकिन याद रखें कि जंग ए आजादी में सबसे ज्यादा कुर्बानी देने वाले बिहारी भी सम्मान के पात्र हैं।
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Durgesh kumar
8 days
Respected @BandanaPreyashi ji, बिहार में वर्तमान में 15000apx करोड़ का फार्मा मार्केट है।आखि़र क्यों नहीं फार्मा इंडस्ट्री के लिए डेडीकेटेड एरिया,एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर फार्मा इंडस्ट्री में प्रवेश किया जा सकता है? आखिर दिक्कत क्या हो रहा है? कब तक ���िहार का पैसा बाहर जाता रहेगा?
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Durgesh kumar
8 days
आदरणीय @mishranitish सर। बिहार में वर्तमान में 15000apx करोड़ का फार्मा मार्केट है। आखि़र क्यों नहीं फार्मा इंडस्ट्री के लिए डेडीकेटेड एरिया, एक्सपर्ट की कमेटी का गठन कर फार्मा इंडस्ट्री में प्रवेश किया जा सकता है? आखिर दिक्कत क्या हो रहा है? कब तक बिहार का पैसा बाहर जाता रहेगा?
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Durgesh kumar
8 days
बिहारियों का मजाक बनाने वाले मजदूरों सुनो। क्या तुमने देश का नाम खराब किया है? क्या तुम्हारी वजह से भारत बदनाम हुआ है? नहीं रे! हम इतने बेगैरत नहीं है। तुम हमारे ही हो, तुम्हारी इज्जत, हमारी इज्जत है। बस याद रहे, कभी पंजाबी और गुजराती की शरणस्थली बिहार था। आज स्थिति पलट गई है।
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Durgesh kumar
10 days
गुजराती सेठों के टुकड़े पर पलने वाले गिद्ध राज सिंह यदि बिहार को टेक्सटाइल पार्क नहीं दे सकते हैं उन्हें इस्तीफा दे कर बड़हिया स्टेशन पर फिर से गांजा बेचना शुरू कर देना चाहिए। प्रायश्चित करना है तो अब दो टेक्सटाइल पार्क दो। एक चनपटिया और दूसरा भागलपुर के लिए। वरना गद्दी छोड़ दो!
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Durgesh kumar
10 days
RT @ManishKvermaJDU: सरकार, समाज और प्रशासन को उन्नत बनाना है तो हमें स्वयं की सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी..
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Durgesh kumar
11 days
@AlokChikku आप लोग के लिए फिशरीज इंस्टीट्यूट प्रस्तावित है। मखाना बोर्ड। कैनाल योजना दे रहा है
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