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Samarthguru Siddharth Aulia

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Samarthguru Siddharth Aulia
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ध्यान आत्मा का स्नान है। प्रथम कार्यक्रम ध्यान योग में ही ओंकार का ज्ञान। अनचाहे तनाव से मुक्त होकर आनन्द और उमंग भरी ज़िन्दगी जियें। कार्यक्रम: ऑनलाइन: सात दिवसीय सुबह-शाम प्रत्येक माह ऑफलाइन: त्रिदिवसीय प्रत्येक माह संपर्क करें: ओशोधारा नानक धाम, मुरथल, हरियाणा 📞9671400193/96
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
'Unless meditation becomes #Enlightenment , you have simply wasted your time.' #Osho Oshodhara conducts 28 levels of Enlightenment programs.
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
प्रतिकूल समाचार, निन्दा , आलोचना पढ़ या सुन कर उत्तेजित न हों , सहज रहें ।आसुरी शक्तियां शुरू में प्रबल होती दिखाई देती हैं , मगर अन्ततः देवीय शक्तियां ही जीतती हैं। तमाम असन्गतियो के बावजूद गोविन्द अस्तित्व को मंगलमय दिशा में ले जाने के लिए कृतसन्कल्प है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
1008 ग़ज़ल लिखने का संकल्प आज पूरा हुआ। सफ़र बड़ा लम्बा, लेकिन मज़ेदार रहा। आज की ग़ज़ल की चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं: हो गई पूरी अब ग़ज़ल मेरी हुई संकल्पना सफल मेरी काम आसां नहीं था रब ने मगर राह कर दी बहुत सरल मेरी बात होगी जो कभी ‘मुर्शिद’ की याद दुनिया करेगी कल मेरी
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
मेरा जन्म दिन आप सभी को मुबारक हो। इस पावन अवसर पर सैकड़ों मित्रों ने अपनी शुभकामनाएँ भेजी हैं। मैं उन सभी को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
प्रभु का सारा खेल समझ, मुर्शिद साधा मौन। बाज़ी उसके हाथ है, भला बुरा अब कौन।। सिद्धार्थ गीता
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
गुरु हमें हर तरह से परखता है और अपने अनुभव हमें बिना किसी भेदभाव के देता है। लेकिन साधक कई बार अपने लाभ के लिए गुरु से विमुख हो जाता है । लेकिन वह यह भूल जाता है कि जिस गुरु ने इतना कुछ अब तक दिया है, वह आगे भी बहुत कुछ दे सकता है।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जब बंद द्वार इक होता है, कुछ नए द्वार हैं खुल जाते। कुछ फूल पुराने झड़ते हैं, कुछ नए फूल हैं खिल जाते। परिवर्तन नियम जिंदगी का, खुश रहना नियम बंदगी का। आनन्दं शरणम् गच्छामि, भज #ओशो शरणम् गच्छामि।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
ओशोधारा संघ का संकल्प: * स्वस्थ रहें। * साक्षी रहें। * सुमिरन में रहें। * सौ साल जिएँ। -सद्गुरू ओशो सिद्धार्थ औलिया
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जब #ओशो कहते हैं कि तुम हमारे मित्र हो, तो यह उनकी महानता है, बड़प्पन है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम भी उनकी बराबरी करने लगें। जैसे हिमालय केवल पर्वत नहीं है। गंगा केवल नदी नहीं है। वैसे ही ओशो हमारे लिए केवल मित्र नहीं, कल्याण मित्र हैं, वन्दनीय हैं, पूजनीय हैं।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#गुरुद्रोह से बड़ा पाप कुछ भी नहीं है। गुरु से नहीं जुड़ो , कोई बात नहीं। पर जुड़ कर दुर्भावना रखो या द्रोह करो, यह अक्षम्य अपराध है। गुरु भले इसे क्षमा कर दे, परमात्मा क्षमा नहीं करता।
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Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
My best wishes to all friends and seekers on this auspicious occasion of my 76th birthday. It is not possible to reply individually to those who have sought blessings through WhatsApp or text. My love and blessings to all.
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5 years
भारतीय संत समाज ने महामंडलेश्वर महायोगी पायलट बाबा के नेतृत्व में ओशोधारा के सद्गुरू ओशो सिद्धार्थ औलिया को विज्ञान भवन दिल्ली में सम्मानित किया।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
4 years
By launching 28 levels of Spiritual & 26 Happy living online programs at global level, Oshodhara has paved the way for the greatest spiritual movement in the history of mankind for journey to #Enlightenment and beyond. Open this link to know the details.
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6 years
ओशो सिद्धार्थ संबोधि दिवस और ओशोधारा दिवस के इस पावन अवसर पर आप सभी को बधाई और अनंत शुभकामनाएँ!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
Shailendraji has decided to take a break for 2 months with effect from 14th September,19 for going to our Nepal Ashram for sadhna, which I have agreed. I respect his freedom. You should also do the same. Any rumour in this regard is uncalled for.
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@SiddharthAulia
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5 years
आज परमगुरू का सम्बोधि दिवस है. इस दिन एक दीपक प्रकशित हुआ.उस प्रकाश पुंज से लाखों बुझे दीपक जल उठे.धन्यभागी हैं जो ओशो युग में पैदा हुए.मेरे लेखे तो भगवान कृष्ण के बाद ओशो ने ही मनुष्य जाति को जीवन जीने के सभी आयामों से परिचित कराया. आप सभी को सम्बोधि दिवस की बधाई।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जगत तमाशा जानकर, साक्षी होकर देख। करनहार कोई और है, अटल है विधि का लेख।। सिद्धार्थ गीता
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जो दिखता है, ज़रूरी नहीं कि वह सच हो। रूठने या टूटने वाले की कुछ शर्तें होती हैं, जो अधिकतर धन या सम्पत्ति से सम्बंधित होती हैं। ज़रूरी नहीं कि उसकी हर माँग उचित हो या तुम पूरी कर सको। हर व्यक्ति या संघ की सीमा होती है। कठिनाई तब होती है, जब किसी की माँग करोड़ों में हो।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जैसे-जैसे #ओशोधारा के विरोधियों का स्वर मुखर होता जा रहा है, वैसे-वैसे मुझे उनकी नादानी पर दया आ रही है। उनका कोई दोष नहीं है। न तो उन्हें परमात्मा का कोई अनुभव है, न आत्मा का और न ही सृष्टि की संचालक दिव्य शक्तियों का, इसलिए वे दूसरों के अनुभवों पर भरोसा करें भी, तो कैसे?
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
परमात्मा कभी तुमसे यह कहता ही नहीँ कि तुम क्या करो और क्या न करो। करने की पूरी स्वतंत्रता है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि हर कृत्य का परिणाम है। उसको भोगने के लिये भी तुम राजी रहना। कृत्य की स्वतंत्रता है, परिणाम का बँधन है ।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#ओशोधारा: बुद्ध के जमाने में बुद्ध के संघ में शामिल होना जितनी बड़ी धन्यता थी, आज उससे भी बड़ी धन्यता ओशोधारा संघ में शामिल होना है। बुद्ध का संघ जीवन के निषेध पर खड़ा था, जबकि ओशोधारा संघ कर्मयोग और जीवन के परम स्वीकार पर आधारित है। इस महान संघ में नए साधकों का स्वागत!
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
राष्ट्रवादी ताक़तों और उनके नेता मोदी जी की जीत पर आप सभी को बधाई।
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6 years
तनावमुक्त जीवन के स्वर्णिम सूत्र : (1)जीवन का आधार चुनोैती है, इसलिए चुनोैती को स्वीकार करें। (2)' ना ' सुनने की आदत डालें। (3)पहल करें। (4)अहोभाव में जिएँ। (5)मीठी वाणी बोलें। (6)संकल्प लें। (7)प्रतिकूल का स्वीकार करें। (8)आत्म बोध के साथ जिएँ। —ओशो सिद्धार्थ औलिया
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
ओशो संध्या आजतक इतनी ख़ूबसूरत कभी नहीं हुई। साँस साँस सुमिरन में जी रहे निराहारी आचार्यश्री ओशो चेतन का यह कीर्तन नृत्य ओशोधारा में पतझड़ के बाद एक नए बसंत का आरम्भ है।
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
भारत में कश्मीर के पूर्ण विलयन की इस ऐतिहासिक घड़ी के हम सौभाग्यशाली साक्षी हैं। मैं @narendramodi सरकार को अपना समर्थन और बधाई देता हूँ। JDU और कुछ अन्य विरोधी दलों द्वारा इसका विरोध आत्मघाती है।परमात्मा उनको सदबुद्धि दे।
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@SiddharthAulia
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5 years
गुरू हमारी सीमा नहीं है, हमारी सम्भावना है। वह हमारी मंज़िल नहीं, मील का पत्थर है। गुरु हमारा उद्गम है, हमारा अंत नहीं। गुरु का शब्द संकेत है, बंधन नहीं। गुरू की वाणी सत्य की सुगंध है, सिद्धांत नहीं। वह हमारी गंगोत्री है, गंगा सागर नहीं।
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5 years
रात बीती प्रात अब आने को है सांझ आई सूर्य ढल जाने को है जब भी आए कोई घाटी राह में जानना कोई शिखर आने को है तप रही हो जब भी धरती धूप से मेघ कोई नीर , बरसाने को है ~ गुलशन-ए-मुर्शिद
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
आज से 21 वर्ष पूर्व ओशोधारा की प्रथम ओंकार दीक्षा अमरकण्टक में 5 अप्रील, 1998 को सम्पन्न हुई, जिसमें 21 सहभागियों ने भाग लिया था। इस पुनीत अवसर पर आप सभी को अनंत शुभकामनाएँ!
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#OshoDharmChakra : Flood is over. Of course it has done significant damage. But now we have to reconstruct Oshodhara to greater heights. We have to take it to new horizons. We have to scale new peaks. We have to take cycle of dharma chakra initiated by Osho beyond barrier of time.
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Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
ओशोधारा के आचार्यों को ओशोधारा के मंच से प्रचार करने की छूट है, दुष्प्रचार या आत्मप्रचार की नहीं। संवाद की छूट है, विवाद की नहीं। उपदेश की छूट है, प्रपंच की नहीं। गुरू-शिष्य परम्परा के मंडन की छूट है, खंडन की नहीं।ओशो की वंदना की छूट है, कट्टरता की नहीं।
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Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
ओशोधारा दिवस पर आप सभी को अनंत शुभकामनाएँ। प्रभु से मेरी प्रार्थना है कि आप सभी के भीतर का संबोधि कमल यथाशीघ्र खिले और सभी दिशाएँ उसकी सुरभि से भर जाएँ।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
तेरे इल्म से है बका मेरी तेरे इल्म से में फना हुआ✨ तेरे इल्म से मेरा इश्क़ है तेरे इल्म से मैं खुदा हुआ मुझे हर जवाब है मिल गया कोई बचा ना सवाल है या नबी ये तेरा कमाल है हासिल ख़ुदा का जमाल है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#अध्यात्म उन लोगों के लिए नहीं, जो अपने नियमित कार्यक्रम में व्यस्त व संतुष्ट हैं। यह तो जीवन का अर्थ जानने के इच्छुक साधकों का मार्ग है। यह मानसिक खुजली नहीं, आत्मिक खोज है।मनोरंजन नहीं, मनोभंजन है। यह विद्वता नहीं, श्रद्धा का मार्ग है।कट्टरता नहीं, क्रांति का मार्ग है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
"स्वामी देवतीर्थ भारती जी के महापरिनिर्वाण दिवस, 8 सितंबर पर उन्हें शत शत नमन"। सितंबर 1979 को दद्दाजी (ओशो के पिताश्री) ने देह त्यागी थी और इसी 8 सितंबर के दिन को ओशो ने "महापरिनिर्वाण" दिवस घोषित कर दिया।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
गुरु से प्रीति होने लगे समझना गुरु-कृपा हुई और गोविंद से प्रीति बढ़ने लगे, समझना गोविन्द की कृपा हुई । गुरु से प्रेम बढ़ने का एक ही तरीका मैं बता सकता हूँ । सोचो कि गुरु से जुड़ने के पहले तुम्हारी जिंदगी क्या थी ? और गुरु से जुड़ने के बाद तुम्हारी जिंदगी क्या है ?
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
शिकवा में सब जी रहे, कृतज्ञता में कौन? इस मछली बाज़ार में, मुर्शिद साधा मौन।। सिद्धार्थ गीता
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
प्रेम एक नशा है। जिसे हम प्रेम करते हैं, उसको देखना मस्ती में ले जाता है। यही प्रेम गोविंद से हो, तो उस नशे का क्या कहना। आकार में दुख है, निराकार में शांति है, और सुमिरन में आनंद है। सदा सुमिरन में रहें। -सद्गुरु ओशो सिद्धा��्थ औलिया
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5 years
परमात्मा देने को तैयारहै।अमृत देने को तैयार है।कंजूसी मत करना!बाल्टीभर-भर के ले जाना,टब भर-भर के ले जाना।गिलास लेकर यहां मत आना।जितना उठा सको,उतना भर-भर के लेजाना।बड़े सौभाग्य की घड़ी हैऔर बहुत ही अद्भुत घड़ी है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
ओशो के वृक्ष को वीरान करने का कट्टर पंथियों का प्रयास अविवेक पूर्ण है। उनके लिए इतना ही कहना चाहूँगा: ‘न इतनी तेज़ बहे सरफिरी हवा से कहो; शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है।’ उसी पत्ते का नाम है ओशोधारा!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#ओशोधारा एक गुरु शिष्य परम्परा है। यह ओशो से मैत्री का दावा करने वालों का कोई क्लब नहीं है।यह ध्यान, साक्षी, समाधि और सुमिरन का मानसरोवर है। ओशोधारा में आचार्य हों या साधक, सभी एक ही जीवित सद्गुरू के शिष्य हैं। यदि कोई अन्यथा समझता है, तो उसे अपना एक अलग ओशो क्लब खोल लेना चाहिये।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
किसी भी अभियान की सफलता के तीन चरण हैं-उपेक्षा, विरोध, सहयोग। ओशोधारा के इस विराट धर्म चक्र का दूसरा चरण आरम्भ हो गया है। कट्टरपंथियों का विरोध शुरू हो गया है। यह शुभ संकेत है। भगवान कृष्ण और ओशो के बताए सहज योग के मार्ग पर हमें संकल्प पूर्वक आगे बढ़ते जाना है। जय ओशोधारा!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
गुरु जब अंहकार की परतें उतारता है, तो दर्द होता है। गुरु पर गुस्सा भी आता है।मगर जब भीतर अपने ही अमृत, राम रस से सामना होता है, तो गुरु की करुणा समझ आती है।गुरु से प्रेम हो जाता है। प्रेम श्रद्धा में बदल जाता है।अंहकार से मुक्ति चाहते हो, तो गुरु की तलाश करो।
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Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
प्यार सबसे किया कीजिए मान सबको दिया कीजिए आंख से आंख मिल जाए तो थोड़ा सा मुस्कुरा दीजिए
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
ओशो की याद आयी तो वे भी याद आए जो थे कभी दीवाने अब हो गए पराए पढ़ते नहीं हैं पाँती जो मैं भेजता हूँ है दम नहीं किसी में जो हमें आज़माए
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
तनावमुक्त जीवन के स्वर्णिम सूत्र : (1)जीवन का आधार चुनोैती है, इसलिए चुनोैती को स्वीकार करें। (2)' ना ' सुनने की आदत डालें। (3)पहल करें। (4)अहोभाव में जिएँ। (5)मीठी वाणी बोलें। (6)संकल्प लें। (7)प्रतिकूल का स्वीकार करें। (8)आत्म बोध के साथ जिएँ।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
ख़ुदा की याद में रहने वाले कम हैं खुद को फ़ना करने वाले नबी की बात समझते कितने हम भला कौन हैं कहने वाले मेरी मासूमियत पे मत जाना हम नहीं राह से हटने वाले सबको मिलता नहीं कामिल 'मुर्शिद' यूँ भी कुछ ही हैं खोजने वाले -सद्गुरु ओशो सिद्धार्थ औलिया
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
धन्य हूं मुझको रब का पता मिल गया ढूंढते-ढूंढते रास्ता मिल गया मैं जमीं पर भटकता रहा व्यर्थ ही बाहें फैलाए खुद आसमां मिल गया
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
हम छोड़ नहीं पाए जो छूट गए हमसे हम तोड़ नहीं पाए जो टूट गए हमसे यह आशिकी है कैसी 'मुर्शिद' तुम्ही बताओ हम जोड़ नहीं पाए जो रुठ गए हमसे
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
बंदा बंदा नहीं जो करता आदाब नहीं कोई जुगनू कभी हो सकता आफ़ताब नहीं बात बनती है किसी पीर या कलदंर से चाहिए हमको ख़लीफा या वहाब नहीं कोई मरदाना गीत गाता कैसे रब का कोई नानक उसे देता अगर रकांब नहीं जलवा-ए-मुर्शिद
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
आप सभी को #लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज की रात 13 जनवरी, 1997 को ��ुरु नानक देव की दिव्य सत्ता ने मुझे ॐ की दीक्षा दी। तब से लोहड़ी का पर्व मेरे लिए और ओशोधारा के लिए ‘लो हरि’ बन गया।’लो हरि’ आप सभी को मुबारक हो!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
आती-जाती सांस से सुमिरन करूं मै मिलन की इस मौज में हरदम रहूं मैं दो तटों से जिन्दगी बहती है रहती हो कभी प्रतिकूल तो धीरज धरूं मै संतुलन के नियम से चलती है सृष्टि रब है मंगलमय सदा फिर क्यों डरूं मैं जलवा-ए-मुर्शिद
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
जब ओशो विदा हुए; ओशो के सारे लोगों ने कहा कि अब गुरु की जरुरत नहीं। लेकिन #ओशोधारा ने कहा कि गुरु की जरुरत है। तो छोटा-मोटा विरोध तो चलता रहेगा। " अब ह���ाएं ही करेंगी रौशनी का फैसला, जिस दिये में जान है वो दिया रह जायेगा।"
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
दिवाली आती है, रोशनी का पैगाम लाती है। दीप जलते हैं, फिर बुझ जाते हैं। लेकिन आत्मदीप, एक बार जल जाए, तो कभी बुझता नहीं।दिवाली की शुभकामनाएं!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
मैं गोविन्द का चहेता हूं कोई दुश्मन भला करेगा क्या नाख़ुदा हूं मैं इस ज़माने का मुझसे कोई भला बचेगा क्या जिनके सर पर ख़ुदा का हाथ सदा ऐसा बंदा कोई डरेगा क्या #औलिया कह नवाजा मुर्शिद ने और कोई मुझको समझेगा क्या फ़िरदौस-ए-मुर्शिद
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
जगत को जो तुम देते हो, जगत हजार गुना कर तुमको लौटा देता है । तुम घृणा दो - घृणा लौटेगी । तुम प्रेम दो- प्रेम लौटेगा । तुम अपमान दो - हजार अपमान तुम्हारा इन्तजार करेगा।ये प्रतिध्वनि की तरह है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
क्या नहीं जानते तुम अब तक , नासमझों से यह जग है भरा ? सालों लगता कुछ बनने में, क्षण भर में कर देते कचरा । अब हँसो नहीं तो करोगे क्या , पागल है इनका करोगे क्या ? अथ हास्यं शरणं गच्छामि , भज #ओशो शरणं गच्छामि । । आनन्द - गीता
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
#गुरुद्रोह से बड़ा पाप कुछ भी नहीं है। गुरु से नहीं जुड़ो , कोई बात नहीं। पर जुड़ कर दुर्भावना रखो या द्रोह करो, यह अक्षम्य अपराध है। गुरु भले इसे क्षमा कर दे, परमात्मा क्षमा नहीं करता।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
नाम श्रवण के साथ जगत के सारे कार्य करो। यह अभी और यहीं में जीने का श्रेष्ठतम तरीका है। इससे जीवन में उमंग बनी रहती है, उदासी नहीं आती। तुम आनंदित रहते हो।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
कहीं राधे-राधे चल रहा है। कहीं गीता रटने को कहा जा रहा है। कहीं आत्मा मानकर जीने को कहा जा रहा है। कहीं नाम के नाम पर मंत्र दिया जा रहा है। ऐसे में " चरैवेति " तक की साधना के लिए 28 तल के कार्यक्रमों के साथ ओशोधारा का आना क्या चमत्कार नहीं है !!!
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
देख तमाशा जगत का, मुर्शिद हँसा ठाठाय। हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय।। सिद्धार्थ गीता
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
6 years
वैलेंटायन डे अर्थात् प्रेम दिवस आप सभी को मुबारक हो। प्रेम प्रेम सब कोई कहे, प्रेम न जाने कोय। गुरु मिले, गोविंद मिले, प्रेम कहावे सोय।। —ओशो सिद्धार्थ औलिया
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
इक आता इक है जाता, यही जगत व्यवहार। दुनिया है आनी जानी, चिंता है बेकार।। सिद्धार्थ गीता
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
पटाखे जब भी, जहाँ भी फूटते हैं, चिड़ियों का दिल दहला देते हैं। मेरा आप सभी से निवेदन है कि दिवाली हो या नया साल, कृपया पटाखे न फोड़ें।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
अलविदा का पैग़ाम आ पहुंचा ज़िन्दगी का मुक़ाम आ पहुंचा कभी लगता था हमसे दूर बहुत मेरी महफ़िल में राम आ पहुंचा जलवा-ए-मुर्शिद
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
7 years
इश्क़ के एहसास का हम क्या करें इस अनूठी प्यास का हम क्या करें बिना रब की याद के चलती नहीं बागी होती सांस का हम क्या करें
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
सत्य के साथ शील भी होना चाहिए, शौर्य के साथ धैर्य भी होना चाहिए और कर्मयोग के साथ ईश्वर पर पूरा भरोसा भी होना चाहिए, फिर तुम्हारे विजय रथ को कोई भी नहीं रोक सकता। विपरीत परिस्थितियों में भी साक्षी रहकर संघर्ष करना ओशोधारा का कर्मयोग का मार्ग है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
हो सकता है दस आलोचना में दो-चार आलोचना ऐसी भी हों, जिसमें सच्चाई हो,और उसके अनुसार अपने में सुधार लाओ, क्योंकि अपना अवगुण दूसरों को पता चलता है,अपने पता नहीं चलता है।
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@SiddharthAulia
Samarthguru Siddharth Aulia
5 years
अब दिलों में फ़ासलों की बात मत कर सफ़र में मंजिल से पहले रात मत कर। मैक़दे में जाम रिंदों को पिलाओ घर न लौटें ऐसी भी बरसात मत कर। प्रेम में जो हारता वो जीतता है इश्क़ जिससे है उसे तू मात मत कर। रब की हर रचना बहुत सुंदर है लेकिन ख़ुदा से बढ़कर कभी कायनात मत कर।
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5 years
जीवित गुरु के पास रहोगे तो तुम्हारी यात्रा के लिए आगे की विधियाँ देता रहेगा।जीवित गुरु जानता है कि तुम्हें कहां आगे बढ़ाना है ,कैसे आगे बढ़ाना है ।जीवित गुरु के साथ चलते रहो, चलते रहो...जीवित गुरु हमेशा नया होता है , विधियाँ पुरानी पड़ जाती हैं ।
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7 years
किसी एक सतगुरु का अनुसरण करो, मगर सभी सद्गुरुओं का उपदेश सुनो। अपने सतगुरु के बताए मार्ग पर चलो,मगर सभी सतगुरुओं का सत्संग करो।
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5 years
देते शूली पीर को, ऐसा जग व्यवहार। अमृत देता संत है, विष देता संसार।। सिद्धार्थ गीता
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5 years
कमल फूल कहीं और है, कमल मूल कहीं और। कंपती धरती और है, केंद्र कहीं है और।। सिद्धार्थ गीता
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6 years
ओशो अमृत दिवस आप सभी के लिए मंगलमय हो! नहीं मायूस हो इतना मसीहा की विदाई से कहीं तो फिर चलेगा सिलसिला फिर मैकदा होगी चुना खुद रब ने है ‘सिद्धार्थ’ को रहबर जमाने का नहीं #ओशो के मयखाने से रौनक अब विदा होगी
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5 years
तूफान ऐसा आया, बरसात हुई भारी कुछ पेड़ गिर गए हैं, अब उनका क्या करें हम ! कल तक जो यार मेरे लगते थे इतने प्यारे वे दर्द दे रहे हैं अब उनका क्या करें हम ! सिद्धार्थ रास्ते में मत पीछे मुड़ के देखो हैं बेवफ़ा हुए जो अब उनका क्या करें हम! -सद्गुरू ओशो सिद्धार्थ औलिया
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5 years
जो भी होता धरा पर, प्रभु की मर्ज़ी जान। जो भाए सो कर्म कर, फल देता भगवान।। सिद्धार्थ गीता
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5 years
गुरु भक्ति का अर्थ है गुरु के प्रति अहोभाव में जीना।कभी अहोभाव में कमी आए, तो चिंतन करना कि गुरु से जुड़ने से पहले तुम्हारी जिंदगी क्या थी ? गुरु से जुड़ने के बाद तुम्हारी जिंदगी क्या है, और अभी और क्या संभावना है। —सिद्धार्थ उपनिषद
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7 years
जब भी विपदा आए सोचो सर्वाधिक क्या खो सकता है खतरे की घंटी बजे सोच लो आखिर क्या हो सकता है अंतिम फल को जो राजी है वह नहीं हारता बाजी है
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5 years
मेरी समाधि पर लिखना, वह सो रहा यहां जो जाग गया; जिसने इतना था #प्रेम किया, हरि आकर स्वयं सराह गया। जाते-जाते कह गया वचन, है नहीं प्रेम से बड़ा भजन; अथ #प्रेमं शरणम् गच्छामि, भज #ओशो शरणम् गच्छामि।। -आनंद गीता
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5 years
जब ओशो विदा हुए; ओशो के सारे लोगों ने कहा कि अब गुरु की जरुरत नहीं। लेकिन #ओशोधारा ने कहा कि गुरु की जरुरत है। तो छोटा-मोटा विरोध तो चलता रहेगा। " अब हवाएं ही करेंगी रौशनी का फैसला, जिस दिये में जान है वो दिया रह जायेगा।"
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5 years
प्रभु के मार्ग पर हजारों लोग चलते हैं, लेकिन कुछ ही संबोधि की मंजिल तक पहुंचते हैं। इसलिए नहीं कि रास्ता कठिन है, बल्कि इसलिए शेष क्षुद्र बातों में उलझकर रास्ते में ही रुक जाते हैं। आत्मस्मरण जीवन है। आत्मविस्मरण मृत्यु है।
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5 years
प्रभु मिलन की आस ज़िन्दा कर रही आती-जाती सांस सजदा कर रही जब अंधेरा घेरता उम्मीद पर रोशनी तब-तब सबेरा कर रही दीप की लौ टिमटिमाती जब कभी तेल बन श्रध्दा उजाला कर रही धूप तीखी जब तपाती है मुझे भक्ति की बदरी छाया कर रही जलवा-ए-मुर्शिद
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6 years
क्या तुम्हे अतृप्ति का एहसास होता है ? क्या जाने-अनजाने कुछ तुम 'मिस'करते हो ? इसका मतलब तुम परमात्मा से अभी दूर हो।और उसका एक ही तरीका है-सुमिरन..तुम तृप्त ही नहीं,बल्कि निहाल हो जाओगे.सुनो,गुरु अर्जुनदेव क्या कहते हैं--'सिमर सिमर सिमर नाम जीवा,तन मन होय निहाला।’
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5 years
सद्गुसभी को आमंत्रित करता हूँ। और जो चल रहे हैं उनके लिए कहता हूँ कि रुकना नहीं, थोड़ी देर भी रुकना नहीं। तुम्हें पता नहीं है- " थोड़ी देर रुक जाने से दूर हो जाती है म़ंजिल, सिर्फ हम ही नहीं चलते, रास्ते भी चलते हैं। "
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7 years
#सतगुरु शिल्पकार की भांति होता है। वह तराश-तराश कर तुम्हारे भीतर छुपी आत्मा, असली #बुद्ध को बाहर लाता है। अपनी #आत्मा के खोजी बनो।
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5 years
सिद्धार्थ उपनिषद् : संसार बहती हुई नदी है, परिवर्तनशील है। परमात्मा ठहरा हुआ सागर है, शाश्वत है। साक्षी होकर दोनों का मजा लेना संतत्व है। जैसे सागर नदी के जल का स्रोत भी है, और गंतव्य भी, वैसे ही परमात्मा संसार का उद्गम भी है, और गंतव्य भी।
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5 years
#ओशोधारा: बुद्ध के जमाने में बुद्ध के संघ में शामिल होना जितनी बड़ी धन्यता थी, आज उससे भी बड़ी धन्यता ओशोधारा संघ में शामिल होना है। बुद्ध का संघ जीवन के निषेध पर खड़ा था, जबकि ओशोधारा संघ कर्मयोग और जीवन के परम स्वीकार पर आधारित है। इस महान संघ में नए साधकों का स्वागत!
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7 years
सुन गौर से कब से तुम्हें रब दे रहा आवाज़ है यह पीर की महफिल है जिसमें होश रिवाज है
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6 years
सांस लेने का मजा आता है अब तो जीने का मजा आता है किया मदहोश जबसे साकी ने जाम पीने का मजा आता है
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5 years
आज 16 अप्रैल,19 को #क़ुरान के हिन्दी पद्यांतर का शुभारम्भ हुआ। आयतों की बरसात में भीग रहा हूँ। एक तरफ़ #गीता की गंगा, दूसरी तरफ़ क़ुरान की यमुना और मध्य में मेरी प्रज्ञा की सरस्वती एक ऐसे प्रयाग का निर्माण करने जा रही है, जिसके संगम में कल पूरी मानवता आत्मस्नान का मज़ा लेगी।
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5 years
ऐसा समझ लो हम लोग नाव से किसी द्वीप में गए हैं, और नाव तोड़ दी गई है।उस द्वीप से वापस आने की कोई संभावना नहीं है।अब उस द्वीप पर रहना ही रहना है। इसलिए जो बुद्ध वाली नाव थी, महावीर वाली नाव थी, शंकराचार्य की नाव थी, वो तोड़ दी गई है।
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5 years
परमात्मा कभी तुमसे यह कहता ही नहीँ कि तुम क्या करो और क्या न करो। करने की पूरी स्वतंत्रता है। लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि हर कृत्य का परिणाम है। उसको भोगने के लिये भी तुम राजी रहना। कृत्य की स्वतंत्रता है, परिणाम का बँधन है ।
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4 years
करोना का संकट अधिक से अधिक तीन-चार माह का है। चीन मुक्त हुआ। भारत और शेष विश्व भी मुक्त होगा। सृष्टि का आधार चुनौती है। परमात्मा को मंगलमय जानते हुए इस चुनौती का साहसपूर्वक मुक़ाबला करें। परिणाम शुभ होगा। शाकाहार और सत्धर्म की स्थापना होगी। @narendramodi के नेतृत्व में भरोसा रखें।
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5 years
कितने ऋषियों, मुनियों ने शाश्वत प्रश्नों का उत्तर खोजा। पर ईश्वर क्या है, जीवन क्या है, प्रश्न अभी तक अनबूझा। हो गई कृपा गुरु की जिस पर, उसने ही जाना क्या ईश्वर? गुरु चरणं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।।
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5 years
जब लगे अब बात, बन सकती नहीं थोड़े दिन ही अब , खुदा पाने में है चलते-चलते थक कभी जाओ अगर जानना मंजिल करीब आने को है इबादत में मन नहीं लगता अगर भेद मुर्शिद नया बतलाने को है ~ गुलशन-ए-मुर्शिद
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5 years
तुम क्षमा करो पागल जग को, सब अपने मन से परेशान। कोई न किसी की सुनता है, सब कहते अपना दुख पुराण। वैसे भी क्या समझाना है, सब भीतर खोज, खजाना है। आत्मानं शरणं गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।।
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5 years
गुरू हमारी सीमा नहीं है, हमारी सम्भावना है। वह हमारी मंज़िल नहीं, मील का पत्थर है। गुरु हमारा उद्गम है, हमारी यात्रा नहीं। गुरु का शब्द संकेत है, बंधन नहीं। गुरू की वाणी सत्य की सुगंध है, सिद्धांत नहीं। लेकिन कट्टरपंथी इसे नहीं समझेंगे। वे दया के पात्र हैं।
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5 years
गोविंद भजो : तुम योग करो या भोग करो, जंगल या घर में वास करो, इन बातों का कुछ अर्थ नहीं, सार्थक है प्रभु का ध्यान करो; अब घर-जंगल का भेद तजो, गोविंद भजो, गोविंद भजो। -सद्गुरु ओशो सिद्धार्थ औलिया
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5 years
चुप थे कल तक वे जाम पीकर अब कव्वाली सुनाने लगे हैं बात 'मुर्शिद' की पूछो न हमसे विरह के आंसू आने लगे हैं
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7 years
रब ने कई भेजे कलंदर पीर पैगंबर यहां 'मुर्शिद' का करम सर पर मेरे औलिया का ताज है
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7 years
मन के हारे है हार और मन के जीते है जीत अहो तू गीत खुशी के गाता जा फटकार मिले या प्रीत अहो नासमझों की इस बस्ती में तुम रहो ध्यान की मस्ती में
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