Rajat Dalal, now again was seen doing rash driving & hitting a biker
After hitting the biker he says- Roj ka yehi kaam hai mera
Such people should be behind bars, idk how he came out of the jail last time
@DeepikaBhardwaj
Rajputs need to be successful in Private Fields, Law, Businesses and Medicine and create their own lobby. Gone are the days of Princely State and Chivalry.
Taking a a break to give my Part 🙏🏼. Good bye
66 Large princely states existed in Indian subcontinent with full Jurisdiction and Sovereignty in alliance with Britishers.
Rajput Ruled Princely States out of these were. 🧵
गुलाब राय झाटनी के पोते ।
राजपूत राजाओं की हरम की झाटनी रखैलो की चूOOT में गीरे वीर्य के नतीजे ।
देश की आज़ादी मे तेरे पुरखों से कई ज़्यादा है हमारा बलिदान ! पुरखों की सूची झोर अपनी दादी नानियों की सूजी देख जीतके पैर नाजने और विशेष अंग से राजाओं की सेवा करते नहीं थकते थे 😂।
सुन जोधा के भतीजे।
गंदे खून के नतीजे।।
देश की आजादी में शहीद हुए लोगों की सूची में अपने पुरखों और हमारे पुरखों को कंपेयर कर लेना।
बहन बेटियों को मुगलों के हरम की शान बनाकर मूंछें मरोड़ने वाले तुम्हारे जैसे चूहे रोज शाम को गलियों की नालियों में पड़े रहते हैं।
आज भी तुम लोग एक
भारत में राजपूतों को गाली देने वाले शुद्रों में एक बात क़ौमन हैं,ये राजपूतों का इतिहास भी चुराना चाहते हैं और उनका उपनाम भी, और फिर भी ये राजपूतों को ही नीचा दिखाना चाहते हैं ।Vaghela 🤡 पहले अपने दादी के बॉयफ़्रेंड का सरनेम हटाओ और कभी अपने पूर्वजों पर भी बात करो वो क्या करहे थे
झाटूयो में गोत्र और अकल दोनों ही नहीं होते । उदाहरण के तौर पर चाभूक झाट संस्कृतीकरण के बाद अपने मम्मी के बॉयफ़्रेंड का सरनेम तोमर चुरा के लगाने लगे और आज कल अपना गोत्र तोमर बताते हैं “पासवान” कोई गोत्र नहीं बलकी राजापूत राजाओं की पसंदीदा रखैलो को दीये जाने वाला पद था ।+
नीच जातों की नीच हरकतों पर पूरे क्षेत्र को गाली क्यों देना। एक शूद्र जाती हैं हरियाणा में आरक्षण के नाम पर अपने ही समाज की औरतों के लिए “रेप कैंप” चलाती हैं, अपनी बहू-बेटियों को महफ़िलों में नचवाती हैं और मज़े लेती है, इससे पूरा हरियाणा को ख़राब कहा थूक नहीं हैं ।
गुटकापुर का आदमी अपनी संस्कृति और अपनी 150 IQ दिखाता हुआ, ये ही गुटकापुर का आदमी सोशल मीडिया पर पिछले 15 सालों से प्रोपोगैंडा चला रहा है कि औरतों को पश्चिम के feudal लोगों से खतरा है, जबकि हमारे क्षेत्र में ये चीज बर्दाश्त भी नहीं, ना यहाँ का कोई आदमी ये करता देखा गया है।
Rajputs, the fighting race of Hindus at battle of Bir el gubi, Libya ca.1941
Men of 6th Battalion of the Rajputana Rifles, at battle of Bir el Gubi. 6th battalion of the Rajputana Rifles was formed in year 1922 by combining 13th Rajput and 123rd Outram’s Rifle.
All the dynasties- Tomar, Rathore, Chauhan, Parmar, Solanki have origin of their clan name in Sanskrit and are of Kshatriya as per Epigraphic Evidences.
Bhumihar keeping your Seeth, on larping as Brahmin, who doesn’t consider you as their illegitimate children.
झाटू भाई चौहान 12वी शताब्दी के अंत में नहीं मध्य से दिल्ली पर राज कर रहे थे। ख़ैर वो राजा थे राज करते थे जाट 20 वी शताब्दी में राज नहीं खेतीहर मज़दूरी करते थे।आप NCERT और अपने संस्कृतिकरण करके चाभुक से कुंतल और फिर तोमर बने झाटूओ पर पोस्ट कीजिये।फ़िलहाल राखी गील के काला जाट देखें
Battle honours of “Togh” hazari guards are represented on this flag which is now a part of 17th Rajputana rifles the Sawai Man guards, औरंगज़ेब के समय मालगुज़ारी भरने वाले २ गाँव के छुट्टभईया भूमीहार ज़मींदार कौन सा आज़ादी का मशाल लेकर दौर रहे थे ।
What's exactly the reason to put this for Shastra Puja on the auspicious occasion of Dussehra. This flag has an Islamic symbol and Shahenshah Aurangzeb embroidered at the bottom.
Letter written by Aurangzeb to his Son Mahammad A'azam congratulating him for his victory over Pahar Singh a Rebellious Rajput Zamindar of Malwa. Mughals were assisted by a Baniya Taluq Chand who killed Pahar Singh in the Battle. To describe this Aurangzeb exclaimed+
जाट, राजपूत व गुज्जर के बाद अभी अभी पता चला है कि अरशद नदीम यादव हैं…
अच्छा हुआ हमारे पूर्वजों ने कभी धर्म परिवर्तन नहीं किया नहीं तो हमे भी अरशद नदीम में अपनी जाति खोजना पड़ता!!
सिर्फ बनिया ही एक एसी जाति है जिसने कभी मुग़लों के सामने घुटने नहीं टेके, कभी अपना धर्म नहीं बदला!!
भारत की नीच जातियों में एक विचित्र बीमारी हैं अपने बाप दादों का सही इतिहास बताने के बचाए किसी राजपूत राजा को बाप बना कर उनका इतिहास ज़रूर बताते हैं।कोईरी बाबू कुंवर सिंह शाहबाद के परमार राजपूत राजा थे,तेरे पूर्वज खेत में कद्दू उगाने वाले शूद्र नीच थे योद्धा नहीं 👇🏼वर्ष 1860 की 🖼️
वीर कुंवर सिंह, कुशवाहा समाज से ताल्लुक रखते थे। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। उनका जन्म 13 नवंबर 1777 को बिहार के जगदीशपुर में हुआ था। कुंवर सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और अपनी वीरता के लिए जाने जाते हैं।
The extensive Tract of Bundelkhand gets it's name from Dominant Race of Bundela Rajputs a clan of Gaharwar Rajputs descending from Gaharwar Prince Pancham.
नीच जात- नीचता ही फैलाती हैं । जीनके बाप दादा ज़मींदारों के खेत में बैंगन उगाते मर गए और दादी-नानियाँ ज़मींदारों की नचनिया हुआ करती थीं उन्हें लगता हैं संस्कृतिकरण करके लगाए गए कुशवाहा उपनाम से उनका संबंध भगवान राम से हैं 😂।
Maharaja of Jaipur Sawai Jai Singh III during his regime donated Charity land worth of Rs.16,000,00 to Brahmans. I wonder what he and his descendants have received in return 🤨??.
@PriyanshuVoice
हराने के लिए लड़े होगा राजपूत, लेकिन कोईरी नीच जाती क्या कर रही थी, खेत में बैंगन और कद्दू उगा रही थी । गौरी से अंग्रेजों को सब्ज़ी उगा कर कौन खिलाते थे ? जब अंग्रेजों से राजपूत लड़ रहे थे तब भी नीच जात खेत में बैंगन ही उगा रही थी । और कोईरीन ठाकुर के हवेली पर मज़े ले रही थी ।
@cavalarycor1688
Chabhuk Jat were literally given Tomar identity by Arya Samaj through sanskritisation . No Clan named Tomar even existed among Jhats to begin with, there is no Scholarly debate on this. NCERT Books are basic to begin with.
Neither satara or kolhapur royal house is doing pooja of that coin.
Jaipuri n0gas are worshipping the symbol of their submission.
That's the difference lol.
Chundawat Rajputs from Thikana of Amet on Hunt.
Amet was an estate under Mewar Kingdom, the rulers of this estate belonged to Chundawat Branch of Sisodiya Rajputs and held the title of Rawat.
Rajputs who constituted 2.37% of the population (25000 out of 10,5100)population in District Bahraich held 57.6% of the Land in the district.
जाला बहराइच उ॰प्र की आबादी में राजपूत 2.37 प्रतिशत थे लेकिन जिले के 57.6 प्रतिशत ज़मीनें
राजपूतों के पास थी।
#ठाकुरवाद🗿
And here is the data:
Brahmins constituted 9% of the population of Bahraich in the last caste-based census conducted.
However, they only owned 0.5% of the land in Bahraich.
They were literally the poorest community in one of the poorest regions in the world.
So much for
@ShaatirBanda
By this logic Marathis should abandon Shiva Kunbi as he not only wrote letter calling him servant of Aurangzeb, he served him too. The sole reason for rise of Bhonsles were their services rendered to Habshis and Deccan Sultanate.
A Bais Rajput Nobel Arjan Das was the commander of Rani Durgavati’s army. Mounted on an elephant he fought Mughal commanders Nazir Muhammad and Aq Muhammad. As per Abu-fazl he lost his life fight them “bravely”.
1) खुद को ब्राह्मणों का औलाद बताने वालों में, क्षत्रियों के वंश हैं. किनवार राजपूत होते हैं और बिहार की खड़गपुर राज किनवार राजपूतों की थी । सीकरवारों की सबसे पुरानी गद्दी भीन्ड-मुरैना-ग्वालियर हैं, जहां सीकरवार भूमिहार तो दूर भूमीहार ही नहीं मिलते लेकिन वर्ष 1347 में स्थापित ।
अवध के सोमवंशी क्षत्रिय की जमींदारी- रियासतें 🧵।
वर्ष 1280 के क़रीब झूसी इलाहाबाद के सोमवंशी राजा वीर सिबीत/शिवजी सोरल प्रतापगढ़ में आ बसें।उनके पुत्र लखन शिवजी ने स्थानीय भर शासकों को हरा कर अपना राज्य स्थापित किया।कालांतर में इसी वंश की कई शाखाओं ने अपनी रियायतें स्थापित कि
वर्ष 1608 से 1611 तक भारत भ्रमण पर आए अंग्रेज़ी व्यापारी विलियम फ़िंच मेवाड़ के राणाओं
के बारे में वर्णन करते हुए कहता हैं “मेवाड़ के राणा बहुत शक्तिशाली राजा हैं जिन्हें न तो पठान न ही बादशाह अकबर स्वयं खुद हरा पाया”।
मात्र 100 राठौड़ घुड़सवार के साथ राजकुमार राव बीका ने वहाँ के जाट व जोहिया मुसलमानों को हरा कर अपना राज्य बसाया था। जाट हार कर खेतों में काम करने वाले बने और जाटनीया राजाओं के हरम की रखैलें । मारवाड़ और शेखावटी में अधिक आबादी होने के बावजूद इनका यही हाल था ।
Tales of Rajput Valour, Of Sati of Battles and Resistance are Spread across India. A Bundela from Bundelkhand became a folk-hero in Tamilnadu and some lemurians think they can erase or steal our history.
आपका "चौधरी" नाम कोई हिन्दू टाईटल नही हैं। 'चौधरी' उपाधी और 'चौधराहट' (मुगलो के लिये टैक्स लेना का अधिकार) मुगलो ने #जाटो को दिया था। अभी तक मगलो का दिया हुआ नाम लगा के घूमनेवाले माहाराज जयचंद के बारे मे बताएगे ?
इस झाटू की बात इतनी सच है की।रेगिस्तान में झाटों की ज़्यादा आबादी होने के बावजूद, कन्नौज से आए राठौड़ ने इनके गाड में डंडा कर मारवाड़, बीकानेर,पर सन् 1947 तक राज किया। CUCK रंजीत और सिख पंत की स्थापना से पहले UK/HP में परमार, कटौच, सोमवंशी अदी राजपूत राजवंश राज करहे थे।
कई बोलतें है जट्स इंडिया के नहीं थे वो बेसिकली ये कहते है कि जाट बिहार बंगाल अवध भोजपुरी एमपी एमएच और डाउन साउथ इंडिया से नहीं थे। पठानों बलूच को इंडस की फर्टाइल लैंड छोड़ पहाड़ो और राजू लोगो को HP/UK के पहाड़ों और रेगिस्तान में फेकने वाले भी जाट थे
Ujjaniya Parmars of Bhojpur were never completely Subdued by Mughals, they maintained a practical independence and only paid land-revenue after compulsion and Battles. During Aurangzeb’s regime Raja Rudar rose in rebellion against Mughals, after his disposition ++
Firstly Abdali Didn’t Came to India on Madho Singh’s Invitation. Due to Geographical location of Amber it was best for their interest to remain nuteral, Rulers of Jaipur displayed remarkably foresight and diplomacy in this.
#Did_you_know
Kolhapur royals, descendants of Shivaji donated a handsome amount to Ambedkar to established “Mooknayak” a news paper for “Bahujans”, the first published article was in praise of Phule who abused lord
#Brahma
and Goddess
#Saraswati
with words like MC and BC
Rebellion of Raja Chait Singh, didn’t only effected Purvanchal and Banaras but also penetrated into Bihar. Bhumihar zamindars of Tikari, Chainpur, Husenpur. Mayi Iqbal Ali Khan of Naraht Samai, Chauhan Rajput Zamindar Raja Narayan Singh of Sersi, Rathore Raja of Ramgarh.
एक वामपंथी Sociologist की बीना किसी ठोस सबूत दिये तर्क से झाटू क्षत्रिय बन रहा हैं । इस तर्क के हिसाब से राजा-रजवाड़ों ने ब्राह्मणों के कहने मात्र से अपना राज-पाठ, सेना सब रातो-रात त्याग कर शूद्र बन गए 🤡। झाटू सूरजमल के वंशज को सुनो और सचाई स्वीकार करो आप शूद्र ही हो।
जो वैदिक क्षत्रिय थे वो ब्राह्मण प्रभुत्व के खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने बुद्ध धर्म प्रमोट किया क्योंकि बुद्ध धर्म ने क्षत्रिय को प्रमोट किया। वहीं नए जो क्षत्रिय बने वो क्षत्रिय नहीं थे पहले, इन्होंने ब्राह्मण का प्रभुत्व स्वीकार किया। खुद समझ जाओ वैदिक क्षत्रिय कौन है और नया कौन।
The Guhils of Dhod (present day Bhilwara) of whom we have the earliest inscription of year 644 AD, were important commanders in Pratihara army. There inscriptions shows 4 generations of Guhil princes involved in Tripartite Struggle from Pratihara Side.
सूरजमल जाट का बाप बदन सिंह अपने चाचा चूड़ामल झाट के मरने पर भरतपुर का ज़मींदार बन पाया। चूड़ामल ने सवाई जय सिंह से युद्ध के दौरान ज़हर खाकर ख़ुदकुशी कर ली थी । बदन सिंह सवाई जय सिंह का दरबारी जा बना और महाराजा से भरतपुर की ज़मींदारी पाने में सफल हुआ ।
Rajputs of India an overview 🧵.
The Rajputs formed the fighting, landowning, and ruling caste of India, believed to be modern representative of Kshatriyas. According to Colonel B.L Cole the commissioner of year 1931 Census,they are among the purest representatives of Indo-Arya
Kachhwaha were ruling from 8th century, they fought at Khanwa, defeated Mughals in rebellion of 1708, leave Pratap-Rana, You are a “Bhumihar” who neither did anything first served Afghans then Mughals then Britishers
The Islamic crescent moon & star and Shahenshah Aurangzeb embroidered on the flag demonstrates the loyalty of Jaipur state for Aurangzeb. Rana of Mewar, Maharana Pratap was a great and respected leader as he declined to become Akbar's vassal & rather fought against the Mughals. +
चौहान पिछड़े नहीं हैं , चौहानों ने 7॰वी शताब्दी से लेकर 1947 (रियासतों के विलय तक) राज किया हैं, जो असली चौहान वो क्षत्रिय हैं । आप चौहान नहीं नोनियाँ हो जिन्होंने खुद का राजपूतीकरण करने के लिए वर्ष 1936 से “चौहान” उपनाम लगाना शुरू कर दिया आपका चौहान वंश से कोई संबंध नहीं हैं ।
@MohitBharatYBP
चौहान पिछड़ो में भी पिछड़ा अतिपिछड़ा है।
चौहान की उपजाति नोनिया/लोनिया है।
चौहान का हक 70 सालों से अभी तक लूटा जा रहा है।
चौहान में 90% लोग गरीब है।
चौहान समाज की बहुत आबादी हैUP, बिहार समेत पूरे देश में।
चौहान की स्तिथि दलितों से भी बदतर है।
चौहान बेहद सरल स्वभाव के होते है।
Rajput Zamindars of U.P were always rebellious in nature, and had military power to muster an army of their kinsmen at their disposal when required. Chieftains of Tiloi Raj a Talukdari belonging to Kanhpiriya Chandel Rajputs, harassed Safdarjung and nawab wazir’s army ++
During Aurangazeb period, Samar Singh , the rajput zamindar of Fakhapur raided the Mughal official possession in a nearby area , committing a complete massacre of residents, demolishing every single Mosque and tombs.
A similar event was noticed in Bahraich, where even the
@RishiRahar
गुलाब राय जाटनी जैसी 1000 रो झाटनी
को राठौड़ो ने बनाया घोडी।
मात्र 100 राठौड़ो ने गोधारा झाटो पर जूत बरसा बसाया बीकानेर जो हैं राजपूताना की शान ।
राठौड़ो की क्या बराबरी करेगा तू गुलाब राय झाटनी की संतान 😂।
राखी गिल जाट ही हैं, आप रोना बंद करो। पंजाब में दलितों और जाटों में कोई फ़र्क़ नहीं हैं , सिर्फ़ राजपूत और खत्री ही प्रथम और द्वितीय श्रेणी में आते थे पंजाब में । जाट और दलित तीसरे और चौथे श्रेणी में आते थे, सिख धर्म ने वहाँ के जाटों के “Social Mobility” दीया 18-19वी शताब्दी में।
“The Rajputs are perhaps the most interesting race in India. They are Hindus of Military caste, soldier by birth and instinct ; proud and sensitive after after the manner of warriors of every age and clime”
- J Talboys Wheeler
Secretary to the Govt. of India
@PremaramSiyag6
बेटा झाटू जहां से वो जीते हैं वहाँ पे ईनका शासन जलता हैं । उ॰प्र में जीतने झाटू विधायक नहीं होंगे उतना वो अपने लोकसभा से जीता के भेजते हैं । दुखी न हो तुम्हारा जीजा 1000 घाट तोड़ने फ़ार से आएँगे ।
Samita “Kaur” your forefathers were not Farmers but Landlords. Your forefathers were most loyal Soldiers of the Britishers During 57’ Revolt. Your Zamindars Forefather exploited Farmers and didn’t gave up their Zamindari even post independence and Land reforms. Don’t associate +
I'm a Kaur and my forefathers are Farmers. Anyone dares to say that my community is terrorist. I would do the same. I'm not defensive and will not be. Remember the Revolt of 1857 when Hindu sepoys were made to chew bullets with cow meat and Muslims with pig meat . In those days
Inscription of
#Suryavansh_Dynasty
of Guhil Rajput king Allata date
953 AD.
सूर्यवंशी गुहिल राजपूत राजा अल्लाता की संवत् 1010 (ई॰953) की सरनेश्वरा मंदिर का शिलालेख ।
Class 7 NCERT history book burned the last braincell out of low Iq Jhatu’s Head.
Tomar is a Jat clan. Tomar Rajputs are converted to brahmanism 🤡 lmao, what do you mean by that nothing as such Tomar Jats existed till Arya Samaj Sanskritised Chabhuk Jhats.
@UnityJat
जींस बृजभूषण सिंह ने 1000 जाटनीयो की ChUत मारी वो भी भाजपा से हैं उस से गले मीलानेवाला जाट संजीव बालयान भी और उसका प्रचार तू ख़ुद कर रहा हैं । ग़ज़ब भाजपा से लड़ रहा हैं झाट समाज, खैर ठाकुरों से खाट तुड़वाना तो तुम्हारा ख़ानदानी पेशा रहा हैं ।
@BombarSingh
राजा मान सिंह या अफ़ग़ानों का सफाया करने आए थे, जिन्हें भूईहार माल गुज़ारी देते थे, राजा मान सिंह बंगाल, बिहार, उड़िसा के सूबेदार था, भूईहार राजा जिस मुज़फ़्फ़र ख़ाँ तूँबाती के आगे नतमस्तक हो जाते थे वैसे, 1000 दरोग़ा और 4 गाँव को भूईहार ज़मीनदार उन्हें मालगुज़ारी भरते थे ।
हम झाटो की तरह नहीं है, जो जो आरक्षण के लिए सड़क अखाड़े, पंजाब सरकार ने सीख राजदूतों को आरक्षण दिया था उन्होंने उसे नहीं लिया । बाक़ी जितनी भी जातियां जो OBC होकर ���ी अपने दादी के राजपूत बॉयफ़्रेंड का नाम इस्तेमाल करती है जैसे लोधी, सोनढिया, खागी, उससे हमारा कोई वास्ता नहीं है।
देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में क्षत्रियों का योगदान अतुलनीय रहा हैं,बिहार में वीर कुंवर सिंह तो राजस्थान में ठाकुर कुशाल सिंह, हिमाचल में राम सिंह पठानिया तो दक्षिण के उड़ीसा में चौहान वीर सुरेंद्र साईं सभी ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ाई का बिगुल फूंक रखा था । …
मोहम्मद ग़ोरी ताजिक मूल का था, मुग़ल तैमूरिद मूल के हैं और पठान अफ़ग़ानिस्तान के ।
करिश्मा अज़ीज़ तूम भारतीय जुलाहा मुस्लिम हो, तुम्हारी दादियों को उपयुक्त सभी राजवंश के राजा नाचनेवाली बना कर रखते थे ।जयपुर के राजा राम सिंह द्वितीय के हरम में नाचनेवाली मुसलमान राण्डे ई॰1870। 👇🏼
Low IQ, Jhat brainfart. The very name of the dynasty “Bhati” comes from Raja Bhati who established his own Callander. So far numerous of these inscriptions of Bhatik Samvat has been found from Jaisalmer, which predates Ain-I-Akbari. Even inscription of Jaisalmer ruler predates it
BHATTI JAT in ain i akbari, bhatti Jats were present in the parganas like batala, dipalpur, qiyampur lakhi, kalnaki lakhi, khizrabad, jalalabad not even in a single pargana of panjab the bhattis are mentioned as rajputs, making it clear that bhattis later adopted rajput identity
भूमीरांडों के बाप दादा भी तों खुद को आचक-फाचक ब्राह्मण बताते मर गए जैसे आज के OBC खुद को छतरी बताते हैं 🤡। Islamic Invasion 7th century- 2nd Battle of Tarain पूरे 500 साल राजपूतों ने लड़ा, इसका 1% भी किसी 2 गाँव के ज़मींदार भूमीरंड ने नहीं लड़ा होगा ।
नोनियाँ, खागी, गुर्जर, जाट, कोली, सोनधिया, नाई, किरार जैसी सैकड़ों जाती चौहान सरनेम लगाती हैं । एनका इस सैन्य और शासन का काम करने वाले क्षत्रियों के चौहान वंश से कोई लेना-देना नहीं हैं, आर्य समाज बनने से पहले बस इनके बाप का नाम पूछो सारी बकवास ख़त्म हो जाएगी।
ऐसा सीन मेरे साथ भी हुआ है
लड़का - भैया हम भी राजपूत है
मैं- कौन से
लड़का- भैया चौहान
मैं- अच्छा, और जीजा का नाम ?
लड़का- भैया सुमित चौहान
मैं - अच्छा, और फूफा की किस जिले के है, चौहानों में शादी हुई है ?
लड़का- हॉ भैया मउ जिले में
मैं - अच्छा अच्छा ,समझ गया 😌
Note- उसको
संस्कृतिकरण क्षत्रियों की लिए किसी कैन्सर के सामान्य हैं और राजपूतीकरण इसका अभिन्न अंग बन चुका हैं, हर दूसरी जाती राजपूतों के सरनेम चुरा कर राजपूतों का इतिहास चुराना चाहती हैं । 1920 में आर्य समाज ने तेली जाती का संस्कृतिकरण कर दीया और उन्हें राठौड़ उपनाम लगाने को उकसा दिया।
भारत पर राठौड़ वंशीय क्षत्रियों द्वारा शासित रियासतें । ⚠️ Note/नोट- इसमें राठौड़ों की ज़मींदारी (estate) नहीं हैं सिर्फ़ रियासतें ( Princely State) दर्शाए गए हैं। कुल मिला कर राठौड़ राजपूत सन् 1947 से पहलें 1 लाख, 75 हज़ार 160 वर्ग किमी. के उपर राज करा करते थे ++
@gemsofbabus_
Udaipur City was literally established amidst the war with Mughals which lasted for 89 years, No Babu aur Neta can be Compared with Rajputs who would kill or get killed for their Kingdom and Subjects. Also it’s not Hindu King, It’s Maharana Udai Singh I who established Udaipur.
🤡 Rajputs alone constituted 21% of soldiers in the Bengal Infantry during the mutiny . Purabiya Zamindars and Rajas supported 1857 mutiny. Still they were in Martial caste . You were not martial race you were pastoralists charwaha. No don’t bring unnecessary arguments.
@Samvadkshtriya
@ChaudharyY12893
@_hr_chauhan
@KunduKundux
@Satyam__0822
Joker, you just need one Google search to know that Gurjar and Ahir's were included in the Martial Castes but after the 1857 revolt entry of these castes in army was banned and were termed as criminal tribes. After 1857 that Martial caste theory meant bootlickers of Brits.
Letter written by Maharana Sangram Singh II of Mewar to Maharaja Ajit Singh of Marwar, dated August, 1718.
The Rana thanks the Maharaja for getting the 'Jazia' abolished and liberating the Hindu shrines. Maharana also advices Ajit singh to retain Marwar as his own 'Home'.
क़ासिम शाह यहाँ जींस राणा संगा के वंश के बारे में बात कर रहा हैं, उस गुहिल वंश की राजाओं की शिलालेखें, इस्लाम धर्म सें भी पुरानी हैं 🤡, और उन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय बताती हैं । आचक-फाचक भूमीरंड जाके ब्राह्मणों को बाप बनने पर फ़ोकस करो, जो तुम्हारे अपना औलाद नहीं मानते ।
Half of India today uses Rajput Surname, Chauhan, Tomar, Singh, Parmar have became alike to “Kumar”. Some even go further to place them as Rajputs. A OBC caste of MP Sondhiya requested Backward Commsion of MP to add Rajput in their caste, like all the Larpers they use Chauhan.
Rajkoomars, Rajpoot Tribe- Hindoo. Oudh, year 1858.
Four Humble Rajkumar (Chauhan) Rajputs of Awadh, U.P captured by Sir Herbert Hope Risley for his series The People of India. They can be seen bearing Dhal (Shield),
Talwar ( Curved Indian Sword) and “Shaturnaal”(Matchlock)
कानपुर के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ई॰ए रीड्स अपने 9 जनवरी वर्ष 1833 के कमिश्नर को बेचे गए लैंड रेवेन्यू रिपोर्ट में बताते हैं, राजपूत ज़मींदारों के पास खेती करने के अलावा एक और क़िस्म के रैयत मौजूद थे, ये उन राजपूत ज़मींदारों और उनकी मुसलमान रखैलों के संतान हुआ करते थे
Sole Aim of Kshatriya Community should be to take control of their Heritage and History from hands of these “Sharmas”, Bhandarkars and Bengalis who pursue their Narrative in Name of History. Remember Right-wingers are even worse !
Manimugda Sharma, the socialite historian & author of 'Allahu Akbar' once aspired to be a 'Rajput King' but now, he spares no platform where he doesn't spit venom against Rajputs. By writing demeaning articles/posts against Rajputs, he distorts history to tarnish Rajput image.
Rao Sawal das Mertiya the Salwart Rajput military general of Mughal-Rajput war of 1707-1708 AD, He was the commander-in-chief of the Mewar’s army during battle of Sambhar 1708 AD.
18 वी शादी के प्रसिद्ध पंजाबी सूफ़ी कवि बुल्ले शाह,जाटों के बरे में बताते हैं कि, “जाट बड़े नीच हैं यह किसी भी चलते राहगीर को अपनी बेटी देकर वैश्यावृत्ति करवाते हैं, और शादी के लिए अपनी बेटी बेच देते हैं, जाट चोर हैं और इनका पहनावा अच्छा नहीं हैं और ना ही ये ज़ुबान के पक्के हैं”।
भारत पर राठौड़ वंशीय क्षत्रियों द्वारा शासित रियासतें । ⚠️ Note/नोट- इसमें राठौड़ों की ज़मींदारी (estate) नहीं हैं सिर्फ़ रियासतें ( Princely State) दर्शाए गए हैं। कुल मिला कर राठौड़ राजपूत सन् 1947 से पहलें 1 लाख, 75 हज़ार 160 वर्ग किमी. के उपर राज करा करते थे ++
Bhup Narain Singh Ujjaniya of Shahbad rebelled against Britishers in year 1781 in support of Chait Singh of Benaras down the lane after 76 years we find “Kuar singh” the son of Bhup Narain’s first cousin Sahazada Singh in arms against the Britishers during ’57 revolt.
#Thakur
🗿
Too rose in rebellion, supporting Chait Singh, the rebellion lasted for 5 months from August to December in year 1781. Although the rebellion was put down but it was seen as a signal of the discontent in Bihar towards the British that later reemerged in the 1857 Rebellion.
नीच जात रांड के पिल्ले तेरा IQ इतना कम हैं कि तर्क संगत जबाब तुझे क्या दें । वर्ष 1860 में खेत में बैंगन उगाते अपने बाप-दादा की तस्वीर देख और जाती का नाम पढ़ (Low Caste Tribe Korees). तुम शूद्रो का राजा मान सिंह और कुशवाह क्षत्रियों से कोई लेना देना नहीं है ।
Ruchika Sharma you are a Propogandist not a historian, at least be a smart one. Rajputs were long dominating the Political scene of Northern India centuries before arrival of Mughals. If Rajputs were noob at war how battles ranging from i) Islamic Invasion (7TH CEN) +++
Thats a lot of humbug. Rajputs were noobs in war strategy! As explained here () Ghori won the Battle of Tarain purely on excellent strategy!
And as detailed here () they were also classic Khalji haters, because Alauddin Khalji were
मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश द्वारा निर्मित
श्रीनाथजी मंदिर, जगदीश मंदिर । आमेर के कच्छवाहा राजवंश द्वारा निर्मित गोविन्दादेव जी मंदिर, जगत शिरोमणी मन्दिर । सभी श्री कृष्ण के पूजन पंत वैष्णव पंत को समर्पित मन्दिरें हैं ।
आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ ।
Not Dharavi Slum dweller Kunbi you deleted it because, It represented subhuman IQ of Marathi chauvinist. Who on the one hand claim Guhil ancestry for Chutarphatti Chuhaji and demean the Same Dynasty on the other hand, ofc using low IQ takes.
Descendants of Shiva Kunbi removing “untouchability” by liplocking with a person from SC category.
This is True Hindutva
BJP wants to impose it on entire North India.
जिला प्रतापगढ़ में वर्ष 1901 के जनगणना के हिसाब से राजपूतों की संख्या 70,47 थी । जो कि ज़िले की 8% हिन्दू आबादी थी।इस ज़िले के 90% ज़मींदार राजपूत थे, और 8,371,14 एकड़ भूमि, क़रीब 1339382.41 बीघों की ज़मींदारी विभिन्न राजपूत वंशों - सोमवंशी, बछघोती, चौहान इत्यादि के पास थी ।
अवध के सोमवंशी क्षत्रिय की जमींदारी- रियासतें 🧵।
वर्ष 1280 के क़रीब झूसी इलाहाबाद के सोमवंशी राजा वीर सिबीत/शिवजी सोरल प्रतापगढ़ में आ बसें।उनके पुत्र लखन शिवजी ने स्थानीय भर शासकों को हरा कर अपना राज्य स्थापित किया।कालांतर में इसी वंश की कई शाखाओं ने अपनी रियायतें स्थापित कि
जम्मू एवं कश्मीर के जामवाल वंश के डोगरा राजपूत शासक महाराजाधिराज-महाराज-इन्द्र श्री हरी सिंह जी की वर्ष 1929 में ली गई तस्वीर।महाराज डोगरा वंश की 120 किलो की सोने की गद्दी पर विराजमान हैं ।
@Satyamvatsin
यह बात भी आचक-फाचक की तरह बकवास हैं, भूईहार भाई, बलवंत सिंह के पिता, बनारस के टैक्स कलेक्टर अमीर खान के चपरासी थे, बलवंत को राजा की उपाधी अवध के नवाब के वज़ीर कामरूद ख़ाँ ने दी थी, राजा बनने पर बलवंत ने, 21 हज़ार रूपए का नज़राना बादशाह को दिया था । बनारस के ज़मीनदार हमेशा ग़ुलाम।
आर्य समाज द्वारा किए गए चाभूक जाटों के संस्कृतिकरण से पहले ये अपने दादी के बॉयफ़्रेंड का नाम तोमर नहीं लगाते थे। भरतपुर और पटिया के झाटू राजवंशों की तरह सूखेरों का भी दावा था किसी तोमर राजपूत ने झाटनी दबाई और सूखेरा पैदा हुए ।
वो ऐसे claim कर रहे है जैसे आप सब पूजा तोमर का तोमर सरनेम देख कर करते हो, सुखेरा गोत वहाँ जाट और राजपूत दोनों में है, ये हिसार से गए पछादे है इनमें राजपूतों के भी पूर्वज जाट हैं। अरशद की माँ तूर गोत की जाट है, बाकी खुद बाप से सुन लो कौन है वो। तुम्हारी गंदी आदत नहीं जाएगी!
A Painting of Nobles of Mewar with Maharana Ari Singh ca.1767
Nobels/Barons or feudal chiefs held a very significant position in Polity of Rajput states, as every Rajput state was a result of political organisation of one particular clan under a sovereign. This made “Clans” ++
@andy_sud47
@HritikRathi15
Kyunki unki dadiyo ko Humne rakhel banake apne Haveli par rakha tha. agar Khanwa aur Haldighati mai larne wale Rajput. Kharab hai fir Mughalo ke samne macchar tak na marne wale lindu kitne bare
#Hijdre
hai.
Jat Rajas of -Bharatpur, Patiala. Marathas of Satara, Kolhapur and Nepal royals all Claimed Rajput ancestry .It is not uncommon for OBCs Larpers to claim rajput ancestry. A dozen plus castes today use Chauhan surname. This won’t give Chauhan or any other clan a non Rajput lineage
गढ़ चित्तौड़ को वापस जितने के बाद सिसोदिया राजपूतों की कुलदेवी बाणा माता ने, राणा हमीर को दर्शन दिया, राणा माता को चित्तौड़गढ़ में स्थापित करना चाहता था, इसके लिए माता ने उसका एक परीक्षा लिया और मारे गए शत्रुओं का ख़ून पिनें को कहा, यह करने पर माता ने हमीर को एक तलवार दिया +
Ujjainiya Parmars are descendants of Imperial Parmaras they had an empire Mixpot Bhumir
@and
's 2bhk zamindaris recieved by them under Afghans, Mughals, Bengal Sultanet and then Britishers can't be compared
ठाकुर कालिका बख्श सिंह । सादतनगर इस्टेट के गौड़ क्षत्रिय तालुकदार । इस इस्टेट में जीला सीतापुर में 12 गाँव और 5 पट्टी (गावों का हिस्सा)
आता था । ठाकुर साहब की तस्वीर वर्ष 1880 में ली गई थी उस समय सादतनगर तालुकदारी की आमदनी ₹6,827,40 थी ।
योगदान जयपुर के कुशवाहा/कच्वाहा राजपूतों का था । 20वी शताब्दी में निच जात कोईरी से कुशवाहा उपनाम लगाने वालों का नहीं, कब तक दूसरों का इतिहास चुराएगा कभी अपने बाप-दादों का बैंगन और कद्दू उगानेवाला इतिहास भी बता दें।