इन आँखों की दो बूँदों से सातों सागर हारे है,
जब मेहंदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे है।
गीली मेहंदी भी रोई होगी छुपकर घर के कोने में,
ताजा काजल छुटा होगा चुपके चुपके रोने में।
जब बेटे की अर्थी आई होगी सुने आँगन में,
शायद दूध उतर आया हो माँ के दामन में,
💔💔