जो शास्त्रों का प्रामाण्य एवं तदुक्त धर्म नहीं मानता, उसके लिये गाय, बकरी, गर्दभी में क्या भेद है? मंदिर कि मूर्ति और म्यूज़ियम कि मूर्ति में क्या भेद है? और तो क्या उनकी दृष्टि में पुत्री, भगिनी, पत्नी आदि का भी भेद सिद्ध नहीं होता, अतः शास्त्र का अनादर सर्व अनर्थ का मूल ही है।