“है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं
है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं “
- डा. कुमार विश्वास
@DrKumarVishwas
एक तपस्वी माता का शरीर शांत हुआ, जिन्होंने भारत माता की सेवा में एक तपस्वी पुत्र दिया।
संपूर्ण आयुष्य भोग कर जाने वाली उन आदर्शों पर चलने वाली माँ आदर्श जीवन जी कर पधारीं । विनम्र हार्दिक श्रद्धांजलि । 🙏
संपूर्ण मोदी परिवार और स्वजनों के प्रति संवेदना
@narendramodi
“सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।”
-रामधारीसिंह दिनकर
"मेरे जीने ओ मरने में,
तुम्हारा नाम आएगा
मैं साँसें रोक लू फिर भी
यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो
तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी
तो घनश्याम आएगा”
-
@DrKumarVishwas
आघात से स्तब्ध और अवाक् हूँ ।
क्या इस तरह से सनातन धर्म की रक्षा होगी?!!!
लगता है ग्रहण लगने से पहले ही विवेक के सूर्य पर ग्रहण लग गया है।अत्यंत अशोभनीय और दुःखद !!
‘सब को सन्मति दे भगवान’
Secularism के ग़लत अर्थ से हमने अपने आप को नुक़सान पहुँचाया है। 'पंथ निरपेक्ष शासन व्यवस्था' हो, 'धर्म रहित शासन व्यवस्था' नहीं!धर्म तो प्राणवायु की तरह सब के लिये अनिवार्य है।धर्म का सम्बन्ध सत्य से है,पंथ से नहीं!सत्य का कोई पंथ नहीं,लेकिन हर पंथ का एक सत्य है।
-सप्रेम हरिस्मरण
“प्रकृति दुल्हन का रूप धर
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी,
तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय-गान सुनाया जायेगा...”
- राष्ट्रकवि दिनकर जी
Congratulations Priya Modi ji. Am so happy but not surprised at all. Coz यही होना था।
अब तक विकास की गाड़ी १/२ गीयर में चल रही थी.. अब ३/४ और टोप गीयर में चलेगी।
फिर एक बार मज़बूत सरकार.. वंदे भारतमातरम् ।
धर्म के विषय में यह तीन प्रकार के लोग अंधे हैं-
१.धर्म में कट्टरता-जिन्हें अपना ही धर्म सच्चा लगता है। धर्मांध ।
२.धर्म के मामले में अंधे-जिन्हें ‘धर्म क्या है?’ पता ही नहीं है। अज्ञांध।
३.धर्म रहित-जिन्हें धर्म चाहिये ही नहीं है। स्वार्थांध।
- सप्रेम हरिस्मरण
“तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।”
-
@DrKumarVishwas
प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्रभाई मोदी जी का गुरुवार और आज शनिवार का संबोधन सुन कर मन को जो संतोष और गौरव हुआ है.. निश्चित ही आज़ादी के बाद भारत अब एक नये युगमें प्रवेश कर रहा है। प्रभु उन्हें इस कार्यविशेष के लिये नियुक्त किया है।
महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है रामायण, लेकिन कहते हैं उसको, ‘सीताया: चरितं महत्’। वास्तव में रामायण सीताजी का महान चरित्र है । जनकलली सीता के त्याग, तपस्या, सपर्पण की कहानी। आँख में आँसू लाने वाली कथा। सीता नवमी की हार्दिक बधाई ।
- सप्रेम हरिस्मरण