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Bhaishri Rameshbhai Oza

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Official account of spiritual leader, Educationalist and Humanitarian Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza

Porbander, India
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@PPBhaishri
Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“किसने दस्तक दी दिल पे, कौन है ? आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है ?! “ - @rahatindori
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“बस थोड़ा सा सुस्ताए थे बच कर दुनियादारी से, एक पुराना ख़्वाब मिला है आँखों की अलमारी से..” - डा. कुमार विश्वास
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं “ - डा. कुमार विश्वास @DrKumarVishwas
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Bhaishri Rameshbhai Oza
2 years
एक तपस्वी माता का शरीर शांत हुआ, जिन्होंने भारत माता की सेवा में एक तपस्वी पुत्र दिया। संपूर्ण आयुष्य भोग कर जाने वाली उन आदर्शों पर चलने वाली माँ आदर्श जीवन जी कर पधारीं । विनम्र हार्दिक श्रद्धांजलि । 🙏 संपूर्ण मोदी परिवार और स्वजनों के प्रति संवेदना @narendramodi
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“मुझे गिरते हुए पत्तों ने यह समझाया है.. बोझ बन जाओगे तो अपने भी गिरा देते हैं..” -अज्ञात (मरते दम तक योगी-उपयोगी बने रहो।)
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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6 years
“सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है, सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, काँटों में राह बनाते हैं।” -रामधारीसिंह दिनकर
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Bhaishri Rameshbhai Oza
6 years
“दोस्त, किताब, रास्ता, और सोच! गलत हों तो गुमराह कर देते हैं !! “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“वो इक इक बात पे रोने लगा था समुंदर आबरू खोने लगा था । चुराता हूँ अब आँखें आइनों से ख़ुदा का सामना होने लगा था ।” - @rahatindori
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“आईना कब किसको, सच बता पाया है..., जब देखा दायाँ तो, बायाँ ही नजर आया है !” -अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“जख्म वही है ,जो छिपा दिया जाये... जो बता दिया जाये उसे तमाशा कहते है....!!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
"सर उठाकर फक्र से चलने की हसरत हो अगर..... तो सीखिये गर्दन कहाँ , कितनी झुकानी चाहिए.....!!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“दिखावे से दूर, हकीकत से वास्ता हो... ज़िन्दगी सरल हो भले ही ,कठिन रास्ता हो ।” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा “ - राहत इंदोरी
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
तमसो माँ ज्योतिर्गमय। सर्वे सन्तु निरामया:।
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“ज्ञानी हो फिर भी न कर..दुर्जन संग निवास सर्प सर्प है, भले ही.. मणि हो उसके पास ।” - गोपालदास ‘नीरज’
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“जिन्हे वाकई बात करना आता है .., वो लोग अक्सर खामोश रहा करते है ।” - अज्ञात
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3 years
“आग लगी आकाश में, झर झर पड़त अंगार संत न होते जगत में तो जल मरता संसार !”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
6 years
“कैसे कह दू की थक गया हूँ मैं.... न जाने किस किस का हौसला हूँ मैं ...!!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
6 years
“जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा । जितनी भारी गठरी होगी, उतना तू हैरान रहेगा । उस से मिलना नामुमकिन है, जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा ।” -नीरज
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3 years
उठाना खुद ही पड़ता है थका हुआ बदन अपना जब तक साँस चलती है कोई कंधा नहीं देता “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
6 years
“नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है , वही दुनिया वही साँसें वही हम वही सब कुछ पुराना चल रहा है “ -राहत इंदौरी
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“भटक न जाए ख़्वाबों के अंधेरों में ज़िन्दगी ज़रूरी है निकलना हक़ीक़त की धूप भी “ ~ अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“ज़रूरी नहीं की जिसमे सांसें नहीं,वही मुर्दा है .. जिसमे इंसानियत नहीं, वो कौनसे ज़िंदा है...!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“हर रात की सुबह होती है,,, बस इस बार अंधेरा ज़रा गहरा है... मुश्किल इसलिये है ,क्योंकि खुद पर खुद का ही पहरा है..!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं “ - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“रस्सी जैसी है जिंदगी, तने तने से हालात ... एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे है औकात ....!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“जिस रफ्तार से तू निकल रही है ना जिंदगी , एक चालान तो तेरा भी बनता है...!!” - अज्ञात 😀
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
"मेरे जीने ओ मरने में, तुम्हारा नाम आएगा मैं साँसें रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आएगा हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा” - @DrKumarVishwas
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“रोटी से विचित्र कुछ भी नहीं...! ईन्सान पाने के लिये भी दौड़ता है.. और पचाने के लिये भी...!!!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी है । - अकबर इलाहाबादी
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5 years
“मैं अपने साथ ही रहता हूं हमेशा, ...अकेला हूँ मगर तनहा नही हूँ ।”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“दवा असर ना करें तो नज़र उतारती है, माँ है जनाब.... वो कहाँ हार मानती है ! “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“जब ठोकरें खाकर भी ना गिरो तो समज़ना .. की किसी की दुआओं ने थाम रखा है ...!!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“करोड़ों हाथ उठ रहे है हररोज़ दुआओं में ... बन के असर अब तो उतर आओ दवाओं में “ 🙏
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरा सपना देखने के होंसले को .. ' जिंदगी ' कहते है ....!!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“कभी कभी ज़िन्दगी रुक सी भी जाती है तो आपका रुकना ज़रूरी नही ... बस समझ लीजिए बिखर कर निखरने का समय आ गया है..!!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“कुछ तो चाहत रही होगी ,इन बारिश की बूंदों की भी .. वरना कौन गिरता है ज़मीन पर,आसमान तक पहोचने के बाद” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर.... बस इतना ही है, ज़िंदगी का सफर ....!” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“चार दिन की ज़िन्दगी मैं किस से कतरा के चलूँ, ख़ाक़ हूँ, मैं ख़ाक़ पर, क्या ख़ाक़ इतरा के चलूँ “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“रहमतों की कमी नहीं.. रब के खजाने में.. झांकना खुद की झोली में है.. कहीं कोई 'सुराख' तो नहीं..” ~ अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
4 years
“तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है, खुश्बु ख़ुद ही बता देती है,कौनसा फूल है।” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
केदारनाथ महादेव के कपाट आज खुले... ‘शिवमाला’ के स्तोत्र का केसैट बज रहा है भगवान महादेव की सेवा में..। कृतार्थो ऽहम् । 🙏
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5 years
“ हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है, अफ़वाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती है।” - अज्ञात
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4 years
“अकेला पन क्या होता है कोई ताजमहल से पूछे... देखने के लिए पूरी दुनिया आती है लेकिन रहता कोई नहीं.....!” - अज्ञात
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4 years
“ बहुत ख़ुश-नसीब है वो, जो अपने नसीब से ख़ुश है।” - अज्ञात
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3 years
“माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर।  आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥”
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6 years
“दुआ करों मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ, तुम्हे भी देख सकूँ, खुद को भी संभाल सकूँ।” - निदा फाजली
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4 years
कभी कभी तुरंत क्रोध को प्रकट कर देने वाला, भोला और भीतर करुणा से भरा भी हो सकता है.. शिवजी की तरह। - सप्रेम हरिस्मरण
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“जाते ही श्मशान में मिट गई सब लकीर.. पास पास ही जल रहे थे राजा और फकीर” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“ ज़रूर मुकर��� होंगे लोग ज़ुबान दे कर…. वरना आज कागज़ों पर कारोबार ना होते “ - अज्ञात
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4 years
“आज खुदा की कुदरत का एक मंजर निराला देखा..... पंछी उड़े खुले आसमां में, और घर में कैद जमाना देखा !!” - अज्ञात
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6 years
“ज़मीर बेच कर अमीर हो जाना, इससे बेहतर है फकीर हो जाना..” -अज्ञात
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5 years
किसी में कोई कमी दिखाई दे तो उससे बात करें, लेकिन... हर किसी में कमी दिखाई दे, तो ख़ुद से बात करें। - सप्रेम हरिस्मरण
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5 years
“जीवन की राहों पर ,अक्सर ऐसा होता है .. फैसला जो भी मुश्किल हो वही बहेतर होता है” - अज्ञात
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5 years
“कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता ।” - निदा फ़ाज़ली
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4 years
आघात से स्तब्ध और अवाक् हूँ । क्या इस तरह से सनातन धर्म की रक्षा होगी?!!! लगता है ग्रहण लगने से पहले ही विवेक के सूर्य पर ग्रहण लग गया है।अत्यंत अशोभनीय और दुःखद !! ‘सब को सन्मति दे भगवान’
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5 years
“हर जगह इत्र ही ,महका नहीं करते .. कभी कभी शख्सियत भी,खुशबू छोड़ जाती है।” - अज्ञात
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5 years
“जरुरते तोड देती हैं इन्सान के घमंड को, न होती मजबुरी, तो हर बंदा खुदा होता ।” - अज्ञात
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3 years
“कभी पड़ोसी भी घर का हिस्सा हुआ करते थे आज एक ही घर में न जाने कितने पड़ोसी है “ - अज्ञात
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5 years
“ज़रा अदब से उठाना इन बुझे दियों को..... इन्होंने कल रात सबको रोशनी दी थी.....!!” - अज्ञात ( अपने बड़े बूढ़े बुज़ुर्गों का सदा आदर करो )
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5 years
“रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है ।” - वसीम बरेलवी
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5 years
Secularism के ग़लत अर्थ से हमने अपने आप को नुक़सान पहुँचाया है। 'पंथ निरपेक्ष शासन व्यवस्था' हो, 'धर्म रहित शासन व्यवस्था' नहीं!धर्म तो प्राणवायु की तरह सब के लिये अनिवार्य है।धर्म का सम्बन्ध सत्य से है,पंथ से नहीं!सत्य का कोई पंथ नहीं,लेकिन हर पंथ का एक सत्य है। -सप्रेम हरिस्मरण
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5 years
“किताबों सी शख्सियत दे दे मेरे मालिक .... खामोश भी रहू और सब कुछ बयां कर दू ...!!” - अज्ञात
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3 years
रास्ते कभी नहीं बताते कितना जुनून था तुममे, मंजिल पर पहुँचने वाले को ही जानते हैं लोग! - अंकुर मिश्रा
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6 years
“जलो वहां पर जहाँ जरुरत हो ... उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते !”
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5 years
“प्रकृति दुल्हन का रूप धर जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी, तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय-गान सुनाया जायेगा...” - राष्ट्रकवि दिनकर जी
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4 years
“ भीड़ भाड़ वाला वो जहान कहाँ है, हैरां हैं परिंदे कि आज इंसान कहाँ है !” - अज्ञात
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5 years
“हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ ,मुझी में है समंदर मेरा...!” - निदा फ़ाज़ली
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5 years
“.........खामोशी का अपना मज़ा है; पेड़ों की जड़ें फड़फड़ाया नहीं करती।” - अज्ञात
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3 years
“ज़िन्दगी में कोई काफ़ी अकेला है ... और कोई ... अकेला ही काफ़ी है ...!!”
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4 years
“सस्ते में लूट लेती है ये दुनिया अक्सर उन्हें.. जिन्हें खुदकी कीमत का अंदाज़ा नहीं होता।” - अज्ञात
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2 years
मुट्ठी बांधे जन्म लिया हाथ पसारे जाना है ; इस धरा का,इस धरा पर सब धरा रह जाना है !
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4 years
“सस्ते में लूट लेती है ये दुनिया अक्सर उन्हें. जिन्हें खुदकी कीमत का अंदाज़ा नहीं होता” - अज्ञात
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5 years
Congratulations Priya Modi ji. Am so happy but not surprised at all. Coz यही होना था। अब तक विकास की गाड़ी १/२ गीयर में चल रही थी.. अब ३/४ और टोप गीयर में चलेगी। फिर एक बार मज़बूत सरकार.. वंदे भारतमातरम् ।
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5 years
“संवेदना अभी भी बरक़रार है ,इस दुनिया में .... झूठ बोलते वक्त अभी भी आंख नहीं मिलाते है लोग .!” - अज्ञात
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3 years
हवायें अगर मौसम का रुख बदल सकती हैं ... तो दुआएँ भी मुसिबत के पल बदल सकती है। - अज्ञात सर्वे सन्तु निरामया:। 🙏
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5 years
धर्म के विषय में यह तीन प्रकार के लोग अंधे हैं- १.धर्म में कट्टरता-जिन्हें अपना ही धर्म सच्चा लगता है। धर्मांध । २.धर्म के मामले में अंधे-जिन्हें ‘धर्म क्या है?’ पता ही नहीं है। अज्ञांध। ३.धर्म रहित-जिन्हें धर्म चाहिये ही नहीं है। स्वार्थांध। - सप्रेम हरिस्मरण
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6 years
“वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया “ (कासा=भि़क्षापात्र) -डा. राहत ईंदौरी
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5 years
“ज़िंदगी तेरा ज़ुल्म तो देख ज़रा ... जिनके पास जुते नहीं उनको चलना बहुत है !” ~ अज्ञात
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5 years
“सभी तैराक बनते जा रहे हैं मगर दरिया हुनर पहचानता है” - लियाक़त जाफरी
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5 years
“इसलिये कम करते हैं ज़िक्र तुम्हारा कहीं तुम ख़ास से आम ना हो जाओ” - अज्ञात
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5 years
“तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।” - @DrKumarVishwas
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4 years
“ थोड़ा सा सब्र करना पड़े तो करते है ना ..! बुरे वक्त का भी तो बुरा वक्त आ सकता है ना” - अज्ञात
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5 years
“तेरे सिवा भी कई रंग खुश नज़र थे मगर... जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे” -परवीन शाकिर
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4 years
गंगा का जल, गीता का ज्ञान और गाय का दूध पृथ्वी का अमृत है। गीता जयंति की हार्दिक बधाई । - सप्रेम हरिस्मरण
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5 years
“सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह … उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह “ - अज्ञात
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5 years
प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्रभाई मोदी जी का गुरुवार और आज शनिवार का संबोधन सुन कर मन को जो संतोष और गौरव हुआ है.. निश्चित ही आज़ादी के बाद भारत अब एक नये युगमें प्रवेश कर रहा है। प्रभु उन्हें इस कार्यविशेष के लिये नियुक्त किया है।
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4 years
महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है रामायण, लेकिन कहते हैं उसको, ‘सीताया: चरितं महत्’। वास्तव में रामायण सीताजी का महान चरित्र है । जनकलली सीता के त्याग, तपस्या, सपर्पण की कहानी। आँख में आँसू लाने वाली कथा। सीता नवमी की हार्दिक बधाई । - सप्रेम हरिस्मरण
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5 years
“घायल तो यहाँ हर एक परिंदा है, मगर जो फिर से उड़ सका वही ज़िंदा है।” - अज्ञात
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4 years
“होती है गलतफहमियाँ और गलतियाँ सबसे मगर ... कुछ जानते नहीं और कुछ मानते नहीं .....!!” - अज्ञात
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5 years
“मकड़ी भी नहीं फँसती अपने बनाये जालों में, जितना आदमी उलझा है अपने बुने ख़यालों में!” - अज्ञात
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@PPBhaishri
Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
जिसका वक्त ख़राब है, उसका साथ देना अच्छी बात है, लेकिन .. जिसकी नियत ख़राब हो , उस से दूर रहना चाहिये । - सप्रेम हरिस्मरण
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@PPBhaishri
Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“इतना आसान नहीं खुदा की इबादत करना, दिल से गुरुर जायेगा तभी तो नूर आयेगा “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
"हैरान हूं मैं बहोत.. अपनी ही हसरतों पर... हर चीज़ मांग ली खुदा से मैंने... बस ,एक खुदा को छोड़कर......!!!” - अज्ञात
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@PPBhaishri
Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“चढ़ती थी उस मज़ार पर चादरें बेशुमार .. और बाहर बैठा एक फ़क़ीर सर्दी से मर गया!” - अज्ञात
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@PPBhaishri
Bhaishri Rameshbhai Oza
3 years
“वजूद सबका अपना अपना होता है सूर्य के सामने दीपक का न सही.. अंधेरों के सामने बहुत कुछ होता है “ - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“इबादत वो है जिसमें ,जरूरतोंका ज़िक्र ना हो.. सिर्फ उसकी रहमतोंका शुक्रिया हो.....!!!”
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“मुद्दतों से लापता थे हम ज़िंदगी के कारवाँ में कहीं... आज फ़ुर्सत से बैठे तो ..ख़ुद से मुलाक़ात हुई....” - अज्ञात
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Bhaishri Rameshbhai Oza
5 years
“मिल जाता है दो पल का सुकून, बंद आँखों की बंदगी में, वरना थोड़ा-थोड़ा परेशां तो, हर शख़्स है अपनी जिंदगी में...!” - अज्ञात
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