![लंकेश (आचार्य) Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1826484587285168128/h1Aasbvw_x96.jpg)
लंकेश (आचार्य)
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अच्छा! तो आपको मेरे बारे में पता नहीं है?? , हुंह😡
Joined March 2013
सुबह उठिये, नित्य क्रिया से निवृत हो गाँव के हीं हनुमान मन्दिर में जाइये। वहाँ लगे हैण्डपंप से एक-दो बाल्टी पानी भरिये, भजन गुनगुनाते हुए मन्दिर धोइये, मन्दिर प्रांगण में हीं लगे पुष्प पौधों से लेकर पुष्प अर्पण कर महावीर जी की पूजा अर्चना कीजिए, प्रसाद वितरण कीजिये, समय पर ध्वज बदली कीजिये, कुछ समय वहाँ बैठिये। यकीन मानिये, इतना करने के उपरांत आपको वहीं अनुभूति होगी जो आप हजारों किलोमीटर सुदूर धक्के खाते हुए जाकर किसी प्रचलित हनुमान मन्दिर का दर्शन कर पाते हैं। मन्दिर तो मंदिर है, ईश्वर इसमें भी है, उसमे भी है,हमने गांव के महावीर जी को कम शक्तिमान और प्रचलित हनुमान जी ज्यादा शक्तिमान मान लिया है। भगवान भी क्या यहां के और क्या कही अन्य जगह के। जहां आप हैं, वहीं निष्ठा से पूजा कीजिये, बाहर नहीं जा सकते तो घर में हीं कीजिये। सदियों से ऐसा हीं था,, पूर्वज लोग कहां जाते थे, आप अपनी भी चार पीढ़ी पीछे झांकेंगे तो पाएंगे, कि कितने पूर्वज, पूरनिया तो माँ गंगा के दर्शन भी अपने पुरे जीवन में नहीं कर पाए थे, तो क्या वो नरक भोग रहें हैं, क्या उन्हें उसकी सजा मिली है? ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये तथाकथित बड़े बड़े ट्रस्ट, संस्था,धर्मस्थल और उनसे जुड़े सभी जगहों की जबर ब्रॉन्डिंग की जा रही है, हमारे मन में ये बैठ गया है कि, जीवन में हम अगर, उन बड़े तीर्थस्थलों पर नहीं गए, तो हमारा जीवन निरर्थक हैं, अगर नहीं जाते हैं तो सोचते हैं - पड़ोसी क्या कहेंगे, रिश्तेदार क्या कहेंगे, ऑफिस के लोग क्या कहेंगे। धार्मिक भावना से आगे स्टेटस सिंबल बन के रह गया है दूर की धर्म यात्रा। हमने मंदिरों को भी छोटे बड़े मान लिए। जहां हम कहते हैं, घट घट में राम हैं, कण कण शंकर है, हवा में पानी में पेड़ पौधे, चर चराचर सब में ईश्वर विद्यमान हैं फिर भी, भाव कम दिखावे हेतू भागते रहते हैं,, और यही भावना उनका व्यापार बन चुका है। आपकी श्रद्धा, भाव, से खेलते हैं वो। पसीने की कमाई से अशुद्ध पूजा कर क्या हीं हासिल होना है। जानता हूं बात कड़वी है, अपच योग्य है, अंगीकार करने लायक नहीं, पर है तो भईया सत्य,, आप समझे तो ठीक,,, पर अपना तो अब यहीं है। 🙏🏻
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@MukeshPathakji ऐसा बोल देने मात्र से अगर लेखक ये सोंच रहें हैं कि, उन्हें इलीट से निकाल कर मिडिल क्लास में रखा जायेगा तो नामुमकिन है। 😎
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RT @kadu_rajen85641: @vyalok @vyalok भाई इन जैसों के लिए ही लिख गए हैं गोस्वामी जी लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजिअहिं तेऊ॥ उघरहिं…
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RT @Garima1907: ये एक या दो नहीं हैं, इनकी अच्छी खासी संख्या है। सोशल मीडिया ने स्वतंत्रता को ऐसी स्वच्छंदता में बदला है,जो बहुत नारकीय है…
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