तुलसीदास जी ने जब रामचरित मानस की रचना की, तब उनसे किसी ने पूंछा कि बाबा! आप ने इसका नाम रामायण क्यों नहीं रखा? क्योकि इसका नाम रामायण ही है, बस आगे पीछे नाम लगा देते है, वाल्मीकि रामायण, आध्यात्मिक रामायण..आपने रामचरित मानस ही क्यों नाम रखा?
बाबा ने कहा - क्योकि रामायण और राम