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Rahul Kumar
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Khagaria, Patna, Bihar, India!
Joined June 2024
आज सुबह में माइक्रोबायोम के बारे में पढ़ रहा था, तो मैने सोचा क्यों नहीं मैं आपके सामने इसके बारे में कुछ बात करूं। माइक्रोबायोम का विषय मुझे हमेशा से आकर्षित करता रहा है, खासकर जब बात हमारे स्वास्थ्य, मूड और व्यवहार पर इसके प्रभाव की आती है। हमारे शरीर में ट्रिलियन बैक्टीरिया रहते हैं, खासकर आंतों में। इन्हें माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये सिर्फ पाचन के लिए नहीं, बल्कि इम्यून सिस्टम और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी हैं। वैज्ञानिकों ने 'गट-ब्रेन एक्सिस' की खोज की है। इसका मतलब है कि आंतों के बैक्टीरिया हमारे मूड, चिंता और डिप्रेशन तक को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ बैक्टीरिया तो सेरोटोनिन के उत्पादन में भी मदद करते हैं, जो हमें खुश रखने वाला न्यूरोट्रांसमीटर है। हम अपने माइक्रोबायोम को कैसे बेहतर बना सकते हैं? 🔘प्रोबायोटिक्स: दही, केफिर, किमची और सॉकरक्राउट जैसे फूड्स बैक्टीरिया के बैलेंस में मदद करते हैं। 🔘फाइबर युक्त आहार: फल, सब्जियां और साबुत अनाज अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ने में मदद करते हैं। 🔘तनाव कम करना: योग, ध्यान और अच्छी नींद आंतों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है। 🔘माइक्रोबायोम टेस्ट: कुछ कंपनियां पर्सनलाइज्ड टेस्ट ऑफर करती हैं, जिससे पता चल सकता है कि आपके शरीर को क्या सूट करता है। माइक्रोबायोम का सही संतुलन हमें स्वस्थ और खुशहाल बना सकता है। स्वस्थ रहिए मस्त रहिए।
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मैंने प्रेम को कभी गिना नहीं, क्योंकि प्रेम को गिनना ही एक भूल है। प्रेम तो जीवन की हर साँस में, हर पल में बसता है। जब से मैंने प्रेम को जाना है, तब से मेरा हर क्षण, हर दिन प्रेम के रंग में रंगा रहा है। अगर कोई मुझसे पूछे कि मैंने प्रेम कितनी बार किया है, तो मैं कहूँगा कि यह सवाल ही गलत है। सवाल यह होना चाहिए कि क्या मैं प्रेमी हूँ? और मैं कह सकता हूँ, हाँ, मैं प्रेमी हूँ। मैं एक तिनके से भी प्रेम कर सकता हूँ, एक पत्ते से, एक धूप की किरण से, एक बच्चे की हँसी से। प्रेम तो एक ऐसी आग है जो जलती ही रहती है, हर नयी चीज़, हर नए रिश्ते के साथ। यह कहना कि अगर तुम एक से प्रेम कर रहे हो तो दूसरे से नहीं कर सकते, यह तो बंधन है, जबकि प्रेम स्वतंत्रता प्रदान करता है। प्रेम तो प्रेम के लिए प्रोत्साहित करता है, न कि बांधता है। जब मैं प्रेम करता हूँ, तो मैं किसी एक का नहीं रहता, मैं सबका हो जाता हूँ। कृष्ण की तरह, जो राधा के थे, उतने ही अन्य गोपिकाओं के भी, उतने ही मीरा के, उतने ही हम सब के। प्रेम की कोई सीमा नहीं, कोई हिसाब नहीं। प्रेम तो बस फैलता है, बढ़ता है और सबको अपने में समेट लेता है। मेरे अनुसार मानो तो प्रेम की गिनती नहीं होती, प्रेम का अनुभव होता है और जब प्रेम होता है, तो वह दिल को आज़ाद कर देता है, उसे सबसे जोड़ देता है।
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