तुम किताबों सी महकती हो,
जाने कितनी कहानियाँ दफ़न है-जेहन में ।
कभी मिले,
तो बताना,
कि
कौन से भूले पन्ने पे,
तुमने लिखी है वो शाम,
और किस कहानी की फुटनोट पे,
रखा है मेरा नाम।।
और गुज़ारिश रह गयी,
कि,
जब मिले कभी हम फिर से,
तो एक पन्ने पे,
अब कविता लिखेंगे-कहानी नही,
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