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Karishma Aziz
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Journalist | Fighting Islamophobia & Fake News | Advocate for Equality, Justice & Empathy | Truth Seeker
India
Joined September 2023
और हाँ @namrtaqueen! अपने दीदी से कहना की इस्लाम में माँ के क़दमो तले जन्नत बताया गया है, इतना बड़ा दर्ज़ा इस्लाम ने मर्द को नहीं दिया! इसलिये वृद्धआश्रम में तुम्हे किसी मुस्लमान की माँ नहीं मिलेगी!
औरतें मंदिर और आश्रम गयी तो आशाराम और राम रहीम पैदा हुए - ये अधिकार आपको मुबारक हो, हम मस्जिद ना जाकर घर में इबादर कर के खुश हैँ! औरतें नग्न हुई तो एलोरा और अजंता के गुफा में ताराश दी गयी - ये अधिकार आपको मुबारक हो, हम बुरके और परदे में रह कर खुश हैँ! औरतों को देवी का दर्ज़ा मिला पर हज़ारों साल तक विधवा को पुनर्विवाह का अधिकार नहीं मिला - ज़िंदा चिता पर सती की गयी, ये बदलाव दुनियाँ को इस्लाम ने सिखाया, विधवा को पुनर्विवाह का अधिकार देकर! औरतें जन्नत में नहीं जाएगी ये आपका अर्धज्ञान कहता है, औरतें जन्नत में जाएगी! पति को देवता मान कर उसके पैर आप छुईये, उसके लम्बी उम्र की ब्रत आप रखिये, उसके नाम का सिन्दूर आप माथे पर लगाइये, उसके नाम का मंगलसूत्र आप पहनिये, फिर भी तलाक़ का अधिकार नहीं था, सबसे ज़्यादा दहेज़ के लिए आप जलाई गयी! हमारे यहाँ पति देवता नहीं होता लाइफ पार्टनर होता है और उसके नाम की कोई निशानी हम अपने जिसने पर लेकर नहीं ढ़ोते! इस्लाम को समझना आपके औक़ात से परे है, आप पढ़ नहीं पायें गी और हम सब कुछ यहाँ लिख नहीं पाएंगे!
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