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इंडियास्पेंड
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इंडियास्पेंड आंकड़ों पर आधारित पत्रकारिता के माध्यम से देश में बेहतर शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की पहल है।
Joined March 2015
@CSTEP_India के अध्ययन के अनुसार, राजस्थान और महाराष्ट्र में, 85% सौर परियोजनाओं को हर साल कई #हीटवेव का सामना करना पड़ता है। #सौर ऊर्जा#जलवायु परिवर्तन
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@indian_Rivers के हिमांशु ठक्कर ने कहा, "किसी भी जलविद्युत परियोजना को शुरू करने से पहले, उसकी आपदा क्षमता का आकलन किया जाना चाहिए।"
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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि तीव्र बारिश, हीटवेव और तेज हवाओं के कारण भारत में बिजली गुल होने का समय 220% तक बढ़ सकता है। @ManuMoudgil की रिपोर्ट
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हीटवेव और बढ़ता तापमान भारत में सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा रहा है। अगर हमने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति इन्हें मजबूत नहीं बनाया तो इनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा- @ManuMoudgil
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चरम मौसम से निपटने के लिए, भारत के बिजली वितरण क्षेत्र को भूमिगत केबल, स्मार्ट ग्रिड और अतिरिक्त क्षमता में निवेश करने की जरूरत है। बिजली के बुनियादी ढांचे के तरीके में बदलाव करने का समय आ गया है। @ManuMoudgil की रिपोर्ट
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केंद्र प्रायोजित योजनाएं सामाजिक क्षेत्र के 90% से अधिक खर्च को वहन करती हैं, फिर भी मनरेगा और पीएम पोषण जैसी प्रमुख योजनाओं को कम फंडिंग मिली है। आगे पढ़ें: #Budget2025
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2025-26 में, आवास, शहरी विकास और जल एवं स्वच्छता में कुल सामाजिक क्षेत्र के खर्च का 21% हिस्सा होगा। भारत की कल्याण प्राथमिकताओं के लिए इसके क्या मायने हैं? @avani_kapur @Res_Gov #UnionBudget की रिपोर्ट
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एक दशक में #सामाजिक क्षेत्र पर होने वाले व्यय में क्या बदलाव आया है? @avani_kapur @Res_Gov के विश्लेषण के मुताबिक, स्वास्थ्य खर्च स्थिर रहा, जबकि बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता मिली है। आगे पढ़ें:
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पिछले एक दशक में, कुल व्यय में वृद्धि के बावजूद, #सामाजिक क्षेत्र पर होने वाले खर्च का हिस्सा लगभग स्थिर रहा है। 2020-21 में यह 30% था, लेकिन 2025-26 में घटकर 19% हो गया। पढ़ें- @avani_kapur @Res_Gov #Budget2025
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नामांकन में गिरावट की वजह क्या है? शिक्षाशास्त्रियों का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में ज्यादा फीस होने के बावजूद मध्यवर्ग उसकी ओर ही जा रहा। मतलब सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे और शिक्षकों की कमी है। @mitihleshdhar की रिपोर्ट
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"शिक्षा मंत्रालय को स्कूलों की संख्या में गिरावट के कारण बताने चाहिए। क्या यह स्कूलों के बंद होने और विलय के कारण था? और स्कूलों को बंद करते समय, क्या एक किलोमीटर के अंदर एक प्राथमिक स्कूल होने के शिक्षा के अधिकार के मानदंडों का पालन किया गया?" @acmehta100
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2020-21 में देश के प्री-प्राइमरी से 12वीं तक स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या 26.4 करोड़ थी जो 2023-24 में 6% गिरावट के साथ 24.8 हो गई। मतलब इन चार वर्षों में छात्रों की संख्या 1.64 करोड़ कम हो गई। @mitihleshdhar की रिपोर्ट
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