इंसान, इंसान ही होता है, सब के अपने सपने, चुनौतियाँ, सीमाएँ, ग्रंथियाँ, उत्साह, सफलता, असफलता और हताशा होती है किंतु इनमें से जो भी सफल हो जाते है वो अपने इर्द-गिर्द इस तरह की कहानियाँ बुनने और बुनवाने लगते है कि लोगों को लगे ये मानव है ही नहीं, ये तो महामानव है, ईश दूत है,