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Hrishikesh Brahmachari

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हर हिन्दू सनातनी हो......... हर हिन्दू सेना हो.........

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@HrishikeshBrah6
Hrishikesh Brahmachari
2 years
पहले से ही जगद्गुरु ने संकेत किया था। #Joshimath @govardhanmath
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2 years
स्वतन्त्रता अभी बाकी है; संग्राम अभी रुका नहीं। #indipendenceday2022 @govardhanmath
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2 years
गर्भगृह की शास्त्रिय मर्यादा भङ्ग कर चुनाव के नाम पर यह तमाशा घोर पाप है। अधिकारों का अतिक्रमण कर नेता, प्रशासन, पूजक सभी दोषी हैं; और दैवीकोप के पात्र हैं। @govardhanmath @RahulGandhi @narendramodi @ujjainmahakal
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2 years
Don't worry my lord; डरता तो हूँ पर पुरी शङ्कराचार्य को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ। जगन्नाथ मन्दिर और ओडीशा का धन क्रिश्चियनों की सेवा में ही लगा रहा हूँ। ओडीशा में हमारे परिवार विस्तार की योजना में पूर्ण सक्रिय हूँ। Good my son @Naveen_Odisha @otvnews @ANI @govardhanmath
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2 years
पारस लोहे को सोना ही बना सकता है; पारस नहीं। किन्तु गुरु ऐसे पारस हैं जो शिष्य रूपी लोहे को पारस ही बना देते हैं। यही सनातन गुरुपरम्परा है। अनादिकाल से अनन्तकाल तक के सारे पुण्य दे कर भी जिनसे उऋण नहीं हुआ जा सकता ऐसे आध्यात्मिक जगत् के माता-पिता गुरुचरणद्वय🙏🙏 @govardhanmath
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3 years
कुछ लोग कहते हैं कि महापुरुषों के चरणों में चमत्कार होता है। कुछ कहते हैं हाथों में, तो कुछ कहते हैं दृष्टि में। यह सब सत्य है। किन्तु; मुझे लगता है कि महापुरुषों में सच्चा चमत्कार उनकी वाणी में होता है। जो कि वाणी को जीने वाले के अनुभव में आता है।🙏 @govardhanmath
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3 years
जिज्ञासु- सनातन वैदिक सिद्धान्त एकमात्र उत्कृष्ट है; फिर सभी लोग उसकी ओर ही क्यों नहीं बढ़ते? जगद्गुरु- जुगनू दीपक की ओर ही आकृष्ट होते हैं सूर्य की ओर नहीं; यह जुगनू की क्षमता का दोष है सूर्य का नहीं। प्रकाश के अस्तित्व में जुगनू और उल्लू प्रमाण नहीं होते। @govardhanmath
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2 years
"अल्ला" स्त्रीलिङ्गम् अल्यते इत्यल् क्विप् अले भूषायै लाति गृह्णाति ला--क ४ त० । १ मातरि । अलतीति अल् पर्य्याप्तः सन् लाति सर्व्वानत्ति गृह्णाति जानाति वा ला--क । २ सर्व्वज्ञायां सर्व्वभक्षिकायां परमात्मदेवतायाम् सा च अथर्व्ववेदे अल्लाल्लेत्यादिसूक्ते प्रसिद्धा @govardhanmath
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2 years
हिन्दू-मन्दिरों का धन मदरसों, मिशनरीयों और नेता अधिकारियों के यहाँ जाता है। हमारा धन हमारे ही विरोध में; अतः किसी भी सरकारी अधिग्रहीत मन्दिर में जावें तो वहाँ के गोलक में रुपय नहीं एक पत्र डालें जिसमे लिखा हो; हिन्दू-मन्दिरें मुक्त हों। @govardhanmath
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2 years
अभी अभी 'भारत अघोषित हिन्दूराष्ट्र' है; यह शब्द सुना। पर घोषणा का कितना महत्व है; यह महाभारत मे कर्ण से पूछ लीजिये। कुन्ती द्वारा एक घोषणा के अभाव मे कर्ण का पूरा जीवन बदल गया। भारत का उत्थान सभी दृष्टियों से घोषित हिन्दूराष्ट्र से ही होगा, न कि खोखली कल्पनाओं से। @govardhanmath
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3 years
गुरुका कार्य मनोरञ्जन करना नहीं,मनोमज्जन् करना है केवल प्रिय बोलने वाले अगुरुका अभी त्याग करदो हितोपदेष्टा शास्त्रज्ञको गुरु समझो शास्त्रकी बात अपने नाम पर कहने वालेको खल समझो असाम्प्रदायिकको नट समझो कल्पित सम्प्रदायोंको विधर्म समझो परम्पराप्राप्त गुरुको शिव समझो @govardhanmath
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3 years
@AmitShah चार पीठोंके मान्य शंकराचार्यों में किन्हींको भी भारत सरकारकी ओरसे कोई सुविधा व सुरक्षा प्राप्त नहीं है। पुरीके आचार्यको तो अलकायदा आदिसे धमकी भी प्राप्त है। लक्षमणानन्द आदि कई सन्त मारे जा चुके हैं। सरकार मौन है। नकली शंकराचार्योंको दण्ड देना सरकार का दायित्व है; न कि पोषण करना।
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10 months
रामराज्य की प्रतिष्ठा के पावन पर्व दीपोत्सव के अवसर पर भारत को पुनः धर्मराज्य से सुशोभित हिन्दुराष्ट्र के रूप में स्थापित करने का सङ्कल्प लें।
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8 months
वृहस्पति को भी शास्त्रार्थ में पराजित कर विद्वान् कहलाना सम्भव नहीं। जिसने विद्या के बल पर अपने अभिमान और अज्ञान को हरा दिया हो; वही सबसे बड़ा विद्वान् है। @govardhanmath
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1 year
ओडिशा कालाहाण्डीके वनाञ्चल क्षेत्रमे जगद्गुरुके दर्शनार्थ समुपस्थित विशाल जनसमुदाय । विदित हो जगद्गुरु ने गतवर्ष भारतके चतुर्दिक् वनाञ्चलक्षेत्रोंमे प्रचार यात्राएं की है। सभी क्षेत्रोंमे हजारों वनवासियों ने उपस्थित हो लाभ लिया है। क्रमशः सभी दृश्य प्रसारित होंगे। @govardhanmath
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3 years
खुद के दिये घाव पर नकली मरहम लगाने का ढोंग करने वाले @Dr_Uditraj सनातन धर्ममें कोई दलित नहीं है,वे हमारे अन्त्यज(छोटेभाई) हैं; पर ठेकेदारों ने राजनैतिक रोटियाँ सेकनेके लिये समाजके एक हिस्सेको दलित बना दिया। यदि आप सचमें उनके हितैषी हैं तो पहले उन्हें दलित बोलना छोड़ दें।
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3 years
#अखाड़ापरिषद् स्थापना - 1954 में नेहरूकी योजनासे उद्देश्य - शङ्कराचार्योंकी सेना अखाड़ोंको उनसे अलग कर उन्हें दुर्बल बनाना इस परिषद् द्वारा नकली धर्माचार्यों व अखाड़ोंका जन्म और पोषण तथा शास्त्रविरुद्ध कार्य ही होते हैं वरदान है या अभिशाप विचार आवश्यक है @govardhanmath @ANI
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2 years
#HindusUnderAttackInIndia नबीके प्रति समर्पण, एकजुटता देखकर अपने आचार्यके प्रति समर्पणकी शिक्षा लें! " हर हिन्दू सेना हो, हर हिन्दू सनातनी हो " कलकी घटनाओं ने पू.गुरुदेव द्वारा दिए उक्त उद्घोषकी सार्थकताको स्पष्ट कर दिया है। प्रत्येक हिन्दू जागृत हो, तैयार हो।। @govardhanmath
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2 years
देहाभिमान ही सब पापों का मूल है। जब व्यक्ति अहंकारवश स्वयं को अति माननीय मान लेता है; तब अपमान न होने पर भी और बहुधा सम्मान होने पर भी अपमान अनुभव करने लगता है। सर्वमान्य होते हुए भी मानशून्यता से ही भगवान् शिव अहम् के अधिदैव हैं। @govardhanmath
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2 months
जिनका स्थिर रहना, झुकना; सब कुछ मर्यादा का प्रतीक है। सिन्धु के समान सदा मर्यादा में स्थिर रहने वाले महान धीर इन महापुरुष के प्रति "समर्पण" के अतिरिक्त और कोई शब्द नहीं है। @govardhanmath
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2 years
"भगवान् दुर्लभ नहीं हैं; भव का आकर्षण छोड़ कर भजन दुर्लभ है।" - पूज्य गुरुदेव के श्रीमुख से अभी-अभी प्रकट महावाक्य; भगवत्काम साधकों के लिए मन्त्र सम ।। @govardhanmath
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2 years
धर्म की पराजय असम्भव है। धर्म का प्रथम लक्षण धैर्य है; अभी उसका ही आश्रय लें; सूर्योदय तक।। @govardhanmath
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3 years
वैशाखमास अत्यन्त पवित्र है। विशाखा-नक्षत्रसे वैशाख नाम है। विष्णु व शक्तिकी उपासनाका माह है। सर्वाधिक अवतार इस माहमें हुए:- परशुराम नृसिंह कूर्म बगलामुखी जानकी गङ्गासप्तमी शङ्कराचार्य रामानुजाचार्य वल्लभाचार्य बुद्ध गोरखनाथ हित सूरदास मलूकदास जगन्नाथप्रतिष्ठा आदि @govardhanmath
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2 years
1 जनवरी को नया साल मनाना अन्ध विश्वास और अवैज्ञानिकता की पराकाष्ठा है। इसका प्रकृति, विज्ञान और खगोल के कोई सम्बन्ध नहीं है। इस कल्प में १,९७,२९'४९,१२३ वर्षों की परम्परा के हिन्दू ईसामसीह के ई.2023आगमन के अन्ध काल को प्रकाशित करने में लगे हैं; यह दुर्भाग्य है। @govardhanmath
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3 years
पाक-अधिकृत-काश्मीर शब्द पाकपरस्तों ने षड्यन्त्रपूर्वक रखा था। इसे शीघ्र ही बदल कर "पाक-अतिक्रमित-काश्मीर" करना चाहिए। अधिकृत शब्द वैधता का द्योतक है जबकि अतिक्रमण शब्द अनधिकारचेष्टा का। @govardhanmath @PMOIndia @AmitShah अधिकृत व्यक्ति उचित कदम उठावें।
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2 years
आज @ABPNews में ज्योतिर्मठ की स्थिति पर बोले जगद्गुरु। @govardhanmath
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3 years
केवल शाङ्करभाष्य ही लक्ष्यार्थनिष्ठ है, अन्योंके वाच्यार्थप्राय ही हैं। #Shankaracharya का प्रत्येक वाक्य शास्त्राधारित है। आचार्य पदमें अनेक महापुरुष विभूषित हुए किन्तु शङ्करको प्र��प्त कर आचार्य पद ही विभूषित हुआ। भक्ति,ज्ञान,वैराग्य का चरमोत्कर्ष हैं शङ्कर।🙏 @govardhanmath
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11 months
हिंसाकी सहिष्णुताका नाम अहिंसा नहीं है। सद्भावप्रसारसे शान्ति-स्थापना न होने पर शस्त्रसंधानसे ही जब जनरक्षा सम्भव हो तब वह कार्य विश्वको महान् हिंसासे बचाने वाला और अहिंसाका गुह्य(गुप्त)स्वरूप है। सौम्य आदि केवल बाह्यलक्षण सम्पन्न अहिंसा घोरहिंसाका मूल है। @govardhanmath
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1 year
हरि-हर मिलन जगद्गुरु के आश्रित हो जगन्नाथ का दर्शन "रथस्थं वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्म न लभ्यते" @govardhanmath
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2 years
सहिष्णुता के नाम पर दब्बू बनने वाले दुर्बल तामसी को सात्विक न समझें। सत्वगुण सम्पन्न भगवद्भक्त की सहिष्णुता को दुर्बलता समझने की भूल कथमपि न करें। क्योकिं उनकी सहिष्णुता के गर्भ में छुपे अपार सामर्थ्य की सहिष्णुता किसी में नहीं है। -पूज्यश्री @govardhanmath
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3 years
बहुतोंका कथन है; हम भी भारतसे प्यार करते हैं। किन्तु सावधान; "भारत सनातनका पर्याय है"। अतः वर्णाश्रम, मूर्तिपूजा,गोवंश आदिके द्रोही व्यक्ति, समुदाय, पुस्तक(कथित-ग्रन्थ/सम्विधान) राष्ट्रद्रोही सिद्ध हैं। प्रत्येक भारतभक्त इस तथ्यको स्वस्तरसे ख्यापित करे। @govardhanmath
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3 years
गुरुके नाम पर ग्रन्थ और गोविन्दसे, गोविन्दके नाम पर गुरु और ग्रन्थसे तथा ग्रन्थके नाम पर गुरु और गोविन्दसे दूर रहने वालोंका कल्याण सम्भव नहीं। गुरु, गोविन्द और ग्रन्थ परस्पर पूरक हैं। गोविन्द-प्राप्तिकी भावनासे गुरु(पारम्परिक) और ग्रन्थ(वैदिकवाङ्मय) का आश्रय हो। @govardhanmath
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3 years
व्यासपीठ और राजपीठका अद्भुत सङ्गम। पंजाबके एक घरमें यह दृश्य देखा। श्रीगोविन्द सिंहजी पूर्ण सनातनी थे। उन्होंने विशाल चण्डीयज्ञ कर देवीसे वर प्राप्त किया। यज्ञस्थल ही चण्डीगढ़ हुआ। उनकी ही रचना है; "चण्डीकी बार"। जगे धरम हिन्दू खालसा पन्थ गाजे सिक्खों.. @govardhanmath
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3 years
बलवान् से बलवान् व्यक्ति भी व्यूहरचनाके अभावमें पराजित हो जाता है। किन्तु बल कम होने पर भी व्यूहरचनापूर्वक बलवान् पर विजय प्राप्त की जा सकती है। -: श्रीमुख से न केवल बाहुबलसे और न केवल बुद्धिबलसे अपितु दोनोंके सैद्धान्तिक साहचर्यसे महान्-विजय प्राप्त होती है। @govardhanmath
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3 years
आज ही भगवान् अवध लौटे थे। 🚩 रावण(इन्द्रियासक्त) के अधर्मराज को समाप्त कर, लक्ष्मी(सम्मृद्धि), सरस्वती(ज्ञान) और गणेश(विवेक) से युक्त रामराज्य का पदार्पण आज ही हुआ। 🚩 रामराज्यकी प्रतिष्ठाके महापर्व दीपोत्सवके अवसर पर हम सभी रामराज्यकी प्रतिष्ठाका सङ्कल्प लें। 🚩 @govardhanmath
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3 years
महापुरुषोंकी असङ्गता, निरपेक्षता, गम्भीरता तथा अल्पभाषिता को अहङ्कार समझने वाले तथा उनकी सहजता, मृदुभाषिताको स्वार्थ वा मूर्खता समझने वाले बहिर्मुख व्यक्ति; साक्षात् शुक, सनकादि, नारद, ब्रह्मा वा भगवान् शिव जैसे गुरु प्राप्त करके भी कोरे के कोरे ही राह जाते हैं।😊 @govardhanmath
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3 years
जिस क्षण ज्ञात हो जाए कि हम गलत मार्ग में आ गए; उसी क्षण पीछे पलट जाते हैं। जो लोग जानते हैं कि हमारे पूर्वज हिन्दु थे; उन्हें उसी क्षण प्राप्त ज्ञान का समादर कर सहीं मार्ग में आ जाना चाहिए।। प्राप्त ज्ञान का समादर न करने से लोक और परलोक दोनों ही नष्ट हो जाते हैं। @govardhanmath
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2 years
पारमार्थिक सत्य परमात्मा हैं। जिसने प्रह्लाद आदि की भाँति पारमार्थिक सत् का वरण किया है; वही व्यावहारिक जगत् में भी सत्याग्रही हो सकता है। क्योंकि जो धन, मान आदिरूप देहासक्तिसे ग्रस्त है; वह आसक्ति-केन्द्रोंके वियोगके भयसे असत् पक्षीय दुष्टोंका ही पक्षधर होता है। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
3 years
वेदोंमें पूर्ण-अहिंसा परमहंसका धर्म है; "राष्ट्र-धर्म नहीं"। (विपरीत परिस्थितिमें परमहंसका भी नहीं) सज्जनताके नाम पर कायरता और शूरताके नाम पर उच्छृङ्खलता उचित नहीं। -: श्रीमज्जगद्गुरु, पुरी द्विज शिखा-सूत्र-सन्ध्यावन्दनादि सम्पन्न तथा शूर हों। @govardhanmath
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1 year
जगद्गुरु के ८१वें प्राकट्य महोत्सव मे सहयोगी सभी कार्यकर्ताओं को अनन्त साधुवाद @govardhanmath
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3 years
श्रीभाष्यकार श्रीरामानुजाचार्य जयन्ती विशेष; विशिष्टाद्वैत दर्शन सार- *भगवान् उपास्य हैं *जीव उपासक हैं *जगत् उपासना सामग्री है तुलसीदास जी ने समग्र रामानुज दर्शन को एक दोहे में गुम्फित किया- सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमंत। मैं सेवक सचराचर रूप स्वामि भगवंत।। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
3 years
गोस्वामी तुलसीदासजी ने शङ्कराचार्यकी लेखनीको अपने शब्दोंमें इस प्रकार उतारा कि वैष्णवोंको भी उनकी सहिष्णुता उत्पन्न हुई। अद्वैतमें निष्ठासे ही भक्तिकी पराकाष्ठाको ख्यापित किया। वाल्मीकिस्तुलसीदासो कलौ खलु भविष्यति (भविष्यपुराण) हरिहरभक्तिस्वरूप कलिपावनावतारको नमन @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
3 years
#देवोत्थापनएकादशी आज देवता जागे हैं। भूलोकके ६माह देवोंके १२घण्टे होते हैं। क्रमशः ऊपरके लोकोंके कालकी दीर्घता सिद्ध है। जहाँ आधुनिकविज्ञान भुवःअन्तरिक्षके ही #timedimension को समझनेमें लगा है; वहाँ लाखों(सनातन) वर्षोंसे शास्त्रोंमें १४भुवनोंके कालचक्रका वर्णन है। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
3 years
न मृगं न मानुषम् यह क्रोध भी उनकी अपार करुणा व भक्तवत्सलताकी पराकाष्ठाका सूचक है भक्तके प्रति अपराध भगवान् को असह्य है प्रह्लादके सत्याग्रह ने ब्रह्मको प्रकट कर राजशोधन किया प्रह्लाद व नृसिंहका स्मरण करने वाला कर्मबन्धनसे मुक्त हो जाता है।(भागवत) तं नृसिंहमहं भजे @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
4 months
सलिङ्गाश्रम-विजय के पचास वर्ष पूर्ण हुए हैं। भगवत्प्रदत्त जीवन का प्रयोग भक्ति, विरक्ति और प्रबोध में कैसे किया जाए; इसका प्रत्यक्ष दृष्टान्तभूत आपका जीवन; मेरे जीवन की एक मात्र निधि है। अनिर्वचनीया अहैतुकी कृपा से कभी उऋण होना नही चाहता। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
2 years
"घटना या व्यक्ति प्रमाण नहीं होता शास्त्र प्रमाण होता है " शास्त्र से सम्बद्ध व्यक्ति द्वारा भी यदि शास्त्र विरुद्ध कोई घटना हो तब शास्त्र का ही पक्षधर होना आवश्यक है। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
2 years
धर्मसम्राट् की बातोंका अर्थ करना सब के वश का नहीं। यदि रावण का राज्य हिन्दूराज्य था; तो क्या रामजी का राज्य हिन्दूराज्य नहीं था? जब आचार्य हिन्दूराष्ट्र की बात करें तब कोई भी विवेकी रामराज्य ही अर्थ करेगा। और वास्तव में रामराज्य ही हिन्दूराज्य है; रावणराज्य नहीं। @govardhanmath
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3 years
धन्य है भारतभूमिका गुरुत्वाकर्षण जो परमात्माको भी नीचे खींच लेता है आनन्दतत्त्व ही प्रिया-प्रियतम तथा परस्पर प्रेमके रूपमें प्रकट होता है सत् चित् और आनन्दमें सबसे दुर्लभ आनन्दकी अभिव्यक्ति है, वही कृष्ण हैं आनन्दकी खोजमें ही कोई वासना तो कोई उपासनामें डूब जाता है @govardhanmath
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2 years
🚩यतो धर्मस्ततो जयः🚩 अधर्माचरण से असफलता भगवान् की स्वाभाविक कृपा है। अधर्माचरण से सफलता दिखाई भी दे; तो समझना अधर्मी के विनाश की भूमिका है। यही सिद्धान्त विधर्म के समर्थक व्यक्ति, तन्त्र तथा राष्ट्रों पर लागू है। यह सिद्धान्त अपेल। सनातन इतिहास इसका प्रमाण है। @govardhanmath
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2 years
८०वें प्राकट��य-महोत्सव में छत्तीसगढ़ के रामनामी पन्थ के लोग सम्मिलित हुए; जिन्हें आजकल आदिवासी कहा जाता है। पूरे शरीर व वस्त्रों पर लिखा राम नाम सिद्ध करता है कि यह आरम्भ से ही सनातनी हैं। अस्तु षड्यन्त्रों से बचें! हम सभी सनातनी थे, हैं और रहेंगे। जयहिन्दूराष्ट्र @govardhanmath
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@HrishikeshBrah6
Hrishikesh Brahmachari
1 year
कृपानुभूति शत्रु जब मित्र बन जावें; यह कृपा का फल है। किन्तु जब मित्र भी शत्रु बन जावें तो यह महाकृपा का फल है। प्रतिकूलानुकूलञ्च सर्वानुग्रहमूर्तयः। @govardhanmath
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@HrishikeshBrah6
Hrishikesh Brahmachari
3 years
#गोपाष्टमी पर यह सङ्कल्प - हम सभी घोषणा करें कि केन्द्र और राज्यों के जिन-जिन शासक,शासन तथा राजनैतिकदलों ने #गोहत्या के लाइसेंस बाटें और उसे बना कर रखा है; वे सभी गोहत्यारे हैं। गोहत्यारे शासन के नहीं; दण्ड के पात्र हैं। #गोमाता-राष्ट्रमाता(विश्वमाता)🙏 @govardhanmath
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@HrishikeshBrah6
Hrishikesh Brahmachari
1 month
जिसने मन, नवद्वार और दस-इन्द्रियों को वश में कर लिया; निस्सन्देह उसने अधिदैव, नवग्रह और दस-दिग्पालों को अपने वश में कर लिया है। @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
3 years
टीकेमें गोअंश है; यह घोषित करनेके बाद इसे लगाने के लिए बाध्य करना क्या यही सन्देश है कि, इस देशमें अब आहार चयन करनेकी स्वतन्त्रता समाप्त हो चुकी है? जहाँ कोई देश टीका नहीं बना पा रहा था वहाँ टीकोंकी बाढ़का रहस्य? टीकेकी प्रामाणिकता? आयुर्वेदकी उपेक्षा क्यों? @govardhanmath
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Hrishikesh Brahmachari
4 years
जब से बिजली का आविष्कार हुआ अन्धकार और प्रगाढ़ हो रहा है। दीपक की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। भारत ही दीपक है, सनातन शास्त्र ही तैल हैं, तपःपूत वैदिक आचार्य ही बाती हैं और इनका अखण्डज्ञान ही ज्योति है। एकमात्र यही दीप विश्व से अन्धकार मिटाने में समर्थ है। शुभ-दीपोत्सव💐😊
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Hrishikesh Brahmachari
2 years
नरकचतुर्दशीमें दीपदानके साथ ज्वलनशील पदार्थोंसे निर्मित उल्काके दानका भी विधान है। जिनकी मृत्यु अग्निमें जल कर हुई है; उन्हें इससे सद्गतिकी प्राप्ति होती है। अग्निदग्धाश्च ये जीवा येऽप्यदग्धाः कुले मम। उज्ज्वलज्योतिषा दग्धास्ते यान्तु परमां गतिम्।।(लिङ्गपुराण) @govardhanmath
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4 months
धन्य!धन्य! सकल-विरुद्ध-धर्माश्रयावतार भक्तराज को गोद में लेने के लोभ से शरीर मनुष्य का और चाटने के लोभ से ही मस्तक सिंह का बनाया। इसी दृश्य से भक्तवत्सल कहलाए। सर्वत्र ब्रह्ममयी दृष्टिसम्पन्न भक्त ही सर्वरूप परमात्मा को लीलारूप से प्रकट करने में समर्थ होते हैं। @govardhanmath
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3 years
गयाक्षेत्रमें ब्राह्मणकुलोत्पन्न विष्णु बुद्ध हैं। गौतमबुद्ध बुद्ध नहीं बौद्ध थे। यज्ञकी रक्षाके लिए ही अंगूर खट्टे हैं; इस छलका आश्रय लिया। नास्तिकोंको संयमादि धर्मकी मर्यादामें बाँधनेके लिए ईश्वर ने ही ईश्वरका खण्डन किया। बौद्धोंका योग वेदका उच्छिष्ट मात्र है। @govardhanmath
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2 years
हिन्दुराष्ट्र-धर्मसभा भुज, कच्छ आदित्यवाहिनी- गुजरात, कच्छ - भुज शाखा🚩🚩 @govardhanmath
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6 months
योग्यशिष्य सदोष जगत् में व्यप्त गुरुतत्त्वसे हंसके समान ज्ञान प्राप्त कर लेता है। अयोग्यको निर्दोष शुक, सनकादि भी गुरुरूपमें मिलें तब भी वह दोषदृष्टिके कारण लाभच्युत ही रहता है। अस्तु जगत् में गुरुत्व नही अपितु शिष्यत्व ही दुर्लभ है। सच्चा शिष्यत्व ही गुरुत्व है। @govardhanmath
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3 years
हर ऊंचा आसन व्यासपीठ नहीं होता; वानर भी ऊंचा चढ़ कर बैठते हैं; मनमुखी ही वानर है; "मतयो यत्र गच्छन्ति तत्र गच्छन्ति वानराः" जिन्हें परम्परासे शास्त्रोंका ज्ञान व योग्यता हो वही व्यासपीठकी शोभा हैं सावधान; आवश्यक नहीं कि हर प्रिय लगने वाली बात हमारे हितमें हो🙏 @govardhanmath
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4 years
यह पक्ष सहीं नहीं है कि पूर्वकालके सभी विचारक धर्म-ब्रह्मको ठीक-ठीक जानते ही थे और आजके नहीं जानते । जिन्होंने परम्परासे अध्ययन नहीं किया ऐसे लोग चाहे आज हों या जितने भी पुराने कालमें हुए हों; वे अतथ्यको ही तथ्य मान बैठे। किन्तु पारम्परिक आज भी धर्म-ब्रह्मके यथार्थ-ज्ञाता हैं।
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3 years
धर्मराज्यकी प्रतिष्ठाके लिए शासकका केवल हिन्दू होना पर्याप्त नहीं, न ही केवल क्षत्रिय होना भी। आचार्यानुगामी पूर्णसनातनी शासकही धर्मराज्यकी प्रतिष्ठा कर सकता है। धर्मके बिना राजनीति विधवा और राजनीतिके बिना धर्म विधुर है। शासक सनातनी, सम्विधान शास्त्रीय हो। नमन🙏 @govardhanmath
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1 month
हम जैसे जन-सामान्य स्वभाव-प्रभाव आदि के आधार पर सामान्य माहात्म्य ही समझ पाते हैं वा नहीं भी। सर्वशास्त्रतात्पर्य को जानने वाले तत्त्वज्ञ सर्वशास्त्रतात्पर्यभूत होते हैं; अस्तु जिसे सर्वशास्त्रतात्पर्य ज्ञान हो वही ऐसे महापुरुषों का वास्तविक माहात्म्य जान सकता है। @govardhanmath
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4 months
देहाभिमान में निमग्न अविवेकी जीव के लिए विवेकी उसी प्रकार आश्चर्य करते हैं; जैसे आग की चपेट में पड़ी हुई कुटिया में निश्चिन्त हो कर सोते हुए व्यक्ति को देख कर सामान्य लोग आश्चर्य करते हैं। -:योगवासिष्ठ
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2 years
"गावो विश्वस्य मातरः" आज गोपाष्टमी के पावनपर्व पर सर्वत्र गोरक्षा-गोसेवा की ही शुभकामना करता हूँ। इस अवसर पर आज(1.11.2022) सायं 5 बजे से गोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्य महाभाग का मङ्गलमय सन्देश #आस्था चैनल पर सीधा प्रसारण होगा। लाभ लें।! @govardhanmath
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3 years
शिवसायुज्य-सम्प्राप्त श्रीराधेश्याम खेमकाजीको #गीताप्रेस के माध्यमसे उत्कृष्ट साहित्यसेवार्थ #पद्मविभूषण प्रदान किये जाने पर अत्यन्त हर्षका अनुभव हुआ। आपका धर्मनिष्ठ जीवन निश्चित ही प्रेरक है। आस्थान्वितोंको शुभकामनाऐं..💐 @govardhanmath
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1 year
दम्भं महदुपासया।। दम्भ से मुक्ति का साधन पारम्परिक महत्पुरुष का आनुगत्यपूर्वक सेवन है। दम्भ का नाश इस साधन से कर लेना चाहिए। अन्यथा महदापराध दम्भी का ही नाश कर देता है। महदापराध-युक्राञ्च बध-दण्डन दण्डयेत्‌ ।। @govardhanmath
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1 year
न कोई मरेगा ; न कोई बचेगा -: मस्तराम बाबा @govardhanmath
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3 years
#ChhathPuja शुभमस्तु.. कार्तिक शुक्ल #छठ_पूजा भगवान् सूर्य की पूर्ण भगवत्ता को प्रकट करती है। यह ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य; इन छः भगोंकी भगवान् सूर्य में समग्रता का प्रतीक है। इन छः भगों को अपने जीवन में उतारने की विधा ही छठ पर्व की सूर्य पूजा है। @govardhanmath
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3 years
#अचाञ्चल्य #दम #अमनोरञ्जन #अनुगमन #सेवा #अल्पभाषण यह छः गुण जिन साधकों के भीतर हैं; वह अल्प समयमें ही समर्थ गुरु की कृपा प्राप्त कर लेते हैं। और जो इनसे रहित हैं; वे हजारों वर्षों तक समर्थ गुरु का सानिध्य प्राप्त करके भी कोरे के कोरे रह जाते हैं।।(श्रीमद्भागवत)🙏 @govardhanmath
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3 years
अवश्य सुनें ! अत्यन्त महत्वपूर्ण साक्षात्कार।। @govardhanmath
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3 years
पवनपुत्र हनुमान प्राणके स्वरूप हैं प्राण ही इन्द्रियों, अन्तःकरणादि का पोषक व समस्त क्रियाओंका सम्पादक है यदि यह प्राण स्वयंको रामकी सेवामें अर्पित कर दे तो इसमें लोकोत्तर सामर्थ्य प्रकट होता है वासनाकी लङ्काको दग्ध करनेमें प्राणायाम ही समर्थ है और भी..... @govardhanmath
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3 years
सनातनधर्ममें प्रत्येक दिन(क्षण) पर्यावरणसे जुड़ा है; पर्यावरण दिवसकी आवश्यकता ही नहीं थी जबसे कथित विकासका युग आया; नदी,वृक्ष,पशु,गो आदि सभी का अस्तित्व खतरे में है श्रद्धा ने युगों रक्षा की पर कथित विज्ञान100 वर्ष भी नहीं सनातन धर्मकी वैज्ञानिकता पर विचार करो @govardhanmath
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2 years
जो परम चेतन है; वह परम जड प्रतीत होता है तथा जो परम जड हैं वे चेतन प्रतीत होते हैं; यही ब्रह्मतत्त्व की चेतना का परम प्रमाण है। उसीसे मोहित हो कर चार्वाक्, बौद्ध, जैनादि नैरात्मवादों का जन्म हुआ। अस्तु उस परब्रह्म के यथार्थज्ञान के लिए शब्दब्रह्म वेद ही आश्रय हैं। @govardhanmath
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2 years
जीवों को आत्मस्वरूप में रंगने के लिए रासेश्वर रसस्वरूप श्रीकृष्ण और श्रीकिशोरीजू की ओर से झरा भण्डारा ही होली है। परमदयाल रसिक-रसिकनी ने इस महारास लीला में सभी जीवों को यथायोग्य प्रवेश दिया है। यही उनका प्रेमाद्वैतस्वरूप है। @govardhanmath
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3 years
#GuruNanak वर्णाश्रमके पक्षधर सगुणसाकार ईश्वरके प्रति आस्थान्वित, पूर्णसनातनी थे। उनकी वाणी राम-कृष्ण-हरिके गुणगान, वेद-पुराणोंकी महिमासे भरपूर है। पुरी जाकर जगन्नाथ व जगद्गुरुका दर्शन किया, उनके पदोंमें अद्वैतका ही समर्थन है। पुत्र चन्द्रसे उदासीन सम्प्रदाय चला। @govardhanmath
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1 year
@govardhanmath वेदों के चरम-परम तात्पर्य को ख्यापित करने वाले सार्वभौम आचार्य के २५३०वें प्राकट्य महोत्सव के शुभवसर पर उनके चिन्मय-चरण-कमलों में अनन्तानन्त नमन।
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3 years
सिखपन्थ पर अभी सबसे बड़ा खतरा खालिस्तान है। जो खालिस्तानका समर्थक है; वो मानो अपने विनाशको ही अपना हित समझ बैठा है। जो गुरुओंका सच्चा बन्दा है वह कभी #Khalistan का समर्थक नहीं हो सकता। मूलसे कट कर कोई शाखा जीवित नहीं रह सकती; फिर विभाजन धार्मिक हो या भौगोलिक। @govardhanmath
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3 years
सृष्ट्यादि सनातन हिन्दू नववर्ष मङ्गलमय हो। केवल यह ही विज्ञान आधारित है; जब सूर्य सौरमण्डलाकाशके आदि भाग(मेष) का भोग आरम्भ करते हैं। अन्य कल्पित सम्वत्सरों के आरम्भमें ऐसी कोई खगोलीय घटना नहीं होती। अस्तु यह हिन्दु मात्र का नहीं, सम्पूर्ण सृष्टि का नववर्ष है। @govardhanmath
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4 months
जो प्रणवात्मिका हैं,सभी मन्त्रोंके रूपमें हैं।विद्या,अविद्या,प्रकृति,अव्यक्त,प्रधान,माया, योगमाया, स्वात्मवैभव,शक्ति,भक्ति,गति सर्व रूप और अरूप हैं।परमाणुसे लेकर ईश्वर तकका वपु हैं। सर्वकार्य,कारण,कार्यकारणातीत केवल वही हैं। वही विदेह सम्प्राप्ता वैदेही प्रकट हैं। @govardhanmath
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4 years
धन्य है भगवान् भारतीकृष्णतीर्थ की दूरदर्शिता; जिन्होंने वैदिकगणित के सूत्रों का मूलस्थल गुप्त रख कर इस वेदविद्याको गोरे-चोरों के काले-कारनामों से बचा लिया। धर्मात्मा राजा की सम्पत्तिसे सभी लाभान्वित होते हैं लेकिन उसके समग्र कोष पर केवल योग्य उत्तराधिकारी का ही अधिकार होता है।
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2 years
#gannathmandircorridor को ले कर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात है। धार्मिक विषय पर सरकार व कोर्ट के अनधिकार हस्तक्षेप का सबसे बड़ा नमूना; जो अंग्रेजों के समय भी नहीं हुआ। मन्दिर के द्वारों सामने जैसे शौचालय बनाए गए हैं वैसे ही न्यायालय, राष्ट्रपति-
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2 years
@DrKumarVishwas यह विवक्षित भाव है; इसका गलत अर्थ मत करो विश्वास जी। शास्त्र ने कहाँ किस उद्देश्य से क्या कहा है उसे सार्वभौम निर्णय नहीं कहा जाता। धर्म के बारे में आप को 50 वर्ष जिनसे अध्ययन भी कम पड़ेगा उन धर्माचार्यो पर प्रश्न खड़ा करने के लायक आप नहीं हैं। पहले स्वयं आप अपनी सीमा में रहें।।
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3 years
ह्लादिनीशक्तिस्वरूपा(आनन्दस्वरूपा) श्रीराधिका की कृपा के बिना जीव विषयों में कल्पित आनन्द की वासना से मुक्ति तथा परमानन्दकन्द श्रीकृष्ण के चरणों में प्रेम को कभी प्राप्त नहीं कर सकता। आनन्दतत्त्व ही राधा-कृष्ण के रूप में परस्पर आश्रय-विषय हो कर प्रेमतत्व बनता है। @govardhanmath
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1 year
श्रीसीताराम-चरणार्पणमस्तु @govardhanmath
@AtharvaForum
The Atharva Forum
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LINK | [English Subtitles] @HrishikeshBrah6 ji of @govardhanmath explains why it is only Lakshmana who stayed in Bhagwan Rama's sewa. हृषीकेश ब्रह्मचारी जी रामायण के आध्यात्मिक रहस्य में समझाते हैं की भगवान राम की सेवा में लक्ष्मण ही सदा क्यों बने रहे l
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2 years
अस सुभाउ कहुँ सुनउँ न देखउँ । केहि खगेस रघुपति सम लेखउँ।। 😭 @govardhanmath
@harshvardhan241
𝐇𝐀𝐑𝐒𝐇𝐕𝐀𝐑𝐃𝐇𝐀𝐍 🦁࿗(𝐆𝐫𝐞𝐞𝐤 𝐠𝐨𝐝 😎)
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बंदउँ बालरूप सोइ रामू। सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू॥ © @Panditcasm @hindu_rashtr108
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1 year
गो -उपासक महापुरुषोंके लाडले; शासन द्वारा पुरी नगरसे निष्कासित गोवंशकी सेवा करने वाले महान् गोसेवक श्रीगोविन्दजीका आज गोसेवा करते हुए ही गोलोकवास हो गया। नित्यचारेकी व्यवस्था किये बिना अन्न ग्रहण न करने वाले आदर्शको अत्यन्त कष्टके साथ भावपुष्प समर्पित करता हूँ।🙏 @govardhanmath
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3 years
"शरदोत्सव" प्रकटब्रह्म की अद्वैतसिद्धि लीला है। विषयनिरपेक्ष-रस ही 'कृष्ण' हैं; उसके सततपान में समर्थ जीवन्मुक्त ही 'गोपी' है। पान की प्रक्रिया ही 'रास' है। चरमवृत्ति ही शरदपूर्णिमा है। जीव ईश मिलि दोय नाम रूम गुण परिहरै। रसिक कहावै सोया जो जल घोरै सरकरा।। @govardhanmath
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1 year
अनुभवस्वरूप अननुभाव्य आत्मतत्त्व का अनुभाव्य होना ही अपारकरुणागार अवतार है।। @govardhanmath #अवतारवाद
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2 years
#HitHarivansh श्रीराधवल्लभलालको प्रकट किया सम्प्रदायका भाष्य नहीं; किन्तु पूर्ण वैदिक नित्यलीलामें गोपीभावसे प्रवेशको जीवका चरमोत्कर्ष माना प्रकटमें निम्बार्क,वल्लभ,गौडीय मतसे निकट हैं; कृष्णस्मृतिमें आत्मविस्मृतिको स्वीकार कर अद्वैतको गुप्तरीतिसे ख्यापित किया। @govardhanmath
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सायं सत्र में धर्म सभा में सन्तों ने सनातन सन्त-समिति में भाग लिया। सभी सम्प्रदायों के महापुरुषों ने भाव रखा कि मान्य जगद्गुरु शंकराचार्य ही सनातन-धर्म के सार्वभौम धर्मगुरु हैं। @govardhanmath
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2 years
#अदित्यवाहिनी ओडिशा दक्षिण क्षेत्र के अन्तर्गत ब्रह्मपुर जिला की सभी शाखाओं के पदाधिकारियों के साथ हिन्दूराष्ट्र-केन्द्रित साङ्गठनिक बैठक #हर_हिन्दु_सेना_हो, #हर_हिन्दु_सनातनी_हो #हम_भारत_भव्य_बनाएंगे_हम_हिन्दुराष्ट्र_बनाएंगे
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#SwamiVivekananda के सपनोंका भारत ? #NationalYouthDay @govardhanmath
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असत्स्वपि निविष्टेषु ब्रुवतो मुक्तसंशयम्। गुणास्ते न विराजन्ते तेनासि हरिणः कृशः॥ (महाभारत, अनुशासनपर्व, दानधर्मपर्व, १२४, १९) दुराग्रही असत्याग्रही दुष्टस्वभाव वालों के बीच संशयरहित सत्य का प्रकाश करने पर भी वहाँ गुणप्रकाश नहीं होता; यही लोकव्यथा है। @govardhanmath
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ऐतिहासिक सफलता के हेतु सभी घटकों को अनन्तान्त शुभकामनाऐं
@govardhanmath
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#Chandrayan3 की सफलता पर जगद्गुरु शङ्कराचार्य द्वारा देशवासियों एवं #ISRO को मंगल शुभकामनाऐं।
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@HrishikeshBrah6
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3 years
चाहे कितने ही वर्षों पूर्व भय, लोभ या भावुकतासे पूर्वज या स्वयं विधर्मी हो गए हों; किन्तु अन्दरसे वे जानते हैं कि वे वास्तव में हिन्दु हैं। किन्तु उन्हें ऐसी जडता तक पहुँचाया है कि वे ��पना इतिहास सुनना व याद करना नहीं चाहते। शीघ्र इस मूढ़ताका त्याग कर निर्भय हो सत्यको धारण करें🙏
@govardhanmath
Govardhan Math
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1 year
हमारा जीवन अत्यन्त स्वच्छ हो, उँगली उठाने योग्य न हो। तथापि कोई द्वेष और भ्रम के वशीभूत निन्दा करे तो उसे भी मित्र ही समझना चाहिए। वह हमें शुद्ध से विशुद्ध बनाने का उपकार कर रहा है। साधो; निन्दक मित्र हमारा। बिन पानी बिन साबुना निर्मल करत सुभावा।। @govardhanmath
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8 months
@CNNnews18
News18
8 months
Hindu, Hindutva, and Hindustan, Puri Shankaracharya on CNN-News18 Watch #TheRightStand with @AnchorAnandN at 8:25 PM only on CNN-News18
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