राजस्थान के रेगिस्तानी आँचल के प्राकृतिक मेवे "पंचकुटा"
कैर, कुमटिया, सांगरी, काचर बोर मतीर
तीनूं लोकां नह मिलै, तरसै देव अखीर.
सट रस भोजन सीत में, पाचण राखै खैर.
पान नहीं पर कल्पतरु, किण विध भुलाँ कैर
जी हाँ, कैर, कुमटिया, सांगरी, काचरी, बोर और मतीरे राजस्थान को छोड़कर तीनों