भाव रूप उर में बहे, जो बनकर रस धार,
सभी रसों का मूल रस, रसपति है श्रृंगार।
कविता में श्रृंगार रस, मर्म हृदय का घोल,
जो अब तक उर में छुपा, दिया बात वो बोल।
सब रस में श्रृंगार रस, कहलाता रस राज,
सदा शोभता शीश पर, सुन्दरता का ताज।
कामुकता विदा हो सकती है लेकिन स्त्री आकर्षण विदा नही होता है| आकर्षण जीवन के अंत तक रहता है | वासना नही जाती सिर्फ वासना परिवर्तन होती है जिसे प्रेम कहते है |वासना का ही दूसरा रूप प्रेम है| वासना और प्रेम अलग अलग नही है| वासना की शुद्ध अवस्था प्रेम है !
ओशो❤
Sabhi ko Gayatri ka naskaar....sabse pehle maafi chahti hu..in dino kuch jayda busy thi...aap logo se baat nahi kar paayi...aur bataye kaise hai sab mere chahne wale...sab ko mera pyaar
मैं चाहती हूँ तुमसे एक साधारण सी मुलाक़ात
संगम के किनारे सूर्यास्त देखते हुए,जहाँ हमारी उँगलियाँ आपस में करें ढेर सारी बातें, मेरे बाल हवा का बहाना कर के चाहें तुमसे लिपट जाना,मेरा तुम पर विश्वास विवश कर दे मुझे तुम्हारे काँधे पर सिर टिकाने को और मौन पसरा हो हमारे दरम्यान ।
जब जब नजदीकीयाँ बढी खुद पर नियन्त्रण छुटता गया
मेरा कंगन झुमका टीका सब तुम्हारे हाथों टूटता गया ।
दो भिन्न थी काया हमारी देखो अब एक बनकर रह गयी
तुम मुझ में और मैं तुम्हारे भीतर तक रोम रोम मे घुल गई।
सुबह का समय दिन का एक महत्वपूर्ण समय होता है, क्योंकि आप अपनी सुबह कैसे बिताते हैं, अक्सर यह बताता है कि आपका दिन किस तरह का होगा। आपका दिन मंगलमय हो ..!!
💐💐सुप्रभात 💐💐
जब तुम्हारी उंगलिया मेरी देह की यात्रा करती हैं
तो मैं खुद का विस्तार पाती हूँ
टेढे मेढे रास्ते में तुम्हारी उंगलियो का फिसलना और गहराते जाना,
तुम मुझें मुझसे मिलाते हो।
आंखें शोर मचती है
तेज़ भागकर सब कुछ बताती है
मासूमियत, या काले मन की कहानी
आंखें सिर्फ सच्चाई दिखती है
पढ़ ले कोई दिल की ज़बान
बाँट ले हसते हुए चहेरे का गम
आंखे चुप रहकर भी असर दिखती है
कुछ बात ज़रूर है इसमें
कभी-कभी आंखें भी आंसू छुपाती है
#बज़्म
#अनकहे_अल्फाज
#शुभ_संध्या
काले कुंतल वाली सुंदरी सुमुखी, नयन मेरे मद मस्त चंचल।
ढलका आँचल मनवा चंचल, बलखाती कमर सस्मित अधर।
ज्योति पुंज सी फुट रही, अंग अंग माणीक झिलमिल।
आतुरता के तुंग इच्छा पर, विलन बदन से हुआ वसन।
मैं रति की प्रतिमा, तुम प्रेमी रत- आराधन।
प्रेम को लिखना अत्यंत सरल है,
प्रेम को जीना, ना सरल है ना कठिन;
प्रेम को निभाना..
प्रेम को लिखने और जीने से कठिन है;
मगर सबसे कठिन है..
जिये हुए प्रेम को भूल पाना।।
“जरूर कोई तो लिखता होगा…
*कागज और पत्थर का भी नसीब…
वरना ये मुमकिन नहीं की…
*कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई
पत्थर भगवान बन जाये…*
और…
*कोई कागज रद्दी और कोई कागज
गीता बन जाये…!
🌼🙏 सुप्रभातम 🌞🙏