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Ruma Devi
@DrRumaDevi
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Social activist || National Awardee II Harvard Speaker II Tedex Speaker II Fashion Designer || Brand Ambassador
Barmer, India
Joined May 2011
अमरपुरा सिणधरी स्कुल का वार्षिक उत्सव। स्कुल की तीन बेटियों को रूमा देवी फाउंडेशन से छात्रवृति प्राप्त कर चुकी है। इस विद्यालय के बच्चो से बात कर लगा कि वे खे�� व पढ़ाई में अच्छी रूचि रखने वाले है। सब को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ! गाँव के लोगो से मुलाकात हुई। विद्यालय परिवार को इस आयोजन की बधाई 🎉
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नई सोच, नई उङान। पढ़ाई में पिछङे बच्चे जो अब कर रहे सुधार, उनको किया जा रहा है सम्मानित। जीरो से हीरो बन रहे आठवीं कक्षा ��क के बच्चों को प्रोत्साहन देने की एक मुहिम गाँव की स्कूलो में आरम्भ की गई है। इस मुहिम में अमेरिकन सरकार के सिविल इंजीनियर अतुल कुमार पटेल हमारे साथ गाँव के बच्चो को मोटिवेशनल स्पीच से प्रेरित कर रहे हैं। चयनित विद्यालयो में अधिकतम पांच नव प्रतिभावान बच्चो को मंच पर अतिथियों के साथ सम्मान बिठाकर नई उङान के प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस मुहिम के प्रथम चरण में पाँच लाख रूपए प्रति विद्यार्थी तीन हजार प्रोत्साहन स्वरूप प्रदत किए जा रहे हैं। अभी तक के अनुभव उत्सा���वर्धक हैं।
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पूर्व केबिनेट मंत्री आदरणीय हेमाराम जी चौधरी, जिला प्रमुख महेन्द्र जी, जिला पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र जी मीणा, बालाराम जी मूंढ, शिव प्रधान महेन्द्र जी जाणी, आजाद सिंह जी राडौङ, बालाराम जी गोदारा, धनाऊ प्रधान शमा बानो जी, बाङमेर ग्रामीण प्रधान जेठी देवी जी, लक्ष्मण जी गोदारा,दीप सिंह जी भाटी, डाॅ रोहित खत्री, डाॅ मोहन जी जांगीङ सहित प्रबुद्ध जनो ने बाबा जी को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए।
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राजस्थान सरकार के उद्योग मंत्री माननीय केके विश्नोई जी, बाङमेर विधायक प्रियंका जी चौधरी, चौहटन विधायक आदुराम जी मेघवाल, बाङमेर भाजपा अध्यक्ष दिलिप जी पालीवाल, पूर्व अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा, चौहटन प्रधान रूपाराम जी सारण, कुंवर कुलदीप सिंह गुङामालानी, स्वरूप सिंह जी सहित प्रबुद्ध जनो ने आज सांत्वना बैठक में उपस्थित होकर बाबा जी को श्रद्धांजली अर्पित की।
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एक बेटी की तरह ससुर जी को भगवान मानकर देखभाल करने का सौभाग्य मिला। हकीकत मे हम भगवान को तो सिर्फ एक दो बार कुछ क्षण अगरबत्ती कर या नमस्कार कर अपने काम लग जाते हैं। लेकिन ससुर जी की सेवा इतने सालों तक करते करते ये भगवान के स्वरूप ही लगने लगे। मेरे ससुर जी मोबताराम जी 87 साल पूरे करके संसार से विदा हुए। आप गाँव ��ंगले की बेरी से मजदूरी की आस में बाड़मेर आए। मजदूरी ओर चपरासी की नौकरी करते करते सत्संगो में जाने लगे। मारवाङ के प्रसिद्ध भजनी दानजी के शरूआती साथी बने। नशे पते से दूर सादगी भरे जीवन में उस समय शहर से बाहर वीराने में बबूल की झाङीयों के बीच एक प्लाट लिया। दो कमरे बना कर संतुष्टी से जीवन व्यतीत किया। पिछले कुछ वर्षो तक चारपाई कुर्सियों की बुनाई करते रहे। जब मैं ससुराल आई और घर परिवार की आर्थिक परिस्थतियों मे�� सुधार करने की कोशिश की तो रूढ़िगत मानसिकता ने जब रास्ता रोका तो मैं किराए का कमरा लेकर अपने सपने पूरे करने के लिए परिवार से अलग होने पर मजबूर हो गई। समय गुजरा। आर्थिक रूप से थोङी ठीक हुई तब वापस सास ससुर जी के साथ रहने लगी। धीरे धीरे मेरे काम की व्यस्तता बढने लगी। देश विदेश में काम बढा। लोगो ने ससुर जी को भङकाने के प्रयत्न किए लेकिन वो उस समय मुझे पूर्ण रूपेण आशीर्वाद दे चुके थे। जब भी कार्यक्रम की खबर अखबार में पढ़ते तो सुबह सुबह मुझे आवाज देकर कहते बेटा तुमारा नाम अखबार में आया है। मुझे उनकी इस पुकार में एक न��ीन ऊर्जा मिलती महसूस होती। पिछले कुछ सालो में उम्र की अधिकता से खाना खिलाने और उठाने बिठाने की कभी-कभार मदद करनी पङती तो मुझे और देवर- देवरानी को ��हते बेटा अब मैं तुम लोगो को तकलीफ दे रहा हुं जो मैं नहीं चाहता। पहले ससुर जी से रिवाज के हिसाब से बात नहीं करती थी। देखभाल की जरूरत बढने लगी और उनका जिद्दी स्वभाव जब आने लगा तो बात करने की जरूरत आन पङी। बच्चो जैसे जिद्दी हो जाते थे। खाना नहीं खाते। मुझे जाकर बोलना पङता कि बाबा थोङा सा खाना खा लो। मेरी बात तुरन्त मान लेते। कभी जिद्द करके किसी बात पर रूठ जाते तो मुझे जाकर मनाना पङता। घंटे भर तक बाते सुनती उनकी। तब कहते कि बेटा बस ऐसे ही दिन में एक दो बार मेरे पास आकर बैठ जाओ तो कोई जिद नहीं करूंगा। ऐसे चलता रहा। तीन चार दिन पहले सब परिवार वाले साथ बैठे थे तो मुझे अचानक बोले कि जब भी बाहर जाओ मुझसे दिन में एक बार मिलकर जरूर जाना। परिवार वालो ने पूछा क्यूं तो उन्होने जो बोला वो बताना तो नहीं चाहती पर संयुक्त परिवार और बुजुर्गो के महत्व को समझने के लिए शायद कहने की हिम्मत जुटाना ठीक प्रतीत हो रहा हैं, उन्होने गंभीर होते हुए मेरे लिए बोले कि इनका दर्शन करना भगवान के दर्शन करने जैसा है! हम सब आवाक रह गये! हम तो उनके बच्चे हैं। मैं हैरान थी है भगवान आज बाबा क्या बोल रहे हैं! बाबा ने शुरूआती जीवन में सख्त रवैया थोङा जरूर रखा पर बाद के जीवन काल में व्यवहार में बदलाव लाते गये। कोई कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा आशीर्वाद देगें। वा��्तव में हम परिवार में बुजुर्गो को समझने में चूक करते हैं। यदि मैं शुरूआत में वैचारिक मतभेद कायम रख लेती तो धीरे धीरे दूरीयां बनती जाती। संयम, सहन शक्ति ने परिवार बिखरने से बचाया और जिनसे ताउम्र शिकायत रहती आज ताउम्र बाबा जी के आशीर्वाद से खुद को धन्य मानुंगी। उनके मुखारविन्द से बोले गए शब्द कानो में मन मष्तिष्क में गूंज रहे है। वे अपने हृदय से अपनी बहू बेटी को आशीर्वाद रूपी इतनी बङी पूंजी द�� गए जिससे बङा इस संसार में कुछ है नहीं। कुछ सालो में जीवन के प्रति अनासक्ति के भाव बाबा में प्रबल रहे। कहते बेटा अब चले जाने में फायदा। पिछले दो दिन से आपको पूर्वाभास हो चुका था। बार बार घर के गेट पर चले जाते और कहते "मुझे जूनकी ढ़ाणी जाना है अब" यानि मुझे मेरे पुराने घर जाना हैं। उसके दूसरे दिन यह उन्होने साबित कर दिया। जिस घर आये उस घर को चले गए। जैसी हरि इच्छा। ��ावो को विराम देकर उन्हे समेटने से पहले एकाध बात ओर कहने को मन हो रहा है। मेरे दादा जी दिवंगत हुए उस समय मैं यूएसए थी। मुझे पहुंचने में चार पांच दिन लग गए। तब से बार बार ख्याल आता कि कहीं ऐसा ना हो कि बाबा को कुछ हो जाए और में उस समय नहीं पंहुच पाऊं। यह भय आता ही रहता। भगवान ने कृपा रखी। अंतिम समय में हॉस्पीटल में उनके पास रही। यहां तक अंतिम भोजन हाथ से करवाकर बातें करते हुए जैसे ही लिटाने के लिए सिर के नीचे तकिया दे सुला ही रही थी, सिर हाथों में था, बाबा ने आंखे मूंद ली। उन्होने अपनी माया समेट ली। कल तक साथ थे। अब वो नहीं है। हमेशा हमेशा के लिए चले गए। अब कभी लोटना नहीं होगा। चली गई वो जिद। चली गई वो आवाज जो घर में आते ही आती कि कौन आया!! अब किससे कहुंगी कि बाबा मैं आई हुं।।।।।
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आज सिरोही में रूमा देवी गुलाब बेन अक्षरा छात्रवृति कार्यक्रम आयोजित हो रहा है जिसमें जरूरतमंद व हुनरमंद विद्यार्थियों को छात्रवृति प्रदान कर प्रोत्साहित किया जाएगा। स्थल- विवेकानंद कौशल केन्द्र बरलूट #aksharascholarship #rumadevifoundation #rajasthan
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स्कूली बच्चो के लिए रूमा देवी फाउंडेशन एक नई पहल प्रारंभ करने जा रहा है। पूरे कार्यक्रम की जानकारी जल्द ही साझा होगी। #rumadevifoundation
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जल के जीव बिना जल नहीं रह सकते। वैसे ही मारवाङी लोग मारवाङ से दूर नहीं रह सकते। सिवाना कस्बे में प्रवासी भाई बहनो ने सिवाना उत्सव का सुन्दर आयोजन किया। नई पीढ़ी के बच्चो को मातृभूमि से जोङे रखने हेतु ऐसे प्रयास इस डिजिटल युग में अति आवश्यक हो गए हैं। इस अविस्मरणीय कार्यक्रम के लिए सभी आयोजको को ढेरो बधाई 🎉🎉 #मेरी_मातृभूमि_मेरी_पहचान #सिवाना_उत्सव #Rumadevi #narishakti #rajasthan #SquidGame2
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जैसे कल की ही बात है। 15 साल पहले देश की राजधानी में यह तस्वीर ली गई थी। ट्रेन के लोकल डब्बे में कट्टे में भरकर हैंडीक्राफ्ट का सामान लेकर लोधी गार्डन के पास लगी प्रदर्शनी में गई थी। उन दिनो जो खुशी अनुभव होती थी वैसी आज दुनिया के बङे से बङे प्लेटफॉर्म पर भी नसीब नहीं होती। हमारे तकलीफ के दिनो में छोटी छोटी सफलताएं असीम ताकत लाती है। उस समय हर एक स��लता अनूठी थी। भविष्य की कोई योजना नहीं, कोई पूर्व निर्धारित लक्ष्य नहीं, बस जो वर्तमान है उसीमें जीना आता था। यह अलग बात है कि समय के साथ सफर नई ऊंचाईयो, मंजिलो को पाता गया। हम यदि वर्तमान को जीते हुए सतत चलते जायें तो मंजिल अपने-आप मिल जाएगी। #rumadevi #rajasthan #india #ngo #handicraft #womenempowerment #womenempoweringwomen #womenentrepreneurs #rajasthan #barmer
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