मै अबला नादान नहीं,दबी हुई पहचान नहीं
मै स्वाभिमान से जीती हूँ,
रखती अंदर ख़ुद्दारी हूँ।।
मै आधुनिक नारी हूँ।
पुरुष प्रधान जगत में मैंने, अपना लोहा मनवाया।
जो काम मर्द करते आये, हर काम वो करके दिखलाया
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश, फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ।